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रूस-यूक्रेन युद्ध पर जो बातें CJI रमणा ने कही हैं उनमें भोलापन कूट कूट के भरा है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 03 मार्च, 2022 11:09 PM
  • 03 मार्च, 2022 11:08 PM
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Russia-Ukraine Conflict: रूस यूक्रेन युद्ध पर जो बातें CJI रमणा ने एक याचिक की सुनवाई के दौरान कही हैं उनमें भोलापन कूट कूट के भरा है. सवाल ये है कि एक ऐसे समय में जब इंसान हर दूसरी बात पर दिमाग लगाता हो कोई इतना भी भोला कैसे हो सकता है.

पूरी दुनिया में रूस यूक्रेन युद्ध की गूंज है. जैसी परिस्थितियां हैं न तो रूस झुक रहा है और न ही यूक्रेन अपने कदम पीछे कर रहा है. युद्ध के मद्देनजर जहां एक तरफ़ कई लोग मर चुके हैं तो वहीं लाखों जिंदगियां दांव पर हैं. रूस यूक्रेन के बीच गतिरोध किस हद तक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विश्व पटल पर अपने को चौधरी समझने वाला अमेरिका और NATO जैसी संस्था भी हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं और तमाशबीन बनकर मौत का मंजर देख रही हैं. बात भारत की हो तो रूस यूक्रेन वार का असर यहां भारत में भी देखने को मिल रहा है. एक तरफ यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती कच्चे तेल की कीमतों के बीच ये सुनना कि जल्द ही भारत में पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ेंगे भारतीयों के सामने काटो तो खून नहीं वाली स्थिति है. ऐसे में यूक्रेन में फंसे भारतीयों का मसला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने इस मामले पर अटॉर्नी जनरल को कोर्ट में तलब किया है. कोर्ट में CJI ने याचिकाकर्ता से क्या पूछा क्या नहीं पूछा इसपर चर्चा होगी लेकिन जो उनका अंदाज था उसमें भोलापन कूट कूट के भरा है. सवाल ये है कि एक ऐसे समय में जब इंसान हर दूसरी बात पर दिमाग लगाता हो कोई इतना भी भोला कैसे हो सकता है?

तमाम भारतीय छात्र हैं जो युद्ध प्रभावित यूक्रेन में हैं और सरकार की मदद के तलबगार हैं

न देश के CJI से जुड़ी इन बातों में न हम किसी तरह का कोई कटाक्ष कर रहे और न ही हमने किसी तरह का कोई व्यंग्य किया है. वकाई CJI रमणा के भोलेपन के चलते हम जिज्ञासु हुए हैं और जानना चाहते हैं उस वजह को जिसने उन्हें भोला किया है. ध्यान रहे कि अटॉर्नी जनरल को कोर्ट में तलब करते हुए CJI ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि आखिर इस मामले में कोर्ट क्या कर सकता है? वहीं...

पूरी दुनिया में रूस यूक्रेन युद्ध की गूंज है. जैसी परिस्थितियां हैं न तो रूस झुक रहा है और न ही यूक्रेन अपने कदम पीछे कर रहा है. युद्ध के मद्देनजर जहां एक तरफ़ कई लोग मर चुके हैं तो वहीं लाखों जिंदगियां दांव पर हैं. रूस यूक्रेन के बीच गतिरोध किस हद तक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विश्व पटल पर अपने को चौधरी समझने वाला अमेरिका और NATO जैसी संस्था भी हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं और तमाशबीन बनकर मौत का मंजर देख रही हैं. बात भारत की हो तो रूस यूक्रेन वार का असर यहां भारत में भी देखने को मिल रहा है. एक तरफ यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती कच्चे तेल की कीमतों के बीच ये सुनना कि जल्द ही भारत में पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ेंगे भारतीयों के सामने काटो तो खून नहीं वाली स्थिति है. ऐसे में यूक्रेन में फंसे भारतीयों का मसला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने इस मामले पर अटॉर्नी जनरल को कोर्ट में तलब किया है. कोर्ट में CJI ने याचिकाकर्ता से क्या पूछा क्या नहीं पूछा इसपर चर्चा होगी लेकिन जो उनका अंदाज था उसमें भोलापन कूट कूट के भरा है. सवाल ये है कि एक ऐसे समय में जब इंसान हर दूसरी बात पर दिमाग लगाता हो कोई इतना भी भोला कैसे हो सकता है?

तमाम भारतीय छात्र हैं जो युद्ध प्रभावित यूक्रेन में हैं और सरकार की मदद के तलबगार हैं

न देश के CJI से जुड़ी इन बातों में न हम किसी तरह का कोई कटाक्ष कर रहे और न ही हमने किसी तरह का कोई व्यंग्य किया है. वकाई CJI रमणा के भोलेपन के चलते हम जिज्ञासु हुए हैं और जानना चाहते हैं उस वजह को जिसने उन्हें भोला किया है. ध्यान रहे कि अटॉर्नी जनरल को कोर्ट में तलब करते हुए CJI ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि आखिर इस मामले में कोर्ट क्या कर सकता है? वहीं बाद में उन्होंने समस्या को जरूरी मुद्दा बताया और केंद्र सरकार को निर्देशित किया रोमानिया बॉर्डर पर फंसे छात्रों को निकालने के लिए कदम उठाए जाएं.

यूक्रेन में फंसे भर्तियां छात्रों के तहत जो याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं है उसमे कहा गया है कि यूक्रेन के Moldova/Romania बॉर्डर पर करीब 250 छात्र फंसे हैं. वहीं याचिका में ये भी बताया गया कि पिछले छह दिनों से वहां भारत की तरफ से कोई फ्लाइट नहीं गई है. यह याचिका उन परिवारों ने दायर की है जो यूक्रेन में फंसे हैं.

बताते चलें कि यूक्रेन में फंसे छात्रों के परिजनों की तरफ से याचिका एडवोकेट एएम डार ने दायर की है. CJI इस मामले की सुनवाई इसलिए भी जरूरी समझते हैं क्योंकि इसके लिए एडवोकेट खुद कश्मीर से चलकर सुप्रीम कोर्ट आए हैं. याचिकाकर्ताओं के वकील ने भारतीय छात्रों की जटिलताओं का वर्णन करते हुए कोर्ट को बताया कि वहां माइनस 7 तापमान है इसलिए कोर्ट भारतीय विदेश मंत्रालय को वहां फंसे लोगों को राहत मुहैया कराने का निर्देश दें.

सीजेआई ने कहा कि हम इस मामले में क्या कर सकते हैं? उपरोक्त जिक्र CJI के भोलेपन का हुआ है तो ये बात यूं ही नहीं है दरअसल सुनवाई के दौरान CJI रमणा ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि कल को आप कहोगे कि पुतिन को निर्देश जारी करें. CJI ने कहा कि क्या हम पुतिन से युद्ध रोकने के लिए कह सकते हैं?

हम सभी इस बात को भली प्रकार समझते हैं कि पुतिन वही करेंगे जो उनको सही लगेगा. लेकिन कम से कम सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देशित तो कर ही सकता है. आख़िर डिप्लोमेसी भी कोई चीज है. मौजूदा वक्त में भारत इतना शक्तिशाली तो है ही कि वो रूस पर दबाव बना सके और युद्ध न भी खत्म करा पाए तो इन स्टूडेंट्स को स्वदेश ले आए जो यूक्रेन में अपनी आंखों के आगे मौत का मंजर देख रहे हैं.

बात सीधी और साफ है CJI द्वारा ये कहकर अन्ना पल्ला नहीं झाड़ा जा सकता कि छात्रों के साथ हमारी पूरी सहानुभूति और चिंता है. भारत सरकार अपना काम कर रही है. चूंकि ये तमाम बातें याचिका की सुनवाई के दौरान हुई हैं तो जब अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल कोर्ट में पेश हुए तो उनकी तरफ से कहा गया कि वह इसको पुख्ता करेंगे.

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के मुताबिक़ फंसे छात्रों के मसले पर PM मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की दोनों से बात की है. गौरतलब है कि याचिका में इस बात पर बल दिया गया था कि फंसे हुए भारतीय छात्रों की संख्या 250 के आस पास है जो Odessa की नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के छात्र हैं.

याचिका में इस बात का भी जिक्र है कि ये तमाम छात्र यूक्रेन का बॉर्डर क्रॉस नहीं कर पा रहे हैं. इसपर अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को बताया कि भारत सरकार ने फंसे छात्रों को निकालने में मदद के लिए चार मंत्रियों को भी भेजा है, जिसमें एक मंत्री रोमेनिया भी गए हैं. उन्होंने कहा कि यूक्रेन की सीमा को वे लोग क्यों पार नहीं कर पाए, यह क्रॉस चेक किया जाएगा ऐसा इसलिए भी क्योंकि यूक्रेन का यही दावा है कि वो सबको निकलने दे रहा है.

बहरहाल हम फिर इस बात को दोहराएंगे कि सुप्रीम कोर्ट को सख्त लहजे में सरकार से छात्रों के विषय में जवाब तलब करने और एक्शन लेने को कहना  चाहिए बाकी जैसा कोर्ट का रवैया है वो इस मामले को लेकर सरकार का प्रवक्ता ज्यादा बन रहा है. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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