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ससुराल वालों के साथ नहीं रहने वाली महिलाएं क्या स्वार्थी होती हैं?

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 16 अक्टूबर, 2021 03:45 PM
  • 16 अक्टूबर, 2021 03:45 PM
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बेटी को लेकर तो लोगों की सोच बड़ी उदारवादी और मॉडर्न हो गई है लेकिन बहू का नाम सुनते ही अचानक विचार क्यों बदल जाते हैं? आज भी लोग बहू को लेकर संकुचित सोच रखते हैं और बोझ बूह के सिर पर ही आता है. जब आप घर में बहू से अच्छी तरह से व्यवहार नहीं करोगे, उसे दिन-रात ताने मारोगे, उसे नीचा दिखावोगे तो उसका आपके साथ रहने का मन कैसे करेगा?

तीजा को देखा शादी के 15 दिन बाद ही ससुराल से चली गई. वह तो आने से पहले ही जाने का टिकट बुक करवा कर आई थी. किसी से पूछा भी नहीं बस बता दिया कि मैं फलाने तारीख को जा रही हूं, ऑफिस से बस इतने दिन की छुट्टी मिली. ये बातें पड़ोसी महिलाएं आपस में कर रही थीं.

असल में तीजा दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती है. उसने हाल फिलहाल ही नई कंपनी ज्वाइन किया है. अब शादी की तारीख से पहले से तय थी, उसने छुट्टी के लिए अप्लाई किया तो बड़ी मुश्किल से 20 दिन की ही छुट्टी मिली. वह शादी के बाद 15 दिन ही ससुराल में रह सकी. उसे अपनी जॉब से प्यार था वह नौकरी छोड़ना नहीं चाहती थी. उसने ये शादी साथी के लिए की थी सहारे के लिए नहीं. उसे काम करने से खुशी मिलती थी और इसे जारी रखना चाहती थी.

ऐसी महिलाओं के लिए कहा जाता है कि वह घर तोड़ने वाली है

यह कहानी सिर्फ तीजा की की नहीं है, ऐसी तमाम महिलाएं हैं जो शादी के बाद परिवार के साथ नहीं रह पाती हैं क्योंकि उनकी नौकरी कहीं और रहती है और ससुराल कहीं और. एक लड़की प्रीतिका है जो शादी के कुछ दिनों तक तो ससुराल से ऑफिस अप-डाउन करती थी, लेकिन उसे कभी ऑफिस जाने में देरी होती तो कभी घर के काम ही खत्म नहीं होते. इस वजह से कई बार जेठानी और सास उसे 10 बातें सुनाते. कुछ महीनों बाद जब उसे लगा कि उसकी नौकरी खतरे में है तो उसने ऑफिस के पास ही किराए से घर ले लिया. अब सभी रिश्तेदार प्रीतिका को ही दोष देने लगे कि ये तो बड़ी तेज है, घर का काम नहीं करती, पति को परिवार से दूर कर दिया. पति इसका गुलाम है बल्कि उसे मेरठ से दिल्ली का रोज सफर करके परेशानी होती थी, उसकी सेहत पर असर पड़ने लगा और जब वह गर्भवती हो गई तो रिस्क नहीं लेना चाहती.

ऐसे ही बबीता की शादी हुई वह शादी के एक सप्ताह बाद ही बंगलौर...

तीजा को देखा शादी के 15 दिन बाद ही ससुराल से चली गई. वह तो आने से पहले ही जाने का टिकट बुक करवा कर आई थी. किसी से पूछा भी नहीं बस बता दिया कि मैं फलाने तारीख को जा रही हूं, ऑफिस से बस इतने दिन की छुट्टी मिली. ये बातें पड़ोसी महिलाएं आपस में कर रही थीं.

असल में तीजा दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती है. उसने हाल फिलहाल ही नई कंपनी ज्वाइन किया है. अब शादी की तारीख से पहले से तय थी, उसने छुट्टी के लिए अप्लाई किया तो बड़ी मुश्किल से 20 दिन की ही छुट्टी मिली. वह शादी के बाद 15 दिन ही ससुराल में रह सकी. उसे अपनी जॉब से प्यार था वह नौकरी छोड़ना नहीं चाहती थी. उसने ये शादी साथी के लिए की थी सहारे के लिए नहीं. उसे काम करने से खुशी मिलती थी और इसे जारी रखना चाहती थी.

ऐसी महिलाओं के लिए कहा जाता है कि वह घर तोड़ने वाली है

यह कहानी सिर्फ तीजा की की नहीं है, ऐसी तमाम महिलाएं हैं जो शादी के बाद परिवार के साथ नहीं रह पाती हैं क्योंकि उनकी नौकरी कहीं और रहती है और ससुराल कहीं और. एक लड़की प्रीतिका है जो शादी के कुछ दिनों तक तो ससुराल से ऑफिस अप-डाउन करती थी, लेकिन उसे कभी ऑफिस जाने में देरी होती तो कभी घर के काम ही खत्म नहीं होते. इस वजह से कई बार जेठानी और सास उसे 10 बातें सुनाते. कुछ महीनों बाद जब उसे लगा कि उसकी नौकरी खतरे में है तो उसने ऑफिस के पास ही किराए से घर ले लिया. अब सभी रिश्तेदार प्रीतिका को ही दोष देने लगे कि ये तो बड़ी तेज है, घर का काम नहीं करती, पति को परिवार से दूर कर दिया. पति इसका गुलाम है बल्कि उसे मेरठ से दिल्ली का रोज सफर करके परेशानी होती थी, उसकी सेहत पर असर पड़ने लगा और जब वह गर्भवती हो गई तो रिस्क नहीं लेना चाहती.

ऐसे ही बबीता की शादी हुई वह शादी के एक सप्ताह बाद ही बंगलौर चली गई. वह सरकारी स्कूल में शिक्षिका है. उसका पति हैदराबाद में जॉब करता है. दोनों अलग-अलग नौकरी करते हैं. वह घर में तीज-त्योहार और छुट्टियों में आती रहती है. अब लोग लगे हैं कि किसी तरह बस वह यह नौकरी छोड़ दे और बेटे के साथ रहे या घर में रहे. उसने एक साल का वक्त मांगा, उसने ट्रांसफर की अर्जी डाल रखी है. कोई बेटे को कुछ नहीं कहता सब बहू की नौकरी के पीछे सब हाथ धोकर पड़े हैं. पति को परेशानी नहीं है सास को परेशानी नहीं है लेकिन रिश्तेदार और पड़ोसी हैं जो चैन से जीने नहीं देते.

ऐसे ही एक दिन अचानक सोनी का फोन आया, उसने कहा "मैं गुड़गांव आ रही हूं. मुझे जॉब करनी है. ससुराल वाले सब ताना मारते हैं कि गलत लड़की से शादी हो गई. घर नहीं संभाल पाती, घर बर्बाद कर देगी, मेरे बेटे को दूर कर दिया..जबकि मैं सारा काम करती हूं, किसी को कुछ बोलती भी नहीं. मेरी नौकरी को लेकर ताना मारते हैं कि मैं जॉब क्यों नहीं करती? मैं गांव में क्या नौकरी करूं? एक फैशन इंडस्ट्री की लड़की के लिए कौन सी कपंनी बैठी है गांव में"? उसकी वह आवाज में लाचारी और सिसकी माैं अब तक नहीं भूली. वह कितनी मजबूर है सिर्फ वही जानती है. ना मायके आ सकती है ना कहीं बाहर जा सकती है. वह जब अपने लिए जॉब देखने लगी तो उसकी ससुराल वालों ने पूरी रिश्तेदारी में बता दिया कि वह घर छोड़कर भाग गई है. हालात ऐसे बनाए गए कि उसे दोबारा ससुराल जाना पड़ा. अब फिर वही कहानी शुरु है. अगर वह जॉब करे तो दिक्कत ना करे तो दिक्कत. साथ रहे तो दिक्कत और अकेले रहे तो दिक्कत.

कई लड़कियां देखती हैं कि संयुक्त परिवार में कैसे कटपट होती रहती है. वे चाहती हैं कि उन्हें अपने सपनों के साथ समझौता ना करना पड़े. रिश्तों में प्यार बना रहे, उनके अग रहने पर लोग उसे बुरी औरत के नाम से प्रसिद्ध कर देते हैं चाहें भले ही गलती किसकी भी हो.

औरतों बड़ी मुश्किल से बाहर काम करने निकल पाती हैं. शादी के बाद मैं और ससुराल की बात करने वाली महिला कुछ सालों में मैं को तो भूल ही जाती है. उसके सपनें प्याज काटते हुए आंसुओं के साथ बह जाते हैं. मेरा पति, बच्चे, घर, रिश्तेदार, परिवार, रसोई और जिम्मेदारी इन सबमें वह खुद को तो भूल ही जाती है. बस एक रसोई को नहीं भूलती, उनका तो कमरा भी पति का हो जाता है. शादी के बाद घर की सारी जिम्मेदारी घर की नई बहू पर आ जाती है. ऐसा क्यों? क्या घर के पुरुष का कोई दायित्व नहीं बनता?

एक लड़की अगर पहले अपने बारे में सोच ले तो वह स्वार्थी हो जाती है. उसे खुद से पहले सिर्फ पति और बच्चों का नहीं, बल्कि सास-ससुर, भाई-बहन, बुआ, मौसा, फुफ्फा, नाना, दादा सबके बारे में सोचना पड़ता है क्योंकि सब अब उसकी जिम्मेदारी हैं. सबके बारे में सोचना और करना उसका धर्म है और अपने बारे में सोचना पाप. अगर उसने अपी जरूरतों को उपर रख दिया तो सबकी नजरों में उसे अपमानित होना पड़ता है.

नई बहू से उम्मीद की जाती है कि वह सबके साथ रहे और सबके हिसाब से रहे. वह अपनी सोच को किसी फैसले पर हावी न करे. चुपचाप परिवार के नियम के हिसाब से खुद को पूरी तरह बदले भले ही वह सही बात ही क्यों ना कह रही हो. पहले पति कमाते थे और औरत घर संभालती थीं और जब दोनों काम कर रहे हैं तो भी घर की पूरी जिम्मेदारी पत्नी की क्यों?

बेटी को लेकर तो लोगों की सोच बड़ी उदारवादी और मॉडर्न हो गई है लेकिन बहू का नाम सुनते ही अचानक विचार क्यों बदल जाते हैं? आज भी लोग बहू को लेकर संकुचित सोच रखते हैं और बोझ बूह के सिर पर ही आता है. जब आप घर में बहू से अच्छी तरह से व्यवहार नहीं करोगे, उसे दिन-रात ताने मारोगे, उसे नीचा दिखावोगे तो उसका आपके साथ रहने का मन कैसे करेगा? हो सकता है कि उसके दूर जाने के पीछे वजह आप ही हों. क्या पता कि वह तंग आकर दूर जाने का मन बना लेती हो? अपनी शादी और मन की शांति सभी को प्यारी होती है. जब घर की वजह से पति-पत्नी के रिश्ते में दूरी आनी लगती है तो भी वे दूर होना चाहते हैं. गलती दोनों तरफ से हो सकती है.

ऐसी महिलाओं के लिए कहा जाता है कि वह घर तोड़ने वाली है. बेटे को माता-पिता से दूर कर रही है. अब साथ रहा भी ना जाए और दूर जाने पर ताना दिया जाए, ऐसे में बहू से पूछ लेना चाहिए कि क्या बात है जो उसे दूर जाना पड़ रहा है? हो सकता है कि वह बुरी औरत बनने से बच जाए...

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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