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आधार का इससे बड़ा नुकसान कोई और हो ही नहीं सकता!

    • आईचौक
    • Updated: 20 अप्रिल, 2018 05:13 PM
  • 20 अप्रिल, 2018 05:01 PM
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बढ़ती उम्र में बड़ी आसानी से भारतीय सरकार का दुलारा आधार किसी को भी धोखा दे सकता है. इसका सीधा साधा परिचय हाल ही में देखने को मिला है.

आधार कितना सुरक्षित है, कितना सहूलियत भरा है? इस सवाल का जवाब कई लोगों के लिए अलग होगा. कुछ के लिए आधार सहूलियत लाता है क्योंकि सभी कुछ इससे लिंक है और बार-बार पेपरवर्क नहीं करना होता और कुछ लोगों के लिए ये झंझट है क्योंकि इसके न होने पर खाना और पानी तक की किल्लत झेलनी पड़ सकती है.

पर आधार का सबसे खराब फीचर क्या है? इसका जवाब देने के लिए शायद आपको सोचना पड़े, लेकिन भारत के 81 साल के स्पेस साइंटिस्ट पी. वी. मनोरंजन राव के लिए इस सवाल का जवाब है फिंगरप्रिंट स्कैनिंग या यूं कहें कि बायोमेट्रिक मशीन.

दरअसल, बात सिर्फ इतनी सी है कि बढ़ती उम्र के साथ-साथ बैंक की बायोमेट्रिक मशीन उनके फिंगरप्रिंट नहीं ले पा रही है. जैसे-जैसे इंसान बुजुर्ग होता जाता है उसकी खाल, शक्ल, फिंगरप्रिंट्स आदि में बदलाव होता जाता है. यही बात मनोरंजन राव के लिए किसी अग्निपरीक्षा की तरह साबित हो रही है.

उनकी कहानी भी बहुत दुखद है. 54 साल का उनका बेटा चंद्रशेखर बचपन से ही कुछ विकृतियों के साथ पैदा हुआ था. शरीर और दिमाग 97% काम नहीं करते. खुद ही सोच लीजिए कि ऐसे केस में मनोरंजन जी और उनकी पत्नी को कितनी मेहनत करनी पड़ती होगी चंद्रशेखर की देखभाल करने में. कोई उनके संघर्ष की कल्पना भी नहीं कर सकता, जब किसी का बच्चा बिस्तर में लेटा हुआ हो और अपने आप खुद कुछ कर भी न सकता हो. उस बच्चे को कितनी तकलीफ होती होगी जो अपने दम पर उठकर बैठ भी नहीं सकता.

आधार कार्ड की समस्या ने मनोरंजन और चंद्रशेखर की जिंदगी को और मुश्किल बना दिया है..

मनोरंजन राव को लगता है कि चंद्रशेखर उनसे ज्यादा जिएगा और इस कारण उन्हें लगता है कि अपने बच्चे को वो थोड़ा सुरक्षित कर दें और अपने पैसे को उसके नाम कर दें. बस इसीलिए उन्होंने अपने बैंक खाते में चंद्रशेखर का नाम जोड़ने की सोची. 1996 में...

आधार कितना सुरक्षित है, कितना सहूलियत भरा है? इस सवाल का जवाब कई लोगों के लिए अलग होगा. कुछ के लिए आधार सहूलियत लाता है क्योंकि सभी कुछ इससे लिंक है और बार-बार पेपरवर्क नहीं करना होता और कुछ लोगों के लिए ये झंझट है क्योंकि इसके न होने पर खाना और पानी तक की किल्लत झेलनी पड़ सकती है.

पर आधार का सबसे खराब फीचर क्या है? इसका जवाब देने के लिए शायद आपको सोचना पड़े, लेकिन भारत के 81 साल के स्पेस साइंटिस्ट पी. वी. मनोरंजन राव के लिए इस सवाल का जवाब है फिंगरप्रिंट स्कैनिंग या यूं कहें कि बायोमेट्रिक मशीन.

दरअसल, बात सिर्फ इतनी सी है कि बढ़ती उम्र के साथ-साथ बैंक की बायोमेट्रिक मशीन उनके फिंगरप्रिंट नहीं ले पा रही है. जैसे-जैसे इंसान बुजुर्ग होता जाता है उसकी खाल, शक्ल, फिंगरप्रिंट्स आदि में बदलाव होता जाता है. यही बात मनोरंजन राव के लिए किसी अग्निपरीक्षा की तरह साबित हो रही है.

उनकी कहानी भी बहुत दुखद है. 54 साल का उनका बेटा चंद्रशेखर बचपन से ही कुछ विकृतियों के साथ पैदा हुआ था. शरीर और दिमाग 97% काम नहीं करते. खुद ही सोच लीजिए कि ऐसे केस में मनोरंजन जी और उनकी पत्नी को कितनी मेहनत करनी पड़ती होगी चंद्रशेखर की देखभाल करने में. कोई उनके संघर्ष की कल्पना भी नहीं कर सकता, जब किसी का बच्चा बिस्तर में लेटा हुआ हो और अपने आप खुद कुछ कर भी न सकता हो. उस बच्चे को कितनी तकलीफ होती होगी जो अपने दम पर उठकर बैठ भी नहीं सकता.

आधार कार्ड की समस्या ने मनोरंजन और चंद्रशेखर की जिंदगी को और मुश्किल बना दिया है..

मनोरंजन राव को लगता है कि चंद्रशेखर उनसे ज्यादा जिएगा और इस कारण उन्हें लगता है कि अपने बच्चे को वो थोड़ा सुरक्षित कर दें और अपने पैसे को उसके नाम कर दें. बस इसीलिए उन्होंने अपने बैंक खाते में चंद्रशेखर का नाम जोड़ने की सोची. 1996 में ISRO से विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के हेड के तौर पर रिटायर हुए मनोरंजन जी ने जिंदगी में कभी हार नहीं मानी उन्हें बायोमेट्रिक के आगे हारा हुआ महसूस हो रहा है. बायोमेट्रिक सिस्टम के कारण मनोरंजन जी अपने बैंक अकाउंट को आधार से नहीं लिंक करवा पा रहे हैं और इसी कारण चंद्रशेखर का नाम भी नहीं जुड़ पा रहा है.

टेक्नोलॉजी के बहुत करीब रहने वाले मनोरंजन जी टेक्नोलॉजी के कारण ही दुखी हैं. ये मामला पिछले साल से चला आ रहा है. मनोरंजन जी और उनकी पत्नी अंजली की देखभाल के बिना उनका बेटा अपना ध्यान नहीं रख सकता और उसके भविष्य के लिए ही वो सोच रहे हैं. अब वो चंद्रशेखर का आधार नहीं बनवा सकते क्योंकि उसके फिंगरप्रिंट और आइरिस स्कैन नहीं हो पा रहे और मनोरंजन जी के फिंगरप्रिंट बढ़ती उम्र में धोखा दे गए हैं. चंद्रशेखर के आधार मामले में वेबसाइट पर अभी भी अंडर प्रोसेस स्टेटस ही आता है.

सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका..

अपने बेटे के भविष्य की चिंता के कारण अब मनोरंजन जी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है जिसमें 75 साल से ऊपर के लोगों को बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन के बिना ही आधार सर्विसेज का लाभ देने की बात कही गई है. सीनियर सिटिजन को सिर्फ अपने आधार कार्ड की कॉपी देना जरूरी किया जाए. इन्हें अभी भी अपनी याचिका का कोई असर नहीं दिखा है.

बायोमेट्रिक गड़बड़ियों का मतलब है कि बुजुर्ग आधार सिस्टम की सबसे बड़ी खामी का शिकार हैं. राजस्थान के बार्मर जिले की रानी देनी 69 साल की हैं और अनाज की सब्सिडी नहीं ले पा रही हैं. इसका कारण ये है कि इनके अंगूठे का निशान मशीन में समझ नहीं आ रहा है.

सरकार आधार पर ज़ोर दे रही है लेकिन क्या इस बड़ी कमजोरी को देखा है उसने?

बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन हमेशा से भारत में चर्चा का विषय रहा है और कई लोगों द्वारा इसमें खामियां निकाली गई हैं और अब एक और खामी सामने आ गई है. लगातार सरकार भारत के लोगों को आधार सभी जगह से कनेक्ट करने की कोशिश कर रही है और लगातार लोगों को परेशानियां हो रही हैं. क्या इस समस्या के बारे में किसी ने सोचा कि जब बुजुर्ग होने पर हमारे हाथ की लकीरें भी हमारा साथ छोड़ने लगेंगी तब क्या होगा? ऐसे न जाने कितने लोग परेशानियों का सामना कर रहे हैं. तो क्या इसे आधार की सबसे बड़ी खामी नहीं माना जाए?

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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