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प्रेमी 'तुम' होता है लेकिन पति बनते ही उसे 'आप' बुलाने के लिए दबाव क्यों बनाया जाता है?

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 03 जनवरी, 2022 07:46 PM
  • 03 जनवरी, 2022 07:46 PM
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तुम या आप... आपको इन दोनों शब्दों में से कौन सा शब्द ज्यादा ‘अपना’ लगता है? आपने यह लाइन किसी ने किसी फिल्म में तो जरूर सुनी होगी कि, मुझे ‘आप नहीं तुम’ कहकर बुलाओ. लेकिन, शादी से पहले और शादी के बाद लड़‍कियों के लिए ये शब्द अलग ही परिदृश्‍य लेकर आते हैं.

पूजा की शादी तय होती है. वह बेहद खुश रहती है क्योंकि उसकी लव मैरिज (Love Marriage) हो रही होती है. सगाई वाले दिन मामला तब बिगड़ जाता है जब वह ससुराल वालों के सामने अपने प्रेमी (lover) और होने वाले पति (Husband) मनोज को हमेशा की तरह 'तुम' कह देती है. इसके बाद पूजा को उसके ससुराल की महिलाएं सबके सामने टोककर कहती हैं कि अब तुम मनोज को आप कहने की आदत डाल लो, क्योंकि वह अब तुम्हारा ब्वॉयफ्रेंड नहीं होने वाला पति है. पूजा उस समय झेप गई वह जैसे बहुत कुछ कहना चाहती थी लेकिन उसके मुंह से सिर्फ हां ही निकल पाया.

बॉयफ्रेंड 'तुम' और पति 'आप'?

आपको इन दोनों शब्दों में से कौन सा शब्द ज्यादा अपना लगता है? आपने यह लाइन किसी ने किसी फिल्म में तो जरूर सुनी होगी कि, मुझे ‘आप नहीं तुम’ कहकर बुलाओ. कई लोगों को ‘तुम’ शब्द अपना लगता है तो कई लोगों को ‘आप’ शब्द पसंद है. वैसे ये दोनों ही शब्द अपनी-अपनी जगह अच्छे हैं लेकिन कुछ बातों में इनको लेकर बहस हो जाती है. कई लोगों का कहना होता है कि ‘तुम’ शब्द उन्हें ज्यादा अपना लगता है और ‘आप’ में थोड़ी दूरी महसूस होती है.

लड़कियों को ससुराल में वह खुलापन नहीं मिल पाता जो मायके में मिलता है

 

वैसे यह बात तो सही है जब हम किसी को ‘आप’ कहकर बुलाते हैं तो उसमें आदर और सम्मान का भाव होता है. तो वहीं जिसे हम तुम कहते हैं वह हमें अपना महसूस होता है. हम अपने से बड़ों को आप कहकर बुलाते हैं क्योंकि हम उनका सम्मान करते हैं और छोटो को तुम कहकर पुकारते हैं लेकिन यह बात लड़कियों के मामले में तब बदल जाती है जब उनकी शादी होने वाली होती है.

लड़कियों की जिंदगी में शादी के बाद...

पूजा की शादी तय होती है. वह बेहद खुश रहती है क्योंकि उसकी लव मैरिज (Love Marriage) हो रही होती है. सगाई वाले दिन मामला तब बिगड़ जाता है जब वह ससुराल वालों के सामने अपने प्रेमी (lover) और होने वाले पति (Husband) मनोज को हमेशा की तरह 'तुम' कह देती है. इसके बाद पूजा को उसके ससुराल की महिलाएं सबके सामने टोककर कहती हैं कि अब तुम मनोज को आप कहने की आदत डाल लो, क्योंकि वह अब तुम्हारा ब्वॉयफ्रेंड नहीं होने वाला पति है. पूजा उस समय झेप गई वह जैसे बहुत कुछ कहना चाहती थी लेकिन उसके मुंह से सिर्फ हां ही निकल पाया.

बॉयफ्रेंड 'तुम' और पति 'आप'?

आपको इन दोनों शब्दों में से कौन सा शब्द ज्यादा अपना लगता है? आपने यह लाइन किसी ने किसी फिल्म में तो जरूर सुनी होगी कि, मुझे ‘आप नहीं तुम’ कहकर बुलाओ. कई लोगों को ‘तुम’ शब्द अपना लगता है तो कई लोगों को ‘आप’ शब्द पसंद है. वैसे ये दोनों ही शब्द अपनी-अपनी जगह अच्छे हैं लेकिन कुछ बातों में इनको लेकर बहस हो जाती है. कई लोगों का कहना होता है कि ‘तुम’ शब्द उन्हें ज्यादा अपना लगता है और ‘आप’ में थोड़ी दूरी महसूस होती है.

लड़कियों को ससुराल में वह खुलापन नहीं मिल पाता जो मायके में मिलता है

 

वैसे यह बात तो सही है जब हम किसी को ‘आप’ कहकर बुलाते हैं तो उसमें आदर और सम्मान का भाव होता है. तो वहीं जिसे हम तुम कहते हैं वह हमें अपना महसूस होता है. हम अपने से बड़ों को आप कहकर बुलाते हैं क्योंकि हम उनका सम्मान करते हैं और छोटो को तुम कहकर पुकारते हैं लेकिन यह बात लड़कियों के मामले में तब बदल जाती है जब उनकी शादी होने वाली होती है.

लड़कियों की जिंदगी में शादी के बाद बदलाव

वैसे तो शादी के बाद लड़का-लड़की दोनों की दुनिया बदल जाती है लेकिन लड़कियों की जिंदगी में यह बदवाल अधिक होता है. शादी के बाद लड़की का सरनेम से लेकर पहनावा तक बदल जाता है. लड़कियां पहले से अधिक जिम्मेदार हो जाती हैं, क्योंकि उन्हें घर और बाहर दोनों संभालना पड़ता है. लड़कियां खुद के लिए समय भी नहीं निकाल पातीं. चाहें हाउस वाइफ हो या वर्किंग उनका समय उनके लिए नहीं बच पाता.

लड़कियां अपने हिसाब से किसी चीज की प्लानिंग नहीं कर पाती हैं. उनका तो अपने हिसाब से सोना और जगना भी नहीं हो पाता है. यारी-दोस्ती और दोस्तों के साथ मस्ती तो भूल ही जाओ. दुनिया बदलने से यह मतलब यह नहीं है कि उनके साथ सिर्फ बुरी बातें ही होती हैं लेकिन उनके दिमाग में एक दायरा फिक्स होता है कि वे क्या कर सकती हैं और क्या नहीं. उन्हें इस दायरे की याद दिलाने के लिए किसी की जरूरत भी नहीं रहती, ना ही कोई बार-बार उन्हें टोकता है. असल में उनके लिए माहौल ही ऐसा तैयार किया जाता है कि वे अपने आप उसी रास्ते पर निकल पड़ती हैं.

शब्दों को सोच समझकर बोलना पड़ता है

लड़कियों को ससुराल में कुछ बोलने से पहले 100 बार सोचना पड़ता है. उन्हें सिर्फ शब्दों पर ही नहीं बल्कि अपने हाव-भाव पर भी बहुत ध्यान पड़ता है. देखने में आता है कि शादी के बाद लड़कियों को पति को आप कहने के लिए जोर दिया जाता है. वहीं लव मैरिज में तो शादी से पहले ही लड़की को अपने प्रेमी को आप कहने के लिए कहा जाता है. घर की महिलाएं पहले ही हिदायत दे देती हैं कि अभी से होने वाले पति को आप कहने की आदत डाल लो वरना बाद में परेशानी होगी. जो लड़की शुरु से ही अपने प्रेमी को तुम कहती है उसे तब बहुत अजीब लगता है जब वह उसे आप कहने की कोशिश करती है.

उसे लगता है कि वह जैसे किसी और को बुला रही है. उसे तुम में ही अपनापन लगता है औऱ आप में दूरी. हालांकि अपने प्रेमी को तुम बुलाने का यह मतलब नहीं है कि वह उसका सम्मान नहीं करती. ना ही उसे आप शब्द से कोई परेशानी है. असल में हम अपने दोस्तों को तुम ही कहते हैं. क्या कोई अपने दोस्त को आप कहकर पुकारता है?

अगर गलती से लड़की ने अपने प्रेमी बने पति को तुम कहकर दिया और ससुराल पक्ष ने सुन लिया तो उसे 10 बातें सुननी पड़ती है. ऐसे में लड़की को एक अलग तरह का दबाव महसूस होता है. उसे इस बात के लिए मायके पक्ष से भी डांट सुननी पड़ती है. इतना ही नहीं, छोटे देवर, जेठीनी की बेटी, ननद की बेटी या किसी छोटे से बच्चे भी अगर गलती से तुम कह दिया तब तो शामत ही आ आएगी. अब सोचिए अपने घर में शायद ही कोई लड़की अपने छोटे भाई को आप कहकर बुलाती होगी. ऐसे में उसे अपनापन आने में समय लगता है. हालांकि उसे धीरे-धीरे आदत डालती ही पड़ती है. इसके अलावा उसके पास और कोई ऑप्शन भी नहीं रहता है.

लड़कों पर नहीं होता आप बोलने का दबाव

दूसरी बात इस तरह का प्रेशर लड़कों के ऊपर नहीं होता कि वे अपनी पत्नी या प्रेमिका को आप कहकर पुकारें, चाहें शादी से पहले या शादी के बाद वे अपनी पार्टनर को तुम ही कहते हैं. बहुत काम ऐसे पति होते हैं जो अपनी पत्नी को आप कहते हैं.

मैंने कई ऐसे जोड़ों को देखा है जिसमें पत्नी तो पति आप कहती है लेकिन पति हमेशा पत्नी को तुम कह कहते हैं...मतलब दुनिया के हर कर्म लड़कियों से ही करवाना है. इससे अच्छा यह है कि दो लोगों के रिश्ते में कोई तीसरा कुछ बोले ही नहीं...चाहें वे एक-दूसरे को तुम कहें या आफ यह उन दोनों के बीच का मामला होना चाहिए.

वहीं शादी से पहले लड़कियां कुछ भी बेझिझक होकर कह सकती हैं. किसी बात पर अपने घर में बहस भी कर सकती हैं. अपनी राय दे सकती हैं या फिर किसी बात पर खुलकर चर्चा भी कर सकती हैं. लड़कियों के घरवाले उन्हें अच्छी तरह से जानते हैं और समझते हैं. ससुराल में उस लड़की को कोई जानका नहीं है इसलिए कई बार वे अच्छी बातों को भी गलतफैमी में गलत समझ लेते हैं और बुरा मान जाते हैं.

लड़कियों को ससुराल में वह खुलापन नहीं मिल पाता जो मायके में मिलता है...कपड़े, स्टाइल के साथ लड़कियों को अपनी सोच भी बदलनी पड़ती है. किसी को आप कहने में बुराई नहीं है लेकिन हो सकता है कि जो प्यार तुम बुलाने में हो वो शायद किसी और शब्द में नहीं...

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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