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दिल्ली स्मॉग: हर एक सांस के बाद शरीर के साथ ये हो रहा है...

    • ऑनलाइन एडिक्ट
    • Updated: 13 नवम्बर, 2017 02:06 PM
  • 13 नवम्बर, 2017 02:06 PM
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दिल्ली का प्रदूषण हर सांस के साथ इंसान और जानवरों को परेशान कर रहा है. हर सांस एक जंग की तरह है...

दिल्ली की सर्दी हमेशा से ही मशहूर रही है. पर पिछले कुछ समय से दिल्ली की सर्दियां काफी क्रूर हो गई हैं. सर्दियां शुरू होते ही दिल्ली की आबोहवा कुछ ऐसी हो जाती है कि यहां आना शायद किसी भी पर्यटक के लिए बीमारियों के गढ़ में आने जैसा ही होगा. जरा खुद ही सोचिए सर्दियों की शुरुआत जहरीले स्मॉग से होती है दिल्ली में. इतना खतरनाक कि हर साल दिल्ली में एयर पॉल्युशन के कारण 30 हजार से भी ज्यादा लोगों की मौत होती है. ये आंकड़े कुछ कह रहे हैं और इन्हें देखने की जरूरत है. दुनिया की टॉप 5 प्रदूषित शहरों में से एक है दिल्ली.

दिल्ली का प्रदूषण हर सांस के साथ इंसान और जानवरों को परेशान कर रहा है. हर सांस एक जंग की तरह है... सर गंगाराम हॉस्पिटल की रिपोर्ट की 2007-2012 तक की गई एक स्टडी के लिए इस दौर में 10,565 नवजातों पर रिसर्च की गई. ये रिसर्च इस बात के लिए की गई थी कि आखिर प्रदूषण और बच्चों के जन्म में कोई समानता तो नहीं. इसमें मां की सोशियल आदतों जैसे तंबाकू, गुटका या सिगरेट शराब, खाने-पीने की आदत आदि को भी देखा गया.

इस स्टडी का नतीजा बहुत चौंकाने वाला था. दिल्ली की आबोहवा के कारण हर साल नवजातों का साइज कम हो रहा है, इसे ऐसे सोचिए की भ्रूण का विकास कम हो रहा है साथ ही प्री-मैच्योर बेबी भी जन्म ले रहे हैं.

ये भी हैं आंकड़े...

सर गंगाराम हॉस्पिटल, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, इंडियन मीटोरॉजिकल डिपार्टमेंट और लंदर स्कूल ऑफ हाइजीन ने 2015 के कुछ ट्रेंड बताए हैं. इस स्टडी में सामने आया है कि लगभग 5 लाख लोग 2015 में समय से पहले मौत का शिकार हुए हैं. कारण? PM 2.5 जो इस वक्त दिल्ली की आबोहवा में घुला हुआ है. हाल ही में जो स्मॉग दिल्ली में है उससे लाखों लोग अस्पतालों में जाकर खराब गले, आंखों में जलन और खांसी की शिकायत कर रहे हैं.

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दिल्ली की सर्दी हमेशा से ही मशहूर रही है. पर पिछले कुछ समय से दिल्ली की सर्दियां काफी क्रूर हो गई हैं. सर्दियां शुरू होते ही दिल्ली की आबोहवा कुछ ऐसी हो जाती है कि यहां आना शायद किसी भी पर्यटक के लिए बीमारियों के गढ़ में आने जैसा ही होगा. जरा खुद ही सोचिए सर्दियों की शुरुआत जहरीले स्मॉग से होती है दिल्ली में. इतना खतरनाक कि हर साल दिल्ली में एयर पॉल्युशन के कारण 30 हजार से भी ज्यादा लोगों की मौत होती है. ये आंकड़े कुछ कह रहे हैं और इन्हें देखने की जरूरत है. दुनिया की टॉप 5 प्रदूषित शहरों में से एक है दिल्ली.

दिल्ली का प्रदूषण हर सांस के साथ इंसान और जानवरों को परेशान कर रहा है. हर सांस एक जंग की तरह है... सर गंगाराम हॉस्पिटल की रिपोर्ट की 2007-2012 तक की गई एक स्टडी के लिए इस दौर में 10,565 नवजातों पर रिसर्च की गई. ये रिसर्च इस बात के लिए की गई थी कि आखिर प्रदूषण और बच्चों के जन्म में कोई समानता तो नहीं. इसमें मां की सोशियल आदतों जैसे तंबाकू, गुटका या सिगरेट शराब, खाने-पीने की आदत आदि को भी देखा गया.

इस स्टडी का नतीजा बहुत चौंकाने वाला था. दिल्ली की आबोहवा के कारण हर साल नवजातों का साइज कम हो रहा है, इसे ऐसे सोचिए की भ्रूण का विकास कम हो रहा है साथ ही प्री-मैच्योर बेबी भी जन्म ले रहे हैं.

ये भी हैं आंकड़े...

सर गंगाराम हॉस्पिटल, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, इंडियन मीटोरॉजिकल डिपार्टमेंट और लंदर स्कूल ऑफ हाइजीन ने 2015 के कुछ ट्रेंड बताए हैं. इस स्टडी में सामने आया है कि लगभग 5 लाख लोग 2015 में समय से पहले मौत का शिकार हुए हैं. कारण? PM 2.5 जो इस वक्त दिल्ली की आबोहवा में घुला हुआ है. हाल ही में जो स्मॉग दिल्ली में है उससे लाखों लोग अस्पतालों में जाकर खराब गले, आंखों में जलन और खांसी की शिकायत कर रहे हैं.

जो लोग बिना शिकायत इसे भुगत रहे हैं वो हैं नवजात बच्चे, वो न शिकायत कर सकते हैं, न ही सांस लेने में दिक्कत को बता सकते हैं. इससे जो नुकसान की उनकी सेहत पर हो रहा है वो चौंकाने वाला है.

न सिर्फ दिल्ली में प्रदूषण के कारण नवजातों की संख्या में कमी आई है बल्कि उनकी ग्रोथ भी रुकी है. वजन भी कम हो रहा है और कई बच्चों में शरीर को लेकर कमी देखी गई है. ये बच्चे इम्युनिटी में काफी बुरे हैं. एक छोटी सी बीमारी भी जानलेवा साबित हो सकती है. साथ ही ऐसी सांस की बीमारियां भी हो सकती हैं जिससे न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो जाएं.

15 मिलियन ग्लोबल प्रीमैच्योर जन्म में से 20% भारत में होते हैं. इसके अलावा, हायपरटेंशन, दिल की बीमारियां आदि हो सकती हैं.

क्या था हॉस्पिटल का हाल...

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक दिवाली पर प्रदूषण लेवल बढ़ने पर OPD में AIIMS में 155 केस आए थे ये तारीख थी 25 अक्टूबर. इसके बाद नवंबर 8 जब स्मॉग आ गया था तब 263 केस आए थे.

जो प्रदूषण दिल्ली में फैल रहा है इससे कार्डियोवस्कुलर बीमारियां, सांस से जुड़ी बीमारियां आदि हो सकती है. इससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो रही है.

हर एक सांस है जिम्मेदार...

दिल्ली में हर एक सांस लोगों को बीमार बना रही है. अगर कोई दिल्ली में एक पूरा दिन रहता है तो वो लगभग 30-50 सिगरेट (एरिया के हिसाब से) पीने बराबर का धुआं सांस के जरिए शरीर में लेगा. स्टडी ने ये बताया कि 1000 पेशंट्स में से 30% सेहतमंद थे, लेकिन उन्हें भी परेशानी हो रही है और आने वाले समय में गंभीर बीमारी हो सकती है.

दिमाग को तकलीफ...

सिर्फ नवजातों को ही नहीं बल्कि बड़ों को भी न्यूरोलॉजिकल बीमारियां होने की समस्या हो सकती हैं. दूसरा सबसे बड़ा खतरा अटैक का है. अटैक का खतरा 17% प्रदूषण की वजह से बढ़ जाता है. इसके साथ, कई तरह की बीमारियां जैसे हाइपरटेंशन भी हो सकती हैं.

दिल्ली का प्रदूषण और सेक्स लाइफ...

एक रिसर्च के मुताबिक दिल्ली के प्रदूषण के कारण लोगों की एक्टिविटी और सेक्स लाइफ में 30% की गिरावट आई है. हवा में कई सारे मेटल हैं जो शरीर में जाने पर सीधे तौर पर सेक्स की इच्छा को खत्म कर देते हैं. भारत में लगभग 15% पुरुष इन्फर्टाइल (बच्चे पैदा करने में असमर्थ) हैं. इसकी तुलना में महिलाओं का ये रेट कम है.

जो प्रदूषित कण हवा में हैं वो हार्मोनल बैलेंस भी खराब कर सकते हैं और इससे स्पर्म काउंट भी कम हो सकता है. ये सिर्फ सेक्स की इच्छा कम होने तक ही सीमित नहीं है. बेहतर होगा कि बहुत सारी लेयर वाला मास्क पहन कर ही बाहर निकलें.

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'मैं दिल्ली आई, और मुझे तुरंत इन 5 आदतों से तौबा करना पड़ा'

दिल्ली स्मॉग: क्या आपको भी मौत नजर नहीं आती ?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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