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Gopi Bahu की मांग तो सही है, लेकिन क्या कोई दे पाएगा एक बहू, पत्‍नी या मां होने की फीस?

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 03 फरवरी, 2022 04:17 PM
  • 03 फरवरी, 2022 03:24 PM
offline
गोपी बहू का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह घरवालों से पूछती हैं कि क्या मैंने इस परिवार को अपना नहीं समझा? इस पर सास जवाब देती है कि हां बेटा तुमने हम सब को बहुत प्यार दिया है. इस पर गोपी बहू पूछती है कि कब तक फ्री का प्यार लेती रहोगी? पेमेंट भी तो दो इसकी... इतना सुनकर परिवार वाले हैरान हो जाते हैं...

क्या मां, पत्नी और बहू भी पेमेंट मांग सकती हैं? वो भी उस काम के लिए जो करना उनका फर्ज है. कहने का मतलब यह है कि घर का काम करना तो घर की महिलाओं की जिम्मेदारी है. वैसे भी घर में काम ही क्या होता है बस चार लोगों का खाना बनाना और सीरियल देखना. महिलाएं तो आराम से घर में रहती हैं और आपस में पंचायत करती हैं.

देर ही सही फाइनली गोपिका बहू अपने लिए स्टैंड लेती दिख रही है

असल में ये बातें आज इसलिए हो रही हैं कि हमेशा सीधी-सहमी दिखने वाली गोपी बहू ने पहली बार अपने लिए आवाज उठाई है. वह गोपी बहू जो बहुत भोली है और दूसरों की हां में बस हां मिलाती है.

असल में तेरा मेरा साथ रहे की गोपी बहू का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह घरवालों से पूछती हैं कि क्या मैंने इस परिवार को अपना नहीं समझा? इस पर सास जवाब देती है कि हां बेटा तुमने हम सब को बहुत प्यार दिया है. इस पर गोपी बहू पूछती है कि कब तक फ्री का प्यार लेती रहोगी? पेमेंट भी तो दो इसकी... इतना सुनकर परिवार वाले हैरान हो जाते हैं...

आप भी देखिए गोपी बहू का यह वीडिया जिसे लोग पसंद कर रहे हैं

गोपी बहू कर सकती है तो आप भी कर सकती हैं-

लोग गोपी बहू के इस रूप को अपना ही नहीं पा रहे, क्योंकि बहू को बेचारी ही रहना चाहिए. लोगों को घर की महिलाओं को इसी रूप में दखने की आदत है, इसलिए गोपी बहू का नया रूप कई लोगों को बर्दाश्त नहीं हो पा रहा...

क्या मां, पत्नी और बहू भी पेमेंट मांग सकती हैं? वो भी उस काम के लिए जो करना उनका फर्ज है. कहने का मतलब यह है कि घर का काम करना तो घर की महिलाओं की जिम्मेदारी है. वैसे भी घर में काम ही क्या होता है बस चार लोगों का खाना बनाना और सीरियल देखना. महिलाएं तो आराम से घर में रहती हैं और आपस में पंचायत करती हैं.

देर ही सही फाइनली गोपिका बहू अपने लिए स्टैंड लेती दिख रही है

असल में ये बातें आज इसलिए हो रही हैं कि हमेशा सीधी-सहमी दिखने वाली गोपी बहू ने पहली बार अपने लिए आवाज उठाई है. वह गोपी बहू जो बहुत भोली है और दूसरों की हां में बस हां मिलाती है.

असल में तेरा मेरा साथ रहे की गोपी बहू का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह घरवालों से पूछती हैं कि क्या मैंने इस परिवार को अपना नहीं समझा? इस पर सास जवाब देती है कि हां बेटा तुमने हम सब को बहुत प्यार दिया है. इस पर गोपी बहू पूछती है कि कब तक फ्री का प्यार लेती रहोगी? पेमेंट भी तो दो इसकी... इतना सुनकर परिवार वाले हैरान हो जाते हैं...

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गोपी बहू कर सकती है तो आप भी कर सकती हैं-

लोग गोपी बहू के इस रूप को अपना ही नहीं पा रहे, क्योंकि बहू को बेचारी ही रहना चाहिए. लोगों को घर की महिलाओं को इसी रूप में दखने की आदत है, इसलिए गोपी बहू का नया रूप कई लोगों को बर्दाश्त नहीं हो पा रहा है.

नए आत्मविश्वास के साथ गोपी बहू का नया अवतार

आप कब तक मुफ्त में प्यार स्वीकार करते रहेंगे? इसके लिए भुगतान करें. नेटिजन्स को यह वीडियो बहुत पसंद आया है. लोग गोपी बहू की इस क्लिप को लगातार शेयर कर रहे हैं. एक शख्स ने लिखा है कि 'दक्षिण एशियाई परिवार की सबसे बड़ी बेटी को भी ऐसा करना चाहिए.

आपको शायद ये बातें अजीब लगें लेकिन कुछ लोगों की सोच आज भी ऐसी ही है कि पुरुष तो दिन भर बाहर रहते हैं, ऑफिस जाते हैं, काम करते हैं, थके हारे घर आते हैं. दिन भर आराम से घर में रहती हैं घर की महिलाएं तो मुफ्त की रोटी तोड़ती हैं. गृहिणियां आखिर करती ही क्या हैं, उनके पास करने को तो कुछ होता नहीं है.

कुछ कहना है कि गोपी बहू मुझे रूला रही है. वह अगले कदम की तरफ बढ़ रही है...

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वैसे घर संभालना कोई छोटी बात नहीं होती है. यकीन न हो तो एक दिन महिलाओं की भूमिका निभा कर देखिए. घर की साफ-सफाई, रसोई, रिश्तेदारी, घरवालों का ख्याल रखना, पति का टिफिन, सास के पैरे दबाना, ससुर की दवाई, मेहमानों का स्वागत, घर का राशन, रोज की सब्जी, वीकेंड स्पेशल, बच्चों को पढ़ाना और यहां तक की चाय का इंतजाम भी घर की महिला ही करती हैं. इसके बाद घर खर्च में कटौती कर पैसे बचाने की जिम्मेदारी भी महिला के ऊपर भी होती है. यहां तक की सबकी टेंशन और दूध, अखबार का हिसाब भी वही रखती है.

सबसे प्यार से बात करना, किसी पर गुस्सा न करना, सबकी भावनाओं की कद्र करना, बच्चों को संभालना और पति के दोस्तों की पार्टी का भी ध्यान रखना, त्योहार को स्पेशल बनाना ...ये तो ऐसी बातें हैं जो दिखती हैं लेकिन ऐसी तमाम बातें ऐसी हैं जो कहकर या बताकर जाहिर नहीं की जा सकती हैं. अब तो महिलाएं भी काम करती हैं और पैसे भी कमाती हैं फिर भी उनके ऊपर घर की जिम्मेदारी होती है. उदाहरण के रूप में पति-पत्नी दोनों ऑफिस से लौटते हैं. पति टीवी का रिमोट लेकर सोफे पर बैठ जाता है और पत्नी किचन में चाय बनाने चली जाती है.

भले ही बदलते समय में पति-पत्नी बराबर हो गए हैं. पति कभी-कभी पत्नी की मदद भी कराते हैं और उन्हें जोरू का गुलाम समझा जाता. रोज काम करने की जिम्मेदारी तो पत्नी के ऊपर ही रहती है. चलो ऑफिस जाने वाली पत्नी के बारे में तो पति समझता है कि वो काम करती है लेकिन हाउसवाइफ से कभी न कभी यह पूछ ही लिया जाता है कि तुम करती क्या हो? मैं काम करता हूं, तुम्हारे खर्चे उठाता हूं, तुम्हारे लिए कपड़े, जूलरी खरीदता हूं, तुम मेकअप पर फालतू पैसे खर्च करती हो, तुम क्या जानो पैसा कमाना क्या होता है? तुम आराम से फोन पर घंटों बातें करो और टीवी देखो.

पहले वाली गोपी बहू-

इस सीरियल की कई क्लिप 2010 से 2017 मजाक के लिए वायरल हो गए हैं. जैसे गोपी बहू के लैपटॉप धोने और कोकिकाबेन जैसे नाटकीय रूप से "सब्जी नहीं पोहे बनेंगे". इसके बाद यशराज मुखाटे का मैश-अप गीत " रसोड़े में कौन था? पहली बार गोपी बहू का कोई बोल्ड रूप देखने को मिला है...

कोई भी काम मुफ्त में नहीं होता है इस बात के लिए लोग गोपी बहू को इस कदम के लिए नारीवादी रानी बता रहे हैं. एक मां की ड्यूटी तो कभी खत्म ही नहीं होती है. एक पत्नी अपना घर छोड़कर पति की दुनिया बसाती है, बहू पूरे घर की जिम्मेदारी उठाती है. बेटी ससुराल जाकर भी मायके को भूल नहीं पाती है, बहनें छोटे-भाई बहन की एक समय के बाद ही मां बन जाती हैं...आपको क्या लगता है कि एक मां और पत्नी की हर महीने कितनी पेमेंट होनी चाहिए?

अच्छी बात यह है कि देर ही सही फाइनली गोपिका बहू अपने लिए स्टैंड लेती दिख रही है. अपने परिवार को वो जो समय, प्यार और ऊर्जा वो देती है उसकी कीमत मांग रही है. असल में हमारे देश के टीवी सिरीयल्स में बहुओं को बेचारी और अत्याचार सहने वाली दिखाने का ट्रेंड आज भी वैसा ही है. घर की बहुएं इन सीरियल्स में खुद को देखती हैं. कुछ लोग भी यही उम्मीद वो हमेशा त्याग की मूर्ति बनीं रहें. तो फिर क्यों लोग ऐसा बोलते हैं कि तुम करती क्यी हो? कोई उनकी फीस भर पाएगा..?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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