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डॉ. प्रियंका रेड्डी बनना तुम्हारा भाग्य नहीं बेटियों, अब उठो...

    • प्रीति अज्ञात
    • Updated: 30 नवम्बर, 2019 10:55 AM
  • 30 नवम्बर, 2019 10:55 AM
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सत्ता झपटने के लिए जो रतजगा करते हैं क्या Hyderabad के Dr. Priyanka Reddy rape and murder case के लिए भी रात भर जाग सबसे दस्तख़त करा, अपराधियों को सुबह तक फांसी दे देंगें?

बेटियों को सब पर संदेह करना सिखाओ. उन्हें हथियार चलाना सिखाओ और आवश्यकता पड़ने पर उसका तुरंत उपयोग करना भी. आती-जाती सरकारों ने आज तक कुछ नहीं किया, आप उनके भरोसे न रहें! अपनी रक्षा आप करें! पुरुष मानसिकता में सुधार आने की सोच रखना एक भ्रम है, जिसे हम और आप वर्षों से पाल रहे हैं.

जब अपराधियों को इस बात का पूरा यक़ीन है कि इस देश में बलात्कारी को फांसी कभी नहीं होगी, तो उन्हें क्यों और किस बात का डर. ज़िंदा जलते शरीर से उठने वाला धुंआ देश की राजनीति के लिए लाभदायक नहीं, इसलिए ऐसे मामलों की चर्चा दो मिनट के मौन से अधिक नहीं होनी है. सोचिये, सत्ता झपटने के लिए जो रतजगा करते हैं क्या आज भी रात भर जाग सबसे दस्तख़त करा, अपराधियों को सुबह तक फांसी दे देंगें? न ही विपक्ष इसके लिए कोई आंदोलन ही करने वाला है.

Justice for Priyanka Reddy

'बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ' (Beti Bachao Beti Padhao) वाला स्लोगन किसी काम का नहीं. क्योंकि पढ़ लेने से भी बेटियां बच नहीं जातीं. वे तब भी ज़िंदा जला दी जाती हैं. उनका दोष यह है कि वे अब भी समाज पर विश्वास कर लेती हैं. समाज, जहां हवस के दरिंदे छुट्टा घूम रहे हैं. समाज, जहां बलात्कारियों पर वर्षों तक केस की नौटंकी कर उसे बचा लिया जाता है. समाज, जहां उन्नाव रेप के बलात्कारी विधायक लोगों के बीच सेलिब्रिटी की तरह हंसते हुए चलते हैं. समाज, जो कभी हिन्दू-मुस्लिम, मंदिर-मस्ज़िद में उलझ लड़ता है तो कभी उन नेताओं के लिए जिनकी नजरों में उसकी क़ीमत एक वोट से ज्यादा कुछ भी नहीं.

आलू-प्याज के दामों में उलझा समाज उनके कम होने की उम्मीद लिए आसमान की ओर तकता है. सब्जियों और पेट्रोल के महंगे दामों में उलझे समाज को पता ही नहीं चला कि बीते वर्षों में मौत कितनी सस्ती हो गई है.

प्रियंका (Dr. Priyanka Reddy)...

बेटियों को सब पर संदेह करना सिखाओ. उन्हें हथियार चलाना सिखाओ और आवश्यकता पड़ने पर उसका तुरंत उपयोग करना भी. आती-जाती सरकारों ने आज तक कुछ नहीं किया, आप उनके भरोसे न रहें! अपनी रक्षा आप करें! पुरुष मानसिकता में सुधार आने की सोच रखना एक भ्रम है, जिसे हम और आप वर्षों से पाल रहे हैं.

जब अपराधियों को इस बात का पूरा यक़ीन है कि इस देश में बलात्कारी को फांसी कभी नहीं होगी, तो उन्हें क्यों और किस बात का डर. ज़िंदा जलते शरीर से उठने वाला धुंआ देश की राजनीति के लिए लाभदायक नहीं, इसलिए ऐसे मामलों की चर्चा दो मिनट के मौन से अधिक नहीं होनी है. सोचिये, सत्ता झपटने के लिए जो रतजगा करते हैं क्या आज भी रात भर जाग सबसे दस्तख़त करा, अपराधियों को सुबह तक फांसी दे देंगें? न ही विपक्ष इसके लिए कोई आंदोलन ही करने वाला है.

Justice for Priyanka Reddy

'बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ' (Beti Bachao Beti Padhao) वाला स्लोगन किसी काम का नहीं. क्योंकि पढ़ लेने से भी बेटियां बच नहीं जातीं. वे तब भी ज़िंदा जला दी जाती हैं. उनका दोष यह है कि वे अब भी समाज पर विश्वास कर लेती हैं. समाज, जहां हवस के दरिंदे छुट्टा घूम रहे हैं. समाज, जहां बलात्कारियों पर वर्षों तक केस की नौटंकी कर उसे बचा लिया जाता है. समाज, जहां उन्नाव रेप के बलात्कारी विधायक लोगों के बीच सेलिब्रिटी की तरह हंसते हुए चलते हैं. समाज, जो कभी हिन्दू-मुस्लिम, मंदिर-मस्ज़िद में उलझ लड़ता है तो कभी उन नेताओं के लिए जिनकी नजरों में उसकी क़ीमत एक वोट से ज्यादा कुछ भी नहीं.

आलू-प्याज के दामों में उलझा समाज उनके कम होने की उम्मीद लिए आसमान की ओर तकता है. सब्जियों और पेट्रोल के महंगे दामों में उलझे समाज को पता ही नहीं चला कि बीते वर्षों में मौत कितनी सस्ती हो गई है.

प्रियंका (Dr. Priyanka Reddy) तुम्हारा दर्द, तुम्हारी चीख़ें, तुम्हारा लहू, तुम्हारे आंसू और तुम्हारा चकनाचूर विश्वास, इस देश का प्रत्येक संवेदनशील नागरिक महसूस कर पा रहा है. ईश्वर तुम्हारे ज़ख्मों को मरहम दे. क़ाश! तुम इस पीड़ा को भूल जाओ. तुम जिस भी दुनिया में हो, वहां से हम बचे हुए लोगों के लिए दुआ करना और परमात्मा से कहना कि धरती स्त्रियों के लायक नहीं रही. सृष्टि के समाप्त होने का समय आ चुका है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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