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वो 5 काम जो औरतें चाहकर भी नहीं कर पाती हैं...

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 18 अक्टूबर, 2022 09:52 PM
  • 18 अक्टूबर, 2022 09:50 PM
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घरेलू महिलाओं को ध्यान से देखिएगा वे हाई-फाई जगह जाने से कतराती हैं... उन्हें घबराहट होती है कि उनका मजाक बनाया जाएगा. नए जमाने के लोगों को उनके सिर से तेल की स्मेल आती है. आधा जीवन बच्चों की सेवा में गुजार देने वाली माएं जब कहीं परिवार के साथ बाहर जाती भी हैं तो उन्हें चप्पल, सामान की रखवाली या फिर बच्चे की देखरेख के लिए टिका दिया जाता है.

औरतें (Women) बस काम करने के लिए बनी हैं. तभी तो उन्हें सुपरवुमन भी कहा जाता है. सुपरवुमन बहुत सारे काम एक साथ कर लेती है. वह इतना काम करती है कि दिन-रात को एक कर देती है और फिर वो काम करते ही जाती है. उसके नसीब में आराम नहीं लिखा होता. उसकी कोई छुट्टी भी नहीं होती है. वह अगर घरेलू हो, हाउसवाइफ तब तो उसकी वैल्यू और कम कर दी जाती है.

वह अगर वर्किंग हो तो उसके ऊपर दोहरी जिम्मेदारी बढ़ जाती है. उसे सिर्फ घर-बाहर मैनेज करना सिखाया जाता है. वह दुनिया के सारे काम करती है सिवाय अपने उस मन की जो वह चाहती है. चलिए इन्हीं कामों पर थोड़ी चर्चा करते हैं.

बाहर जाना

शादी से पहले जो लड़की अपनी सहेलियों से साथ मौज-मस्ती करती है. शादी के बाद वह उन्हीं सहेलियों से मिल भी नहीं पाती है. ऐसा क्यों होता है शायद किसी ने सोचा भी ही नहीं. असल में शादी के बाद लड़की जिम्मेदारियां और प्राथमिकताएं बदल जाती हैं. वह अपनी गर्ल गैंग के साथ कहीं बाहर नहीं जाती.

50 की उम्र पार की चुकी महिलाएं अगर किसी बड़े होटल में चली जाएं तो वे बाथरूम के नल नहीं चालू कर पातीं, क्योंकि उन्हें नए जमाने की टेक्निक के बारे में पता नहीं होता. वे स्वीमिंग नहीं कप पातीं. घरेलू महिलाओं को ध्यान से देखिएगा वे हाई-फाई जगह जाने से कतराती हैं... उन्हें घबराहट होती है कि उनका मजाक बनाया जाएगा. नए जमाने के लोगों को उनके सिर से तेल की स्मेल आती है. आधा जीवन बच्चों की सेवा में गुजार देने वाली माएं जब कहीं परिवार के साथ बाहर जाती भी हैं तो उन्हें चप्पल, सामान की रखवाली या फिर बच्चों की देखरेक में लगा दिया जाता है. पूरा परिवार एंजॉय करता है और माएं वहां भी अपनी जिम्मेदारी की संभालती रहती हैं.

शादी से पहले जो लड़की अपनी सहेलियों से साथ मौज-मस्ती करती है. शादी के बाद वह...

औरतें (Women) बस काम करने के लिए बनी हैं. तभी तो उन्हें सुपरवुमन भी कहा जाता है. सुपरवुमन बहुत सारे काम एक साथ कर लेती है. वह इतना काम करती है कि दिन-रात को एक कर देती है और फिर वो काम करते ही जाती है. उसके नसीब में आराम नहीं लिखा होता. उसकी कोई छुट्टी भी नहीं होती है. वह अगर घरेलू हो, हाउसवाइफ तब तो उसकी वैल्यू और कम कर दी जाती है.

वह अगर वर्किंग हो तो उसके ऊपर दोहरी जिम्मेदारी बढ़ जाती है. उसे सिर्फ घर-बाहर मैनेज करना सिखाया जाता है. वह दुनिया के सारे काम करती है सिवाय अपने उस मन की जो वह चाहती है. चलिए इन्हीं कामों पर थोड़ी चर्चा करते हैं.

बाहर जाना

शादी से पहले जो लड़की अपनी सहेलियों से साथ मौज-मस्ती करती है. शादी के बाद वह उन्हीं सहेलियों से मिल भी नहीं पाती है. ऐसा क्यों होता है शायद किसी ने सोचा भी ही नहीं. असल में शादी के बाद लड़की जिम्मेदारियां और प्राथमिकताएं बदल जाती हैं. वह अपनी गर्ल गैंग के साथ कहीं बाहर नहीं जाती.

50 की उम्र पार की चुकी महिलाएं अगर किसी बड़े होटल में चली जाएं तो वे बाथरूम के नल नहीं चालू कर पातीं, क्योंकि उन्हें नए जमाने की टेक्निक के बारे में पता नहीं होता. वे स्वीमिंग नहीं कप पातीं. घरेलू महिलाओं को ध्यान से देखिएगा वे हाई-फाई जगह जाने से कतराती हैं... उन्हें घबराहट होती है कि उनका मजाक बनाया जाएगा. नए जमाने के लोगों को उनके सिर से तेल की स्मेल आती है. आधा जीवन बच्चों की सेवा में गुजार देने वाली माएं जब कहीं परिवार के साथ बाहर जाती भी हैं तो उन्हें चप्पल, सामान की रखवाली या फिर बच्चों की देखरेक में लगा दिया जाता है. पूरा परिवार एंजॉय करता है और माएं वहां भी अपनी जिम्मेदारी की संभालती रहती हैं.

शादी से पहले जो लड़की अपनी सहेलियों से साथ मौज-मस्ती करती है. शादी के बाद वह उन्हीं सेहेलियों से मिल भी नहीं पाती है

 

अपने ऊपर खर्चा करना

मां सबके ऊपर खर्चा करती हैं. सबके लिए सामान खरीदती हैं...घर खर्च के एक-एक पैसा जोड़कर बचत करती है मगर अपने लिए जरूरत का सामान नहीं खरीदती है. वह कहती है अरे काम चला लूंगी. इस तरह वे अपने शौक कभी पूरा नहीं कर पातीं बस मन ही मन उसे पूरा करने की चाह रखती हैं.

देर से जगना

घर की महिला सबसे देरी से सोती है और सबसे जल्दी सुबह जग जाती है. जिस तरह हमारे पास देरी से जगने की च्वाइस रहती है उसके पास नहीं रहती है. वह कितना भी थकी हो या फिर बीमार क्यों ना हो, सुबह जल्दी जग जाती है. वह चाहकर भी देरी से नहीं जग सकती. शायद जल्दी जगना उसने अपना कर्तव्य समझ लिया है.

आराम करना

आराम करना तो महिलाओं के नसीब में ही नहीं है. वे दिन-रात काम ही करती रहती हैं. ना जाने कितना काम होता है जो कभी खत्म नहीं होता. कई लोग तो मैंने कहते सुना है कि हमारे घर में तो काम ही नहीं है, बस 4 लोगों का 2 रोटी बनानी रहती है. मगर यह इतना धीरे काम करती है कि पूरा दिन निकल जाता है.

सबसे पहले खाना

घर की महिलाएं पहले घर के सदस्यों को खिला लेती हैं फिर खुद बचा-खुचा खाना खाती हैं. रात की बची बासी सब्जी औऱ रोटी को सधाने की जिम्मेदारी भी उनके माथे रहती है. सुबह जब सभी लोग अपने-अपने काम पर चले जाते हैं तब उन्हें नाश्ता करने का समय मिलता है. पता नहीं कैसे वे अपनी भूख मारने की कला सीख जाती हैं.

अब जिस महिला की नींद पूरी नहीं होगी. जो महिला टाइम से नाश्ता नहीं करेगी, कहीं आएगी-जाएगी नहीं...वह बीमार तो पड़ेगी ही...इतना नहीं महिलाओं की बामारी सिर्फ एक डोलो या क्रोसीन खाकर दूर हो जाती है. वे मरती रहती हैं और काम करते रहती हैं...हमें अजीब इसलिए नहीं लगता क्योंकि अब इसकी आदत पड़ चुकी है...

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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