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दिल्ली मेट्रो: तीसरे चरण का काम अंत की ओर, पर चौथा चरण अधर में

    • अमित अरोड़ा
    • Updated: 17 मार्च, 2018 10:58 AM
  • 17 मार्च, 2018 10:58 AM
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दिल्ली मेट्रो के इतिहास में यह ऐसा पहला चरण है जो वर्षों की देरी से चल रहा है. इससे पहले दिल्ली मेट्रो के सभी चरण अपने समय से पूरे हुए है. इसलिए साफ नजर आता है कि राजनीतिक कारणों से ही ये देरी हो रही है.

दिल्ली मेट्रो के तीसरे चरण का काम अंत की ओर है. यह चरण जून 2018 तक पूरा होने की उम्मीद है. चौथे चरण का काम जो की बहुत पहले शुरू हो जाना चाहिए था, अब भी सरकारी कागज़ों में ही फंसा पड़ा है.

दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण की स्वीकृति दिल्ली सरकार के पास दो साल से अधिक समय से लटकी पड़ी है. मई 2016 में दिल्ली सरकार ने इस चरण को अपनी सैधान्तिक मंज़ूरी दे दी, परंतु केंद्र सरकार ने यह कहकर फाइल राज्य सरकार को लौटा दी कि वह पहले इस चरण के लिए वित्तीय स्वीकृति दे. केंद्र सरकार के कई आवाहनों के बावज़ूद दिल्ली सरकार ने इस विषय में कोई रूचि नहीं दिखाई. वर्षों बाद भी दिल्ली सरकार ने इस परियोजना के लिए अपनी स्वीकृति नहीं दी है और न ही होने वाले खर्चे को बराबर वहन करने में हामी भरी है. थक हारकर केंद्र सरकार ने स्वयं ही चौथे चरण का खर्चा उठाने का निर्णय लिया है.

दिल्ली सरकार ने इस परियोजना के लिए अपनी स्वीकृति नहीं दी 

केंद्र के निर्णय के बाद केजरीवाल सरकार ने अपना पक्ष रखा है. उनका मानना है कि चौथा चरण वित्तीय तौर पर घाटे का सौदा होगा, जिसके वजह से दिल्ली मेट्रो को वित्तीय नुकसान झेलना पड़ेगा. दिल्ली मेट्रो के सूत्रों की माने तो जब तक चौथे चरण की परियोजना पूरी होगी तब तक इन मार्गों पर यात्रा करने वाले लोगों की संख्या भी इतनी बढ़ जाएगी कि मेट्रो को वित्तीय नुकसान नहीं उठना पड़ेगा.

दिल्ली मेट्रो के इतिहास में यह ऐसा पहला चरण है जो वर्षों की देरी से चल रहा है. इससे पहले दिल्ली मेट्रो के सभी चरण अपने समय से पूरे हुए है. इसलिए साफ नजर आता है कि राजनीतिक कारणों से ही ये देरी हो रही है. चौथे चरण में 6 लाइन प्रस्तावित हैं. दिल्ली सरकार के उदासीन रवैये को देखकर दिल्ली मेट्रो ने 6 में से कम-से-कम 3 लाइन पर ही काम शुरू करने का प्रस्ताव दिया है. यदि...

दिल्ली मेट्रो के तीसरे चरण का काम अंत की ओर है. यह चरण जून 2018 तक पूरा होने की उम्मीद है. चौथे चरण का काम जो की बहुत पहले शुरू हो जाना चाहिए था, अब भी सरकारी कागज़ों में ही फंसा पड़ा है.

दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण की स्वीकृति दिल्ली सरकार के पास दो साल से अधिक समय से लटकी पड़ी है. मई 2016 में दिल्ली सरकार ने इस चरण को अपनी सैधान्तिक मंज़ूरी दे दी, परंतु केंद्र सरकार ने यह कहकर फाइल राज्य सरकार को लौटा दी कि वह पहले इस चरण के लिए वित्तीय स्वीकृति दे. केंद्र सरकार के कई आवाहनों के बावज़ूद दिल्ली सरकार ने इस विषय में कोई रूचि नहीं दिखाई. वर्षों बाद भी दिल्ली सरकार ने इस परियोजना के लिए अपनी स्वीकृति नहीं दी है और न ही होने वाले खर्चे को बराबर वहन करने में हामी भरी है. थक हारकर केंद्र सरकार ने स्वयं ही चौथे चरण का खर्चा उठाने का निर्णय लिया है.

दिल्ली सरकार ने इस परियोजना के लिए अपनी स्वीकृति नहीं दी 

केंद्र के निर्णय के बाद केजरीवाल सरकार ने अपना पक्ष रखा है. उनका मानना है कि चौथा चरण वित्तीय तौर पर घाटे का सौदा होगा, जिसके वजह से दिल्ली मेट्रो को वित्तीय नुकसान झेलना पड़ेगा. दिल्ली मेट्रो के सूत्रों की माने तो जब तक चौथे चरण की परियोजना पूरी होगी तब तक इन मार्गों पर यात्रा करने वाले लोगों की संख्या भी इतनी बढ़ जाएगी कि मेट्रो को वित्तीय नुकसान नहीं उठना पड़ेगा.

दिल्ली मेट्रो के इतिहास में यह ऐसा पहला चरण है जो वर्षों की देरी से चल रहा है. इससे पहले दिल्ली मेट्रो के सभी चरण अपने समय से पूरे हुए है. इसलिए साफ नजर आता है कि राजनीतिक कारणों से ही ये देरी हो रही है. चौथे चरण में 6 लाइन प्रस्तावित हैं. दिल्ली सरकार के उदासीन रवैये को देखकर दिल्ली मेट्रो ने 6 में से कम-से-कम 3 लाइन पर ही काम शुरू करने का प्रस्ताव दिया है. यदि तीसरे चरण में काम खत्म होने से पहले, चौथा चरण शुरू नहीं हुआ तो अभी कार्यरत ठेकेदार और मजदूर देश की दूसरी परियोजनाओं में चले जाएंगे. उस स्थिति में चौथा चरण ओर महंगा हो जाएगा.

दिल्ली सरकार को यह बात समझनी चाहिए की केवल विरोध के नाम पर केंद्र सरकार का विरोध दिल्ली के विकास में बाधक होगा. राजनीतिक दलों को जनता के हित को सर्वोपरि मानना चाहिए. दिन प्रति दिन जनता में जागरूकता बढ़ रही है. अतः दिल्ली की जनता स्वयं पता लगा लेगी की किसके कारण मेट्रो का चौथा चरण पीछे चल रहा है. पहली बार जनता का विश्वास जीतना आसान है, परंतु उसे कायम रखना उतना ही कठिन है. अरविंद केजरीवाल को इस सच्चाई को समझ लेना चाहिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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