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सोशल मीडिया के दौर में भी चिट्ठियां अपनी बात कहने की अद्भुत क्षमता रखती हैं

    • सैयद तौहीद
    • Updated: 28 मई, 2023 03:12 PM
  • 28 मई, 2023 02:54 PM
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एक जमाना था जब लोग अपना कुशल क्षेम खतों के जरिए दूसरों को बता दिया करते थे. वो एक दिलचस्प अनुभव होता था . चिट्ठी में एक अलग ही भावना होती थी जिसे पढ़ने के बाद दिल को सुकून मिलता था. तकनीक ने हमारा समय आसान जरुर कर दिया है किंतु कुछ शानदार अनुभव यात्राएं हमसे छीन ली हैं.

आजकल लोग खत कम लिखते हैं. हालांकि दिल की बात खत से बेहतर कोई बयां नहीं कर सकता. खत या चिट्ठी ना लिखने का सबसे बड़ा कारण कि लोग इंतेजार नही करना चाहते . आप कितने भी नजदीक क्यों ना हो लिख कर भेजने में एक दिन का समय लग जाता है. जबकि सोशल मीडिया के साथ वही मैसेज सेकंडों में चला जाता है. लोग अपनी बात जल्दी में बयां कर जाते हैं. कुछ ना कुछ या यूं कहें बहुत कुछ पीछे छूट जाता है. दिल की बात बताने का सबसे सुंदर तरीका चिट्ठी लिखना ही है.

एक जमाना था जब लोग अपना कुशल क्षेम खतों के जरिए दूसरों को बता दिया करते थे. वो एक दिलचस्प अनुभव होता था . चिट्ठी में एक अलग ही भावना होती थी जिसे पढ़ने के बाद दिल को सुकून मिलता था. तकनीक ने हमारा समय आसान जरुर कर दिया है किंतु कुछ शानदार अनुभव यात्राएं हमसे छीन ली हैं.

तकनीक ने भले ही हमारा जीवन आसान बना दिया हो मगर वो सुकून और खुशी भी हमसे छीन ली है. काम काज के उद्देश्य से लिखी गई चिट्ठियां आज भी मगर प्रचलित हैं. लेकिन उनमें व्यक्तिगत भावनाएं नहीं होती. वो तो केवल पर्सनल खतों में हुआ करता था. खत में एक खास अपनापन जुड़ा होता है. कुशलता की कामना से शुरू होने वाले भावनाओं का सैलाब होता है खत में. इसकी निहित भावना लिखा हुआ पढ़ने को मजबूर करती है. खत के बयान में गांव भी होता था. घर-परिवार के साथ आस-पड़ोस का हिसाब होता था.

माननीय प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखना...

देश के मुद्दों को लेकर आप प्रधानमंत्री जी को खत लिख सकते हैं. माननीय प्रधानमंत्री का ध्यान अपनी बात की ओर आकर्षित किया जा सकता है. अधिक दिन नहीं हुए कश्मीर की छोटी बच्ची ने अपने स्कूल के हालात पर संदेश बनाकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को भेजा था. जिसके वायरल होने बाद प्रधानमत्री कार्यालय ने मामले का संज्ञान लिया था.

मामला जम्मू और...

आजकल लोग खत कम लिखते हैं. हालांकि दिल की बात खत से बेहतर कोई बयां नहीं कर सकता. खत या चिट्ठी ना लिखने का सबसे बड़ा कारण कि लोग इंतेजार नही करना चाहते . आप कितने भी नजदीक क्यों ना हो लिख कर भेजने में एक दिन का समय लग जाता है. जबकि सोशल मीडिया के साथ वही मैसेज सेकंडों में चला जाता है. लोग अपनी बात जल्दी में बयां कर जाते हैं. कुछ ना कुछ या यूं कहें बहुत कुछ पीछे छूट जाता है. दिल की बात बताने का सबसे सुंदर तरीका चिट्ठी लिखना ही है.

एक जमाना था जब लोग अपना कुशल क्षेम खतों के जरिए दूसरों को बता दिया करते थे. वो एक दिलचस्प अनुभव होता था . चिट्ठी में एक अलग ही भावना होती थी जिसे पढ़ने के बाद दिल को सुकून मिलता था. तकनीक ने हमारा समय आसान जरुर कर दिया है किंतु कुछ शानदार अनुभव यात्राएं हमसे छीन ली हैं.

तकनीक ने भले ही हमारा जीवन आसान बना दिया हो मगर वो सुकून और खुशी भी हमसे छीन ली है. काम काज के उद्देश्य से लिखी गई चिट्ठियां आज भी मगर प्रचलित हैं. लेकिन उनमें व्यक्तिगत भावनाएं नहीं होती. वो तो केवल पर्सनल खतों में हुआ करता था. खत में एक खास अपनापन जुड़ा होता है. कुशलता की कामना से शुरू होने वाले भावनाओं का सैलाब होता है खत में. इसकी निहित भावना लिखा हुआ पढ़ने को मजबूर करती है. खत के बयान में गांव भी होता था. घर-परिवार के साथ आस-पड़ोस का हिसाब होता था.

माननीय प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखना...

देश के मुद्दों को लेकर आप प्रधानमंत्री जी को खत लिख सकते हैं. माननीय प्रधानमंत्री का ध्यान अपनी बात की ओर आकर्षित किया जा सकता है. अधिक दिन नहीं हुए कश्मीर की छोटी बच्ची ने अपने स्कूल के हालात पर संदेश बनाकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को भेजा था. जिसके वायरल होने बाद प्रधानमत्री कार्यालय ने मामले का संज्ञान लिया था.

मामला जम्मू और कश्मीर के कठुआ जिले में तीसरी कक्षा की एक छात्रा सीरत नाज का था. सीरत नाज ने अपने स्कूल की खस्ता हालत को दिखाते हुए एक वीडियो बनाया था, जिसमें उसने कहा था कि ‘प्रधानमंत्री जी आप तो सभी की बात सुनते हो, मेरी भी सुन लो. प्लीज मोदी जी मेरे स्कूल को अच्छा बनवा दो. सीरत की अपील के बाद स्कूल को नया रूप देने का काम शुरू हो गया . इससे सीरत काफी खुश हुई और प्रधानमंत्री मोदी जी का शुक्रिया अदा किया. 

इसी तरह ऑस्ट्रेलिया में गंभीर रूप से बीमार अर्शदीप की विधवा और बुजुर्ग मां ने प्रधानमंत्री को खत लिखकर भारत लाने की फरियाद की थी. बुजुर्ग मां को निराश नहीं किया गया. प्रधानमत्री कार्यालय एवम भारत सरकार की पहल पर अर्शदीप को विशेष विमान से ऑस्ट्रेलिया से भारत लाया गया. भारत आने पर उन्हें गुरुग्राम के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. 

माननीय प्रधानमत्री को एक युवक का खत...

माननीय प्रधानमंत्री जी,

मैं देश का जिम्मेदार युवा हूं.आपको मालूम होगा कि युवा तंबाकू एवम धूम्रपान की चपेट में आ जाते हैं. तंबाकू एवम उससे जुड़े उत्पादों का बड़ा बाज़ार है. बाज़ार में यह उत्पाद आसानी से मिल जाते हैं. युवाओं तक इनकी पहुंच आसान है. एक किलोमीटर के दायरे में कोई ना कोई पनवाड़ी मिल ही जाता है. तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन पर हालांकि रोक है. किंतु बिक्री के पॉइंटस पर तम्बाकू उत्पाद बिकते हैं. तंबाकू उत्पादों का कारोबार अपनी जगह पर है. धुम्रपान के संपर्क में आकर देश की युवा पीढ़ी का नुकसान चिंता का विषय है. युवाओं के हित में तंबाकू से जुड़े कानून कोटपा 2003 को सख्त बनाया जाना चाहिए. विनम्र निवेदन है कि इस दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए.

आपका...

चिठ्ठी लिखने के इस पड़ाव तक आना अक्सर आसान नहीं होता. कई बार लगा अपनी बात लिख कर भेज दूं . मगर आपसे सीधे संवाद स्थापित करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. चिट्ठी लिखने के क्रम में हर किसी को ऐसे अनुभव हुए होंगे. लिखने वाले बेहतर जान रहे होंगे चिट्ठियों का अधूरे रह जाना क्या होता है. हर पूरी की गई चिट्ठी इसलिए मायने रखती है. प्राप्त होने वाले तक संदेश चला जाए तो खुशी होती है. खत के जवाब का हालांकि सबसे ज्यादा इंतजार होता है. सच कहें तो जिन चिट्ठियों का जवाब नहीं आता उन पर दुख होता है. 

देखिए खत कैसे दिल की बयां कर जाता है...

शुक्रिया मेरे जिंदगी का हिस्सा बनने के लिए. तुम्हारे आने से जिंदगी पहले से बदल गई है. तुमने जीने को मकसद दे दिया है. एक एहसास की खुशी कि मैं भी अच्छा कर सकता हूं. उम्मीद करता हूं कि तुम्हारे सपनों को एक दिन जरूर साकार कर पाऊंगा....तुम्हारा

मोबाइल टेलीफोनी एवम ईमेल के आ जाने से शब्दों उतरने वाली भावनाएं जैसे कि धैर्य एवम इंतजार तत्व पीछे छूट गया हैं . स्याही एवम कागज़ का स्पर्श नहीं रहा. शब्दों का दायरा और क्षमता सीमित सी हो गई है . दूर दराज में जब कोई लड़की शादी बाद ससुराल भेजी जाती थी तब वो अपने मां बाप एवम रिश्तेदारों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए चिट्ठी लिखा करती थी. कोई युवक पढ़ाई के लिए या रोजगार के लिए परदेश जाता था, वहां से परिजनों को खत लिखा करता था. अपने दुःख सुख बांटने का जरिया वही होता था. आज की पीढ़ी खत लिखने की प्रक्रिया से नज़दीक होकर भी इससे दूर है. 

हिंदी सिनेमा में चिठ्ठी लिखने को लेकर कई गाने फिल्माए गए हैं. हमने सनम को खत लिखा...शक्ती फिल्म का यह मशहूर गीत कौन नहीं जानता. परेशानी है कि भावनाओं का जिक्र करने वाले गाने हमें पसंद तो आते हैं किंतु उसमे बताई गए अनुभवों नजरंदाज हो जाते हैं. एक चिठ्ठी दिल के सबसे करीब चीज़ों में होती है. शायर सुदर्शन फाकिर ने कभी इस पर खूबसूरत गजल लिखी थी. महेश भट्ट की फिल्म 'नाम' की दिल को छूने वाला पंकज उदास का गीत ' चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई है ' भुलाए नहीं भूलता. खत लिखते वक्त कविता एवम शायरी ईजाद पा लेती है. उसके लिए अलग से मेहनत जरूरी नहीं.

चिठ्ठी हर कोई लिखना चाहता है. चिठ्ठी लिखने के लिए सबसे पहले तय करें कि किस तरह की चिठ्ठी आपको चाहिए. मित्रों चिट्ठियां मुख्य रूप से औपचारिक एवम अनौपचारिक लिखी जा सकती है. औपचारिक अथवा फॉर्मल चिठ्ठी को काम काज के उद्देश्यों से लिखा जाता है. इसके लिए आपको पास खत पाने वाले का ऑफिशियल पते की होना जरूरी है. ऐसे खतों में विषय लिखना ना भूलें. उसके बाद भेजने वाले को शिष्टाचार वादन करें. उसके बाद आपकी बात को संक्षेप में लिखें. आखिरी में अपना नाम पता लिखते सादर अभिवादन के साथ समाप्त करें.

मगर अनौपचारिक खत या चिठ्ठी में पूरी तरह से पर्सनल होती है. भावनाओं के साथ विमर्श को पिरोया जाता है. दिल से दिल तक की बात पहुंचाने की कला है. पाने वाले को अभिवादन के साथ चिठ्ठी को शुरू करें. मुहब्बत एवम एहसास के साथ चीजों को सामने रखा जाता है. 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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