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रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच प्रोपोगेंडाबाजों को वैशाली की तरह राइट टाइम करे पुलिस!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 03 मार्च, 2022 03:40 PM
  • 03 मार्च, 2022 03:40 PM
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रूस यूक्रेन युद्ध और उस युद्ध के चलते यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र सरकार विरोधियों के लिए किसी सहालग से कम नहीं हैं. एजेंडा बदस्तूर चलता रहे ये लोग ऐसा बहुत कुछ कर रहे हैं जिसके चलते एक देश के रूप में भारत वर्ल्ड मैप पर शर्मसार हो रहा है. रूस यूक्रेन युद्ध की आड़ में घिनौने मोदी विरोध को समझने के लिए कही दूर अब क्या ही जाना यूपी के हरदोई में जो हुआ है उसने सारी हदें पार कर दी हैं.

रूस यूक्रेन की जंग भारत में उन लोगों के लिए उत्प्रेरक है जिनके जीवन का एकमात्र मकसद खाना पीना खाकर, नित्य क्रिया से फारिग होकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी नीतियों को पानी पी पीकर कोसना है. सोशल मीडिया रूपी कमोड पर बैठी ये बिरादरी कितनी और किस हद तक शातिर है? इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, अगर कोई कह दे कि मोदी विरोध करना है और उस आंदोलन में शामिल होने के लिए पैसे लगेंगे तो ये उसके लिए पैसे खर्च करने को हमेशा तैयार हैं. अगर इनके पास पैसे न हों तो सिर्फ मोदी विरोध के कारण ये अपनी एक नहीं दोनों किडनियां किसी खूसट, कंजूस - मक्खीचूस लाला के पास गिरवी रख ब्याज में पैसे उठा लेंगे. ऐसे लोगों के लिए रूस यूक्रेन युद्ध और उस युद्ध के चलते यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र किसी सहालग से कम नहीं हैं. एजेंडा बदस्तूर चलता रहे ये लोग ऐसा बहुत कुछ कर रहे हैं जिसके चलते एक देश के रूप में भारत वर्ल्ड मैप पर शर्मसार हो रहा है.रूस यूक्रेन युद्ध की आड़ में इस घिनौने मोदी विरोध को समझने के लिए कही दूर अब क्या ही जाना आइए यूपी का रुख करें और हरदोई चलें. जहां सरकार के खिलाफ एक ऐसा प्रोपोगेंडा फैलाया गया जिसने बता दिया कि विरोध की आड़ लेकर जब आदमी एक बार नीचे गिरना शुरू करता है तो बस गिरता ही चला जाता है.

मोदी विरोध में हरदोई की वैशाली ने अपनी तरह का एक अलग ही प्रोपोगेंडा फैलाया है

खबर आई कि हरदोई के सांडी ब्लॉक की ग्राम प्रधान वैशाली यादव, प्रधान न होकर एक डाक्टर हैं जो यूक्रेन में रहकर मेडिसिन की पढ़ाई कर रही थी. वो पिछले साल पंचायत चुनावों में गांव आई थीं. उसने तफरीह मजाक में चुनाव लड़ा और ऐतिहासिक जीत दर्ज की. वहीं ये भी बताया गया कि वो मौजूदा वक्त में यूक्रेन में ही है और सरकार उसे हिंदुस्तान लाने में असमर्थ...

रूस यूक्रेन की जंग भारत में उन लोगों के लिए उत्प्रेरक है जिनके जीवन का एकमात्र मकसद खाना पीना खाकर, नित्य क्रिया से फारिग होकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी नीतियों को पानी पी पीकर कोसना है. सोशल मीडिया रूपी कमोड पर बैठी ये बिरादरी कितनी और किस हद तक शातिर है? इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, अगर कोई कह दे कि मोदी विरोध करना है और उस आंदोलन में शामिल होने के लिए पैसे लगेंगे तो ये उसके लिए पैसे खर्च करने को हमेशा तैयार हैं. अगर इनके पास पैसे न हों तो सिर्फ मोदी विरोध के कारण ये अपनी एक नहीं दोनों किडनियां किसी खूसट, कंजूस - मक्खीचूस लाला के पास गिरवी रख ब्याज में पैसे उठा लेंगे. ऐसे लोगों के लिए रूस यूक्रेन युद्ध और उस युद्ध के चलते यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र किसी सहालग से कम नहीं हैं. एजेंडा बदस्तूर चलता रहे ये लोग ऐसा बहुत कुछ कर रहे हैं जिसके चलते एक देश के रूप में भारत वर्ल्ड मैप पर शर्मसार हो रहा है.रूस यूक्रेन युद्ध की आड़ में इस घिनौने मोदी विरोध को समझने के लिए कही दूर अब क्या ही जाना आइए यूपी का रुख करें और हरदोई चलें. जहां सरकार के खिलाफ एक ऐसा प्रोपोगेंडा फैलाया गया जिसने बता दिया कि विरोध की आड़ लेकर जब आदमी एक बार नीचे गिरना शुरू करता है तो बस गिरता ही चला जाता है.

मोदी विरोध में हरदोई की वैशाली ने अपनी तरह का एक अलग ही प्रोपोगेंडा फैलाया है

खबर आई कि हरदोई के सांडी ब्लॉक की ग्राम प्रधान वैशाली यादव, प्रधान न होकर एक डाक्टर हैं जो यूक्रेन में रहकर मेडिसिन की पढ़ाई कर रही थी. वो पिछले साल पंचायत चुनावों में गांव आई थीं. उसने तफरीह मजाक में चुनाव लड़ा और ऐतिहासिक जीत दर्ज की. वहीं ये भी बताया गया कि वो मौजूदा वक्त में यूक्रेन में ही है और सरकार उसे हिंदुस्तान लाने में असमर्थ है.

वैशाली को लेकर तमाम तरह की बातें हुईं. सरकार की आलोचना करने वाले एक बार फिर एकजुट हुए और उन्होंने पीएम मोदी पर बड़ा हमला किया और इस हमले के लिए वैशाली के कंधों का इस्तेमाल किया. लेकिन क्यों कि झूठ ज्यादा देर तक परदे में नहीं रह सकता. मामले की जांच हुई और खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली कहावत चरितार्थ हुई.

असल में वैशाली मामले के बाद इंटरनेट पर एक ट्वीट बिल्कुल जंगल में लगी आग की तरह वायरल किया जा रहा है. वायरल हो रहे इस ट्वीट पर नजर डालें तो इसका कंटेंट खासा मजेदार है. ट्वीट मामले को फर्जी बता रहा है. ट्वीटर पर एक वेरिफाइड एकाउंट है. नाम है अनिल कुमार. प्रोफाइल के अनुसार अनिल बिहार भाजपा में प्रदेश मंत्री हैं और बथनाहा सीतामढ़ी से विधायक है.

वैशाली को लेकर अनिल ने जो ट्वीट किया है उसके अनुसार, यूक्रेन में मेडिकल छात्रा बताकर सरकार पर आरोप लगाकर वीडियो बनाने वाली हरदोई निवासी लड़की वैशाली यादव जोकि महेंद्र यादव की बेटी हैं उन्हें जब पुलिस ने पकड़ा तो पता चला कि लड़की ने वीडियो पिता के कहने पर सरकार को बदनाम करने के लिये बनाया था. वैशाली के पिता समाजवादी पार्टी के नेता हैं.

यूपी में चुनाव हैं. मुख्य मुकाबला सपा बनाम भाजपा है. बेटी से मोदी / सरकार विरोधी बनवाने वाले पिता की नियत क्या रही होगी इसपर न किसी को कुछ बताना है और न ही कुछ बहुत जायदा समझाना है तमाम बातें शीशे की तरह साफ़ हैं. कुल मिलाकर सपा से जुड़े पिता को रूस यूक्रेन युद्ध रूपी आपदा में अवसर दिखा और उन्होंने ढेर चतुराई दिखते हुए वो कर दिया जिसका खामियाजा यूपी में समाजवादी पार्टी और पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव को भुगतना पड़ रहा है.

पब्लिक इस वैशाली मामले की जमकर आलोचना कर रही है और यही कह रही है कि ऐसा भी क्या मोदी विरोध कि न तो आदमी का दीन रहे और न ही ईमान.

बहरहाल बहुत जरूरी है कि ऐसे मामलों और इनकी सत्यता की जांच हो. हो ये रहा है कि आदमी बैठा तो कानपुर और उन्नाव या फिर बाराबंकी में है और बता रहा है कि वो यूक्रेन में है. उसके घर के बिल्कुल बराबर में बम गिरा है और सुबह जब वो दूध लेने निकला तो गोली एकदम साएं से उसके कान के पास से गुजरी। पुलिस पकड़े ऐसे लोगों को और ऐसी सजा दे कि जैसे ही जाड़े की शुरुआत हो और ठंडी हवा चले उन्हें रूस - यूक्रेन युद्ध और उस युद्ध को लेकर बोला गया झूठ, फैलाया हुआ प्रोपोगेंडा याद आ जाए.   

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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