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'जब भी कोई बैंक को ठगता है तो मुझे खुशी होती है क्योंकि...'

    • लोहा सिंह
    • Updated: 15 फरवरी, 2018 08:16 PM
  • 15 फरवरी, 2018 07:09 PM
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पब्लिक सेक्टर बैंक के बारे में यदि भ्रम है तो दिमाग से निकाल दीजिए कि ये पब्लिक की सेवा के लिए बने हैं. दरअसल ये बैंक लालची और भ्रष्‍ट लोगों की चाकरी करते हैं.

वो बार-बार कहता रहा- 'प्यारे दर्शकों, आपकी गाढ़ी कमाई का पैसा लेकर नीरव मोदी भाग गया'. इस बार मैं परेशान नहीं हुआ. मुझे पता है कि पंजाब नेशनल बैंक एक पब्लिक सेक्टर बैंक है और पब्लिक सेक्टर बैंक को पब्लिक का ही होना चाहिए. लेकिन माफ कीजिएगा, सुबह-सुबह मेरे पास झूठ सुनने के लिए समय नहीं है.

भले इसमें अनपढ़ दिखने का खतरा है, लेकिन फिर भी मैं कहना चाहूंगा : ये बैंक सरकार द्वारा चलाए जा रहे हो सकते हैं, लेकिन ये बैंक किसी भी तरह से हमें ऐसा महसूस नहीं कराते हैं कि पब्लिक उन्हें चला रही है. ना ही सरकार ऐसा महसूस कराती है. अब उस नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक को धोखा देकर 11,000 करोड़ रुपए छीन लिए हैं. मैंने कोशिश की, बहुत कोशिश की कि इस धोखेबाजी से पीड़ित पंजाब नेशनल बैंक के प्रति सहानुभूति रखने का कोई कारण ढूंढ़ लूं.

मैं ये कहने के लिए माफी चाहूंगा कि मुझे कोई कारण नहीं मिला. मुझे उस बैंकिंग सिस्टम से कोई सहानुभूति नहीं है जो जरूरतमंद लोगों को परेशान करता है और लालची लोगों की चाकरी करता है. दरअसल, सच ये है कि ये बैंक हर तरह के फ्रॉड में लिप्त हैं और आम आदमी के लिए इनके पास न तो समय है, ना ही पैसा है. अगर आपके अकाउंट में मिनिमम बैलेंस से कम पैसा रह जाए तो ये आप पर हर्जाना लगा देंगे और फिर उस हर्जाने पर ब्याज लगाते रहेंगे, जब तक कि आपको खून की उल्टी न हो जाए.

हर तरफ किसान आत्महत्या कर रहे हैं, क्योंकि बैंक उन्हें परेशान करते हैं, उनके घरों पर नोटिस चिपका देते हैं, उनकी फसल जब्त कर लेते हैं और उनके सामान की नीलामी तक कर देते हैं. अगर आपने कोई छोटा सा कार लोन चुकाने में भी कोई डिफॉल्ट कर दिया तो ये बैंक वो गुंडे हैं जो आपकी कार और आपकी चीजें छीन लेंगे और आपको पीटेंगे भी. आपका घर अपना नहीं रहेगा अगर आपने होम लोन की कुछ किस्तें देने में चूक कर दी. लेकिन जो लोग हजारों...

वो बार-बार कहता रहा- 'प्यारे दर्शकों, आपकी गाढ़ी कमाई का पैसा लेकर नीरव मोदी भाग गया'. इस बार मैं परेशान नहीं हुआ. मुझे पता है कि पंजाब नेशनल बैंक एक पब्लिक सेक्टर बैंक है और पब्लिक सेक्टर बैंक को पब्लिक का ही होना चाहिए. लेकिन माफ कीजिएगा, सुबह-सुबह मेरे पास झूठ सुनने के लिए समय नहीं है.

भले इसमें अनपढ़ दिखने का खतरा है, लेकिन फिर भी मैं कहना चाहूंगा : ये बैंक सरकार द्वारा चलाए जा रहे हो सकते हैं, लेकिन ये बैंक किसी भी तरह से हमें ऐसा महसूस नहीं कराते हैं कि पब्लिक उन्हें चला रही है. ना ही सरकार ऐसा महसूस कराती है. अब उस नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक को धोखा देकर 11,000 करोड़ रुपए छीन लिए हैं. मैंने कोशिश की, बहुत कोशिश की कि इस धोखेबाजी से पीड़ित पंजाब नेशनल बैंक के प्रति सहानुभूति रखने का कोई कारण ढूंढ़ लूं.

मैं ये कहने के लिए माफी चाहूंगा कि मुझे कोई कारण नहीं मिला. मुझे उस बैंकिंग सिस्टम से कोई सहानुभूति नहीं है जो जरूरतमंद लोगों को परेशान करता है और लालची लोगों की चाकरी करता है. दरअसल, सच ये है कि ये बैंक हर तरह के फ्रॉड में लिप्त हैं और आम आदमी के लिए इनके पास न तो समय है, ना ही पैसा है. अगर आपके अकाउंट में मिनिमम बैलेंस से कम पैसा रह जाए तो ये आप पर हर्जाना लगा देंगे और फिर उस हर्जाने पर ब्याज लगाते रहेंगे, जब तक कि आपको खून की उल्टी न हो जाए.

हर तरफ किसान आत्महत्या कर रहे हैं, क्योंकि बैंक उन्हें परेशान करते हैं, उनके घरों पर नोटिस चिपका देते हैं, उनकी फसल जब्त कर लेते हैं और उनके सामान की नीलामी तक कर देते हैं. अगर आपने कोई छोटा सा कार लोन चुकाने में भी कोई डिफॉल्ट कर दिया तो ये बैंक वो गुंडे हैं जो आपकी कार और आपकी चीजें छीन लेंगे और आपको पीटेंगे भी. आपका घर अपना नहीं रहेगा अगर आपने होम लोन की कुछ किस्तें देने में चूक कर दी. लेकिन जो लोग हजारों करोड़ का डिफॉल्ट करके बिजनेस सुईट में बैठे हैं, बैंक उनसे समझौता करने की प्रार्थना करते हैं.

कमजोर दिल वाले और अच्छी पहुंच न रखने वाले विजय माल्या जैसे लोग देश छोड़कर ही चले जाते हैं. नीरव मोदी जैसे षड्यंत्रकारी अंत तक दुधारू गाय का दूध निकालते हैं और फिर अपने बचने की भी पूरी तैयारी कर के रखते हैं. असली कर्जदार तो अपने घरों में महफूज़ रहते हैं और अपने हेलिकॉप्टरों से गोल्फ कोर्सेस में पहुंच जाते हैं, जहां पर बड़े बैंकों के बाबू खाने पर उनसे चर्चा करने के लिए उनका इंतजार कर रहे होते हैं.

लालची लोग काउंटर के सामने से डील नहीं करते हैं. वो लोग लाइनों में नहीं खड़े होते हैं. वो लोग तो बैंकों के लूपहोल्स (कमजोरी) का फायदा उठाकर डील करते हैं, जहां पर बैंक के अधिकारी को उसका बोनस मिल जाता है और शेर का हिस्सा शेर के पास चला जाता है. फाइनेंशियल वर्ल्ड एक तरह का जंगल है, जहां पर जरूरतमंद लोगों को घूस देनी होती है, बाबुओं के पैर छूने पड़ते हैं और दया की भीख मांगनी पड़ती है.

यहां तक कि नोटबंदी के समय में अमीर लोगों ने बड़े आराम से अपने करोड़ों रुपए बदलवा लिए, जबकि सैकड़ों लोग बैंकों के बाहर लाइनों में लगे रहे और अंत में जवाब मिला- कैश नहीं है. उस बात को छोड़िए, बैन हो चुके नोट अभी भी बदले जा रहे हैं. हाल ही में यूपी से करीब 100 करोड़ रुपए के पुराने नोट जब्त किए गए. वहीं दूसरी ओर गरीब और मिडिल क्लास लोग पैसे न होने की वजह से कई बार त्योहार तक नहीं मना पाते हैं.

इसलिए, अगर मेरी बातें बेवकूफी वाली लगें तो माफ कीजिएगा, लेकिन जब भी जनता इन बैंकों का पैसा चुराती है, तो मुझे दुख नहीं होता है. जिस तरह उन्हें मेरे लिए कोई दुख नहीं होता है. मैंने पंजाब नेशनल बैंक को कई बार 30 हजार रुपए के लिए फोन किया, जो बैंक की तरफ से मुझे दिए जाने हैं और हर बार मुझे मिलता है तो बस एक नया शिकायत नंबर. मैं अभी भी कभी-कभी बैंक को उन पैसों के लिए फोन करता हूं, क्योंकि वो मेरी गाढ़ी कमाई का पैसा है.

मेरा मौजूदा बैंक, जो एक निजी बैंक है, वह भी मुझे ऐसे ही एक मामले में फंसाने में लगभग कामयाब हो चुका था. लेकिन मैंने इस आधुनिक दौर में सही रास्ते पर ही चलने का फैसला किया. क्योंकि सिर्फ एक लेट पेमेंट आपका CIBIL खराब कर सकती है. हमेशा यही सही है कि वो जितना मांगें उससे अधिक भुगतान कर दो, वरना आपकी क्रेडिट रेटिंग खराब हो जाएगी.

वो एंकर जिसने सुबह-सुबह मुझे चौंका दिया या तो उसे कोई अनुभव नहीं है या फिर उसके पिताजी किसी बैंक के मालिक हैं. और दूसरी बात, वह स्टूडियो से इतना क्यों चिल्ला रहा है, जबकि उसे तो नीरव मोदी के साथ दावोस में छुट्टियां मनानी चाहिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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