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उस स्कूल का एक सफर जिसके कुछ बच्चे अब कभी नहीं आएंगे !

    • अबयज़ खान
    • Updated: 20 जनवरी, 2017 02:42 PM
  • 20 जनवरी, 2017 02:42 PM
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एटा में गुरुवार की वो मनहूस सुबह 13 मासूम बच्चों को इस दुनिया से कहीं बहुत दूर लेकर चली गई. सुबह स्कूल बस में खुशी-खुशी खिलखिलाकर जाने वाले नौनिहाल अब कभी लौटकर नहीं आएंगे.

लाल, नीले, पीले बस्ते... रंग बिरंगी किताबें, पेंसिल बॉक्स, खाने का टिफिन.. सब कुछ मासूमों के खून से सराबोर हो चुका था. जिन कॉपियों में स्याही से कल की तकदीर लिखी जानी थी, उन कॉपियों में मासूमों के आखिरी सफर की दर्दनाक दास्तां दर्ज हो चुकी थी. बचपन के कोमल से ख्वाब.. स्कूल की खट्टी मीठी यादें सब इन बस्तों के साथ दफ्न हो गए. एटा में गुरुवार की वो मनहूस सुबह 13 मासूम बच्चों को इस दुनिया से कहीं बहुत दूर लेकर जा चुकी थी. सुबह स्कूल बस में खुशी-खुशी खिलखिलाकर जाने वाले नौनिहाल अब कभी लौटकर नहीं आएंगे.

बस में जरूरत से ज्यादा बच्चों को ले जाया जा रहा था

एटा में हुए इस भीषण सड़क हादसे में स्कूल बस और ट्रक की टक्कर हो गई. बस में 50 से ज्यादा बच्चे थे और हादसे की वजह से 13 बच्चों समेत 14 लोगों की मौत हो गई. 24 बच्चे घायल भी हुए.

उस मां का सीना रो रोकर छलनी हो चुका है जिसने अपने लाल को बड़े दुलार से सजा संवार कर स्कूल भेजा था. उस मां की आंखें पत्थर बन चुकी हैं जिसका लाडला उससे दोपहर के खाने की हज़ारों फरमाइशें करके गया था. उस बाप की आंखों से आंसू सूख गए हैं जिसके लख्ते जिगर की मुस्कुराहट उसकी जिंदगी थी. बच्चों को कन्धों पर घुमाने वाले दादा-दादी बेसुध से पड़े हैं. नन्हे-मुन्नों को कहानियां सुनाने वाली नानी बदहवास सी हैं.

ये भी पढ़ें- सड़क दुर्घटनाओं की वजह एक महामारी है !

हर आंख नाम है, क्लासरूम में सन्नाटा है,...

लाल, नीले, पीले बस्ते... रंग बिरंगी किताबें, पेंसिल बॉक्स, खाने का टिफिन.. सब कुछ मासूमों के खून से सराबोर हो चुका था. जिन कॉपियों में स्याही से कल की तकदीर लिखी जानी थी, उन कॉपियों में मासूमों के आखिरी सफर की दर्दनाक दास्तां दर्ज हो चुकी थी. बचपन के कोमल से ख्वाब.. स्कूल की खट्टी मीठी यादें सब इन बस्तों के साथ दफ्न हो गए. एटा में गुरुवार की वो मनहूस सुबह 13 मासूम बच्चों को इस दुनिया से कहीं बहुत दूर लेकर जा चुकी थी. सुबह स्कूल बस में खुशी-खुशी खिलखिलाकर जाने वाले नौनिहाल अब कभी लौटकर नहीं आएंगे.

बस में जरूरत से ज्यादा बच्चों को ले जाया जा रहा था

एटा में हुए इस भीषण सड़क हादसे में स्कूल बस और ट्रक की टक्कर हो गई. बस में 50 से ज्यादा बच्चे थे और हादसे की वजह से 13 बच्चों समेत 14 लोगों की मौत हो गई. 24 बच्चे घायल भी हुए.

उस मां का सीना रो रोकर छलनी हो चुका है जिसने अपने लाल को बड़े दुलार से सजा संवार कर स्कूल भेजा था. उस मां की आंखें पत्थर बन चुकी हैं जिसका लाडला उससे दोपहर के खाने की हज़ारों फरमाइशें करके गया था. उस बाप की आंखों से आंसू सूख गए हैं जिसके लख्ते जिगर की मुस्कुराहट उसकी जिंदगी थी. बच्चों को कन्धों पर घुमाने वाले दादा-दादी बेसुध से पड़े हैं. नन्हे-मुन्नों को कहानियां सुनाने वाली नानी बदहवास सी हैं.

ये भी पढ़ें- सड़क दुर्घटनाओं की वजह एक महामारी है !

हर आंख नाम है, क्लासरूम में सन्नाटा है, स्कूल की दीवारें रो रही हैं. छुट्टी का ऐलान करने वाली घंटी सुन्न पड़ चुकी है, इंटरवल का अब कोई मतलब नहीं रह गया है. कल के आइंस्टीन, डॉक्टर, इंजीनियर, एस्ट्रोनॉट, वकील अब कभी लौटकर नहीं आएंगे.

 ठंड के कारण स्कूल बंद होने के आदेश की भी अनसुनी की गई

घर में पड़ा झूला, मोहल्ले का प्लेग्राउंड, चुन्नू की साइकिल, मुन्नू का बैट, रानी की गुड़िया सबके सब खामोश हैं. बच्चों को इमली चूरन बेचने वाले चाचा, पकौड़ियों वाले दद्दा, स्कूल के मास्साब सब के सब ज़ार ज़ार रो रहे हैं, लेकिन उनकी सेहत पे इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता जिन्होंने चंद रुपयों की खातिर 13 मासूमों की ज़िंदगी की बलि ले ली.

ये भी पढ़ें- दुर्घटनाओं से कोई सबक क्यों नहीं लेता?

सर्दी के कारण स्कूल बंद होने के ऐलान के बावजूद स्कूल खोला गया था. इतनी कड़क ठंड में बच्चे स्कूल जा रहे थे और तो और, जिस स्कूल बस से बच्चों को ले जाया जा रहा था उस बस के पास परमिट भी नहीं था. स्कूल बस में जरूरत से ज्यादा बच्चों को ले जाया जा रहा था. प्रशासन ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दो अधिकारियों को सस्पेंड भी कर दिया गया है. पर सवाल अब भी वही है कि कब तक लालच, बेइमानी और भ्रष्टाचार की सजा हमारे  मासूमों को मिलती रहेगी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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