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मोदी जी... अगर बच्चे ब्लू व्हेल गेम से नहीं मरे तो फिर उनका 'कातिल' कौन ?

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 04 जनवरी, 2018 07:09 PM
  • 04 जनवरी, 2018 07:09 PM
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शायद सरकार मानती है कि मन के सच्चे बच्चों ने झूठ बोला. तभी तो सरकार ने पल्ला झाड़ते हुए साफ-साफ कह दिया है कि ब्लू व्हेल गेम से कोई मौत नहीं हुई.

ब्लू व्हेल गेम... जो जानते हैं वो इससे डरते हैं, जो अनजान हैं, वो इसका शिकार हो जाते हैं. यह गेम बहुत से बच्चों को आत्महत्या के लिए मजबूर कर चुका है. ऐसे कई किस्से भारत में भी देखे गए, जिनमें बच्चों के हाथ पर ब्लू व्हेल बनी पाई गई और उन्होंने मौत को गले लगा लिया. कुछ बच्चों ने तो सुसाइड नोट तक में ब्लू व्हेल का जिक्र किया और इसे एक जानलेवा खेल बताया. जहां एक ओर इन मौतों का ब्लू व्हेल गेम से सीधा कनेक्शन दिखाई देता है, वहीं शायद सरकार मानती है कि मन के सच्चे बच्चों ने झूठ बोला. तभी तो सरकार ने पल्ला झाड़ते हुए साफ-साफ कह दिया है कि ब्लू व्हेल गेम से कोई मौत नहीं हुई. पीएम मोदी पहले ही कांग्रेस पर तंज कसने के लिए ब्लू व्हेल जैसे खतरनाक गेम को मजाकिया अंदाज में परोस चुके हैं. आखिर फिर उन बच्चों ने अपनी जान क्यों ली? आखिर उनका 'कातिल' कौन है? वो कौन की वजह है जिसने बच्चों को अपनी जान लेने पर मजबूर कर दिया?

अब उठता है और भी बड़ा सवाल

जिन बच्चों ने ब्लू व्हेल की बात कहते हुए मौत को गले लगाया, अगर उनकी मौत का कारण यह गेम था ही नहीं, तो फिर उन्होंने आत्महत्या की क्यों? पुलिस ने तो न जाने कितनी फाइलें यही कहकर ठंडे बस्ते में डाल दीं कि बच्चा ब्लू व्हेल का शिकार हुआ है. पुलिस का शक भी जायज था. बच्चों के हाथों पर बनी ब्लू व्हेल और कुछ बच्चों द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट भी इसी ओर इशारा कर रहे थे. लेकिन सरकार है कि मानने को तैयार ही नहीं है. सरकार के गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने कहा है कि यह साबित नहीं हो सका है कि ब्लू व्हेल चैलेंज की वजह से किसी ने आत्महत्या की हो. साथ ही ब्लू व्हेल से जुड़े मामलों की पड़ताल करने के लिए राज्यों को निर्देश भी दिए जा चुके हैं. ब्लू व्हेल के चलते आत्महत्याओं के दावों के बाद एक जांच कमेटी बनाई गई थी, जिसने यह रिपोर्ट दी है. आपको बता दें कि ब्लू व्हेल गेम में प्रतिभागी को 50 दिन तक रोजाना एक चैलेंज लेना होता है. 50वां चैलेंज अपनी जान देने का होता है.

ब्लू व्हेल गेम... जो जानते हैं वो इससे डरते हैं, जो अनजान हैं, वो इसका शिकार हो जाते हैं. यह गेम बहुत से बच्चों को आत्महत्या के लिए मजबूर कर चुका है. ऐसे कई किस्से भारत में भी देखे गए, जिनमें बच्चों के हाथ पर ब्लू व्हेल बनी पाई गई और उन्होंने मौत को गले लगा लिया. कुछ बच्चों ने तो सुसाइड नोट तक में ब्लू व्हेल का जिक्र किया और इसे एक जानलेवा खेल बताया. जहां एक ओर इन मौतों का ब्लू व्हेल गेम से सीधा कनेक्शन दिखाई देता है, वहीं शायद सरकार मानती है कि मन के सच्चे बच्चों ने झूठ बोला. तभी तो सरकार ने पल्ला झाड़ते हुए साफ-साफ कह दिया है कि ब्लू व्हेल गेम से कोई मौत नहीं हुई. पीएम मोदी पहले ही कांग्रेस पर तंज कसने के लिए ब्लू व्हेल जैसे खतरनाक गेम को मजाकिया अंदाज में परोस चुके हैं. आखिर फिर उन बच्चों ने अपनी जान क्यों ली? आखिर उनका 'कातिल' कौन है? वो कौन की वजह है जिसने बच्चों को अपनी जान लेने पर मजबूर कर दिया?

अब उठता है और भी बड़ा सवाल

जिन बच्चों ने ब्लू व्हेल की बात कहते हुए मौत को गले लगाया, अगर उनकी मौत का कारण यह गेम था ही नहीं, तो फिर उन्होंने आत्महत्या की क्यों? पुलिस ने तो न जाने कितनी फाइलें यही कहकर ठंडे बस्ते में डाल दीं कि बच्चा ब्लू व्हेल का शिकार हुआ है. पुलिस का शक भी जायज था. बच्चों के हाथों पर बनी ब्लू व्हेल और कुछ बच्चों द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट भी इसी ओर इशारा कर रहे थे. लेकिन सरकार है कि मानने को तैयार ही नहीं है. सरकार के गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने कहा है कि यह साबित नहीं हो सका है कि ब्लू व्हेल चैलेंज की वजह से किसी ने आत्महत्या की हो. साथ ही ब्लू व्हेल से जुड़े मामलों की पड़ताल करने के लिए राज्यों को निर्देश भी दिए जा चुके हैं. ब्लू व्हेल के चलते आत्महत्याओं के दावों के बाद एक जांच कमेटी बनाई गई थी, जिसने यह रिपोर्ट दी है. आपको बता दें कि ब्लू व्हेल गेम में प्रतिभागी को 50 दिन तक रोजाना एक चैलेंज लेना होता है. 50वां चैलेंज अपनी जान देने का होता है.

मन के सच्चे बच्चों ने बोला झूठ?

कहा जाता है कि बच्चे मन के सच्चे होते हैं. वह कभी झूठ नहीं बोलते. सवाल ये है कि अगर बच्चे झूठ नहीं बोलते तो क्या आत्महत्या को लेकर उन्होंने झूठ बोला? यह भी कहा जाता है कि मरने वाला कभी झूठ नहीं बोलता, तो फिर ब्लू व्हेल गेम की वजह से आत्महत्या का कदम उठाने की बच्चों की बात पर सरकार को या फिर यूं कहें कि जांच कमेटी को यकीन क्यों नहीं है? ये हैं कुछ घटनाएं जिनमें बच्चों ने मौत को गले लगाया-

- हैदराबाद में 30 दिसंबर 2017 को 19 साल के एक इंजीनियर वरुण ने खुदकुशी कर ली. वरुण ने आत्महत्या करने के लिए एक प्लास्टिक की शीट से अपना मुंह बंद किया था. वह ब्लू व्हेल गेम खेलता था इसलिए यह भी आशंका जताई जा रही है कि उसने गेम की वजह से ही मौत को गले लगाया हो.

- सितंबर 2017 में तमिलनाडु के मदुरई में 19 साल के एक लड़के ने आत्महत्या कर ली थी. बच्चे ने सुसाइड नोट में लिखा था कि जब आप इसमें घुस जाते हैं, फिर निकल नहीं पाते. इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने ब्लू व्हेल गेम के लिंक सोशल मीडिया पर शेयर करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश जारी किए थे.

- एक अन्य मामले में राजस्थान के जोधपुर में ब्लू व्हेल गेम की वजह से आत्महत्या के इरादे से झील में कूदी लड़की को बचाया गया था. उसके हाथ पर ब्लू व्हेल बनी हुई थी. अस्पताल में भी उसने नींद की गोलियां खाने की कोशिश की. बार-बार कहती रही कि उसने ऐसा नहीं किया तो उसकी मां को मार दिया जाएगा.

- गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने भी ब्लू व्हेल गेम पर बैन लगाने के आदेश दिए थे. सभी स्कूलों को निर्देश दिया था कि वह बच्चों को इस गेम से दूर रखने के लिए अहम कदम उठाएं.

- 26 जुलाई 2017 को केरल में रहने वाले मनोज नाम के 16 साल के बच्चे ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.

- जुलाई 2017 में मुंबई में 14 साल के एक बच्चे ने आत्महत्या की थी. मुंबई पुलिस की प्राथमिक जांच से यही बात सामने आई थी कि बच्चा ब्लू व्हेल गेम खेल रहा था, जिसके चलते उसने मौत को गले लगा लिया.

अगर अभी तक हुई मौतों का ब्लू व्हेल गेम से कोई लेना-देना ही नहीं है तो फिर इन घटनाओं में ब्लू व्हेल का जिक्र क्यों हुआ? कभी बच्चों ने खुद ब्लू व्हेल की बात कही, तो कभी पुलिस ने ही ब्लू व्हेल का नाम लेकर आत्महत्या के मामले को रफा-दफा कर दिया. खैर, सरकारी आंकड़ों की सच्चाई जो भी हो, लेकिन जिन बच्चों ने ब्लू व्हेल की वजह से आत्महत्या करने की बात कही है, वह सरकारी आंकड़ों पर एक सवालिया निशान जरूर लगाते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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