• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

वैक्सीन के अलावा घर पर कैसे बनती है एंटीबॉडी? जानिए...

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 17 मई, 2021 05:53 PM
  • 17 मई, 2021 05:53 PM
offline
एंटीबॉडी (antibody) शरीर का वो तत्व है, जिसका निर्माण हमारा इम्यून सिस्टम (vaccination and immunity) शरीर में वायरस (coronavirus) को बेअसर करने के लिए पैदा करता है.

आपने अब तक ना जाने कितनी बार एंटीबॉडी (How to develop antibody at home) के बारे में सुना होगा. आखिर ये एंटीबॉडी है क्या और किस तरह काम (how antibodies work) करती है. दरअसल, एंटीबॉडी (antibody) शरीर का वो तत्व है, जिसका निर्माण हमारा इम्यून सिस्टम (vaccination and immunity) शरीर में वायरस (coronavirus) को बेअसर करने के लिए पैदा करता है.

शरीर में इसका पता लगाने के लिए एंटीबॉडी टेस्ट करवाया जाता है. जिसके लिए खून का सैंपल लिया जाता है. जिसे सेरोलॉजिकल टेस्ट भी कहा जाता है. असल में कोरोनावायरस (covid-19 positive) से पीड़ित लोग जब पूरी तरह से स्वस्थ हो जाते हैं तो उनके ब्लड में जो एंटीबॉडी बन जाती हैं उन्हें ही प्लाज्मा (plasma) कहते हैं. वैक्सीन की पहली डोज के बाद ही शरीर में एंटीबॉडी बननी शुरू हो जाती है, दूसरी डोज बूस्टर का काम करती है.

इस माहौल में एंटीबॉडी के लिए माइंड को मजबूत रखना जरूरी है

एक्सपर्ट के अनुसार, जो लोग वैक्सीन की पहली डोज लगवा लेते हैं, उनमें कोविड-19 से लड़ने की क्षमता विकसित हो जाती है. साथ ही दोबारा संक्रमित होने का खतरा बहुत कम रहता है. इसलिए शरीर में इम्यूनिटी डेवलप करने के लिए टीके का दो डोज लेना जरूरी है. अगर वैक्सीन की बात करें तो दोनों डोज लेने के 15 दिन बाद एंटीबॉडी बनती है. इसलिए इस बात को भी इग्नोर नहीं किया जा सकता कि वैक्सीन वायरस के खिलाफ 100 प्रतिशत प्रभावी नहीं है. हां यह भी है कि वैक्सीन से बने एंटीबॉडी वायरस के खतरे को कम जरूर कर देती है, लेकिन हमें वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए.

सवाल यह है कि एंटी बॉडी बनती कैसे है

आज हमें दिमाग को सही रखने की ज्यादा जरूरत है. इस समय एक तरह से हमें मेंटल टॉर्चर किया जा रहा है. इसलिए हमें...

आपने अब तक ना जाने कितनी बार एंटीबॉडी (How to develop antibody at home) के बारे में सुना होगा. आखिर ये एंटीबॉडी है क्या और किस तरह काम (how antibodies work) करती है. दरअसल, एंटीबॉडी (antibody) शरीर का वो तत्व है, जिसका निर्माण हमारा इम्यून सिस्टम (vaccination and immunity) शरीर में वायरस (coronavirus) को बेअसर करने के लिए पैदा करता है.

शरीर में इसका पता लगाने के लिए एंटीबॉडी टेस्ट करवाया जाता है. जिसके लिए खून का सैंपल लिया जाता है. जिसे सेरोलॉजिकल टेस्ट भी कहा जाता है. असल में कोरोनावायरस (covid-19 positive) से पीड़ित लोग जब पूरी तरह से स्वस्थ हो जाते हैं तो उनके ब्लड में जो एंटीबॉडी बन जाती हैं उन्हें ही प्लाज्मा (plasma) कहते हैं. वैक्सीन की पहली डोज के बाद ही शरीर में एंटीबॉडी बननी शुरू हो जाती है, दूसरी डोज बूस्टर का काम करती है.

इस माहौल में एंटीबॉडी के लिए माइंड को मजबूत रखना जरूरी है

एक्सपर्ट के अनुसार, जो लोग वैक्सीन की पहली डोज लगवा लेते हैं, उनमें कोविड-19 से लड़ने की क्षमता विकसित हो जाती है. साथ ही दोबारा संक्रमित होने का खतरा बहुत कम रहता है. इसलिए शरीर में इम्यूनिटी डेवलप करने के लिए टीके का दो डोज लेना जरूरी है. अगर वैक्सीन की बात करें तो दोनों डोज लेने के 15 दिन बाद एंटीबॉडी बनती है. इसलिए इस बात को भी इग्नोर नहीं किया जा सकता कि वैक्सीन वायरस के खिलाफ 100 प्रतिशत प्रभावी नहीं है. हां यह भी है कि वैक्सीन से बने एंटीबॉडी वायरस के खतरे को कम जरूर कर देती है, लेकिन हमें वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए.

सवाल यह है कि एंटी बॉडी बनती कैसे है

आज हमें दिमाग को सही रखने की ज्यादा जरूरत है. इस समय एक तरह से हमें मेंटल टॉर्चर किया जा रहा है. इसलिए हमें अपने माइंड को ठीक रखनी जरूरी है. अगर हमारा माइंड ठीक नहीं रहेगा तो हमारा शरीर भी ठीक नहीं रह सकता.

क्या वैक्सीन के अलावा कोई ऐसा साधन है, जिससे एंटी बॉडी बन सकती है. देखने में आता है कि शरीर से हष्ट पुष्ट इंसान जब माइंड से स्ट्रांग नहीं हैं तो परेशान रहते हैं और बीमार पड़ते हैं. आज हम आपको वैक्सीन के अलावा कुछ ऐसे सोर्स के बारे में बता रहे हैं जो घर पर ही आपके लिए एंटीबॉडी का काम करेंगे.

1- जब हमारा कोई दोस्त हमें कॉल करके पूछता है, अबे कहां गायब हो तुम तो उससे जो हमें खुशी मिलती है तब बनती है एंटीबॉडी.

2- जब हम कोई ऐसी फनी वीडियो देखते हैं जिससे हमें हंसी आती है और हम खूब ठहाके लगाकर हंसते हैं, उससे हमारे शरीर में एंटीबॉडी बनती है.

3- जब हम बहुत परेशान हो, स्ट्रेस में हो और तबी तभी कोई दोस्त आपसे बोले अरे यार तू टेंशन क्यों लेता है मैं हूं ना तब हमारे अंदर एंटीबॉडी का निर्माण होता है.

4- जब हम पूरे मूड में रहते हैं भले हमें डांस और गाना भी नहीं आता और फिर भी हम बेसुरा गाना गा रहे हों और उल जुलूल डांस कर रहे हैं तब भी बनती है एंटीबॉडी.

5-जब हम घर में परेशान हों और हमारा पार्टनर पास आकर हाथ पकड़ कर यह बोल दे कि परेशान ना हो जो भी प्रॉब्लम है हम दोनों मिलकर सॉल्व कर लेंगे, तब बनती है ये एंटीबॉडी.

6- जब कोई दोस्त कॉल करके कोई जोक सुनाए और दोनों साथ में ठहाके लगाते-लगाते लोट-पोट हो जाएं तब बनती है हमारे अंदर एंटीबॉडी.

7- जब प्यारे-प्यारे बच्चे मम्मी-पापा कहते-कहते हुए बंदर के बच्चे जैसे गले से लिपट जाए और फिर छोड़े ना तब हमारे शरीर में एंटीबॉडी बनती है.

ये बातें हमारे अंदर ऐसी जबरदस्त एंटीबॉडी (strong antibodies) बनाती है कि हम किसी भी तरह की परेशानी, दुख से जबरदस्त लड़ाई लड़ सकते हैं. अभी का जो माहौल है इस समय हमें बॉडी के साथ हमारे माइंड को बहुत मजबूत रखना है. इस समय में हमें इन एंटीबॉडी की जरूरत है.

इसलिए अपना माइंड सेट रखें, सावधान रहें लेकिन टेंशन का बोझ ना ढोएं. याद रखें मन के हारे हार है और मन के जीते जीत, इसलिए बिना डरे मुश्किलों का डटकर सामना करें, एक-दूसरे का साथ दें. एक दिन हम सभी इस कोरोना वायरस (coronavirus) से भी जीत जाएंगे.    

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲