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एक मां के लिए अब गुरमेहर पर रहम खाओ, प्लीज

    • सीमा गुप्ता
    • Updated: 02 मार्च, 2017 05:49 PM
  • 02 मार्च, 2017 05:49 PM
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याद रखिए मां किसी की भी हो अपने बच्चे के लिए जान देती है. उन्हें दुनियादारी से कोई मतलब नहीं होता. उन्हें दिमाग से मतलब नहीं होता. मांए दिल से सोचती हैं.

हर मां की तरह गुरमेहर की मां भी अपनी बेटी के लिए चिंतित रहती हैं. गुरमेहर कौर का नाम आज हर किसी की जुबान पर चढ़ा हुआ है. शायद कोई ऐसा घर नहीं होगा जहां इसके नाम की चर्चा नहीं हो रही होगी. गुरमेहर की मां रजवंत कौर बेटी के इस चर्चे से परेशान हैं. गुरमेहर को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा है, लोग उसे रेप की धमकियां दे रहे हैं. यही नहीं 20 साल की इस लड़की को सिर्फ अपने दिल की बात बोलने की वजह से आज जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं.

इस सारे घटनाक्रम ने गुरमेहर की मां के रातों की नींद उड़ा दी है. जब मैंने उनसे फोन पर बात की तो लगा शायद वो अनजाने नंबरों के कॉल भी उठाने में डरती हैं. गुरमेहर को दिल्ली छोड़ पंजाब वापस चली गई है. इस ट्रोल वाली भीड़ से दूर, घर में प्रियजनों के सुरक्षित हाथों में. रजवंत कौर को अपनी बेटी के सेहत की चिंता है. दिल्ली में गुरमोहर का खाना-पीना तक मुहाल हो गया था. उसने अपने मौलिक अधिकार का उपयोग किया और जान के लाले पड़ गए. अब वो सही थी या गलत मैंने अपना पक्ष उससे बात करते समय रखना जरुरी नहीं समझा.

पिता की तरह बेटी भी बहादुर हैमुझे गुरमेहर से ज्यादा उसकी मां रजवंत कौर का पक्ष जानने में इंटरेस्ट था. एक मां होने के नाते क्या उन्हें डर लग रहा था या फिर उन्हें कोई खास फर्क नहीं पड़ रहा था. रजवंत कौर ने अपने पति की मौत के बाद जीवन के बीस साल अपनी दोनों बेटियों के सहारे ही गुजारे थे. सिंगल मदर होने के कारण अपनी बेटी के लिए वो थोड़ी ज्यादा प्रोटेक्टिव हैं. जैसे ही गुरमेहर ने एबीवीपी के खिलाफ होने वाले प्रदर्शन से अपना नाम वापस लिया, मां ने बेटी को वापस बुला लिया. एक साधारण मां की तरह वो चाहती हैं कि मामला ठंडा होने तक गुरमेहर घर पर ही रहे.

रजवंत कहती हैं- 'गुरमेहर हमेशा से ही एक बहादुर और पॉजिटिव एनर्जी से...

हर मां की तरह गुरमेहर की मां भी अपनी बेटी के लिए चिंतित रहती हैं. गुरमेहर कौर का नाम आज हर किसी की जुबान पर चढ़ा हुआ है. शायद कोई ऐसा घर नहीं होगा जहां इसके नाम की चर्चा नहीं हो रही होगी. गुरमेहर की मां रजवंत कौर बेटी के इस चर्चे से परेशान हैं. गुरमेहर को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा है, लोग उसे रेप की धमकियां दे रहे हैं. यही नहीं 20 साल की इस लड़की को सिर्फ अपने दिल की बात बोलने की वजह से आज जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं.

इस सारे घटनाक्रम ने गुरमेहर की मां के रातों की नींद उड़ा दी है. जब मैंने उनसे फोन पर बात की तो लगा शायद वो अनजाने नंबरों के कॉल भी उठाने में डरती हैं. गुरमेहर को दिल्ली छोड़ पंजाब वापस चली गई है. इस ट्रोल वाली भीड़ से दूर, घर में प्रियजनों के सुरक्षित हाथों में. रजवंत कौर को अपनी बेटी के सेहत की चिंता है. दिल्ली में गुरमोहर का खाना-पीना तक मुहाल हो गया था. उसने अपने मौलिक अधिकार का उपयोग किया और जान के लाले पड़ गए. अब वो सही थी या गलत मैंने अपना पक्ष उससे बात करते समय रखना जरुरी नहीं समझा.

पिता की तरह बेटी भी बहादुर हैमुझे गुरमेहर से ज्यादा उसकी मां रजवंत कौर का पक्ष जानने में इंटरेस्ट था. एक मां होने के नाते क्या उन्हें डर लग रहा था या फिर उन्हें कोई खास फर्क नहीं पड़ रहा था. रजवंत कौर ने अपने पति की मौत के बाद जीवन के बीस साल अपनी दोनों बेटियों के सहारे ही गुजारे थे. सिंगल मदर होने के कारण अपनी बेटी के लिए वो थोड़ी ज्यादा प्रोटेक्टिव हैं. जैसे ही गुरमेहर ने एबीवीपी के खिलाफ होने वाले प्रदर्शन से अपना नाम वापस लिया, मां ने बेटी को वापस बुला लिया. एक साधारण मां की तरह वो चाहती हैं कि मामला ठंडा होने तक गुरमेहर घर पर ही रहे.

रजवंत कहती हैं- 'गुरमेहर हमेशा से ही एक बहादुर और पॉजिटिव एनर्जी से भरपूर लड़की रही है. 21 साल पहले दिल्ली के ही गुरुद्वारा बंग्ला साहिब में कितनी मिन्नतों के बाद गुरमेहर का जन्म हुआ था. उसे बहादुर तो होना ही है. उसके पिता की मौत के बाद जिंदगी को पटरी पर आने में थोड़ा टाइम लगा.'

रजवंत बताती हैं कि- इस पूरे दौर में वो 'सुखमनी साहिबजी पाठ' करती रहीं. 'सुखमनी साहिबजी पाठ'  गुरू ग्रंथ साहिब का भजन का एक हिस्सा है. सुखमनी शब्द का मतलब है सुख और शांति का खजाना. सुखान दी मनी का मतलब है खुशियां. चारो तरफ सिर्फ और सिर्फ खुशियां. अपने बच्चे से भी राजवंत सिर्फ खुशियां ही चाहती थीं. और जब इतनी मिन्नतों और प्रार्थनाओं के बाद गुरमेहर का जन्म हुआ तो उसके पिता और राजवंत के भाइयों ने उसे गुरमेहर ही बुलाना शुरु कर दिया. गुरमेहर के नाम का मतलब है गुरु का आर्शिवाद. गुरमेहर के जन्म के साथ शांति की स्थापना हुई थी. फोन पर राजवंत का अपनी बेटी के लिए गर्व पूरे समय उनकी बातों से झलक रहा था. वो सिर्फ यही कहती रहीं कि गुरमेहर हमेशा शांति और सौहार्द की बात करती है.

प्यारी और बहादुर लड़की है गुरमेहररजवंत ये भी बताती हैं कि- दिल्ली का चांदनी चौक सिखों के शहादत की धरती है इसलिए गुरमेहर को चो दिल्ली में ही पढ़ाना था. आखिर उनकी बहादुर बेटी के लिए दिल्ली से मुफीद जगह कोई और कैसे हो सकती थी. रजवंत कहती हैं कि गुरमेहर हमेशा से शांतिप्रिय लड़की रही है. यहां तक की अगर घर में भी कोई ऊंची आवाज़ में गलत बात करते हैं तो वो उन्हें चुप करा देती है. हालांकि ये सब बोलते समय भी रजवंत थोड़ा सा संभल रहीं थी. अभी-अभी एक कांड से निकली हैं कहीं उनकी किसी बात को पकड़ के लोग कोई और बवाल ना खड़ा कर दें.

पूरी बातचीत में रजवंत इसी बात को लेकर सावधान थी कि उनकी बेटी को किसी पचड़े में ना फंसा दिया जाए. उसने सिर्फ अपने मन की बात कही थी जिसका सम्मान होना चाहिए. उसे भी पूरा हक़ है अपनी बात रखने का. गुरमेहर ने सिर्फ वही किया था. एक तरह से वो सिर्फ अपनी बेटी को बचाना चाह रही थी और सारी दिक्कतों से उसे दूर रखना चाह रही थी.

आप गुरमेहर को उसकी बातों के लिए प्यार करें या नफरत. लेकिन एक बात के लिए हम सभी को सहमत होना होगा कि गुरमेहर की रक्षा करने की जिम्मेदारी हम सभी की है. उसे उसकी बात कहने का हक है. याद रखिए मां किसी की भी हो अपने बच्चे के लिए जान देती है. उन्हें दुनियादारी से कोई मतलब नहीं होता. उन्हें दिमाग से मतलब नहीं होता. मांए दिल से सोचती हैं. और कुछ नहीं तो गुरमेहर की मां के लिए अब उस लड़की को बख्श दीजिए. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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