• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

Women's day: मां की ममता और पत्नी जैसा समर्पण लिए पुरुषों को भी बधाई

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 08 मार्च, 2021 03:44 PM
  • 08 मार्च, 2021 03:44 PM
offline
इस महिला दिवस बधाई (happy women's day 2021) उन पुरुषों को भी जिनके अंदर मां की ममता है, बहन सी शरारत है, दोस्त जैसी केयर और पत्नी जैसा साथ होता है.

इस महिला दिवस बधाई (happy women's day 2021) उन पुरुषों को भी जिनके अंदर मां की ममता, बहन सी शरारत, दोस्त जैसी केयर और पत्नी जैसा साथ होता है. ज्यादातर घरों के पुरुष अपनी मां, पत्नी और बहनों और प्रेमिका का सहयोग कर रहे हैं. आपको तकलीफ होती हैं तो उन्हें भी दर्द होता है. 

एक पिता जब अपने बच्चे को प्यार करता है तो उसकी आंखों में क्या आपको ममता नजर नहीं आती? क्या आपको परेशान देखकर उसे तकलीफ नहीं होती. सारी भावनाओं को समेट कर बस उसे पुरुष का नाम दे दिया गया. लो भाई अब तो तुम पत्थर हो रो मत देना वरना लोग क्या कहेंगे.

जो पुरुष एक मां और पत्नी की तरह आपका ख्याल रखते हैं

इसलिए महिलाओं को अपने अधिकार के लिए लड़ना चाहिए लेकिन सिर्फ पुरुष होने के कारण उन पर बेवजह गुस्सा करने का क्या मतलब है? ऐसा नहीं है कि बस आपके घर के पुरुष अच्छे हैं और बाकी दुनिया के खराब. कितने ही पुरुष महिलाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहे हैं. अपने अधिकार के लिए आवाज उठाने का मतलब पुरुषों से नफरत करना नहीं है. दुनिया के सभी पुरूष महिलाओं पर अत्याचार नहीं कर रहे हैं, इसलिए सबको एक ही नजर से देखना छोड़ दीजिए. 

हमें बस सामान्य लाइफ चाहिए. सिर्फ महिला होने के नाते हमें विशिष्ट नहीं बनना है. पहले के मुकाबले चीजें बदली हैंं. अब ज्यादातर घरों के पुरुष महिलाओं को आगे बढ़ने से नहीं रोकते. यह बात सही है कि वोट देने से लेकर बैंक में खाता खोलने तक ये अधिकार पहले नहीं था. इसके लिए महिलाओं ने लंबा संघर्ष किया है, अधिकार की लड़ाई लड़ी है ना की पुरूषों से नफरत.

छोटी-छोटी बातों के लिए संघर्ष होते आया है और होते रहेगा. इसका मतलब पुरुषों पर नाराजगी जाहिर करने से नहीं है. पुरुषों...

इस महिला दिवस बधाई (happy women's day 2021) उन पुरुषों को भी जिनके अंदर मां की ममता, बहन सी शरारत, दोस्त जैसी केयर और पत्नी जैसा साथ होता है. ज्यादातर घरों के पुरुष अपनी मां, पत्नी और बहनों और प्रेमिका का सहयोग कर रहे हैं. आपको तकलीफ होती हैं तो उन्हें भी दर्द होता है. 

एक पिता जब अपने बच्चे को प्यार करता है तो उसकी आंखों में क्या आपको ममता नजर नहीं आती? क्या आपको परेशान देखकर उसे तकलीफ नहीं होती. सारी भावनाओं को समेट कर बस उसे पुरुष का नाम दे दिया गया. लो भाई अब तो तुम पत्थर हो रो मत देना वरना लोग क्या कहेंगे.

जो पुरुष एक मां और पत्नी की तरह आपका ख्याल रखते हैं

इसलिए महिलाओं को अपने अधिकार के लिए लड़ना चाहिए लेकिन सिर्फ पुरुष होने के कारण उन पर बेवजह गुस्सा करने का क्या मतलब है? ऐसा नहीं है कि बस आपके घर के पुरुष अच्छे हैं और बाकी दुनिया के खराब. कितने ही पुरुष महिलाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहे हैं. अपने अधिकार के लिए आवाज उठाने का मतलब पुरुषों से नफरत करना नहीं है. दुनिया के सभी पुरूष महिलाओं पर अत्याचार नहीं कर रहे हैं, इसलिए सबको एक ही नजर से देखना छोड़ दीजिए. 

हमें बस सामान्य लाइफ चाहिए. सिर्फ महिला होने के नाते हमें विशिष्ट नहीं बनना है. पहले के मुकाबले चीजें बदली हैंं. अब ज्यादातर घरों के पुरुष महिलाओं को आगे बढ़ने से नहीं रोकते. यह बात सही है कि वोट देने से लेकर बैंक में खाता खोलने तक ये अधिकार पहले नहीं था. इसके लिए महिलाओं ने लंबा संघर्ष किया है, अधिकार की लड़ाई लड़ी है ना की पुरूषों से नफरत.

छोटी-छोटी बातों के लिए संघर्ष होते आया है और होते रहेगा. इसका मतलब पुरुषों पर नाराजगी जाहिर करने से नहीं है. पुरुषों को बहुत बड़ा तबका महिलाओं के साथ है. यह खुशी  की बात है. जो बात सही है उसमें भी नेगेटिविटी ढूंढकर उसका विरोध करना, कहां तक सही है. दूसरों से उम्मीद करने से पहले खुद को पहचानने की जरूरत है. लड़कियों को आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है. स्ट्रांग बनते-बनते आप यह मत भूल जाना कि कमजोर होना स्वाभी है चाहे वह महिला हो या पुरुष.

जब मन करे रो लिया करो बिना परवाह किए कि लोग क्या कहेंगे. आज के समय में वैसे लोग तो आपको हंसाने आएंगे नहीं. जो करना है आपको ही करना है. तो उसके लिए खुद को तैयार करो, दूसरों को ब्लेम देने से कुछ नहीं होने वाला. हम कई सारी महिलाओं को देखते हैं जो सोशल मीडिया पर पुरूषों के खिलाफ भड़काऊ पोस्ट शेयर करती हैं. खुद को मजबूत करने के लिए किसी के खिलाफ होने की जरूरत नहीं है.

इसलिए पुरुषों से द्वेष के चक्कर में यह मत भूल जाना कि एक महिला को दूसरी महिला का साथ देना कितना जरूरी है, जो ज्यादातर होता नहीं है. हां महिलाएं जैसी भी हैं बहुत खूबसूरत हैं. आप अपनी लाइफ में वो सब करें जो करना चाहती हैं, विक्टिम बनने से बेहतर अपनी जिंदगी की हीरोइन बनना है. आज के दिन वे सभी पुरूष भी बधाई के पात्र हैं जो महिलाओं के हक के लिए आवाज उठाते हैं और एक दोस्त की तरह उनका साथ देते हैं. याद रखिए साथ देने में और तरस खाने में अंतर है. 

#happy women's day 2021  

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲