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हम जया बच्चन की बात से असहमत हो सकते थे अगर...

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 04 दिसम्बर, 2019 09:47 PM
  • 03 दिसम्बर, 2019 02:37 PM
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Hyderabad Disha rape and murder case के आरोपियों पर Jaya Bachchan ने जो कुछ कहा उसपर आपत्तियां दर्ज कराई जा रही हैं. लेकिन इस तरह की घिनौनी वारदात को अंजाम देने वाले हर शख्स के साथ लिंचिग(lynching) ही होनी चाहिए और इसकी वजह भी है.

Hyderabad Disha rape and murder case के बाद हर कोई डॉक्टर के लिए न्याय की मांग कर रहा है. वो बात और है कि न्याय की ये मांग 7 साल पहले भी इसी आक्रोश के साथ की गई थी जब हैवानों ने निर्भया के साथ भी गैंगरेप कर उसे मौत दी थी. बल्कि 7 सालों में हर साल एक न एक जघन्य मामला लोगों को सड़कों पर ले ही आता है.

लेकिन सप्ताह पर भर चीख लेने के बाद अच्छे-अच्छे भी चुप बैठ जाते हैं. पुलिस अपना काम करती है और सरकार चुप रहकर लोगों के चुप हो जाने का इंतजार. पुलिस वालों की किस्मत अच्छी रही तो आरोपी पकड़े जाते हैं. मामला सालों साल अदालत में चलता है. और फिर ऐसे जघन्य मामले इतिहास का हिस्सा बन जाते हैं. ये प्रक्रिया इसी तरह चलती रहती है. 2012 से अब तक कई ऐसे मामले हुए हैं लेकिन मजाल है कि किसी एक आरोपी को भी फांसी की सजा दी गई हो.

हैदराबाद गैंगरेप का गुस्सा संसद में भी गूंजा तो इस घटना की हर किसी ने कड़े शब्दों में निंदा की. समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सदस्य जया बच्चन (Jaya Bachchan) ने कहा कि 'चाहे निर्भया हो या कठुआ, सरकार को उचित जवाब देना चाहिए. जिन लोगों ने ऐसा किया, उनकी सार्वजनिक तौर पर लिंचिंग (lynching) करनी चाहिए.'

Jaya Bachchan के शब्दों में भी वही गुस्सा था जो दिशा की मां के शब्दों में रहा होगा. दिशा की मां तो ये मांग कर रही हैं कि बेटी के हत्यारों को भी उसी तरह जलाकर मार दिया जाए जैसे बेटी को जलाया था. आज हर महिला इसी तरह रिएक्ट कर रही है, जया बच्चन भी. हमारे देश के लोग गौ हत्या, बच्चा चोरी के आरोपों में लोगों को सड़क पर ही न्याय देते नजर आते हैं. यही आक्रोश मासूम बच्चियों की नोची हुई और जली हुई लाशों को देखकर क्यों नहीं आता? क्या हवस के ये शैतान लोगों को लिंचिंग के लायक नजर नहीं आते? एक लड़की का गैंगरेप कर उसे पेट्रोल डालकर जला देने वाले लोग लिंचिग(lynching) के ही लायक हैं.

हम जया बच्चन की बात से असहमत हो सकते थे अगर

जया बच्चन के बयान पर बहुत से बुद्धिजीवी ऐतराज जता रहे हैं. कुछ कह...

Hyderabad Disha rape and murder case के बाद हर कोई डॉक्टर के लिए न्याय की मांग कर रहा है. वो बात और है कि न्याय की ये मांग 7 साल पहले भी इसी आक्रोश के साथ की गई थी जब हैवानों ने निर्भया के साथ भी गैंगरेप कर उसे मौत दी थी. बल्कि 7 सालों में हर साल एक न एक जघन्य मामला लोगों को सड़कों पर ले ही आता है.

लेकिन सप्ताह पर भर चीख लेने के बाद अच्छे-अच्छे भी चुप बैठ जाते हैं. पुलिस अपना काम करती है और सरकार चुप रहकर लोगों के चुप हो जाने का इंतजार. पुलिस वालों की किस्मत अच्छी रही तो आरोपी पकड़े जाते हैं. मामला सालों साल अदालत में चलता है. और फिर ऐसे जघन्य मामले इतिहास का हिस्सा बन जाते हैं. ये प्रक्रिया इसी तरह चलती रहती है. 2012 से अब तक कई ऐसे मामले हुए हैं लेकिन मजाल है कि किसी एक आरोपी को भी फांसी की सजा दी गई हो.

हैदराबाद गैंगरेप का गुस्सा संसद में भी गूंजा तो इस घटना की हर किसी ने कड़े शब्दों में निंदा की. समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सदस्य जया बच्चन (Jaya Bachchan) ने कहा कि 'चाहे निर्भया हो या कठुआ, सरकार को उचित जवाब देना चाहिए. जिन लोगों ने ऐसा किया, उनकी सार्वजनिक तौर पर लिंचिंग (lynching) करनी चाहिए.'

Jaya Bachchan के शब्दों में भी वही गुस्सा था जो दिशा की मां के शब्दों में रहा होगा. दिशा की मां तो ये मांग कर रही हैं कि बेटी के हत्यारों को भी उसी तरह जलाकर मार दिया जाए जैसे बेटी को जलाया था. आज हर महिला इसी तरह रिएक्ट कर रही है, जया बच्चन भी. हमारे देश के लोग गौ हत्या, बच्चा चोरी के आरोपों में लोगों को सड़क पर ही न्याय देते नजर आते हैं. यही आक्रोश मासूम बच्चियों की नोची हुई और जली हुई लाशों को देखकर क्यों नहीं आता? क्या हवस के ये शैतान लोगों को लिंचिंग के लायक नजर नहीं आते? एक लड़की का गैंगरेप कर उसे पेट्रोल डालकर जला देने वाले लोग लिंचिग(lynching) के ही लायक हैं.

हम जया बच्चन की बात से असहमत हो सकते थे अगर

जया बच्चन के बयान पर बहुत से बुद्धिजीवी ऐतराज जता रहे हैं. कुछ कह रहे हैं कि 'एक नेता के मुंह से ऐसी बाते अच्छी नहीं लगतीं'. लेकिन मुझे जया बच्चन की बात में कुछ गलत नहीं लगता. हम उनकी बात से असहमत हो सकते थे अगर निर्भया मामले के बाद 2013 में Shakti Mills gang-rape न हुआ होता. 2014 में बदायुं में दो बहनों का गैंग रेप कर पेड़ से न टांग दिया होता. 2014 में बैंगलोर की एक 6 साल की बच्ची का रेप उसके स्कूल टीचर ने न किया होता. 2016 में मुरथल रेप कांड न हुआ होता. 2017 में रोहतक का दिल दहला देने वाला कांड न हुआ होता. 2018 में कठुआ में 8 साल की आसिफा का रेप और हत्या न हुई होती. उन्नाव कांड न हुआ होता. रेवाड़ी में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित छात्रा के साथ गैंगरेप न हुआ होता. 2019 में ढ़ाई साल की मासूम बच्ची का रेप और हत्या न हुई होती (Aligarh Twinkle Sharma Murder case).

जया बच्चन की बात अजीब नहीं लगनी चाहिए

हम जया बच्चन की बात से असहमत हो सकते थे अगर डॉ रेड्डी की हत्या के अगले ही दिन उसी जगह पर एक और महिला का जला हुआ शरीर न मिला होता तो. डॉ रेड्डी दिशा के रेप और हत्याकांड के ठीक बाद तमिलनाडु से एक नाबालिग लड़की के गैंगरेप और उसका वीडियो न बनाया गया होता. यूपी के संभल में 10 दिन पहले रेप करके जला दी गई 16 साल की लड़की की मौत की खबर न आई होती तो. राजस्थान के टोंक से एक और शर्म सार करने वाली खबर न आई होती तो. यहां 6 साल की मासूम बच्ची, जो स्कूल की वाद-विवाद प्रतियोगिता में हिस्सा लेने गई थी उसके साथ किसी ने दुष्कर्म किया और उसी की स्कूल बेल्ट से गला घोंटकर उसे मंदिर के पीछे फेंक दिया.

खैर ये मामले वो थे जो दिल दहला देने वाले थे और जिनपर लोगों ने मोमबत्तियां जलाई थीं. वरना इस देश का हाल तो ये है कि यहां हर 15 मिनट में एक रेप होता है. और हर 10 रेप में से 4 रेप की शिकार छोटी बच्चियां होती हैं. सिर्फ 25% आरोपियों को ही सजा होती है, बाकी सब खुला घूमते हैं. महिला सुरक्षा की बात करें तो यहां की पुलिस, कानून और सरकार बेटियों को बचाने और आरोपियों को सजा दिलवाने में नाकाम है. तुरंत सजा तो केवल पब्लिक ही देती है, लिंचिग करके. और लिंचिंग के पिछले मामले देखकर तो यही लगता है कि सरकार को भी लिंचिंग से कोई ऐतराज है नहीं. तो भरोसा लिंचिंग पर ही क्यों न किया जाए?

इस मामले पर आपकी क्या राय है, हमें जरूर लिखें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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