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सैफुल्ला के पिता को इन सवालों के जवाब जरूर मिलना चाहिए!

    • सरोज कुमार
    • Updated: 10 मार्च, 2017 09:16 PM
  • 10 मार्च, 2017 09:16 PM
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सैफुल्ला के पिता ने पूरे घटनाक्रम की जांच की मांग की है और रिहाई मंच ने स्थानीय लोगों से बातचीत, मीडिया रिपोर्ट्स और तस्वीरों का मुआयना करने के बाद कुछ सवाल उठाए हैं.

गृहमंत्री राजनाथ सिंह तक ने कहा है कि लखनऊ में कथित मुठभेड़ में मारे गए सैफुल्ला के पिता सरताज खान पर देश को नाज है. मीडिया खबरों में सरताज का यह बयान सुर्खियों में था कि अगर उनका बेटा आतंकी है तो उन्हें उसका शव नहीं चाहिए. अगर वाकई गृहमंत्री या बाकी लोगों को सैफुल्ला के पिता पर नाज है तो फिर उनके सवालों के जवाब भी मिलने चाहिए. दरअसल उक्त बात के अलावा सरताज खान ने पूरे मामले की जांच की भी मांग कर रहे थे पर उनकी मांग सुर्खियों में नहीं आई.

आतंक के नाम पर कैद लोगों को लेकर काम करने वाली संस्था रिहाई मंच के कार्यकर्ताओं के मिलने के बाद भी सरताज खान ने पूरे घटनाक्रम की जांच की मांग की है. रिहाई मंच का दावा है कि उसने कथित मुठभेड़ वाली जगह के आसपास के लोगों से बातचीत करके, मीडिया रिपोर्ट्स और तस्वीरों का मुआयना करने के बाद मुठभेड़ पर कुछ सवाल तैयार किए हैं. ये सवाल बेहद अहम हैं और पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाते हैं:

1- स्थानीय लोगों के मुताबिक उन्होंने एटीएस से कहा कि लड़का सीधा सादा है और वे लोग उससे बात करके उससे आत्मसमपर्ण करा देंगे. पर एटीएस ने उनकी बात को खारिज कर दिया. क्या एटीएस उसे जिंदा नहीं पकड़ना चाहती थी?

2- कथित आतंकी के पड़ोसी कय्यूम जो उससे किराया भी वसूलते थे, को उनके परिवार समेत वहां से क्यों हटा कर किसी अनजान जगह पर रखा गया है? आखिर उनके पास ऐसी कौन सी जानकारी है जिसका सार्वजनिक होना पुलिस ठीक नहीं समझती है?

3- पुलिस के मुताबकि उसने मिर्ची बम का इस्तेमाल किया क्योंकि वह चाहती थी कि आतंकी को जिंदा पकड़े. लेकिन घटनास्थल से करीब एक किमी दूर रहने वाले स्थानीय लोगों के मुताबिक मिर्ची बम के कारण उनको भी सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. एटीएस ने इतनी...

गृहमंत्री राजनाथ सिंह तक ने कहा है कि लखनऊ में कथित मुठभेड़ में मारे गए सैफुल्ला के पिता सरताज खान पर देश को नाज है. मीडिया खबरों में सरताज का यह बयान सुर्खियों में था कि अगर उनका बेटा आतंकी है तो उन्हें उसका शव नहीं चाहिए. अगर वाकई गृहमंत्री या बाकी लोगों को सैफुल्ला के पिता पर नाज है तो फिर उनके सवालों के जवाब भी मिलने चाहिए. दरअसल उक्त बात के अलावा सरताज खान ने पूरे मामले की जांच की भी मांग कर रहे थे पर उनकी मांग सुर्खियों में नहीं आई.

आतंक के नाम पर कैद लोगों को लेकर काम करने वाली संस्था रिहाई मंच के कार्यकर्ताओं के मिलने के बाद भी सरताज खान ने पूरे घटनाक्रम की जांच की मांग की है. रिहाई मंच का दावा है कि उसने कथित मुठभेड़ वाली जगह के आसपास के लोगों से बातचीत करके, मीडिया रिपोर्ट्स और तस्वीरों का मुआयना करने के बाद मुठभेड़ पर कुछ सवाल तैयार किए हैं. ये सवाल बेहद अहम हैं और पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाते हैं:

1- स्थानीय लोगों के मुताबिक उन्होंने एटीएस से कहा कि लड़का सीधा सादा है और वे लोग उससे बात करके उससे आत्मसमपर्ण करा देंगे. पर एटीएस ने उनकी बात को खारिज कर दिया. क्या एटीएस उसे जिंदा नहीं पकड़ना चाहती थी?

2- कथित आतंकी के पड़ोसी कय्यूम जो उससे किराया भी वसूलते थे, को उनके परिवार समेत वहां से क्यों हटा कर किसी अनजान जगह पर रखा गया है? आखिर उनके पास ऐसी कौन सी जानकारी है जिसका सार्वजनिक होना पुलिस ठीक नहीं समझती है?

3- पुलिस के मुताबकि उसने मिर्ची बम का इस्तेमाल किया क्योंकि वह चाहती थी कि आतंकी को जिंदा पकड़े. लेकिन घटनास्थल से करीब एक किमी दूर रहने वाले स्थानीय लोगों के मुताबिक मिर्ची बम के कारण उनको भी सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. एटीएस ने इतनी मात्रा में मिर्ची बम का इस्तेमाल क्यों किया जिससे कि उस छोटे से कमरे के अंदर मौजूद व्यक्ति का जिंदा रहना नामुमकिन हो जाए? क्या वह कथित आतंकी को जिंदा नहीं पकड़ना चाहती थी?

4- एक तस्वीर में मकान की एक दीवार में ऊपर नीचे दो बड़े छेद देखे जा सकते हैं. पुलिस के मुताबिक इन्हें ड्रिल मशीन से बनाया गया ताकि कमरे में छुपे आतंकी को देखा और मारा जा सके. किसी खतरनाक आतंकी जिसके पास खतरनाक हथियार हों उसे पकड़ने के लिए दीवार के एक ही तरफ और वह भी ठीक ऊपर-नीचे छेद बनाने का क्या तुक है? इससे तो टारगेट यानी आतंकी छेद किए गए दीवार की तरफ ही सट कर अपने को छुपा सकता है. क्या एटीएस को पता था कि अंदर कोई जीवित व्यक्ति नहीं है और यह ड्रामा सिर्फ मुठभेड़ के वास्तविक दिखाने के लिए किया गया? जब आतंकी को देखने के लिए भी छेद करना पड़ा, यानी ऐसी कोई खिड़की नहीं थी कि उसे देखा जा सके तो फिर उस पर गोलियां किस तरफ से चलाई जा रही थीं? यही नहीं चली हुई गोलियों के निशान आखिर दीवारों और दरवाजों पर क्यों नहीं हैं?

5- खबरों के मुताबिक दोपहर करीब 2 बजे तक पड़ोसी किराएदार के घर में बाप-बेटे में झगड़ा होने पर पहुंची पुलिस ने वहां मौजूद कथित आतंकी से भी पूछ-ताछ की और झगड़े को सुलझाए जाते वक्त भी वह वहीं पर मौजूद था. सवाल उठता है कि अगर वह सचमुच आतंकी होता और उसके गिरोह के लोग किसी ट्रेन में विस्फोट कर चुके होते तो वह पुलिस के सामने पंचायत करवाता? या उनसे बचने की कोशिश करते हुए वहां से हट जाता?

6- पुलिस के मुताबिक कथित आतंकी की हत्या रात को मुठभेड़ के दौरान हुई लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि हत्या तकरीबन 5 बजे शाम को ही हो गई थी? अब मेडिकल रिपोर्ट में भी ऐसी ही बात सामने आ रही है तो फिर देर रात और अगली सुबह तीन बजे तक मुठभेड़ क्यों दिखाया गया?

7- एटीएस के मुताबिक उसने मारे गए आतंकी से उसका रोज का टाइम टेबल हासिल कर लिया है जिसे वो अपनी बड़ी कामयाबी मानती है. जबकि इस टाइम टेबल में कथित आतंकी के सोने, जगने, कसरत करने, मार्निंग वॉक करने, नमाज पढ़ने, दोस्तों से धार्मिक विषयों पर बात करने, नाश्ता करने, खाना बनाने, खाना खाने का समय लिखा है. पुलिस किस आधार पर इस टाइम टेबल को आतंकी सबूत मान रही है?

8- पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के बयानों में विरोधाभास क्यों है? पुलिस यह नहीं बता पा रही है कि मारा गया कथित आतंकी मध्य प्रदेश में हुए कथित ट्रेन विस्फोट से कैसे जुड़ा था? मध्य प्रदेश पुलिस ट्रेन विस्फोट को आतंकी घटना बता रही थी जबकि जीआरपी पहले इसे आतंकी घटना नहीं बता रही थी. इधर बाद में यूपी एटीएस भी पलट गई कि सैफुल्ला की संबंध आइएसआइएस से नहीं है.

9- सैफुल्ला के गले से डोरियां/रस्सियां चिपकी मिली हैं और रगड़ के निशान हैं. क्या किसी ने उसके गले में फंदा डाला? उसकी जेब वाली जगह भी फटी हुई है. ये सब संकेत देते हैं कि उसका किसी से संघर्ष हुआ. क्या अंदर कोई और भी था? पहले पुलिस भी ऐसा ही कह रही थी, फिर क्यों पलट गई?

10- पुलिस के मुताबिक उसने सैफुल्ला के भाई खालिद की सैफुल्ला को समझाने के लिए फोन पर बात कराई. लेकिन खालिद का कहना है कि उसे सिर्फ गोलियों की आवाज सुनाई दे रही थी. सैफुल्ला ने जब खुद को कमरे में बंद कर लिया था तो उसकी बात कैसे कराई गई? या यह बस नाटक था?

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