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'मेरा Tinder एक्सपीरियंस बताता है कि भारत में सेक्स एजुकेशन बहुत जरूरी है'

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 04 जुलाई, 2018 03:40 PM
  • 04 जुलाई, 2018 03:35 PM
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टिंडर का एक्सपीरियंस सिर्फ मस्ती के लिए किया था, लेकिन इतना जरूर समझ आ गया कि हिंदुस्तान में लोगों के मन में कितनी कुंठा भरी हुई है.

जिन लोगों ने टिंडर के बारे में सिर्फ सुना है, उनके लिए इस एप को डाउनलोड करने वाला हर लड़का लोफर है और हर लड़की चरित्रहीन. खैर, इस एप की तारीफ करने वाले लोग भी कम नहीं हैं. ये वो लोग हैं जो अपने एक्सपीरियंस शेयर करते हैं.

इस डिबेट के बीच इस एप का अनुभव पाने के लिए मैंने भी टिंडर पर अकाउंट बना ही लिया. इस बात का पूरा अंदाजा था कि मुझे छिछोरे लड़के भी मिलेंगे. टिंडर डाउनलोड करने के बाद कुछ तस्वीरें लगाकर मैंने स्वाइप गेम शुरू किया. (चूंकि, यह एप यूजर को अपनी पसंद से किसी भी प्रोफाइल को पसंद करने के लिए राइट स्‍वाइप और रिजेक्‍ट करने के लिए लेफ्ट स्‍वाइप का ऑप्‍शन देता है.)

मैं और मेरी रूममेट सिर्फ मस्ती में ही फोटो देखकर स्वाइप करते रहे. बायो पढ़ने की अक्ल तो बहुत बाद में आई. बिना देखे स्वाइप करने का नतीजा ये निकला की कई ऐसे लोग मैच हो गए जिन्हें न तो मैं कभी पसंद करती और न ही कभी उनसे बात करने की इच्छा होती. टिंडर पर 80% लोग ऐसे ही मिले जो सिर्फ और सिर्फ वन नाइट स्टैंड या किसी हुकअप की इच्छा रखते थे.

स्वाइप का गेम समझ आता और ये पता चलता कि टिंडर काम कैसे करता है. तब तक न जाने कितने स्वाइप मैं पहले ही कर चुकी थी. लोगों के मैच भी आ गए थे और मैसेज शुरू हो गए थे.

मैसेज की बारी आई और अधिकतर लड़कों का दूसरा सवाल या तो नंबर मांगना होता या फिर ये पूछना कि मैं डेट पर कब जा सकती हूं. कुछ फोटो देखने के बाद कुछ लोग हॉट, सेक्सी जैसे शब्दों से मेरी तारीफ भी कर रहे थे. Hi, Hello करने के बाद जिस तरह की बातें लड़के शुरू करते थे उससे ये समझ आ रहा था कि मैंने कितनी बड़ी गलती की बिना देखे स्वाइप करके.

कुछ के लिए तो शुरुआत से ही अश्लील बातें करना जैसे रिवाज था. जो टिंडर पर लड़कियों से सिर्फ ऐसी ही बातें करने आए थे. कुछ को 'मुद्दे' की बात पर...

जिन लोगों ने टिंडर के बारे में सिर्फ सुना है, उनके लिए इस एप को डाउनलोड करने वाला हर लड़का लोफर है और हर लड़की चरित्रहीन. खैर, इस एप की तारीफ करने वाले लोग भी कम नहीं हैं. ये वो लोग हैं जो अपने एक्सपीरियंस शेयर करते हैं.

इस डिबेट के बीच इस एप का अनुभव पाने के लिए मैंने भी टिंडर पर अकाउंट बना ही लिया. इस बात का पूरा अंदाजा था कि मुझे छिछोरे लड़के भी मिलेंगे. टिंडर डाउनलोड करने के बाद कुछ तस्वीरें लगाकर मैंने स्वाइप गेम शुरू किया. (चूंकि, यह एप यूजर को अपनी पसंद से किसी भी प्रोफाइल को पसंद करने के लिए राइट स्‍वाइप और रिजेक्‍ट करने के लिए लेफ्ट स्‍वाइप का ऑप्‍शन देता है.)

मैं और मेरी रूममेट सिर्फ मस्ती में ही फोटो देखकर स्वाइप करते रहे. बायो पढ़ने की अक्ल तो बहुत बाद में आई. बिना देखे स्वाइप करने का नतीजा ये निकला की कई ऐसे लोग मैच हो गए जिन्हें न तो मैं कभी पसंद करती और न ही कभी उनसे बात करने की इच्छा होती. टिंडर पर 80% लोग ऐसे ही मिले जो सिर्फ और सिर्फ वन नाइट स्टैंड या किसी हुकअप की इच्छा रखते थे.

स्वाइप का गेम समझ आता और ये पता चलता कि टिंडर काम कैसे करता है. तब तक न जाने कितने स्वाइप मैं पहले ही कर चुकी थी. लोगों के मैच भी आ गए थे और मैसेज शुरू हो गए थे.

मैसेज की बारी आई और अधिकतर लड़कों का दूसरा सवाल या तो नंबर मांगना होता या फिर ये पूछना कि मैं डेट पर कब जा सकती हूं. कुछ फोटो देखने के बाद कुछ लोग हॉट, सेक्सी जैसे शब्दों से मेरी तारीफ भी कर रहे थे. Hi, Hello करने के बाद जिस तरह की बातें लड़के शुरू करते थे उससे ये समझ आ रहा था कि मैंने कितनी बड़ी गलती की बिना देखे स्वाइप करके.

कुछ के लिए तो शुरुआत से ही अश्लील बातें करना जैसे रिवाज था. जो टिंडर पर लड़कियों से सिर्फ ऐसी ही बातें करने आए थे. कुछ को 'मुद्दे' की बात पर आते देर नहीं लगी. सिर्फ 4 घंटों के अंदर मैं इतना प्रताड़ित महसूस कर रही थी कि मैंने अपना टिंडर अकाउंट डिलीट कर दिया.

टिंडर का एक्सपीरियंस सिर्फ मस्ती के लिए किया था, लेकिन इतना जरूर समझ आ गया कि हिंदुस्तान में लोगों के मन में कितनी कुंठा भरी हुई है. ऐसा नहीं है कि टिंडर पर सिर्फ गलत ही लोग हैं और वो सिर्फ फायदा उठाने की ही सोचते हैं. यकीनन कई लोगों का एक्सपीरियंस टिंडर पर काफी बेहतर रहा होगा और उन्हें अच्छे पार्टनर भी मिले होंगे, लेकिन मेरा एक्सपीरियंस खराब रहा. बहुत खराब. एक बात और समझ आ गई कि डेटिंग एप्स का इस्तेमाल बहुत सोच समझ और सावधानी के साथ करना चाहिए.

लोगों को सिर्फ इसी बात की फिक्र थी कि कैसे भी उन्हें एक डेट मिल जाए. भारत में डेटिंग गेम विदेशों जैसा नहीं होता, जिसमें एक दूसरे को बराबर की इज्जत दी जाती है. टिंडर का ये एक्सपीरियंस ये बताता है कि लड़कों की सोच अभी भी वैसी ही है. शायद इन्हें सेक्स एजुकेशन की जरूरत है जो इन्हें ये बता सके कि लड़कियों की इज्जत भी उतनी ही होती है जितनी लड़कों की. अगर कोई लड़की टिंडर पर आई है तो इसका ये मतलब नहीं कि उसे वन नाइट स्टैंड चाहिए या फिर वो किसी फिजिकल रिलेशनशिप के लिए तैयार है. लड़की से कैसे बात की जाती है इसकी सीख शायद उन लोगों को नहीं थी.

शायद भारत में सेक्स एजुकेशन की कमी ही इसका कारण हो सकती है कि ऐसी कुंठित मानसिकता वाले लोग सिर्फ एक खास तरह की फरमाइश रखते हैं. उन्हें लगता है कि टिंडर पर लड़कियां सिर्फ इसी कारण से आती हैं. मेरा टिंडर एक्सपीरियंस वाकई काफी खराब रहा है. जो लोग आगे इसे इस्तेमाल करने की सोच रहे हैं उनसे एक गुजारिश है कि बिना देखे समझे टिंडर पर किसी को स्वाइप न करें. वरना आप भी मेरी तरह ही प्रताड़ित महसूस कर सकते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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