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समाज

किस तरह लड़के प्यार के नाम पर अपनी प्रेमिका की जिंदगी को कंट्रोल करते हैं?

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 26 सितम्बर, 2022 05:35 PM
  • 26 सितम्बर, 2022 04:59 PM
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प्यार में पड़ी लड़की को पता भी नहीं चलता है कि, कब उसकी जिंदगी का फैसला बॉयफ्रेंड लेने लगता है. कुछ लड़कियां भले ही घरवालों की ना सुने मगर अपने प्रेमी की बात जरूर मान लेती हैं.

सोना, सुनो ना... यह ड्रेस तुम पर अच्छी नहीं लग रही. तुम वो रेड वाली क्यों नहीं ट्राई करती जो मैंने तुम्हें दिलाई था. वहां मेरे दोस्त रहेंगे मैं तुम्हें ऐसे कपड़ों में उनसे नहीं मिलवाना चाहता.

लड़की- मगर इन कपड़ों में क्या खराबी है? मुझे तो इनमें आराम मिलता है.

लड़का- कोई परेशानी नहीं है मगर, जानेमन तुम उस ड्रेस में ज्यादा अच्छी लगती हो.

लड़की- ओके बाबा, अब तुम इतना प्यार से कह रहे हो तो मैं अभी बदल कर आती हूं.

मतलब, कुछ भी करके लड़का अपनी बात मनवा ही लेता है. लड़की भी मान जाती है. प्यार में जो ठहरी. लेकिन, उसे पता ही नहीं चलता है कि, कब उसने अपनी जिंदगी के फैसलों की चाबी अपने बॉयफ्रेंड को सौंप दी है. वो इतनी 'आज्ञाकारी' हो जाती हैं कि प्रेमी के आगे अपने घरवालों की भी नहीं सुनती. अब आप कहेंगे कि इसमें प्रेमी की क्या गलती? लेकिन, यह मुद्दा तब बहस का विषय बन जाता है, जब प्रेमी की फरमाइशें रिश्तों का दम घोटने लगती हैं.

लड़के कहते हैं कि मैं तुम्हें लेकर पजेसिव हूं, क्योंकि तुमसे प्यार करता हूं

ऐसी कितनी ही लड़कियां मिल जाएंगी जो हर बात के लिए बॉयफ्रेंड से परमिशन लेती हैं. उन बातों में भी जो एक लड़की के लिए नितांत निजी होती हैं. लड़कियों को पता भी नहीं चलता कि कब वे पूरी तरह बॉयफ्रेंड पर डिपेंड हो जाती हैं. आइये उन बातों पर एक नजर डालते हैं-

-जब लड़का तय करता है कि लड़की कितने बजे तक बाहर रह सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की किससे दोस्ती कर सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की कब क्या पहन सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की कब जॉब बदल सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की किसके साथ बाहर जा सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की कब क्या खा...

सोना, सुनो ना... यह ड्रेस तुम पर अच्छी नहीं लग रही. तुम वो रेड वाली क्यों नहीं ट्राई करती जो मैंने तुम्हें दिलाई था. वहां मेरे दोस्त रहेंगे मैं तुम्हें ऐसे कपड़ों में उनसे नहीं मिलवाना चाहता.

लड़की- मगर इन कपड़ों में क्या खराबी है? मुझे तो इनमें आराम मिलता है.

लड़का- कोई परेशानी नहीं है मगर, जानेमन तुम उस ड्रेस में ज्यादा अच्छी लगती हो.

लड़की- ओके बाबा, अब तुम इतना प्यार से कह रहे हो तो मैं अभी बदल कर आती हूं.

मतलब, कुछ भी करके लड़का अपनी बात मनवा ही लेता है. लड़की भी मान जाती है. प्यार में जो ठहरी. लेकिन, उसे पता ही नहीं चलता है कि, कब उसने अपनी जिंदगी के फैसलों की चाबी अपने बॉयफ्रेंड को सौंप दी है. वो इतनी 'आज्ञाकारी' हो जाती हैं कि प्रेमी के आगे अपने घरवालों की भी नहीं सुनती. अब आप कहेंगे कि इसमें प्रेमी की क्या गलती? लेकिन, यह मुद्दा तब बहस का विषय बन जाता है, जब प्रेमी की फरमाइशें रिश्तों का दम घोटने लगती हैं.

लड़के कहते हैं कि मैं तुम्हें लेकर पजेसिव हूं, क्योंकि तुमसे प्यार करता हूं

ऐसी कितनी ही लड़कियां मिल जाएंगी जो हर बात के लिए बॉयफ्रेंड से परमिशन लेती हैं. उन बातों में भी जो एक लड़की के लिए नितांत निजी होती हैं. लड़कियों को पता भी नहीं चलता कि कब वे पूरी तरह बॉयफ्रेंड पर डिपेंड हो जाती हैं. आइये उन बातों पर एक नजर डालते हैं-

-जब लड़का तय करता है कि लड़की कितने बजे तक बाहर रह सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की किससे दोस्ती कर सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की कब क्या पहन सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की कब जॉब बदल सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की किसके साथ बाहर जा सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की कब क्या खा सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की कब किस पर पैसे खर्च कर सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की किसे अपने घर बुला सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की किससे बात कर सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की कहां पैसे इनवेस्ट कर सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की कौन सा मोबाइल खरीद सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की कब सो सकती है.

-जब लड़का तय करात है कि लड़की कब क्या खा-पी सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की सोशल मीडिया पर क्या पोस्ट कर सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की वीकेंड पर क्या प्लान कर सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की कौन सी फिल्म देख  सकती है.

-जब लड़का तय करता है कि लड़की डिनर में क्या पका सकती है.

इस तरह उस लड़की अपनी जिंदगी के हर सेकेण्ड का हिसाब प्रेमी को देना शुरू कर देती है. लड़का एक पिता या पति की तरह लड़की पर अपना अधिकार जताते हुए उसकी जिंदगी को पूरी तरह कंट्रोल कर लेता है. जबकि एक पिता या पति को भी किसी लड़की की जिंदगी को अपने वश में करने का अधिकार नहीं है. कई बार तो ऐसा भी होता है कि लड़की का अपने भाई-बहनों या दोस्तों के साथ कुछ प्लान होता है और लड़के ने मना कर दिया तो वह प्लान को कैंसिल कर देती है.

कहने को तो आज के जमाने में महिला-पुरुष एक समान हैं. दोनों पैसे कमाते हैं. दोनों घर का काम करते हैं. मगर सच यह है कि आज भी महिलाओं को पुरुषों के हिसाब से ही रहना पड़ता है. इसलिए प्रेमी अपनी प्रेमिका के लिए मापदंड तय करता है कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं.

लड़का कहता है कि मैं तुम्हें लेकर पजेसिव हूं, क्योंकि तुमसे प्यार करता हूं. मैं तुम्हारी परवाह करता हूं. मुझे तुम्हारी चिंता लगी रहती है. मैं तुम्हारा कभी बुरा नहीं चाहूंगा. मेरे पर भरोसा करो, इस दुनिया के बारे में मुझे तुमसे ज्यादा पता है.

असल में प्यार में पागल लड़कियां शुरु में यह बात समझ नहीं पाती हैं. जब वे समझती हैं तब तक काफी देर हो चुकी होती है. वे मन ही मन घुट-घट कर जीती हैं. तो अब लड़कियों को सीख लेना चाहिए कि ऐसे लड़कों से कैसे निपटना है.

ऐसे लड़कों को यह जवाब देना चाहिए कि प्यार में भरोसा भी करना पड़ता है. प्यार सिर्फ हक जताने का नाम नहीं है. प्यार में एक-दूसरे को समझना भी पड़ता है. प्यार में एक-दूसरे को थोड़ा स्पेस देना पड़ता है. वरना रिश्ते में घुटन होने लगती है और फिर प्यार खत्म हो जाता है. रिश्ते में हम सामने वाले को सलाह दे सकते हैं मगर अपनी बात उस पर थोप नहीं सकते हैं.

मेरा तो यही मानना है कि अगर कोई लड़का सच में किसी लड़की से प्यार करता है तो उसे बदलने की कोशिश नहीं करेगा बल्कि उसे वैसे ही अपनाएगा जैसी वह है...प्यार में अंधे और पागल होना जैसी बातें गानों में ही अच्छी लगती हैं असल जिंदगी में प्यार में आंखें खुली रखनी चाहिए.

इसलिए लड़कियों को शुरुआत में ही ऐसे लड़कों को पहचानना सीख लेना चाहिए, वरना किसी और के कंट्रोल में आकर उनका चैन से जीना दुश्वार हो जाएगा...

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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