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दिवाली न मना पाए इस फौजी पर हजारों खुशियां न्योछावर

    • आईचौक
    • Updated: 08 नवम्बर, 2018 09:50 PM
  • 08 नवम्बर, 2018 09:50 PM
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सेना के एक अफसर को दिवाली छुट्टी दी जाती है, लेकिन त्योहार से दो दिन पहले अचानक ड्यूटी पर बुला लिया जाता है. वह जिस तरह से अपने परिजनों को इस बा‍त की जानकारी देता है, वह भावुक कर देता है.

उस शख्स के मन के बारे में कल्पना कीजिए. जिसे दिवाली की छुट्टी मिली हो अपने घर जाने के लिए. वह घर पहुंचने वाला होता है, तभी उसे संदेश दिया जाता है कि उसकी छुट्टी कैंसल कर दी गई है. वह फोन पर अपने परिजनों को इस बात की जानकारी देता है और हंसते-हंसते ड्यूटी पर लौट जाता है. जाहिर है, ये जज्बा एक सैनिक का ही हो सकता है. इस सैनिक का नाम-पता तो नहीं मालूम है, लेकिन इसकी कहानी किसी को भी भावुक कर देगी. जिसे शेयर किया है अहमदाबाद की ऐशा शाह ने.

कॉर्पोरेट ट्रेनिंग कसल्टेंवट एशा ने अपनी फेसबुक वॉल पर दिवाली के ठीक पहले एक अनुभव शेयर किया है, जो कुछ इस तरह है:

"मैं आमतौर पर अपने रोजाना के अनुभवों को साझा करने से बचती हूं. क्योंकि वो मेरे होते हैं और मुझे कुछ नया सीखने में मदद करते हैं. लेकिन आज जो हुआ उसने मुझे अन्दर से हिला दिया. आज एक हकीकत से मेरी पहचान हुई है और मैं ये सोचने पर मजबूर हूं कि जिन बातों को हम हल्के में लेते हैं वो उतनी हल्की नहीं होतीं.

आज शाम मुंबई हवाई अड्डे पर इस देश के कई नायकों में एक नायक मुझे टकराया. बस उसी के बारे में यहां कुछ बातें शेयर कर रही हैं.

एक युवा, मेरे पास आता है. एक सख्ता मगर दोस्ताना लहजे में मुझसे पूछता है ' मैम, क्या यही लाइन है? मैं हां में जवाब देती हूं. वह मुस्कुराकर हमारे पीछे खड़ा हो जाता है. और शुरू करता है एक के बाद एक कई फोन करने का सिलसिला. जो कुछ इस प्रकार थे.

पहले कॉल की शुरुआत होती है 'जय हिंद सर'. फिर बात आगे बढ़ती है. 'यस सर', 'अरे सर' और वह यह भी कहता है कि 'लेकिन सर, मैं छुट्टी पर हूं'. साफ था कि दूसरे छोर से उस युवक को आदेश दिया जा रहा था. जिसे वो बड़े धैर्य के साथ सुन रहा था और उसका जवाब दे रहा था. उसने आदरपूर्वक फोन काटा और दूसरा कॉल किया.

दूसरी कॉल की शुरुआत कुछ यूं हुई- 'मां, मेरी छुट्टी कैंसिल हो गई है'....

उस शख्स के मन के बारे में कल्पना कीजिए. जिसे दिवाली की छुट्टी मिली हो अपने घर जाने के लिए. वह घर पहुंचने वाला होता है, तभी उसे संदेश दिया जाता है कि उसकी छुट्टी कैंसल कर दी गई है. वह फोन पर अपने परिजनों को इस बात की जानकारी देता है और हंसते-हंसते ड्यूटी पर लौट जाता है. जाहिर है, ये जज्बा एक सैनिक का ही हो सकता है. इस सैनिक का नाम-पता तो नहीं मालूम है, लेकिन इसकी कहानी किसी को भी भावुक कर देगी. जिसे शेयर किया है अहमदाबाद की ऐशा शाह ने.

कॉर्पोरेट ट्रेनिंग कसल्टेंवट एशा ने अपनी फेसबुक वॉल पर दिवाली के ठीक पहले एक अनुभव शेयर किया है, जो कुछ इस तरह है:

"मैं आमतौर पर अपने रोजाना के अनुभवों को साझा करने से बचती हूं. क्योंकि वो मेरे होते हैं और मुझे कुछ नया सीखने में मदद करते हैं. लेकिन आज जो हुआ उसने मुझे अन्दर से हिला दिया. आज एक हकीकत से मेरी पहचान हुई है और मैं ये सोचने पर मजबूर हूं कि जिन बातों को हम हल्के में लेते हैं वो उतनी हल्की नहीं होतीं.

आज शाम मुंबई हवाई अड्डे पर इस देश के कई नायकों में एक नायक मुझे टकराया. बस उसी के बारे में यहां कुछ बातें शेयर कर रही हैं.

एक युवा, मेरे पास आता है. एक सख्ता मगर दोस्ताना लहजे में मुझसे पूछता है ' मैम, क्या यही लाइन है? मैं हां में जवाब देती हूं. वह मुस्कुराकर हमारे पीछे खड़ा हो जाता है. और शुरू करता है एक के बाद एक कई फोन करने का सिलसिला. जो कुछ इस प्रकार थे.

पहले कॉल की शुरुआत होती है 'जय हिंद सर'. फिर बात आगे बढ़ती है. 'यस सर', 'अरे सर' और वह यह भी कहता है कि 'लेकिन सर, मैं छुट्टी पर हूं'. साफ था कि दूसरे छोर से उस युवक को आदेश दिया जा रहा था. जिसे वो बड़े धैर्य के साथ सुन रहा था और उसका जवाब दे रहा था. उसने आदरपूर्वक फोन काटा और दूसरा कॉल किया.

दूसरी कॉल की शुरुआत कुछ यूं हुई- 'मां, मेरी छुट्टी कैंसिल हो गई है'. इसके बाद वो अपनी मां को अपनी नई पोस्टिंग और कितने दिनों के लिए जा रहा है, जैसी बातें बताता है. साथ ही वो अपनी मां को इस बात का भी आश्वासन देता है कि वो ड्यूटी खत्म होते ही जल्द वापस घर आएगा.

तीसरे कॉल पर वो अपने मुंह से एक सुन्दर सा नाम लेता है. और फिर हंसकर कहता है 'आई लव यू टू'. इस कॉल में एक दुखी लहजे में प्रेम था. माफ़ी थी. दूर रहने का गम था. और जल्दद वापस आने के दिलासे के साथ कुछ हर्जाने के वादे.

चौथा फोन कॉल वो अपने साथी को करता है. और अपने साथ हुए वाकये के बारे में बताता है. साथ ही वो उसे ये भी बताता है कि कैसे इस बार वो 160 दिनों से ज्यादा के लिए नई पोस्टिंग पर जा रहा है.

उस युवक की दूसरी कॉल के अंत तक मेरी आंखें नम हो गई थीं और मैंने रोना शुरू कर दिया था. इस बात को समझने के लिए किसी आइंस्टाइन के दिमाग की जरूरत नहीं है कि ये शख्स हमारी सेना का एक ऑफिसर है. जिसकी दिवाली की छुट्टियों को कैंसिल कर दिया गया है. उसके लहजे में प्रतिरोध का कोई संकेत नहीं था. वो जानता था कि उसने किस बात की कसम खाई है.

एयरपोर्ट पर खड़े होकर हमने उस ऑफिसर के इमोशंस को जीकर देखा. वह किस तरह अपने देश को, अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं से ऊपर रखता है.

जैसे ही उसने अपनी चौथी कॉल को खत्म किया, मैं और रोहन (मेरे पति) एकसाथ पीछे मुड़े. हमने उससे लाइन में अपने से आगे लगने का आग्रह किया. उसने अस्वीकार कर दिया. लेकिन हम जोर देते रहे. वो हर बाधा को चुनौती देते हुए देश सेवा कर रहा था और हम सिर्फ 5 मिनट के लिए उसे लाइन में आगे करके उसका धन्यावाद अदा करना चाहते थे. जिसे मैंने उसे कई शब्दों में कहकर भी जताया.

भारतीय नौसेना के सब लेफ्टिनेंट से हुई इस मुलाकात पर हमें गर्व है. आप और आपके सभी साथियों को हमारा सलाम. हमारी छोटी सी ज़िन्दगी को बचाने और उसकी रक्षा करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद."

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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