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श्रद्धा जैसी लड़कियों को 'रानी लक्ष्मीबाई' का रूप धारण करना जरूरी है

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 19 नवम्बर, 2022 09:01 PM
  • 19 नवम्बर, 2022 09:01 PM
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अगर श्रद्धा को आफताब का असली चेहरा दिख गया था तो उसने झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का रूप क्यों नहीं धरा? उसने आफताब को सबक क्यों नहीं सिखाया? उसने आफताब के खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लिया? आज के समय में लड़कियों को अपने अंदर रानी लक्ष्मी बाई के गुण रखने चाहिए और किसी के झांसे में नहीं आना चाहिए.

श्रद्धा वॉकर (Shraddha Walker) के कितने टुकड़े हुए, उसके साथ कब क्या हुआ? इस बारे में हमें बताने की जरूरत नहीं, यह तो हम सभी को पता है. टीवी चैनलों पर हर पल इस केस से संबंधित अपडेट भी आ रहे हैं. श्रद्धा एक ऐसी लड़की थी जो अपने प्रेमी का अत्याचार सहते हुए भी उसके साथ थी. वह शो कॉल्ड प्यार के गिरफ्त में थी. शो कॉल्ड इसलिए क्योंकि श्रद्धा और आफताब अमीन पूनावाला (Aftab Amin Poonawalla) के बीच जो कुछ भी था वह प्यार तो नहीं था. प्यार तो सुकून और शांति देता है, प्यार में प्रेमी अपनी प्रेमिका के लिए भले ही जान दे दे मगर उसकी जान नहीं ले सकता.

अब बात यह है कि जब श्रद्धा को आफताब की हकीकत समझ आ गई फिर भी वह उसके साथ किस डर के कारण रह रही थी? कहते हैं कि लड़कियों को समझ आ जाता है कि किसके दिमाग में क्या चल रहा है, क्योंकि उनका सिक्स सेंस तेज होता है. रिपोर्ट्स के अनुसार, आफताब पहले भी श्रद्धा को मारता-पीटता रहता था. वह भी इस हद तक की उसके चेहरे पर चोट के निशान दिख रहे हैं. फिर ऐसी क्या वजह रही होगी कि श्रद्धा ने उसे छोड़ा नहीं?

लड़कियों को चाहिए कि वे रानी लक्ष्मी बाई की तरह साहसी बने

कहीं इसकी वजह उसका डर तो नहीं? समाज में बदनामी का डर, तिरस्कार का डर, अपमान का डर...अगर श्रद्धा को आफताब का असली चेहरा दिख गया था तो उसने झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का रूप क्यों नहीं धरा? उसने आफताब को सबक क्यों नहीं सिखाया? उसने आफताब के खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लिया?

हमारे हिसाब से आज के समय में लड़कियों को अपने अंदर रानी लक्ष्मी बाई के गुण रखने चाहिए और किसी के झांसे में नहीं आना चाहिए. श्रद्दा ने जानबूझकर अपने साथ गलत नहीं किया, इसमें उसकी कोई गलती नहीं है, उसे क्या पता था कि आफताब से उसे आगे चलकर धोखा मिलेगा. मगर कोई लड़की...

श्रद्धा वॉकर (Shraddha Walker) के कितने टुकड़े हुए, उसके साथ कब क्या हुआ? इस बारे में हमें बताने की जरूरत नहीं, यह तो हम सभी को पता है. टीवी चैनलों पर हर पल इस केस से संबंधित अपडेट भी आ रहे हैं. श्रद्धा एक ऐसी लड़की थी जो अपने प्रेमी का अत्याचार सहते हुए भी उसके साथ थी. वह शो कॉल्ड प्यार के गिरफ्त में थी. शो कॉल्ड इसलिए क्योंकि श्रद्धा और आफताब अमीन पूनावाला (Aftab Amin Poonawalla) के बीच जो कुछ भी था वह प्यार तो नहीं था. प्यार तो सुकून और शांति देता है, प्यार में प्रेमी अपनी प्रेमिका के लिए भले ही जान दे दे मगर उसकी जान नहीं ले सकता.

अब बात यह है कि जब श्रद्धा को आफताब की हकीकत समझ आ गई फिर भी वह उसके साथ किस डर के कारण रह रही थी? कहते हैं कि लड़कियों को समझ आ जाता है कि किसके दिमाग में क्या चल रहा है, क्योंकि उनका सिक्स सेंस तेज होता है. रिपोर्ट्स के अनुसार, आफताब पहले भी श्रद्धा को मारता-पीटता रहता था. वह भी इस हद तक की उसके चेहरे पर चोट के निशान दिख रहे हैं. फिर ऐसी क्या वजह रही होगी कि श्रद्धा ने उसे छोड़ा नहीं?

लड़कियों को चाहिए कि वे रानी लक्ष्मी बाई की तरह साहसी बने

कहीं इसकी वजह उसका डर तो नहीं? समाज में बदनामी का डर, तिरस्कार का डर, अपमान का डर...अगर श्रद्धा को आफताब का असली चेहरा दिख गया था तो उसने झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का रूप क्यों नहीं धरा? उसने आफताब को सबक क्यों नहीं सिखाया? उसने आफताब के खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लिया?

हमारे हिसाब से आज के समय में लड़कियों को अपने अंदर रानी लक्ष्मी बाई के गुण रखने चाहिए और किसी के झांसे में नहीं आना चाहिए. श्रद्दा ने जानबूझकर अपने साथ गलत नहीं किया, इसमें उसकी कोई गलती नहीं है, उसे क्या पता था कि आफताब से उसे आगे चलकर धोखा मिलेगा. मगर कोई लड़की गलती कर भी दे तो भी उसे अपने लिए लड़ना चाहिए, उसे किसी आफताब का शिकार नहीं होना चाहिए. उसे अपने लिए लड़ाई जारी रखनी चाहिए. लड़कियों को लड़ाकू बन जाना चाहिए भले इसके बदले जमाना उसे ताने कसे, कम से कम वो जिंदा तो रहेगी. 

असल में होता यह है कि घर से भाग जाने वाली लड़कियों को, अपने मन से लव मैरिज करने वाली लड़कियों को घरवाले यह कहकर अकेला छोड़ देते हैं कि अपने मन का किया है तो अब भुगतो. श्रद्धा को भी शायद इसी बात का डर था कि उसे यह समाज अपनाएगा नहीं. लोग क्या कहेंगे, मां-बाप से कैसे नजरें मिलाएगी. वह तो सिर्फ आफताब के सुधर जाने का इंतजार करती रही. मगर ऐसा न हुआ और वह दलदल में धंसती चली गई.

बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी...

लड़कियों को चाहिए कि वे रानी लक्ष्मी बाई (Rani Lakshmi Bai) की तरह साहसी बने

लड़कियों को चाहिए कि वे रानी लक्ष्मी बाई की तरह हुनर सीखें

लड़कियों को चाहिए कि वे रानी लक्ष्मी बाई की तरह लड़ना सीखें

लड़कियों को चाहिए कि वे रानी लक्ष्मी बाई की तरह सच्चाई को अपनाना सीखें

लड़कियों को चाहिए कि वे रानी लक्ष्मी बाई की तरह कभी हार ना माने

लड़कियों को चाहिए कि वे रानी लक्ष्मी बाई की तरह ताकतवर बने

लड़कियों को चाहिए कि वे रानी लक्ष्मी बाई की तरह अपने हक के लिए लड़ें

लड़कियों को चाहिए कि रानी लक्ष्मी बाई की तरह ना कहना सीखें

आखिरी सांस तक भी रानी लक्ष्मी बाई ने ब्रिटिश साम्राज्य की सेना के समाने घुटने नहीं टेके और अकेले रणभूमि में लड़ती रहीं. श्रद्दा जैसी लड़कियों को भी अपनी जिंदगी की लड़ाई अकेले ही लड़नी चाहिए. चाहें कोई आपका साथ दे या ना दे, आपको खुद पर भरोसा होना चाहिए और आफताब जैसे शैतान को सबक सिखाना चाहिए. ये परवाह छोड़ दीजिए कि समाज क्या कहेगा क्योंकि आपके साथ जो हो रहा है उसके बारे में सिर्फ आपको पता है, दुनिया बाहर से जज करके निकल जाएगी मगर जब आप आपनी जंग जीत जाएंगी तो वही दुनिया आपको सलाम करेगी...

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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