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भारत को 'Rapistan' कहने से पहले जरा रुकिये...

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 10 जनवरी, 2019 10:28 PM
  • 10 जनवरी, 2019 10:28 PM
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रेप की शिकायत आने के बाद तरह-तरह की धारणाएं बनाई जाती हैं. लेकिन दिल्ली में रेप के मामलों का एक अध्ययन बताता है कि एक-चौथाई से ज्यादा शिकायतें लिव-इन रिलेशनशिप के बिगड़ने पर आ रही हैं.

दिल्ली पुलिस ने बुधवार को रेप के आंकड़े जारी किए, जिन्हें देखकर आप हैरान भी होंगे और परेशान भी. इन आंकड़ों के अनुसार 2018 में सिर्फ दिल्ली में हर रोज 5 महिलाओं से रेप हुआ और 8 महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और उत्पीड़न जैसी घटनाएं हुईं. ये आंकड़े देखते ही सबसे पहली बात हमारे मन में यही आती है कि राह चलती लड़कियों और महिलाओं को हर वक्त कुछ भूखे भेड़ियों की नजरें घूरती हैं, जो अपनी हवस मिटाने के लिए शिकार ढूंढ़ते रहते हैं. ये देखकर हम भारत को 'रेपिस्तान' कहने से भी नहीं चूकते, लेकिन इसकी सच्चाई कुछ और भी है...

दिल्ली में 2018 के दौरान कुल 2043 रेप के मामले सामने आए. इनमें से 26 फीसदी यानी करीब 550 मामले ऐसे हैं, जो लिव इन में रहने वाले जोड़ों के हैं. या फिर वो शिकायतें हैं, जिनमें शारीरिक संबंध बनाने के पुरुष पर शादी का झांसा देने के आरोप लगाए गए. यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि इनमें संबंध तो आपसी सहमति से ही बने थे, लेकिन रिश्ते बिगड़ जाने के चलते उसका अंत रेप की शिकायत से हुआ. ऐसा नहीं है कि सिर्फ दिल्ली में शादी का वादा कर के कथित रूप से रेप करने के मामले सामने आए हैं, बल्कि पूरे देश का हाल कुछ ऐसा ही है. अगर 2015 के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) का डेटा देखा जाए तो पूरे देश में करीब 22 फीसदी मामले शादी का वादा कर के रेप करने के ही हैं.

एक अध्ययन बताता है कि रेप की एक-चौथाई से ज्यादा शिकायतें लिव-इन रिलेशनशिप के बिगड़ने पर आ रही हैं.

सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है ये बात

कुछ दिन पहले ही एक केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी यह साफ किया था कि लिव इन में रहने के दौरान बने संबंध को रेप नहीं कहा जा सकता. जस्टिस एके सिकरी और एस अब्दुल नजीर की बेंच ने कहा था कि अगर लड़का-लड़की एक साथ लिव इन में रहते हैं और उनके बीच आपसी...

दिल्ली पुलिस ने बुधवार को रेप के आंकड़े जारी किए, जिन्हें देखकर आप हैरान भी होंगे और परेशान भी. इन आंकड़ों के अनुसार 2018 में सिर्फ दिल्ली में हर रोज 5 महिलाओं से रेप हुआ और 8 महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और उत्पीड़न जैसी घटनाएं हुईं. ये आंकड़े देखते ही सबसे पहली बात हमारे मन में यही आती है कि राह चलती लड़कियों और महिलाओं को हर वक्त कुछ भूखे भेड़ियों की नजरें घूरती हैं, जो अपनी हवस मिटाने के लिए शिकार ढूंढ़ते रहते हैं. ये देखकर हम भारत को 'रेपिस्तान' कहने से भी नहीं चूकते, लेकिन इसकी सच्चाई कुछ और भी है...

दिल्ली में 2018 के दौरान कुल 2043 रेप के मामले सामने आए. इनमें से 26 फीसदी यानी करीब 550 मामले ऐसे हैं, जो लिव इन में रहने वाले जोड़ों के हैं. या फिर वो शिकायतें हैं, जिनमें शारीरिक संबंध बनाने के पुरुष पर शादी का झांसा देने के आरोप लगाए गए. यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि इनमें संबंध तो आपसी सहमति से ही बने थे, लेकिन रिश्ते बिगड़ जाने के चलते उसका अंत रेप की शिकायत से हुआ. ऐसा नहीं है कि सिर्फ दिल्ली में शादी का वादा कर के कथित रूप से रेप करने के मामले सामने आए हैं, बल्कि पूरे देश का हाल कुछ ऐसा ही है. अगर 2015 के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) का डेटा देखा जाए तो पूरे देश में करीब 22 फीसदी मामले शादी का वादा कर के रेप करने के ही हैं.

एक अध्ययन बताता है कि रेप की एक-चौथाई से ज्यादा शिकायतें लिव-इन रिलेशनशिप के बिगड़ने पर आ रही हैं.

सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है ये बात

कुछ दिन पहले ही एक केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी यह साफ किया था कि लिव इन में रहने के दौरान बने संबंध को रेप नहीं कहा जा सकता. जस्टिस एके सिकरी और एस अब्दुल नजीर की बेंच ने कहा था कि अगर लड़का-लड़की एक साथ लिव इन में रहते हैं और उनके बीच आपसी सहमति से संबंध बनता है तो शादी न हो पाने पर इसे रेप नहीं कहा जा सकता. लड़की इस बात को आधार बनाकर लड़के के खिलाफ रेप का केस दर्ज नहीं कर सकती है कि उसके साथ शादी का झांसा देकर रेप किया गया है. इसे सिर्फ वादा तोड़ने या लड़की को धोखा देने का केस ही माना जा सकता है. कोर्ट ने साफ कर दिया था कि रेप और आपसी सहमति से हुए सेक्स के बीच में एक बड़ा अंतर होता है.

अपने ही तोड़ते हैं भरोसा

दिल्ली पुलिस ने साफ किया है कि रेप के कुल मामलों में से सिर्फ 2.5 फीसदी मामले ही ऐसे हैं, जिनमें रेप का आरोपी कोई पहचान वाला नहीं है. यानी बाकी 97.5 फीसदी रेप की शिकायतों में आरोपी जान-पहचान वाले हैं. 2015 के एनसीआरबी डेटा के अनुसार भी देशभर में करीब 95 फीसदी मामलों में किसी पहचान वाले पर ही रेप का आरोप लगा. इनमें 22 फीसदी शादी का वादा कर के रेप करने के मामले हैं.

इसीलिए सजा मिलने की दर बहुत कम है:

2015 के एनसीआरबी डेटा के मुताबिक जितने रेप हुए, उनमें से 92.2 फीसदी मामलों में चार्जशीट तो दायर हुई, लेकिन सिर्फ 23.9 फीसदी मामलों में ही कोई दोष साबित हुआ. यानी अगर देखा जाए तो रेप के एक चौथाई से भी कम मामलों में सजा हो पाई. बाकी शिकायतें साबित नहीं हुईं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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