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इस दोस्ती को क्या नाम दें? 25 साल से पहन रहे एक जैसे कपड़े

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 16 जुलाई, 2021 08:33 PM
  • 16 जुलाई, 2021 08:33 PM
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हमेशा एक दोस्त को पता होता है कि दूसरा कहां है. एक को अकेला देखने की लोगों की आदत नहीं है. इनकी यारी ऐसे है कि साए की तरह एक-दूसरे के साथ रहने के लिए दोनों एक-दूसरे के पड़ोसी बन गए. दोनों पिछले 40 साल से दोस्त हैं. इनका नाम रवींद्रन पिल्लई और उदयकुमार हैं.

आज के जमाने में दोस्ती की ऐसी मिसाल देखना शायद आपके लिए आश्चर्य की बात लगे. यह सच है कि केरल के इन दोनों दोस्तों की जान एक-दूसरे में बसती है. दोनों पिछले 40 साल से दोस्त हैं. दोस्ती की ये जोड़ी केरल के अलाप्पुझा जिले में रहती है. इनका नाम रवींद्रन पिल्लई और उदयकुमार हैं. जिनकी दोस्ती दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत है.

शर्ट और पैंट सिलने के लिए एक जैसी चीजों का करते हैं प्रयोग

ये दोनों बस साथ में चाय नहीं पीते बल्कि एक ही दुकान और एक ही थान से कपड़े भी सिलवाते हैं. लोग तो अब इनके कपड़ों की वजह से दूर से ही पहचान जाते हैं. लोग इनकी दोस्ती की दाद देते हुए कहते हैं कि वो देखो 'दोस्ती' जा रही है.

हमेशा एक दोस्त को पता होता है कि दूसरा कहां है. एक को अकेला देखने की लोगों की आदत नहीं है. इनकी यारी ऐसे है कि साए की तरह एक-दूसरे के साथ रहने के लिए दोनों एक-दूसरे के पड़ोसी बन गए.

2003 से पहले उदयकुमार, रवींद्रन के घर से एक किलोमीटर की दूरी पर रहते थे लेकिन उन्होंने रवींद्रन के घर के पास ही प्लॉट खरीदकर अपना घर बना लिया. यहां उदयकुमार अपनी पत्नी और बेटी के साथ रहते हैं और रवींद्रन अपनी पत्नी और बेटे के साथ. दोनों परिवारों के बीच भी गहरा प्यार है.

इनके बीच इतना स्नेह है जितना भाई-भाई के बीच में भी नहीं होता. ‘द न्यूज मिनट’ की रिपोर्ट के अनुसार, इनकी मुलाकात 1982 में हुई. जब रवींद्रन के दोस्त तिलकन ने दोनों को मिलवाया. असल में, तिलकन उदयकुमार के बड़े भाई और स्कूल में रवींद्रन के सहपाठी थे.

रवींद्रन ने कहा, ‘हम सिर्फ एक रंग के कपड़े नहीं पहनते बल्कि हमारी शर्ट-पैंट का मटैरियल भी समान ही होता है. हमने एक जैसे कपड़े पहनने की शुरुआत 25 साल पहले की थी.’

इनकी दोस्ती को देखते हुए...

आज के जमाने में दोस्ती की ऐसी मिसाल देखना शायद आपके लिए आश्चर्य की बात लगे. यह सच है कि केरल के इन दोनों दोस्तों की जान एक-दूसरे में बसती है. दोनों पिछले 40 साल से दोस्त हैं. दोस्ती की ये जोड़ी केरल के अलाप्पुझा जिले में रहती है. इनका नाम रवींद्रन पिल्लई और उदयकुमार हैं. जिनकी दोस्ती दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत है.

शर्ट और पैंट सिलने के लिए एक जैसी चीजों का करते हैं प्रयोग

ये दोनों बस साथ में चाय नहीं पीते बल्कि एक ही दुकान और एक ही थान से कपड़े भी सिलवाते हैं. लोग तो अब इनके कपड़ों की वजह से दूर से ही पहचान जाते हैं. लोग इनकी दोस्ती की दाद देते हुए कहते हैं कि वो देखो 'दोस्ती' जा रही है.

हमेशा एक दोस्त को पता होता है कि दूसरा कहां है. एक को अकेला देखने की लोगों की आदत नहीं है. इनकी यारी ऐसे है कि साए की तरह एक-दूसरे के साथ रहने के लिए दोनों एक-दूसरे के पड़ोसी बन गए.

2003 से पहले उदयकुमार, रवींद्रन के घर से एक किलोमीटर की दूरी पर रहते थे लेकिन उन्होंने रवींद्रन के घर के पास ही प्लॉट खरीदकर अपना घर बना लिया. यहां उदयकुमार अपनी पत्नी और बेटी के साथ रहते हैं और रवींद्रन अपनी पत्नी और बेटे के साथ. दोनों परिवारों के बीच भी गहरा प्यार है.

इनके बीच इतना स्नेह है जितना भाई-भाई के बीच में भी नहीं होता. ‘द न्यूज मिनट’ की रिपोर्ट के अनुसार, इनकी मुलाकात 1982 में हुई. जब रवींद्रन के दोस्त तिलकन ने दोनों को मिलवाया. असल में, तिलकन उदयकुमार के बड़े भाई और स्कूल में रवींद्रन के सहपाठी थे.

रवींद्रन ने कहा, ‘हम सिर्फ एक रंग के कपड़े नहीं पहनते बल्कि हमारी शर्ट-पैंट का मटैरियल भी समान ही होता है. हमने एक जैसे कपड़े पहनने की शुरुआत 25 साल पहले की थी.’

इनकी दोस्ती को देखते हुए लोगों ने इन्हें कार्टून कैरेक्टर्स का नाम दे दिया. दोनों के रिश्ते को देखकर वहां के लोगों ने उन्हें Pachu और Kovalan नाम दे दिया था. जो दिवंगत पीके मंथरी के प्रसिद्ध कार्टून चरित्र हैं.

रवींद्रन ने बताया कि ‘मुलाकात के 6 साल बाद, 1988 में हम बिजनेस पार्टनर बन गए. हमने अपने सहायकों को एक साथ जोड़कर PK नाम से टेलर्स की एक दुकान खोली. आप हमारे PK सुनकर असमंजस में मत पड़िए क्योंकि इस दुकान के नाम में इस्तेमाल P या K से हमारे असली नाम का कोई लेना-देना नहीं है.

हसंते हुए रवींद्रन कहते हैं कि, ‘हम दोनों में एक लंबा है और दूसरा थोड़ा छोटा, इसलिए हमें एक से कपड़े में देखकर लोगों ने मजाक-मजाक में Pachu और Kovalan बुलाना शुरू कर दिया. हमें सुनकर अच्छा लगा और उदयकुमार के सुझाव के बाद हमने अपनी दुकान का नाम PK रख दिया.

दोनों दोस्त एक परिवार की तरह मिल जुलकर रहते हैं. आज के दौर में जहां भाई-भाई अलग हो जाते हैं वहीं ये एक-दूसरे का साथ हमेशा खड़े रहते हैं. सच में दिल का रिश्ता हर रिश्ते से बड़ा होता है. जरूरी नहीं है कि खून का रिश्ता ही अपना होता है. इनके बीच की दोस्ती को देखकर यह कह पाना मुश्किल है कि कौन अपना होता है और कौन पराया.

दोनों परिवारों में इतनी गहरी मित्रता है कि इनके घरवाले भी शुरुआत में एक जैसे कपड़े पहनते थे, लेकिन बाद में महिलाओं के एक जैसे कपड़े मिलने में दिक्कत होने लगी. हालांकि दोनों दोस्तों ने यह रीत नहीं छोड़ी. आज भी इनकी दोस्ती वैसी है जैसे 40 साल पहले.

इनकी दोस्ती में हर जीच की पार्टनरशिप है और एक-दूसरे का सम्मान भी, तभी तो पैंट कौन सी पहनी जाएगी ये फैसला उदयकुमार लेते हैं और शर्ट चुनने का अधिकार रवींद्रन के पास है. इनके पास पीला छोड़कर हर रंग के कपड़े हैं. इनकी कहानी फ्रेंडशिप वाले दिन पूरू दुनिया के सामने आई थी, इसके पहले सभी को यही पता था कि इनके नाम Pachu और Kovalan हैं.

दोस्ती से बड़ी कोई दौलत नहीं देखी, आज इन दोनों को देखकर लगा कि सबके एक ही सही ऐसा दोस्त तो होना ही चाहिए. जो दिल से अपना माने...वरना सोशल मीडिया के जमाने में कहने को तो हजारों दोस्त हैं लेकिन असलियत क्या है आपको भी पता है.

अगर आपके पास कोई एक भी ऐसा दोस्त है तो यकीन मानिए आप दुनिया के सबसे खुदकिस्मत इंसान हैं. हो सकता है कि कोई आपका भी ऐसा दोस्त हो जो कभी-कभी ही सहा आपके जैसे कपड़े पहनता हो. आज लोग इनकी कहानी रेडियो पर सुन रहे हैं.

उदयकुमार और रविंद्रन पिल्लई की दशकों पुरानी दोस्ती पर हमें नाज है. शायद यह गाना इन्हीं के लिए बना था, ‘तेरे जैसे यार कहां, कहां ऐसा याराना, याद करेगी दुनियां, तेरा-मेरा अफसाना…

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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