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महिलाओं को चांद-तारे नहीं, सुकून-सम्मान का 1 घंटा ही चाहिए

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 07 मार्च, 2018 03:10 PM
  • 07 मार्च, 2018 03:10 PM
offline
एक सामान्य महिला, महिला दिवस पर पर बहुत कुछ नहीं...सुकून और सम्मान का सिर्फ 1 घंटा चाहती है. यकीन मानो, महिला दिवस के 24 घंटे में से केवल ये एक घंटा उसका महिला दिवस यादगार बना देगा.

साल का वो एक दिन जब महिलाओं को थोड़ा सा स्पेशल फील कराने की कोशिशें की जाती हैं, वो होता है महिला दिवस. खासकर कामकाजी और आधुनिक विचारधारा रखने वाली महिलाओं में तो ये चलन अब काफी बढ़ गया है.

खैर, सारी दुनिया तो इस दिन महिला सश्क्तिकरण, समानता और महिलाओं की दशा पर चिंतन करेगी, लेकिन मैं बात करना चाहुंगी एक सामान्य सी महिला की जो इन बड़े-बड़े शब्दों से थोड़ा दूर है, और महिला दिवस पर बहुत कुछ नहीं...सुकून और सम्मान का सिर्फ 1 घंटा चाहती है. जी हां, महिला दिवस के 24 घंटे में से केवल ये एक घंटा उसका महिला दिवस यादगार बना देगा.

सिर्फ एक घंटा..

तो मान लीजिए ये बातें और बस एक घंटा निकालकर अपने आस-पास रहने वाली महिलाओं को थोड़ा स्पेशल फील कराएं- 

- कम से कम एक घंटा उसका मोबाइल चेक मत करें.

- कम से कम एक घंटा उसके फेसबुक प्रोफाइल की ताकाझांकी न करें.

- कम से कम एक घंटा उसे वो करने दो जो वो करना चाहती है.

- कम से कम एक घंटा ये मत पूछो कि वो फोन पर किससे बात कर रही है.

- कम से कम एक घंटा महिलाओं के अंतर्वस्त्रों का रंग जानने का प्रयास ना करो.

- कम से कम एक घंटा उस सामान्य सी दिखने वाली कलीग को भी दो जितना उस खूबसूरत दिखने वाली कलीग को दिया करते हो.

- कम से कम एक घंटा बिना मां-बहन की गाली के बात करने की कोशिश करो. यकीन करो देशहित में दिया गया ये योगदान बेहद सराहनीय होगा.

- कम से कम एक घंटा किसी भी महिला या लड़की के लिए माल या आइटम जैसे अश्लील शब्दों का इस्तेमाल मत करो.

- कम से कम एक घंटा राह चलने वाली लड़की की रजिस्ट्री मत करो, कि ये तेरी वाली है या मेरी वाली.

- कम से कम एक घंटा अपनी पत्नी के हाथ के खाने की तारीफ कर दो (झूठी ही...

साल का वो एक दिन जब महिलाओं को थोड़ा सा स्पेशल फील कराने की कोशिशें की जाती हैं, वो होता है महिला दिवस. खासकर कामकाजी और आधुनिक विचारधारा रखने वाली महिलाओं में तो ये चलन अब काफी बढ़ गया है.

खैर, सारी दुनिया तो इस दिन महिला सश्क्तिकरण, समानता और महिलाओं की दशा पर चिंतन करेगी, लेकिन मैं बात करना चाहुंगी एक सामान्य सी महिला की जो इन बड़े-बड़े शब्दों से थोड़ा दूर है, और महिला दिवस पर बहुत कुछ नहीं...सुकून और सम्मान का सिर्फ 1 घंटा चाहती है. जी हां, महिला दिवस के 24 घंटे में से केवल ये एक घंटा उसका महिला दिवस यादगार बना देगा.

सिर्फ एक घंटा..

तो मान लीजिए ये बातें और बस एक घंटा निकालकर अपने आस-पास रहने वाली महिलाओं को थोड़ा स्पेशल फील कराएं- 

- कम से कम एक घंटा उसका मोबाइल चेक मत करें.

- कम से कम एक घंटा उसके फेसबुक प्रोफाइल की ताकाझांकी न करें.

- कम से कम एक घंटा उसे वो करने दो जो वो करना चाहती है.

- कम से कम एक घंटा ये मत पूछो कि वो फोन पर किससे बात कर रही है.

- कम से कम एक घंटा महिलाओं के अंतर्वस्त्रों का रंग जानने का प्रयास ना करो.

- कम से कम एक घंटा उस सामान्य सी दिखने वाली कलीग को भी दो जितना उस खूबसूरत दिखने वाली कलीग को दिया करते हो.

- कम से कम एक घंटा बिना मां-बहन की गाली के बात करने की कोशिश करो. यकीन करो देशहित में दिया गया ये योगदान बेहद सराहनीय होगा.

- कम से कम एक घंटा किसी भी महिला या लड़की के लिए माल या आइटम जैसे अश्लील शब्दों का इस्तेमाल मत करो.

- कम से कम एक घंटा राह चलने वाली लड़की की रजिस्ट्री मत करो, कि ये तेरी वाली है या मेरी वाली.

- कम से कम एक घंटा अपनी पत्नी के हाथ के खाने की तारीफ कर दो (झूठी ही सही).

खाने की तारीफ करने में जाता क्या है..

- कम से कम एक घंटा हो सके तो अपनी पत्नी पर एक निबंध लिखो जिसमें गालियां छोड़कर बाकी सब कुछ हो.

- कम से कम एक घंटा अपनी पत्नी को उतना सम्मान दो जितना चाहते हो कि आपकी बहन को जीवनभर मिले.

- कम से कम एक घंटा ऐसे पति बन जाओ जैसा आप अपनी बेटी और बहन के लिए चाहते हो.

- कम से कम एक घंटा बिना उनपर निर्भर रहे कुछ काम खुद कर के देखो.

- कम से कम एक घंटा उन्हें उनके मन माफिक कपड़े पहनने दो.

- कम से कम एक घंटा अपने जीवन की 3 समस्याओं के बारे में पत्नी के साथ चर्चा करो.

बात करके तो देखो...शायद हल निकल आए

- कम से कम एक घंटा खुले मन से अपनी बीवी और अपनी साली की तुलना करो, आपकी बीवी भी साली से कम नहीं है बल्कि बेहतर ही है. यकीन मानो तुम्हारे साथ कोई धोखा नहीं किया गया है.

- कम से कम एक घंटा अपनी पत्नी का रक्षक बनने के बजाय दोस्त बनकर देखो. पत्नी को बॉडीगार्ड की जरूरत नहीं है

- कम से कम एक घंटा अपनी पत्नी को वो दो जो आप भाभी जी को देते हो. पत्नी पड़ोसन से ज्यादा डिज़र्व करती है.

- कम से कम एक घंटा पत्नी को बच्चों के गवर्नेंस के बजाय एक मां समझो.

- कम से कम एक घंटा उन्हें डोमेस्टिक हेल्प न समझो.

- कम से कम एक घंटा अपने घरवालों के सामने अपनी पत्नी को नीचा मत दिखाओ.

- कम से कम एक घंटा उनसे ये पूछो कि तुम्हें स्वास्थ्य से संबंधित कोई परेशानी तो नहीं है.

प्यार से बात भी कर लोगो तो बहुत है..

- कम से कम एक घंटा उसकी पसंद और नापसंद जानने में खर्च कर दो. भले ही तुम उसपर अमल करो न करो, पर यकीन मानो उनके लिए तुम्हारा ये पूछना भी काफी है.

- कम से कम एक बार उससे ये कह दो कि आज बहुत थक गई होगी, थोड़ा आराम कर लो.

नोट- महिलाओं को ज्यादा हवा में उड़ने की जरूरत नहीं है. ये एक घंटा उनके जीवन में आ ही जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है. दिल पर हाथ रख कर देखिए आप खुद समझ जाएंगे.

ये भी पढ़ें-

हेतल से सीखो, कैसे दी जाती है मर्दों के दबदबे वाली दुनिया को चुनौती

क्यों ना इस महिला दिवस पुरुषों की बात हो ?

आखिर कैसा है हिंदुस्तान में महिलाओं के लिए हर एक घंटा


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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