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धुआं निगलते शहर बनाने लगे इमारतों पर जंगल

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 10 फरवरी, 2017 02:08 PM
  • 10 फरवरी, 2017 02:08 PM
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जैसे भारत पॉल्यूशन से त्रस्त है वैसे ही चीन भी इसकी चपेट में है. लेकिन उसके लिए भी उन्होंने उपाय ढूढ निकाला है. उन्होंने शहर के बीचोबीच जंगल खड़ा कर दिया.

इंडिया में हर बड़ा शहर पॉल्यूशन की मार से झूझ रहा है. दिल्ली में तो ठंड में स्मॉग से सारी व्यवस्था चरमरा गई. जहां दिल्ली से सीएम अरविंद केजरीवाल ने पॉल्यूशन से बचने के लिए ऑड-ईवन सुविधा शुरू की. जिससे प्रदूषण से लोग बच सकें वहीं हमारे पड़ोसी देश चीन इससे दो कदम आगे निकल गया. आपको बता दें, जैसे भारत पॉल्यूशन से त्रस्त है वैसे ही चीन भी इसकी चपेट में है. लेकिन उसके लिए भी उन्होंने उपाय ढूढ निकाला है. उन्होंने शहर के बीचोबीच जंगल खड़ा कर दिया. जी हां, चीन ने अपने शहर नानजिंग में ऐसी बिल्डिंग खड़ी की है जिससे लोगों को ताजा हवा मिलती है. चीन हमेशा की कुछ न कुछ नया और क्रिएटिव करने के लिए जाना जाता है. फिर उन्होंने ऐसा जबरदस्त आईडिया निकाल इंडिया के ऑड ईवन से कई आगे निकल गया. आइए जानते हैं इस बिल्डिंग के बारें में, क्या है इसमें खास....

वर्टिकल फॉरेस्ट बिल्डिंग में क्या खास?

चीन एक ऐसी बिल्डिंग का निर्माण कर रहा है जो लोगों को ताजा हवा देगा और जहां लोग शाही तरह से रह सकते हैं. ये बिल्डिंग 2018 में तैयार हो जाएगी और ये एशिया की पहली बिल्डिंग होगी जिसे जंगल जैसा बनाया और उसमें लोग रह भी सकते हैं. 656 फुट चौड़ी और 354 फुट लंबी बिल्डिंग में 1000 पेड़ और 2500 झाड़िया लगाई गई हैं. यही नहीं इस बिल्डिंग में 23 अलग तरह के पेड़ लगाए गए हैं.

कैसे मिलेगी ताजा हवा?

इस हरी-भरी बिल्डिंग में जो 23 अलग तरह के पेड़ लगाए गए हैं उससे इस प्रदूषित शहर में ताजा हवा सप्लाए होती है. प्रतिदिन ये बिल्डिंग शहर को 60 किलो ऑक्सिजन दे सकेगा. बिल्डिंग के अंदर घरों को भी हाईटेक तरह से बनाया...

इंडिया में हर बड़ा शहर पॉल्यूशन की मार से झूझ रहा है. दिल्ली में तो ठंड में स्मॉग से सारी व्यवस्था चरमरा गई. जहां दिल्ली से सीएम अरविंद केजरीवाल ने पॉल्यूशन से बचने के लिए ऑड-ईवन सुविधा शुरू की. जिससे प्रदूषण से लोग बच सकें वहीं हमारे पड़ोसी देश चीन इससे दो कदम आगे निकल गया. आपको बता दें, जैसे भारत पॉल्यूशन से त्रस्त है वैसे ही चीन भी इसकी चपेट में है. लेकिन उसके लिए भी उन्होंने उपाय ढूढ निकाला है. उन्होंने शहर के बीचोबीच जंगल खड़ा कर दिया. जी हां, चीन ने अपने शहर नानजिंग में ऐसी बिल्डिंग खड़ी की है जिससे लोगों को ताजा हवा मिलती है. चीन हमेशा की कुछ न कुछ नया और क्रिएटिव करने के लिए जाना जाता है. फिर उन्होंने ऐसा जबरदस्त आईडिया निकाल इंडिया के ऑड ईवन से कई आगे निकल गया. आइए जानते हैं इस बिल्डिंग के बारें में, क्या है इसमें खास....

वर्टिकल फॉरेस्ट बिल्डिंग में क्या खास?

चीन एक ऐसी बिल्डिंग का निर्माण कर रहा है जो लोगों को ताजा हवा देगा और जहां लोग शाही तरह से रह सकते हैं. ये बिल्डिंग 2018 में तैयार हो जाएगी और ये एशिया की पहली बिल्डिंग होगी जिसे जंगल जैसा बनाया और उसमें लोग रह भी सकते हैं. 656 फुट चौड़ी और 354 फुट लंबी बिल्डिंग में 1000 पेड़ और 2500 झाड़िया लगाई गई हैं. यही नहीं इस बिल्डिंग में 23 अलग तरह के पेड़ लगाए गए हैं.

कैसे मिलेगी ताजा हवा?

इस हरी-भरी बिल्डिंग में जो 23 अलग तरह के पेड़ लगाए गए हैं उससे इस प्रदूषित शहर में ताजा हवा सप्लाए होती है. प्रतिदिन ये बिल्डिंग शहर को 60 किलो ऑक्सिजन दे सकेगा. बिल्डिंग के अंदर घरों को भी हाईटेक तरह से बनाया गया है. जिसमें लोग ताजी हवा के साथ-साथ बाहर के नजारे का भी आनंद ले सकेंगे.

और भी कई फायदे

शहर में इसके रहने के तो फायदे तो हैं ही, जो वहां रहेंगे उसके लिए भी कई फायदे हैं. पेड़ गर्मियों में रोशनी को फिल्टर कर देते है और सर्दियों को इसे अंदर आने देते है. इसके अलावा ये धूल के महीन कणों को सोख लेते हैं और उमस से बचाव करते हैं. बढ़ते प्रदूषण के बीच ऐसे प्रयोग काफी लोकप्रिय हो सकते है.

मिलान भी बना चुका है ऐसी बिल्डिंग

ऐसा नहीं है कि चीन पहली बार ऐसी बिल्डिंग बना रहा हो, इटली के मिलान में ऐसी बिल्डिंग बना चुका है. ये बिल्डिंग 2014 में बनाई गई थी, जिसका नाम बॉस्को वर्टिकेल है. जिसमें करीब 900 पेड़ों और 14 हजार पौधों का इस्तेमाल किया गया है. इस बिल्डिंग मे बारिश के पानी को बचाकर उन्हें इस्तेमाल करने की सुविधा भी शामिल है. अब जान लीजिए प्रदूषण से कहां कितनी हुईं मौत...

ग्लोबर बर्डन ऑफ डिजीज की मानें तो 2015 में 40 लाख 20 हजार मौत वायु प्रदूषण से हुई हैं और 2013 में भारत में कुछ 10 लाख 40 हजार लोग इसका शिकार हुए हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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