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कैंपेन से अलग होने का बाद भी सोशल मीडिया ने नहीं छोड़ा गुरमेहर को

    • आईचौक
    • Updated: 28 फरवरी, 2017 05:45 PM
  • 28 फरवरी, 2017 05:45 PM
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गुरमेहर कौन ने खुद को सोशल मीडिया अभियान से अलग कर लिया, दिल्ली भी छोड़ दी, कि शायद अब लोग उसका पीछा छोड़ेंगें. पर सोशल मीडिया इतनी आसानी के किसी का पीछ नहीं छोड़ता.

दिल्ली युनिवर्सिटी की छात्र गुरमेहर कौर, जो abvp के खिलाफ सोशल मीडिया कैंपेन चला रही थीं, उन्होंने अब खुद को इस अभियान से अलग कर लिया है. फेसबुक पर इस बात की जानकारी देते हुए गुरमेहर का कहना है कि 'सभी को बधाई. मुझे जो कहना था मैं कह चुकी हूं. मैं बहुत कुछ सह चुकी हूं. यह कैम्पेन कभी मेरे बारे में नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के बारे में था. मार्च में बड़ी संख्या में जाएं. सभी को शुभकामनाएं. मेरी बहादुरी और हिम्मत पर सवाल उठाने वालों से कहना चाहती हूं कि मैं काफी बहादुरी दिखा चुकी हूं. एक बात तो है कि, किसी को भी धमकाने या हिंसा का रास्ता अपनाने से पहले अब हम कम से कम दो बार जरूर सोचेंगे. मेरी गुजारिश है कि मुझे अकेला छोड़ दिया जाए.'

हां, वैसे होना तो यही चाहिए कि अब लोगों को अपनी एनर्जी गुरमेहर को कोसने के बजाए किसी और काम पर लगानी चाहिए. पिछले दिनों अगर सोशल मीडिया पर कुछ हुआ तो वो था सिर्फ गुरमेहर की आलोचना करना, चाहे वो देश के आम लोग हों, राजनीतिज्ञ हों, खिलाड़ी हों या फिल्म स्टार, देशभक्ति दिखाने में कोई नहीं चूका. 20 साल की इस लड़की ने जो कुछ भी किया उसपर इसने काफी कुछ सुन लिया है, देशद्रोही करार दी गई, बलात्कार की धमकी भी दी गई.

इसके बाद एक और बात के लिए उन्हें झूठा बताया गया वो ये कि उन्होंने अपने पिता को कारगिल युद्ध का शहीद बताया था जबकि हकीकत ये थी कि उनके पिता की मौत आतंकी हमले में हुई थी. अब साथ देनेवाले बहुत कम, लेकिन खिलाफ बहुत ज्यादा थे. लिहाजा गुरमेहर ने खुद को इस अभियान से अलग कर लिया, दिल्ली भी छोड़ दी, कि शायद अब लोग उसका पीछा छोड़ेंगें. पर सोशल मीडिया इतनी आसानी के किसी का पीछ नहीं छोड़ता. कैंपेन से अलग होने के बाद भी सोशल मीडिया पर गुरमेहर को इस तरह से सुनना पड़ रहा है-

दिल्ली युनिवर्सिटी की छात्र गुरमेहर कौर, जो abvp के खिलाफ सोशल मीडिया कैंपेन चला रही थीं, उन्होंने अब खुद को इस अभियान से अलग कर लिया है. फेसबुक पर इस बात की जानकारी देते हुए गुरमेहर का कहना है कि 'सभी को बधाई. मुझे जो कहना था मैं कह चुकी हूं. मैं बहुत कुछ सह चुकी हूं. यह कैम्पेन कभी मेरे बारे में नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के बारे में था. मार्च में बड़ी संख्या में जाएं. सभी को शुभकामनाएं. मेरी बहादुरी और हिम्मत पर सवाल उठाने वालों से कहना चाहती हूं कि मैं काफी बहादुरी दिखा चुकी हूं. एक बात तो है कि, किसी को भी धमकाने या हिंसा का रास्ता अपनाने से पहले अब हम कम से कम दो बार जरूर सोचेंगे. मेरी गुजारिश है कि मुझे अकेला छोड़ दिया जाए.'

हां, वैसे होना तो यही चाहिए कि अब लोगों को अपनी एनर्जी गुरमेहर को कोसने के बजाए किसी और काम पर लगानी चाहिए. पिछले दिनों अगर सोशल मीडिया पर कुछ हुआ तो वो था सिर्फ गुरमेहर की आलोचना करना, चाहे वो देश के आम लोग हों, राजनीतिज्ञ हों, खिलाड़ी हों या फिल्म स्टार, देशभक्ति दिखाने में कोई नहीं चूका. 20 साल की इस लड़की ने जो कुछ भी किया उसपर इसने काफी कुछ सुन लिया है, देशद्रोही करार दी गई, बलात्कार की धमकी भी दी गई.

इसके बाद एक और बात के लिए उन्हें झूठा बताया गया वो ये कि उन्होंने अपने पिता को कारगिल युद्ध का शहीद बताया था जबकि हकीकत ये थी कि उनके पिता की मौत आतंकी हमले में हुई थी. अब साथ देनेवाले बहुत कम, लेकिन खिलाफ बहुत ज्यादा थे. लिहाजा गुरमेहर ने खुद को इस अभियान से अलग कर लिया, दिल्ली भी छोड़ दी, कि शायद अब लोग उसका पीछा छोड़ेंगें. पर सोशल मीडिया इतनी आसानी के किसी का पीछ नहीं छोड़ता. कैंपेन से अलग होने के बाद भी सोशल मीडिया पर गुरमेहर को इस तरह से सुनना पड़ रहा है-

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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