• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

दुमका की अंकिता का हत्यारा शाहरुख़ वाक़ई सिरफिरा था या फिर वजह कुछ और है?

    • prakash kumar jain
    • Updated: 31 अक्टूबर, 2022 05:24 PM
  • 31 अक्टूबर, 2022 05:24 PM
offline
समय रहते शाहरुख़ पर बंदिशें क्यों नहीं लगाई गई? पुलिसिंग क्यों नहीं हुई ? आजकल बहुत चर्चा होती है मॉरल पुलिसिंग की, कहां थी ? परिवार है कि फख्र करता है बेटा शाहरुख़ है, सलमान है और बेटे हैं कि शाहरुख़ और सलमान की सनक में जीने लगते हैं.

'उस’ एंगल से नहीं देखें तो एक और घटना का ज़िक्र बनता है जो दुर्भाग्य से कल ही घटी है. घटना मध्य प्रदेश के खंडवा की है जहां बबलू नाम के सिरफिरे ने १८ साल की लड़की के शादी से इनकार करने पर उसका गला रेत दिया. लड़की को तुरंत नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया जहां से उसे खंडवा जिला अस्पताल रेफर किया गया. वह बच नहीं पाई. बबलू फ़रार है. इसके पहले तड़के ही 23 अगस्त के दिन झारखंड के दुमका में अंकिता सिंह को उसी के मुहल्ले के शाहरुख़ ने उसी के घर में खिड़की से पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया. अंकिता, जो सोलह वर्ष की होती नवंबर में, को भी नहीं बचाया जा सका और उसने पांचवे दिन रांची के रिम्स में दम तोड़ दिया.

दुमका की अंकिता की हत्या करने वाले शाहरुख़ को आखिर पुलिस ने गिरफ्तार कर ही लिया

दोनों ही घटनाएं नृशंस हैं, अंकिता के साथ घटा ज़्यादा नृशंस है चूंकि प्रथम तो वह नाबालिग थी और द्वितीय मामले की फ़ितरत लव जिहाद जो क्वालीफाई कर गई. शाहरुख़ 2-3  साल से पीछे पड़ा था, आते जाते उसे छेड़ता था, फोन करता रहता था, पहले भी अंकिता के घर पर तोड़फोड़ की थी. मामला एक बार रिपोर्ट भी हुआ थ .

कुछ दिन पहले भी अंकिता के कहने पर पिता शिकायत दर्ज करने को तत्पर हुए थे लेकिन शाहरुख के भाई सलमान के इस आश्वासन पर कि उसे दुमका से बाहर भेज देंगे वे रुक गए . घटना के पहले की रात पुनः अंकिता ने पिता को शाहरुख़ द्वारा बार बार फोन कर परेशान किए जाने के बारे में बताया जिस पर उन्होंने कहा की सुबह देखते हैं.

परंतु अफ़सोस सुबह तड़के ही शाहरुख़ ने अपने दोस्त के साथ मिलकर घटना को अंजाम दे दिया. निश्चित ही इस तरह की घटनाएं समाज को कलंकित करती है. एक आदर्श स्थिति, जिसमें ऐसा घटे ही नहीं, प्रशासन के वश में नहीं होती. महती जिम्मेदारी खुद की, परिवार...

'उस’ एंगल से नहीं देखें तो एक और घटना का ज़िक्र बनता है जो दुर्भाग्य से कल ही घटी है. घटना मध्य प्रदेश के खंडवा की है जहां बबलू नाम के सिरफिरे ने १८ साल की लड़की के शादी से इनकार करने पर उसका गला रेत दिया. लड़की को तुरंत नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया जहां से उसे खंडवा जिला अस्पताल रेफर किया गया. वह बच नहीं पाई. बबलू फ़रार है. इसके पहले तड़के ही 23 अगस्त के दिन झारखंड के दुमका में अंकिता सिंह को उसी के मुहल्ले के शाहरुख़ ने उसी के घर में खिड़की से पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया. अंकिता, जो सोलह वर्ष की होती नवंबर में, को भी नहीं बचाया जा सका और उसने पांचवे दिन रांची के रिम्स में दम तोड़ दिया.

दुमका की अंकिता की हत्या करने वाले शाहरुख़ को आखिर पुलिस ने गिरफ्तार कर ही लिया

दोनों ही घटनाएं नृशंस हैं, अंकिता के साथ घटा ज़्यादा नृशंस है चूंकि प्रथम तो वह नाबालिग थी और द्वितीय मामले की फ़ितरत लव जिहाद जो क्वालीफाई कर गई. शाहरुख़ 2-3  साल से पीछे पड़ा था, आते जाते उसे छेड़ता था, फोन करता रहता था, पहले भी अंकिता के घर पर तोड़फोड़ की थी. मामला एक बार रिपोर्ट भी हुआ थ .

कुछ दिन पहले भी अंकिता के कहने पर पिता शिकायत दर्ज करने को तत्पर हुए थे लेकिन शाहरुख के भाई सलमान के इस आश्वासन पर कि उसे दुमका से बाहर भेज देंगे वे रुक गए . घटना के पहले की रात पुनः अंकिता ने पिता को शाहरुख़ द्वारा बार बार फोन कर परेशान किए जाने के बारे में बताया जिस पर उन्होंने कहा की सुबह देखते हैं.

परंतु अफ़सोस सुबह तड़के ही शाहरुख़ ने अपने दोस्त के साथ मिलकर घटना को अंजाम दे दिया. निश्चित ही इस तरह की घटनाएं समाज को कलंकित करती है. एक आदर्श स्थिति, जिसमें ऐसा घटे ही नहीं, प्रशासन के वश में नहीं होती. महती जिम्मेदारी खुद की, परिवार की और फिर समाज की है. लेकिन जब घटना घट गई, प्रशासन की भूमिका क्या होती है, महत्वपूर्ण है.

अंकिता के मामले में बात स्टॉकिंग से शुरू हुई, फोन पर परेशान करने पर आई, घर पर पहुंच कर तमाशा भी खड़ा किया और मोहल्ला उदासीन रहा, कैसे ? समय रहते शाहरुख़ पर बंदिशें क्यों नहीं लगाई गई ? पुलिसिंग क्यों नहीं हुई ? आजकल बहुत चर्चा होती है मॉरल पुलिसिंग की, कहां थी ? परिवार है कि फख्र करता है बेटा शाहरुख़ है, सलमान है और बेटे हैं कि शाहरुख और सलमान की सनक में जीने लगते हैं.

लड़की लड़के हिंदू मुस्लिम निकल आए तो माहौल ही सांप्रदायिक हो जाता है. और तब पक्षपातपूर्ण रवैये के आरोप लगते हैं, तुष्टिकरण होने लगता है. दुमका के एसडीओ पी नूर मुस्तफ़ा की भूमिका संदिग्ध हो गयी और बेवजह नहीं हुई . कहावत है आग बिना धुआं नहीं सो बातें ऐसी होती चली गई . शाहरुख़ को पकड़ तो लिया गया लेकिन मामला तीन दिन बाद दर्ज हुआ.

अंकिता को बालिग बताए जाने की नाकाम कोशिशें भी हुई . एक तरफ सरकार को खतरा न पैदा हो जाए सो सारे विधायक एयरलिफ़्ट करा लिए जाते हैं, राँची हिंसा में घायल ‘नदीम’ को एयर लिफ़्ट कराकर दिल्ली के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था लेकिन अंकिता को बचाने के लिए ऐसा प्रयास शायद ज़रूरी नहीं समझा गया.

और अब छन छन कर नित नई बातें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, वहीं से मीडिया भी उठा लेता है डिस्क्लेमर के साथ कि वे इनकी पुष्टि नहीं करते. पहले एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें शाहरुख़ पुलिस कस्टडी में जाते हुए बेशर्मी से हंसता हुआ नजर आ रहा है मानों उसे कोई पछतावा है ही नहीं. फिर अंकिता और शाहरुख के फोटो वायरल हो गए जिसमें दोनों साथ-साथ घूमते हुए नजर आ रहे थे.

यदि मान भी लें इन फोटो को तो क्या शाहरुख़ खान का कृत्य कमतर हो जाता है ? दरअसल जब कभी ऐसी नृशंस घटना होती है और पक्ष प्रतिपक्ष भिन्न संप्रदाय के होते हैं, खासकर जब एक पक्ष बहुतायत वाले अल्पसंख्यक समुदाय से होता है, निहित स्वार्थ के वश तमाम लोग एक्टिव हो जाते हैं. बड़ी और शायद एकमेव वजह वोट बैंक की पॉलिटिक्स ही होती है.

न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित होते लगती है क्योंकि प्रभावित करना ही कतिपय स्वार्थी तत्वों का मकसद होता है. चीजें किंचित भी डाइल्यूट कर दी या हो गई तो कह पाएंगे ना हम साथ खड़े हैं. कुल मिलाकर शाहरुख़ हो या बबलू , दोनों को सिरफिरा या सनकी बताकर डिस्क्राइब करना ही अनुचित हैं. अस्वीकृति बोले तो रिजेक्शन इतना ही नागवार गुजरा कथित सिरफिरे या सनकी को तो तो खुद ही मर जाता न. दोनों की मानसिकता ही विकृत हो गई जिसको कहीं न कहीं परिवार ने, मोहल्ले ने, समाज ने कंट्रीब्यूट किया.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲