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Maha Shivratri 2023: भगवान शिव से हर पति को सीखनी चाहिए ये चार बातें

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 18 फरवरी, 2023 03:58 PM
  • 18 फरवरी, 2023 03:58 PM
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अगर पति अपनी जिंदगी में भगवान शिव के गुण उतार लें तो उनका गृहस्थ जीवन सफल हो जाता है. आज के समय में बिखरते रिश्तों को और ज्यादा संभालने की जरूरत है. समय कितना भी क्यों ना बदल जाए, पति-पत्नी के रूप में शिव-पार्वती की प्रासंगिकता कभी खत्म नहीं होती है. चलिए जानते हैं कि वे गुण कौन से हैं?

महाशिवरात्री (Mahashivratri 2023) का पर्व आज धूम धाम से मनाया जा रहा है. महाशिवरात्री के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था और उनके गृहस्थ जीवन की शुरुआत हुई थी.

आज के दिन महिलाएं व्रत रखकर सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं. शिव को गृहस्थों का देवता कहा जाता है. लड़कियां महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) के दिन व्रत करके मनचाहे जीवनसाथी की कामना करती हैं. शिव परिवार को आदर्श परिवार और भगवान शिव को आदर्श पति माना जाता है. सोचिए ऐसी क्या खास बात है भगवान शिव में कि लड़कियां पति के रूप में उनकी छवि चाहती हैं?

लड़कियां चाहती हैं कि उन्हें भोले जैसा सीधा और प्यार करने वाला पति मिले

असल में अगर पति अपनी जिंदगी में भगवान शिव के गुण उतार लें तो उनका गृहस्थ जीवन सफल हो जाता है. आज के समय में बिखरते रिश्तों को और ज्यादा संभालने की जरूरत है. समय कितना भी क्यों ना बदल जाए, पति-पत्नी के रूप में शिव-पार्वती की प्रासंगिकता कभी खत्म नहीं होती है. चलिए जानते हैं कि वे गुण कौन से हैं?

समान अधिकार

महादेव को अर्धनारीश्वर कहा गया है. इसका मतलब है कि भगवान शिव का आधा शरीर पुरुष और आधा स्त्री रूप में रहता है. इस बात से एक पुरुष को सीख लेनी चाहिए कि भले ही पति-पत्नी शरीर से दो होते हैं लेकिन उनका मन एक ही होता है. भगवान शिव ने हमेशा माता पर्वती को अपने बराबर अधिकार दिया है. जबकि आज के समय में कई पति अपना ओहदा पत्नी से बड़ा समझते हैं. वे पत्नी पर अपना हुक्म चलात हैं और उसकी एक नहीं सुनते हैं.

पत्नी का सम्मान

महादेव ने माता पार्वती को हमेशा सम्मान दिया है. अपने मायके में शिव के अपमान को देख जब माता पार्वती सती हो गईं थीं तो पत्नी के सम्मान के लिए भगवान शिव...

महाशिवरात्री (Mahashivratri 2023) का पर्व आज धूम धाम से मनाया जा रहा है. महाशिवरात्री के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था और उनके गृहस्थ जीवन की शुरुआत हुई थी.

आज के दिन महिलाएं व्रत रखकर सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं. शिव को गृहस्थों का देवता कहा जाता है. लड़कियां महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) के दिन व्रत करके मनचाहे जीवनसाथी की कामना करती हैं. शिव परिवार को आदर्श परिवार और भगवान शिव को आदर्श पति माना जाता है. सोचिए ऐसी क्या खास बात है भगवान शिव में कि लड़कियां पति के रूप में उनकी छवि चाहती हैं?

लड़कियां चाहती हैं कि उन्हें भोले जैसा सीधा और प्यार करने वाला पति मिले

असल में अगर पति अपनी जिंदगी में भगवान शिव के गुण उतार लें तो उनका गृहस्थ जीवन सफल हो जाता है. आज के समय में बिखरते रिश्तों को और ज्यादा संभालने की जरूरत है. समय कितना भी क्यों ना बदल जाए, पति-पत्नी के रूप में शिव-पार्वती की प्रासंगिकता कभी खत्म नहीं होती है. चलिए जानते हैं कि वे गुण कौन से हैं?

समान अधिकार

महादेव को अर्धनारीश्वर कहा गया है. इसका मतलब है कि भगवान शिव का आधा शरीर पुरुष और आधा स्त्री रूप में रहता है. इस बात से एक पुरुष को सीख लेनी चाहिए कि भले ही पति-पत्नी शरीर से दो होते हैं लेकिन उनका मन एक ही होता है. भगवान शिव ने हमेशा माता पर्वती को अपने बराबर अधिकार दिया है. जबकि आज के समय में कई पति अपना ओहदा पत्नी से बड़ा समझते हैं. वे पत्नी पर अपना हुक्म चलात हैं और उसकी एक नहीं सुनते हैं.

पत्नी का सम्मान

महादेव ने माता पार्वती को हमेशा सम्मान दिया है. अपने मायके में शिव के अपमान को देख जब माता पार्वती सती हो गईं थीं तो पत्नी के सम्मान के लिए भगवान शिव ने रौद्र रूप धारण कर दुनिया का विनाश शुरु कर दिया था. हर लड़की का सपना होता है कि उसका पति उसे सबके सामने सम्मान दे. सबके सामने चिल्लाए नहीं. अगर कोई बात भी हो जाए तो अकेले में समझाएं. पतियों को चाहिए कि वे पत्नी की बात सुने और उन्हें सम्मान दें. आजकर के पति छोटी-छोटी बात पर अपनी पत्नी का खुद ही अपमान करने लगते हैं, उन्हें भगवान शिव से सीखना चाहिए.

सीधा सच्चा सरल प्रेम

लड़कियां चाहती हैं कि उन्हें भोले जैसा सीधा और प्यार करने वाला मिले. जो उसकी बात समझे और उन्हें पूरे मन से प्यार करे. भगवान शिव ने हमेशा मेल ईगो को दरकिनार किया है. उन्होंने माता पार्वती को अटूट प्रेम किया. पतियों को सीखना चाहिए कि शिव का प्रेम कितना सरल व सहज है. कई लड़के शादी के समय खूबसूरती और पैसा को प्राथमिकता देते हैं. जबकि शिव के प्रेम में समर्पण है. इसका उदाहरण है जब सती के पिता दक्ष ने भगवान शिव को न्योता नहीं दिया फिर भी उन्होंने सती के मायके जाने के फैसले का सम्मान किया और अपने दांपत्य जीवन में कड़वाहट नहीं आने दी. शिव और शक्ति कई बार अलग हुए लेकिन एक-दूसरे को ढूंढकर अपनी संपूर्णता को पाया. शिव ने सिखाया है कि प्रेम में आधा बंटकर भी कैसे वे संपूर्ण हो सकते हैं.

अटूट विश्वास यानी ईमानदारी

शिव प्रथम पुरुष हैं जिन्होंने अपने रिश्ते में अटूट विश्वास औऱ ईमानदारी दिखाई है. कई पत्नी बेवजह अपनी पत्नी पर शक करते हैं. कई पति अपनी पत्नी के होते हुए भी दूसरी महिला संग रिश्ता कायम कर लेते हैं. अपनी पत्नी को धोखा देते हैं. उन्हें भगवान शिव से सीखना चाहिए कि रिश्ते को कैसे निभाया जाता है. आज के समय में बहुत कम रिश्तों में ईमानदारी देखने को मिलती है. जिसकी वजह से कलह और तलाक तक की नौबत आ जाती है. पति लोग अगर ये बातें अपना लेते हैं तो उनका रिश्ता मजबूत होगा और गृहस्थ जीवन सुखी होगा...

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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