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समाज

धुएं में घुल रही हैं रोज 2 जिंदगी, जानिए ऐसे ही Shocking खुलासे

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 16 नवम्बर, 2019 05:53 PM
  • 20 फरवरी, 2017 05:16 PM
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प्रदूषित हवा की वजह से हम कितनी बड़ी कीमत चुकाते हैं, इसका अंदाजा तक लगाना आसान नहीं है. इसके अलावा हम सभी अपनी कीमती जिंदगी के कुछ अहम साल भी इसकी भेंट चढ़ा रहे हैं.

इस धुएं में घुल रही हैं रोज 2 जिंदगी, जी हां. जिस हवा में भारतीय सांस लेते हैं, वह दिन-प्रतिदिन जहरीली होती जा रही है और एक नए अध्ययन में कहा गया है कि वायु प्रदूषण के कारण प्रतिदिन औसतन दो लोग मारे जाते हैं. मेडिकल मैग्जीन‘द लांसेट’ने ऐसे-ऐसे खुलासे किए हैं जो काफी शॉकिंग हैं. प्रदूषित हवा की वजह से हम कितनी बड़ी कीमत चुकाते हैं. इसका अंदाजा तक लगाना आसान नहीं और इसके अलावा हम सभी अपनी कीमती जिंदगी के कुछ अहम साल भी इसकी भेंट चढ़ा रहे हैं. चलिए जानते हैं क्या हुए हैं खुलासे....

वायु प्रदूषण के कारण हर मिनट मरते हैं 2 भारतीय

‘द लांसेट’ के अनुसार, हर साल वायु प्रदूषण के कारण 10 लाख से ज्यादा भारतीय मारे जाते हैं यानी हर मिनट में दो भारतीयों की मौत और दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से कुछ शहर भारत में हैं. यह अध्ययन 2010 के आंकड़ों पर आधारित है.

who के मुताबिक दुनिया के टॉप 20 शहरों में आधे से ज्यादा भारत के हैं

टॉप-10 में भारत के चार शहर हैं—ग्वालियर को दूसरा और इलाहाबाद को तीसरा स्थान मिला है, जबकि पटना छठे और रायपुर सातवें स्थान पर है इसके अलावा आगरा, बनारस, झांसी, कानपुर, लखनऊ आदि शहर इसमें शामिल हैं। छत्तीसगढ़ के रायपुर, कोरबा और रायगढ़ तथा मध्य प्रदेश के इंदौर, भोपाल, उज्जैन, देवास, सिंगरौली इत्यादि शहर इस सूची में शामिल है।

33 लाख मौत धुएं और...

इस धुएं में घुल रही हैं रोज 2 जिंदगी, जी हां. जिस हवा में भारतीय सांस लेते हैं, वह दिन-प्रतिदिन जहरीली होती जा रही है और एक नए अध्ययन में कहा गया है कि वायु प्रदूषण के कारण प्रतिदिन औसतन दो लोग मारे जाते हैं. मेडिकल मैग्जीन‘द लांसेट’ने ऐसे-ऐसे खुलासे किए हैं जो काफी शॉकिंग हैं. प्रदूषित हवा की वजह से हम कितनी बड़ी कीमत चुकाते हैं. इसका अंदाजा तक लगाना आसान नहीं और इसके अलावा हम सभी अपनी कीमती जिंदगी के कुछ अहम साल भी इसकी भेंट चढ़ा रहे हैं. चलिए जानते हैं क्या हुए हैं खुलासे....

वायु प्रदूषण के कारण हर मिनट मरते हैं 2 भारतीय

‘द लांसेट’ के अनुसार, हर साल वायु प्रदूषण के कारण 10 लाख से ज्यादा भारतीय मारे जाते हैं यानी हर मिनट में दो भारतीयों की मौत और दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से कुछ शहर भारत में हैं. यह अध्ययन 2010 के आंकड़ों पर आधारित है.

who के मुताबिक दुनिया के टॉप 20 शहरों में आधे से ज्यादा भारत के हैं

टॉप-10 में भारत के चार शहर हैं—ग्वालियर को दूसरा और इलाहाबाद को तीसरा स्थान मिला है, जबकि पटना छठे और रायपुर सातवें स्थान पर है इसके अलावा आगरा, बनारस, झांसी, कानपुर, लखनऊ आदि शहर इसमें शामिल हैं। छत्तीसगढ़ के रायपुर, कोरबा और रायगढ़ तथा मध्य प्रदेश के इंदौर, भोपाल, उज्जैन, देवास, सिंगरौली इत्यादि शहर इस सूची में शामिल है।

33 लाख मौत धुएं और प्रदूषण की वजह से हुईं और 664,100 मौत बायोमास और खेती का कचरा जलाने से

जहरीले धुएं और प्रदूषण से अब तक 33 लाख मौत हुई हैं और 6 लाख से ज्यादा मौत बायोमास और खेती का कचरा जलाने से हुई.

इन बीमारियों से 6 लाख से ज्यादा मौत, 22.5% मौत प्रदूषण की वजह से होती हैं

प्रदूषण के कारण शहरों में स्ट्रोक, हृदय रोग तथा फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. इस प्रदूषण से दमा तथा फेफड़ों की अन्य बीमारियां भी बढ़ रही हैं. सांस की बीमारी, डायरिया, मलेरिया, नवजातों को होने वाली बिमारी से 6 लाख से ज्यादा मौत हुई हैं, इनसे होने वाली 22.5% मौत प्रदूषण की वजह से होती हैं.

दुनिया में रोज 18 हजार मौत प्रदूषण से होती हैं

वायु प्रदूषण सभी प्रदूषणों का सबसे घातक रूप बनकर उभरा है. दुनियाभर में समय से पूर्व होने वाली मौतों के क्रम में यह चौथा सबसे बड़ा खतरा बनकर सामने आया है. अध्ययन में यह भी पाया गया है कि दुनिया में रोज 18 हजार मौत प्रदूषण की वजह से होती है.

प्रदूषण की वजह से 38 अरब डॉलर (15 हजार करोड़ से ज्यादा) का नुकसान

विश्व बैंक के आकलन के मुताबिक यदि भारत में श्रम से होने वाली आय के क्रम में देखा जाए तो इससे 38 अरब डॉलर (15 हजार करोड़ से ज्यादा) का नुकसान होता है।

ये आकड़े भी चौकाएंगे-

* 180 भारतीय शहरों में रहने वाले 20 करोड़ लोगों पर इसका सबसे बुरा असर पड़ता है

* शहरों में रहने वाले भारत की 16.5% आबादी के जीवन का कुल नुकसान

* भारत के 40 करोड़ घरों में अभी तक प्रकाश के लिए मिट्टी के तेल के दियों और लैंपों का इस्तेमाल होता है. पर्यावरण के नजरिये से यह बेहद हानिकारक है.

* प्रदूषण के कारण शहरों में स्ट्रोक, हृदय रोग तथा फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. इस प्रदूषण से दमा तथा फेफड़ों की अन्य बीमारियां भी बढ़ रही हैं.

ये भी पढ़ें- 

धुआं निगलते शहर बनाने लगे इमारतों पर जंगल

प्रदूषण से बचने के ये 5 तरीके कारगर भी हैं और किफायती भी

आखिर क्या है वजह, इस शहर में हर शख्श बीमार सा क्यों है?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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