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यूपी में जब दबंग का परिवार सुरक्षित नहीं है तो फिर आम आदमी का क्या...

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 04 जुलाई, 2017 10:21 PM
  • 04 जुलाई, 2017 10:21 PM
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उत्तर प्रदेश के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के परिवार के साथ हुई घटना ये बताने के लिए काफी है कि उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा के दावे खोखले हैं

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने 100 दिन के कार्यकाल का "ए प्लस' वाला रिपोर्ट कार्ड मीडिया को दिखा चुके हैं. योगी ने रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए कई बातें कहीं थी जिनमें एक मुद्दा प्रदेश की महिलाओं की सुरक्षा भी था. इसके इतर चुनाव पूर्व ही अलग - अलग रैलियों में अपने भाषणों के जरिये योगी आदित्यनाथ ने लोगों को इस बात का विश्वास दिलाया था कि भाजपा महिला सुरक्षा के प्रति बड़ी संजीदा है और अगर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती है तो सारे मुद्दों से अलग महिला सुरक्षा सबसे महत्वपूर्व मुद्दा रहेगी.

बहरहाल योगी को उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य का मुख्यमंत्री बने 100 दिन से ऊपर हो चुका है और राज्य में महिला सुरक्षा पर काम भी बहुत हो रहा है मगर फाइलों में. जी हां बिल्कुल सही सुना आपने, यूपी की जमीनी हकीकत कुछ और है.  कहा जा सकता है कि यहां महिलाएं सिर्फ कागजों और नेताओं की प्रेस कांफ्रेस में दिए गए बयानों में ही सुरक्षित है.

इस बात को एक खबर के जरिये समझना आसान रहेगा. खबर है कि बीते दिन उत्तर प्रदेश के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पत्नी और मौसेरी बहन के साथ न सिर्फ चलती ट्रेन में छेड़छाड़ हुई बल्कि बदमाशों द्वारा उनके साथ मारपीट भी की गयी.

राजा भैया के परिवार के साथ हुई घटना ये बताती है कि यूपी कानून व्यवस्था के लिहाज से सबसे बुरे दौर में है

मामला गरीबरथ एक्सप्रेस का है जिससे राजा भैया की बहन विभा, उनकी पत्नी के साथ रायपुर स्थित अपनी ससुराल जा रही थीं. बताया जा रहा है कि विवाद की शुरुआत ट्रेन में सामान रखने और सीट को लेकर हुई थी जो बाद में छेड़ छाड़ और मारपीट में तब्दील हो गयी. मामला रसूखदार महिला से होने के कारण जीआरपी ने भी तत्परता दिखाते हुए अज्ञात लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कर ली और मामले...

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने 100 दिन के कार्यकाल का "ए प्लस' वाला रिपोर्ट कार्ड मीडिया को दिखा चुके हैं. योगी ने रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए कई बातें कहीं थी जिनमें एक मुद्दा प्रदेश की महिलाओं की सुरक्षा भी था. इसके इतर चुनाव पूर्व ही अलग - अलग रैलियों में अपने भाषणों के जरिये योगी आदित्यनाथ ने लोगों को इस बात का विश्वास दिलाया था कि भाजपा महिला सुरक्षा के प्रति बड़ी संजीदा है और अगर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती है तो सारे मुद्दों से अलग महिला सुरक्षा सबसे महत्वपूर्व मुद्दा रहेगी.

बहरहाल योगी को उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य का मुख्यमंत्री बने 100 दिन से ऊपर हो चुका है और राज्य में महिला सुरक्षा पर काम भी बहुत हो रहा है मगर फाइलों में. जी हां बिल्कुल सही सुना आपने, यूपी की जमीनी हकीकत कुछ और है.  कहा जा सकता है कि यहां महिलाएं सिर्फ कागजों और नेताओं की प्रेस कांफ्रेस में दिए गए बयानों में ही सुरक्षित है.

इस बात को एक खबर के जरिये समझना आसान रहेगा. खबर है कि बीते दिन उत्तर प्रदेश के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पत्नी और मौसेरी बहन के साथ न सिर्फ चलती ट्रेन में छेड़छाड़ हुई बल्कि बदमाशों द्वारा उनके साथ मारपीट भी की गयी.

राजा भैया के परिवार के साथ हुई घटना ये बताती है कि यूपी कानून व्यवस्था के लिहाज से सबसे बुरे दौर में है

मामला गरीबरथ एक्सप्रेस का है जिससे राजा भैया की बहन विभा, उनकी पत्नी के साथ रायपुर स्थित अपनी ससुराल जा रही थीं. बताया जा रहा है कि विवाद की शुरुआत ट्रेन में सामान रखने और सीट को लेकर हुई थी जो बाद में छेड़ छाड़ और मारपीट में तब्दील हो गयी. मामला रसूखदार महिला से होने के कारण जीआरपी ने भी तत्परता दिखाते हुए अज्ञात लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कर ली और मामले की जांच शुरू कर दी है.

बहरहाल इस पूरे मामले को देखकर किसी भी व्यक्ति के मन में कुछ बातों का आना स्वाभाविक है. घटना किसी सुनसान स्थान पर न होकर चलती ट्रेन में हुई है. एक ऐसा स्थान जहां लोगों की भीड़ होना स्वाभाविक है ऐसे में जहां एक तरफ कानून व्यवस्था के प्रति  सरकार का लचर रवैया दिखता है तो वहीं दूसरी तरफ ये भी सामने आता है कि जिस समय लोगों के बीच ये घटना हो रही थी तब ट्रेन में बैठा कोई भी व्यक्ति पीड़ित महिला को बचाने या उसकी मदद के लिए सामने नहीं आया.

हम सरकार को क्या दोष दें जब कमी हमारे अन्दर हो. किसी को कोसने से पहले हमें खुद अपने गरीबान में झांककर देखना चाहिए और आत्मसात करना चाहिए कि अलग - अलग मुद्दों पर भटके हम लोग खुद अपने जीवन से इंसानियत को खारिज कर एक ऐसे चक्र में फंस गए हैं जहां से अब शायद ही निकला जा सके. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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