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एक हत्या की साजिश रचने वालों ने 'दृश्यम' फ़िल्म को भी पीछे छोड़ दिया

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 13 जनवरी, 2019 04:44 PM
  • 13 जनवरी, 2019 04:44 PM
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पुलिस के अनुसार हत्यारों ने 'दृश्यम' फिल्म की तरह पुलिस को गुमराह करने के लिए लाश की जगह कुत्ते को दफनाया. इसी तरह कई ऐसे प्वाइंट हैं जो इस हत्या के फिल्मी तरीके से किए जाने की ओर इशारा करते हैं.

एक केस जो पिछले दो सालों से पुलिस की नींद उड़ाए हुए था, आखिरकार पुलिस को उसे सुलझाने में सफलता मिल ही गई. ये मामला एक 22 साल की कांग्रेस कार्यकर्ता ट्विंकल डागरे के लापता होने का था. हालांकि, अब उसकी हत्या होने की पुष्टि हो चुकी है. इस मामले में कुल 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें भाजपा का एक स्थानीय कार्यकर्ता भी शामिल है. देखने में भले ही ऐसा लग रहा हो कि किसी राजनीति साजिश के चलते इस हत्या को अंजाम दिया गया है, लेकिन वास्तव में ये सब आपसी मनमुटाव की वजह से हुआ. इस मामले में पुलिस को गुमराह करने के लिए एक बड़ी साजिश रची गई, जो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है.

ये मामला मध्य प्रदेश के इंदौर का है. इस हत्या को अंजाम देने वालों में भाजपा का स्थानीय कार्यकर्ता जगदीश करोटिया (65), उसके तीन बेटे अजय (36), विजय (38) और विनय (31) के अलावा एक अन्य दोस्त नीलेश कश्यप (28) शामिल हैं. कांग्रेस की जिस कार्यकर्ता ट्विंकल डागरे की हत्या की गई वह भी पहले भाजपा में ही थी और जगदीश करोटिया के साथ उसके नाजायज संबंध भी थे. जब ट्विंकल ने शादी की जिद की तो जगदीश ने उसे रास्ते से हटाने के लिए फिल्मी अंदाज में एक साजिश रची. हालांकि, भाजपा और कांग्रेस के बीच एक दूसरे पर आरोप लगाने की राजनीति शुरू हो गई है. कांग्रेस का आरोप है कि हत्यारों को भाजपा का संरक्षण था, जबकि भाजपा की ओर से साफ किया गया है कि इस हत्या का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है.

जगदीश करोटिया ने ट्विंकल डागरे की हत्या के लिए एक फिल्मी साजिश रची थी.

पहले जानिए क्या है मामला

ट्विंकल को जगदीश एक प्लॉट में ले गया, जिसे वह ट्विंकल के नाम पर खरीदने की बात कह रहा था. वहां गला दबाकर ट्विंकल की हत्या कर दी गई और फिर उसका शव एसयूवी में डालकर एक सुनसान जगह पर ले जाया गया....

एक केस जो पिछले दो सालों से पुलिस की नींद उड़ाए हुए था, आखिरकार पुलिस को उसे सुलझाने में सफलता मिल ही गई. ये मामला एक 22 साल की कांग्रेस कार्यकर्ता ट्विंकल डागरे के लापता होने का था. हालांकि, अब उसकी हत्या होने की पुष्टि हो चुकी है. इस मामले में कुल 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें भाजपा का एक स्थानीय कार्यकर्ता भी शामिल है. देखने में भले ही ऐसा लग रहा हो कि किसी राजनीति साजिश के चलते इस हत्या को अंजाम दिया गया है, लेकिन वास्तव में ये सब आपसी मनमुटाव की वजह से हुआ. इस मामले में पुलिस को गुमराह करने के लिए एक बड़ी साजिश रची गई, जो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है.

ये मामला मध्य प्रदेश के इंदौर का है. इस हत्या को अंजाम देने वालों में भाजपा का स्थानीय कार्यकर्ता जगदीश करोटिया (65), उसके तीन बेटे अजय (36), विजय (38) और विनय (31) के अलावा एक अन्य दोस्त नीलेश कश्यप (28) शामिल हैं. कांग्रेस की जिस कार्यकर्ता ट्विंकल डागरे की हत्या की गई वह भी पहले भाजपा में ही थी और जगदीश करोटिया के साथ उसके नाजायज संबंध भी थे. जब ट्विंकल ने शादी की जिद की तो जगदीश ने उसे रास्ते से हटाने के लिए फिल्मी अंदाज में एक साजिश रची. हालांकि, भाजपा और कांग्रेस के बीच एक दूसरे पर आरोप लगाने की राजनीति शुरू हो गई है. कांग्रेस का आरोप है कि हत्यारों को भाजपा का संरक्षण था, जबकि भाजपा की ओर से साफ किया गया है कि इस हत्या का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है.

जगदीश करोटिया ने ट्विंकल डागरे की हत्या के लिए एक फिल्मी साजिश रची थी.

पहले जानिए क्या है मामला

ट्विंकल को जगदीश एक प्लॉट में ले गया, जिसे वह ट्विंकल के नाम पर खरीदने की बात कह रहा था. वहां गला दबाकर ट्विंकल की हत्या कर दी गई और फिर उसका शव एसयूवी में डालकर एक सुनसान जगह पर ले जाया गया. कोई सबूत ना बचे, इसके लिए ट्विंकल का शव जला दिया. जगदीश ये अच्छे से जानता था कि अगर ट्विंकल के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज की गई तो वह कानून की गिरफ्त में आ सकता है, जिसके बाद उसने पुलिस को गुमराह करने के लिए एक फिल्मी प्लान बनाया. आइए नजर डालते हैं उन बातों पर, जो साफ करते हैं कि इस हत्या की साजिश कितनी फिल्मी तरीके से की गई-

1- पुलिस को गलत सूचना दी

अक्सर फिल्मों में देखने को मिलता है कि कोई अनजान नंबर से फोन करता है पुलिस को किसी अपराध की गलत सूचना दे देता है, इस मामले में भी ऐसा ही हुआ ट्विंकल के शव को तो जगदीश ने जला दिया था, ताकि सबूत मिट जाएं, लेकिन एक अनजान नंबर से पुलिस को फोन कर के कहा गया कि रात के समय एक प्लॉट में कुछ अजीब हुआ है और उसमें जगदीश करोटिया का हाथ है.

2- कुत्ता मारकर दफनाया

जगदीश ने अपने सहयोगियों के साथ ट्विकंल की हत्या करने के बाद एक गड्ढा खोदकर उसमें कुत्ते को दफना दिया था. मकसद सिर्फ इतना ही था कि पुलिस को गुमराह किया जाए और खुद को बेकसूर साबित कर लिया जाए. हुआ भी ऐसा. जब पुलिस मौके पर पहुंची और गड्ढे को दोबारा खोदकर देखा तो वहां एक कुत्ते की लाश मिली. इस तरह बड़े ही फिल्मी तरीके से पुलिस का ध्यान जगदीश पर से हट गया. आपको बता दें कि ऐसा ही फिल्म दृश्यम में अजय देवगन ने किया था और लाश की जगह कुत्ता दफनाया गया था.

3- मोबाइल को मंगेतर के शहर ले जाया गया

जिस तरह पुलिस को गुमराह करने के लिए दृश्यम फिल्म में अजय देवगन मरने वाले का मोबाइल एक ट्रक में फेंक देता है, जिसके बाद मोबाइल की लोकेशन दूसरे शहर में दिखने लगती है, वैसा ही इस केस में भी किया गया है. जगदीश के बेटे ने ट्विंकल का मोबाइल उसके मंगेतर के शहर बड़वहा में ले जाकर एक्टिवेट किया. इस तरह पुलिस को जब मोबाइल की लोकेशन कहीं बाहर दिखी तो वह जांच करने बड़वहा पहुंची. आपको बता दें कि बड़वहा में ट्विंकल का मंगेतर रहता था. पुलिस का शक मंगेतर पर गया तो उससे भी पुलिस ने पूछताछ की. इसमें भी पुलिस का काफी समय बर्बाद हुआ और जगदीश करोटिया पुलिस को गुमराह करने में सफल रहा.

4- 'मैसेज' से मां-बाप को फंसाने की कोशिश

जब 16 अक्टूबर 2016 को ट्विंकल अपने घर से निकली थी तो उसने जगदीश करोटिया को अपने माता-पिता से हुई लड़ाई के बारे में मैसेज किया था. इतना ही नहीं, ट्विंकल ने तो अपने पिता के खिलाफ पुलिस में मारपीट का केस भी दर्ज कराया था. जगदीश ने वो मैसेज पुलिस को सौंप दिए और एक बार फिर पुलिस भटक गई. जगदीश करोटिया पुलिस को गुमराह करने के लिए एक के बाद एक साजिश रचती रही.

इस मामले में जब बार-बार पुलिस को असफलता हाथ लगी तो इस मामले से जुड़े लोगों का Brain Electrical Oscillation Signature (BEOS) टेस्ट कराने का फैसला किया गया. इसके तहत पुलिस ने तीन आरोपियों और ट्विंकल के माता-पिता का टेस्ट कराया, जिसके बाद सच्चाई पुलिस के सामने आई. आपको बता दें कि इस टेस्ट में सवाल-जवाब के दौरान दिमागी तरंगों को नोटिस किया जाता है. इंदौर के डीआईजी हरिनारायणचारी मिश्रा के अनुसार ये पहली बार था जब किसी हत्या के मामले में ये टेस्ट किया गया हो, जिसे अहमदाबाद की लैब में किया गया था. हत्या के आरोपियों ने पुलिस को गुमराह करने की फिल्मी साजिश तो रची, लेकिन कानून से बच नहीं सके.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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