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मेट्रो में जरुर ही मिलती हैं ये पांच प्रकार की महिलाएं

    • प्राप्ति एलिजाबेथ
    • Updated: 12 अगस्त, 2017 02:48 PM
  • 12 अगस्त, 2017 02:48 PM
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सफर के दौरान मेट्रो के डिब्बे में हम कई तरह की औरतों से टकराते हैं या फिर उन पर ध्यान जाता है. मेट्रो में सफर करने वाली महिलाओं की कुछ अलग-अलग कैटेगरी है जो लोगों के साथ बदलती रहती है लेकिन असलियत वही रहती है.

महिलाओं के लिए किसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने पहाड़ चढ़ने से कम मुसीबतों वाला नहीं होता. ऐसे में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में अगर कोई जगह इनके लिए सबसे सुरक्षित है तो वो दिल्ली मेट्रो का महिला कोच है. यही एक ऐसी जगह है जहां हमारे शॉर्ट स्कर्ट पहनने पर हमें कोई घूरकर नहीं देखता. ब्रा दिखने पर या फिर झुकने के पहले इस बात का ख्याल रखना कि कहीं कोई हमारी टी-शर्ट में झांक तो नहीं रहा, जैसी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता. इस लिहाज से दिल्ली मेट्रो भारत में यातायात का मौजूद सबसे सुरक्षित और बेस्ट साधन है.

सफर के दौरान मेट्रो के डिब्बे में हम कई तरह की औरतों से टकराते हैं या फिर उन पर ध्यान जाता है. मेट्रो में सफर करने वाली महिलाओं की कुछ अलग-अलग कैटेगरी है जो लोगों के साथ बदलती रहती है लेकिन असलियत वही रहती है.

मेट्रो में मिलने वाली महिलाएं

तो आइए देखते हैं मेट्रो में सफर के दौरान कैसी महिलाओं से सामना होता है-

1- वो औरतें जिन्हें मेट्रो में हो रही घोषणाओं से कोई मतलब नहीं होता-

कम से कम एक बार तो ये काम हम सभी ने किया होगा. लेकिन वो हमेशा फर्श पर बैठती हैं. मेट्रो के अंदर खाती हैं. और फोटो क्लिक करती हैं. यहां तक ​की अगर मेट्रो स्टॉप पर मेट्रो के अधिकारी उन्हें रोकते हैं तो भी वो ये काम करने में परहेज नहीं करतीं. अगर आपके ऑफिस की टाइम एक साथ पड़ती है तो अक्सर उनसे आप टकरा जाएंगी और देखेंगी की उनके ऊपर किसी बात का कोई फर्क नहीं पड़ता. क्योंकि वो mah life mah rules में विश्वास जो करती हैं.

2- वो...

महिलाओं के लिए किसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने पहाड़ चढ़ने से कम मुसीबतों वाला नहीं होता. ऐसे में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में अगर कोई जगह इनके लिए सबसे सुरक्षित है तो वो दिल्ली मेट्रो का महिला कोच है. यही एक ऐसी जगह है जहां हमारे शॉर्ट स्कर्ट पहनने पर हमें कोई घूरकर नहीं देखता. ब्रा दिखने पर या फिर झुकने के पहले इस बात का ख्याल रखना कि कहीं कोई हमारी टी-शर्ट में झांक तो नहीं रहा, जैसी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता. इस लिहाज से दिल्ली मेट्रो भारत में यातायात का मौजूद सबसे सुरक्षित और बेस्ट साधन है.

सफर के दौरान मेट्रो के डिब्बे में हम कई तरह की औरतों से टकराते हैं या फिर उन पर ध्यान जाता है. मेट्रो में सफर करने वाली महिलाओं की कुछ अलग-अलग कैटेगरी है जो लोगों के साथ बदलती रहती है लेकिन असलियत वही रहती है.

मेट्रो में मिलने वाली महिलाएं

तो आइए देखते हैं मेट्रो में सफर के दौरान कैसी महिलाओं से सामना होता है-

1- वो औरतें जिन्हें मेट्रो में हो रही घोषणाओं से कोई मतलब नहीं होता-

कम से कम एक बार तो ये काम हम सभी ने किया होगा. लेकिन वो हमेशा फर्श पर बैठती हैं. मेट्रो के अंदर खाती हैं. और फोटो क्लिक करती हैं. यहां तक ​की अगर मेट्रो स्टॉप पर मेट्रो के अधिकारी उन्हें रोकते हैं तो भी वो ये काम करने में परहेज नहीं करतीं. अगर आपके ऑफिस की टाइम एक साथ पड़ती है तो अक्सर उनसे आप टकरा जाएंगी और देखेंगी की उनके ऊपर किसी बात का कोई फर्क नहीं पड़ता. क्योंकि वो mah life mah rules में विश्वास जो करती हैं.

2- वो महिलाएं जिनके कपड़े कभी खराब नहीं होते

आखिर वो ऐसा कैसे करती हैं? चाहे मेट्रो में कितनी भी भीड़ हो वो अपना रास्ता बना ही लेती हैं. यहां तक की जिस भीड़ में सांस भी लेना मुश्किल होता है, लोग धक्के देकर आपको अपनी जगह से हिला देते हैं, वहां भी ये आसानी से अपना रास्ता बना लेती हैं. यही नहीं इस दौरान ना तो उनके कपड़े पर एक इंच की भी शिकन आती है और ना ही उनके माथे पर. ऐसी लड़कियां विरले ही देखने को मिलती हैं.

3- वे औरतें जिन्हें हमेशा जगह मिल जाती है या फिर हमेशा ही ये अपने लिए जगह बना लेती हैं-

ये वो महिलाएं होती हैं जो लोगों से ठसाठस भरी हुई सीट पर भी अपने लिए एक इंच की जगर की गुजारिश करती हैं. उसके बाद थोड़ी जगह मिलते ही ऐसे बर्ताव करती हैं जैसे की दुनिया में कोई दिक्कत ही नहीं है. एक इंच जगह पर टिककर बैठने से तो कहीं अच्छा होता है कि पूरा सफर खड़े होकर ही तय कर लिया जाए.

4- धार्मिक महिलाएं जो हमेशा अपनी माला पर हाथ फेरती रहती हैं-

ऐसी औरतें कुछ भी पढ़ती रहती हैं फिर चाहे वो हनुमान चालीसा हो या फिर किसी पवित्र माला में उंगलियां फेरते हुए कोई और श्लोक दोहराती रहती हों. ये देखना और भी मजेदार होता है कि कैसे वो हर महिला को आते-जाते घूरती रहती हैं. साथ ही किस लड़की या महिला ने क्या पहना है इसका भी पूरा ब्योरा रखना उनका फेवरेट काम होता है. उन्हें अपने बगल में बैठे लोगों के फोन में घूर कर देखना भी बहुत अच्छा लगता है. कण-कण में है भगवान और शायद भगवान उनकी ही जरिए अपना काम करने की कोशिश करते हैं. ऐसा मेरा मानना है.

5- वो लोग जो अपनी किताब के ऊपर कभी कुछ नहीं देखती-

ये वो लोग होते हैं जिन्हें तबतक कोई फर्क नहीं पड़ता जब तक की कोई उन्हें धक्का न मार जाए. ऐसे लोगों को आप सीट पर बैठे हुए, मेट्रो में फर्श पर बैठे हुए या मेट्रो पर किसी एक पोल से टिककर खड़े हुए देख सकते हैं. लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिनके पास उनकी गोद में एक किताब खुली हुई देखेंगे, हाथ में एक फोन होगा, और इधर-उधर भटकती आंखें, जो हर किसी के बारे में अपनी राय बनाने के लिए बेकरार रहती हैं.

जैसा कि हमने पहले ही कहा है, मेट्रो ट्रेवल करने के लिए बेस्ट जगह है. तो ये अपने मनोरंजन के लिए बहुत ही मुफीद जगह भी है. ये ऐसी जगह है जहां लोगों के घूरे जाने के बावजूद आपको अपनी सुरक्षा की चिंता नहीं होती.

(OddNaari से साभार)

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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