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कोरोना से निपटने को PM Cares Fund से अब तक कितना खर्च हुआ?

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 27 अप्रिल, 2021 12:36 PM
  • 27 अप्रिल, 2021 12:35 PM
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भारत में कोरोनारोधी टीकाकरण का आगाज 16 जनवरी को किया गया था. इसमें सबसे पहले चरण में फ्रंटलाइन वर्कर्स और मेडिकल स्टाफ से जुड़े सभी लोगों का टीकाकरण किया गया था. पहले चरण के इस टीकाकरण में इन लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाने में आए 80 फीसदी खर्च को उठाने के लिए पीएम केयर्स फंड से रुपये जारी किए गए थे.

कोरोनाकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए PM CARES Fund बनाया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में पीएम केयर्स फंड से पूरे देश में 551 पीएसए (प्रेशर स्विंग एडसॉर्प्शन) चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों को लगाए जाने की मंजूरी दी है. पीएम केयर्स फंड को लेकर हमेशा से ही विपक्ष की ओर से सवाल उठाए जाते रहे हैं. पीएम केयर्स फंड बनने के बाद से ही इसमें आई राशि के दुरुपयोग को लेकर विपक्ष के तमाम नेताओं द्वारा आशंका जाहिर की गई थी. दरअसल, पीएम केयर्स फंड सूचना के अधिकार (RTI) के दायरे में नहीं आता है, जिसकी वजह से इसके बारे में लोगों तक कोई खास जानकारियां नहीं पहुंच पाती हैं. पीएम केयर्स फंड एक बार फिर से चर्चा में है. आइए जानते हैं कि पीएम केयर्स फंड से अब तक कितने रुपये और कहां खर्च किए गए हैं?

कोरोना महामारी से निपटने के लिए 27 मार्च 2020 को बनाए गए इस पीएम केयर्स फंड में भारत के प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री मुख्य ट्रस्टी के तौर पर शामिल हैं. पीएम केयर्स फंड को खर्च करने का दारोमदार इन्ही लोगों पर है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बीते साल 4 जून तक इस फंड में 9690 करोड़ रुपये दान के रूप में आए थे. हालांकि, इस फंड में 12000 करोड़ से ज्यादा रुपये आने का अनुमान है. कोरोनाकाल के दौरान पीएम केयर्स फंड से समय-समय पर जरूरत के हिसाब से रुपयों को खर्च किया गया.

सबसे पहले खर्च हुए 3100 करोड़ रुपये

13 मई 2020 को प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा पीएम केयर्स फंड से 3100 करोड़ रुपये खर्च करने की जानकारी साझा की गई थी. इन 3100 करोड़ रुपयों में से 2000 करोड़ रुपये मेड इन इंडिया वेंटिलेटर्स की खरीददारी के लिए जारी किए गए थे. भारत की कोरोना से जंग में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए वेंटिलेटर्स खरीदने के लिए यह रकम जारी की गई थी. 1000 करोड़ रुपये प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक सकुशल पहुंचाने की व्यवस्था करने में खर्च किए गए थे. इसमें प्रवासी मजदूरों की यात्रा के लिए...

कोरोनाकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए PM CARES Fund बनाया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में पीएम केयर्स फंड से पूरे देश में 551 पीएसए (प्रेशर स्विंग एडसॉर्प्शन) चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों को लगाए जाने की मंजूरी दी है. पीएम केयर्स फंड को लेकर हमेशा से ही विपक्ष की ओर से सवाल उठाए जाते रहे हैं. पीएम केयर्स फंड बनने के बाद से ही इसमें आई राशि के दुरुपयोग को लेकर विपक्ष के तमाम नेताओं द्वारा आशंका जाहिर की गई थी. दरअसल, पीएम केयर्स फंड सूचना के अधिकार (RTI) के दायरे में नहीं आता है, जिसकी वजह से इसके बारे में लोगों तक कोई खास जानकारियां नहीं पहुंच पाती हैं. पीएम केयर्स फंड एक बार फिर से चर्चा में है. आइए जानते हैं कि पीएम केयर्स फंड से अब तक कितने रुपये और कहां खर्च किए गए हैं?

कोरोना महामारी से निपटने के लिए 27 मार्च 2020 को बनाए गए इस पीएम केयर्स फंड में भारत के प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री मुख्य ट्रस्टी के तौर पर शामिल हैं. पीएम केयर्स फंड को खर्च करने का दारोमदार इन्ही लोगों पर है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बीते साल 4 जून तक इस फंड में 9690 करोड़ रुपये दान के रूप में आए थे. हालांकि, इस फंड में 12000 करोड़ से ज्यादा रुपये आने का अनुमान है. कोरोनाकाल के दौरान पीएम केयर्स फंड से समय-समय पर जरूरत के हिसाब से रुपयों को खर्च किया गया.

सबसे पहले खर्च हुए 3100 करोड़ रुपये

13 मई 2020 को प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा पीएम केयर्स फंड से 3100 करोड़ रुपये खर्च करने की जानकारी साझा की गई थी. इन 3100 करोड़ रुपयों में से 2000 करोड़ रुपये मेड इन इंडिया वेंटिलेटर्स की खरीददारी के लिए जारी किए गए थे. भारत की कोरोना से जंग में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए वेंटिलेटर्स खरीदने के लिए यह रकम जारी की गई थी. 1000 करोड़ रुपये प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक सकुशल पहुंचाने की व्यवस्था करने में खर्च किए गए थे. इसमें प्रवासी मजदूरों की यात्रा के लिए किए गए इंतजामों और इसी दौरान खाने-पीने पर हुए खर्चों को शामिल किया गया था. कोरोना महामारी से निपटने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी चीज वैक्सीन थी. कोरोनाकाल में पीएम केयर्स फंड से 100 करोड़ रुपये वैक्सीन की रिसर्च के लिए भी जारी किए गए थे.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, देश में 80 करोड़ लोगों को कोरोना का टीका लगाने में 56 से 72 हजार करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है.

टीकाकरण अभियान में 2200 करोड़ का खर्च

भारत में कोरोनारोधी टीकाकरण का आगाज 16 जनवरी को किया गया था. इसमें सबसे पहले चरण में फ्रंटलाइन वर्कर्स और मेडिकल स्टाफ से जुड़े सभी लोगों का टीकाकरण किया गया था. पहले चरण के इस टीकाकरण में इन लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाने में आए 80 फीसदी खर्च को उठाने के लिए पीएम केयर्स फंड से रुपये जारी किए गए थे. एक अनुमान के अनुसार, इस पर पीएम केयर्स फंड से करीब 2200 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. बीते साल के बजट में कोरोना महामारी से निपटने के लिए किसी राशि का आवंटन नहीं हुआ था. जिसकी वजह से जनवरी से मार्च तक चले टीकाकरण अभियान में पीएम केयर्स फंड से यह राशि दी गई.

वहीं, बजट 2021 में कोरोना वैक्सीन के लिए 35000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. इसी के साथ हेल्थ सेक्टर के लिए भी 2.4 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, देश में 80 करोड़ लोगों को कोरोना का टीका लगाने में 56 से 72 हजार करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है.

ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना के लिए होगा खर्च

5 जनवरी 2021 को पीएम केयर्स फंड से देशभर में 162 पीएसए (प्रेशर स्विंग एडसॉर्प्शन) चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र लगाने के लिए 201.58 करोड़ रुपये जारी किए गए थे. कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में आने के बाद अब पीएम केयर्स फंड से 551 नए ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र लगाने की घोषणा की गई है. इन संयंत्रों को जल्द से जल्द बनाकर शुरू करने के आदेश भी जारी किए गए हैं. 551 नए ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र बनाने के लिए सरकार ने पीएम केयर्स फंड से कितने रुपये जारी किए हैं, इसकी जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है.

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से कितना अलग है पीएम केयर्स फंड

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) का इस्तेमाल प्राकृतिक आपदाओं के समय संकट में फंसे लोगों की मदद करने के लिए किया जाता है. प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष का इस्तेमाल कोरोना महामारी से निपटने के लिए नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इसमें ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. वहीं, पीएम केयर्स फंड का निर्माण कोरोना महामारी से निपटने के लिए ही किया गया है. इस फंड का इस्तेमाल स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने, वैक्सीन के रिसर्च आदि में किया जा सकता है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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