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यहाँ बच्चे बियर नहीं खरीद सकते, लेकिन रायफल कानूनन रख सकते हैं!

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 17 फरवरी, 2018 02:47 PM
  • 17 फरवरी, 2018 02:47 PM
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जिस देश में शराब पीने के लिए न्यूनतम उम्र 21 साल होना जरूरी निर्धारित किया गया है, वहां बंदूक रखने के लिए कोई उम्र ही नहीं है. 18 साल के बाद ही कोई शख्स हैंडगन ले सकता है. रायफल रखने की तो कोई न्यूनतम उम्र ही नहीं है.

अमेरिका एक ऐसा देश है, जिसकी गिनती विकसित देशों में सबसे ऊपर होती है. लेकिन गन लॉ के चलते अमेरिका को कुछ परेशानियां भी झेलनी पड़ रही हैं. अमेरिका में बंदूक रखना ऐसा ही, जैसा भारत में किसी के हाथ में लाठी होना. इसी की वजह से आए दिन गोलीबारी की घटनाएं भी होती रहती हैं. पर आखिर कोई करे भी तो क्या, कानून ने अमेरिका में हर किसी को हथियार रखने का अधिकार जो दे रखा है. यहां बात सिर्फ अधिकार की नहीं है, बल्कि उम्र की भी है.

पैदा होने के तुरंत बाद बच्चा रख सकता है बंदूक

जिस देश में शराब पीने के लिए न्यूनतम उम्र 21 साल होना जरूरी निर्धारित किया गया है, वहां बंदूक रखने के लिए कोई उम्र ही नहीं है. 18 साल के बाद ही कोई शख्स हैंडगन ले सकता है. आपको हैरानी तो ये जानकर होगी कि अगर अमेरिका में कोई रायफल लेना चाहे तो इसके लिए कोई न्यूनतम उम्र नहीं है. अब इसका क्या मतलब निकालें भई, बच्चा पैदा हुआ नहीं कि उसे बंदूक थमाई जा सकती है? अमेरिका के गन कानून ने ही वहां की कानून व्यवस्था को हिला कर रखा हुआ है, लेकिन कोई भी इसे बदलने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है. आपको बता दें अमेरिका में दुनिया की महज 5 फीसदी आबादी रहती है, जबकि अमेरिका के पास दुनिया भर के लोगों (सिविल) की बंदूकों में से करीब 35-50 फीसदी बंदूकें हैं.

फ्लोरिडा की हत्याओं का यही बड़ा कारण है

बुधवार को अमेरिका के फ्लोरिडा के एक स्कूल में गोलीबारी हुई. इस गोलीबारी में 17 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल भी हो गए. बंदूक रखना आम बात होने की वजह से ही ये घटना हुई है. यह गोलीबारी 19 साल के शख्स निकोलस क्रूज ने की थी, जिसे गिरफ्तार किया जा चुका है. अधिकारियों के मुताबिक निकोलस के पास एआर-15 राइफल थी. जी हां, आप सही सोच रहे हैं, राइफल... जो अपने पास रखने के लिए कोई न्यूनतम सीमा ही...

अमेरिका एक ऐसा देश है, जिसकी गिनती विकसित देशों में सबसे ऊपर होती है. लेकिन गन लॉ के चलते अमेरिका को कुछ परेशानियां भी झेलनी पड़ रही हैं. अमेरिका में बंदूक रखना ऐसा ही, जैसा भारत में किसी के हाथ में लाठी होना. इसी की वजह से आए दिन गोलीबारी की घटनाएं भी होती रहती हैं. पर आखिर कोई करे भी तो क्या, कानून ने अमेरिका में हर किसी को हथियार रखने का अधिकार जो दे रखा है. यहां बात सिर्फ अधिकार की नहीं है, बल्कि उम्र की भी है.

पैदा होने के तुरंत बाद बच्चा रख सकता है बंदूक

जिस देश में शराब पीने के लिए न्यूनतम उम्र 21 साल होना जरूरी निर्धारित किया गया है, वहां बंदूक रखने के लिए कोई उम्र ही नहीं है. 18 साल के बाद ही कोई शख्स हैंडगन ले सकता है. आपको हैरानी तो ये जानकर होगी कि अगर अमेरिका में कोई रायफल लेना चाहे तो इसके लिए कोई न्यूनतम उम्र नहीं है. अब इसका क्या मतलब निकालें भई, बच्चा पैदा हुआ नहीं कि उसे बंदूक थमाई जा सकती है? अमेरिका के गन कानून ने ही वहां की कानून व्यवस्था को हिला कर रखा हुआ है, लेकिन कोई भी इसे बदलने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है. आपको बता दें अमेरिका में दुनिया की महज 5 फीसदी आबादी रहती है, जबकि अमेरिका के पास दुनिया भर के लोगों (सिविल) की बंदूकों में से करीब 35-50 फीसदी बंदूकें हैं.

फ्लोरिडा की हत्याओं का यही बड़ा कारण है

बुधवार को अमेरिका के फ्लोरिडा के एक स्कूल में गोलीबारी हुई. इस गोलीबारी में 17 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल भी हो गए. बंदूक रखना आम बात होने की वजह से ही ये घटना हुई है. यह गोलीबारी 19 साल के शख्स निकोलस क्रूज ने की थी, जिसे गिरफ्तार किया जा चुका है. अधिकारियों के मुताबिक निकोलस के पास एआर-15 राइफल थी. जी हां, आप सही सोच रहे हैं, राइफल... जो अपने पास रखने के लिए कोई न्यूनतम सीमा ही अमेरिका के गन लॉ में नहीं है. यह जानकारी गन वाइलेंस के खिलाफ काम कर रही संस्था Giffords ने अपनी वेबसाइट पर डाली है. बंदूक नियंत्रण समूह के मुताबिक अमेरिका के स्कूलों में फायरिंग के अब तक करीब 18 मामले सामने आ चुके हैं. इन मामलों में खुदकुशी की घटनाएं भी शामिल हैं और वो घटनाएं भी शामिल हैं, जिनमें फायरिंग तो हुई, लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. फ्लोरिडा की घटना पर प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट तो किया है, लेकिन पता नहीं गन लॉ को लेकर कोई सख्त कानून अभी भी बनेगा या नहीं.

Automatic gunfire can be heard as a gunman roams a Florida high school pic.twitter.com/qFJEgkzK0R

— Sky News (@SkyNews) February 15, 2018

अब समझिए अमेरिका का गन कानून

अमेरिका का गन कानून 1791 से चला आ रहा है. यानी अमेरिका में बंदूक खरीदना या अपने पास रखना अभी की बात नहीं है, ये हमेशा से ऐसा ही है. अमेरिका के संविधान में हर व्यक्ति को अपने पास बंदूक रखने का अधिकार मिला हुआ है. सिर्फ वो लोग अपने पास बंदूक नहीं रख सकते हैं जो अपराधी घोषित हो चुके हैं, मानसिक रूप से बीमार हैं या फिर अमेरिका के नागरिक नहीं हैं. वहीं दूसरी ओर, अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में बंदूक रखने के नियम भी अलग-अलग हैं. कुछ राज्यों में आप सबको दिखाते हुए बंदूक लेकर नहीं घूम सकते हैं, जबकि कुछ राज्यों में इसे लेकर भी छूट दी गई है. अगर आप 18 साल से कम के हैं तो आप हैंडगन नहीं ले सकते, लेकिन राइफल या शॉटगन अपने पास रख सकते हैं, क्योंकि राइफल अपने पास रखने के लिए कोई भी न्यूनतम उम्र नहीं है. हालांकि, कुछ राज्यों में न्यूनतम सीमा निर्धारित की गई है, लेकिन अधिकतर राज्यों (30) में कोई न्यूनतम सीमा नहीं है. इतना ही नहीं, अमेरिका के अधिकतर राज्यों में बंदूक खरीदने या रखने के लिए किसी लाइसेंक की भी जरूरत नहीं है.

पिछले कुछ सालों में हुईं ये घटनाएं

अमेरिका में पिछले कुछ सालों में 10 बड़ी घटनाएं हुई हैं, जिन्होंने अमेरिका के गन लॉ पर सवाल खड़े किए हैं. देखिए इन घटनाओं की पूरी लिस्ट.फ्लोरिडा, 14 फरवरी, 2018- 17 मौतेंलास वेगास, 1 अक्टूबर, 2017- 58 मौतेंफ्लोरिडा, 12 जून, 2016- 49 मौतेंवर्जिनिया, 2007- 32 मौतेंसैंडी हुक, 2012- 27 मौतेंटेक्सास, 2017- 26 मौतेंटेक्सास, 2017- 23 मौतेंफ्लोरिडा, 2018- 17 मौतेंकैलिफोर्निया, 2015- 14 मौतेंटेक्सास, 2009- 13 मौतें

कोई आतंकी ऐसा करता तो क्या?

अमेरिका में गन लॉ की वजह से हत्याओं की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है, लेकिन कोई भी प्रेसिडेंट इसे लेकर कोई सख्त कदम नहीं उठा पा रहा है. ऐसे में एक बड़ा सवाल ये उठता है कि अगर अमेरिका के साथ ऐसा ही कोई आतंकी करता तो क्या? क्या अमेरिका का ही कोई नागरिक दूसरे नागरिकों को मारें तो कोई बात नहीं और कोई आतंकी ऐसा कर दे तो पूरे संगठन को खत्म करना मिशन बन जाता है? अमेरिका के 9/11 हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को तो अमेरिका ने पाकिस्तान में घुसकर भी मार गिराया, लेकिन अपने ही देश में अपने ही नागरिक आए दिन जो कत्लेआम कर रहे हैं, उनसे अमेरिका अभी तक नहीं निपट सका है. मौतों का ये सिलसिला अभी न जाने कितना लंबा चलेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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