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देश की सबसे आधुनिक मेट्रो के उद्घाटन पर 'तुच्छ' कॉन्ट्रोवर्सी

    • शुभम गुप्ता
    • Updated: 25 दिसम्बर, 2017 04:02 PM
  • 25 दिसम्बर, 2017 04:02 PM
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मोदी के साथ शिष्टाचार वाले रिश्ते उसी दिन खत्म कर लिये थे, जिस दिन उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को psychopath (दिमागी रूप से बीमार) कहा था.

दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन का उद्घाटन 25 दिसंबर यानी आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किया गया. 12.64 किलोमीटर लंबी यह लाइन नोएडा के बॉटनिकल गार्डन को दक्षिण दिल्ली के कालकाजी से जोड़ती है. यह देश की ऐसी तीसरी मेट्रो लाइन है जिसका इस साल प्रधानमंत्री ने उद्घाटन किया. इससे पहले, पीएम मोदी ने जून में कोच्चि मेट्रो और नवंबर में हैदराबाद मेट्रो का उद्घाटन किया था.

दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन पर केजरीवाल को न बुलाए जाने के कारण खुद केजरीवाल हैं

मगर यहां विवाद इस चीज़ को लेकर खड़ा हो गया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मेट्रो के उद्घाटन के लिए बुलावा नहीं आया. जिसके बाद आम आदमी पार्टी के कई नेताओ ने प्रधानमन्त्री मोदी पर हमला बोला. आप नेता आशुतोष ने कहा की प्रधानमंत्री सबका साथ सबका विकास की बात करते हैं और देखिए दिल्ली मेट्रो के उद्घाटन में दिल्ली के मुख्यमंत्री को ही नहीं बुलाया गया.

वहीं आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अगर भाजपा को इतनी दिक़्क़त है तो 50 फ़ीसदी पैसा जो दिल्ली सरकार ख़र्च करती है वो उसे वापिस दे. इसे लेकर सोशल मीडिया पर भाजपा और आप कार्यकर्ताओं में भी काफ़ी बहसबाज़ी हुई. मगर आप लोगों को क्या लगता है? क्यों नहीं आमंत्रित किया प्रधानमंत्री ने एक मुख्यमंत्री को? शायद इसका सबसे बड़ा कारण है दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के शब्द. जब सीबीआई दिल्ली सचिवालय पहुँची थी तब केजरीवाल ने होश और जोश दोनों में ही कहा था की "प्रधानमंत्री कायर और सायकोपैथ हैं. उनके कर्म ही ख़राब हैं."

दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन का उद्घाटन 25 दिसंबर यानी आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किया गया. 12.64 किलोमीटर लंबी यह लाइन नोएडा के बॉटनिकल गार्डन को दक्षिण दिल्ली के कालकाजी से जोड़ती है. यह देश की ऐसी तीसरी मेट्रो लाइन है जिसका इस साल प्रधानमंत्री ने उद्घाटन किया. इससे पहले, पीएम मोदी ने जून में कोच्चि मेट्रो और नवंबर में हैदराबाद मेट्रो का उद्घाटन किया था.

दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन पर केजरीवाल को न बुलाए जाने के कारण खुद केजरीवाल हैं

मगर यहां विवाद इस चीज़ को लेकर खड़ा हो गया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मेट्रो के उद्घाटन के लिए बुलावा नहीं आया. जिसके बाद आम आदमी पार्टी के कई नेताओ ने प्रधानमन्त्री मोदी पर हमला बोला. आप नेता आशुतोष ने कहा की प्रधानमंत्री सबका साथ सबका विकास की बात करते हैं और देखिए दिल्ली मेट्रो के उद्घाटन में दिल्ली के मुख्यमंत्री को ही नहीं बुलाया गया.

वहीं आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अगर भाजपा को इतनी दिक़्क़त है तो 50 फ़ीसदी पैसा जो दिल्ली सरकार ख़र्च करती है वो उसे वापिस दे. इसे लेकर सोशल मीडिया पर भाजपा और आप कार्यकर्ताओं में भी काफ़ी बहसबाज़ी हुई. मगर आप लोगों को क्या लगता है? क्यों नहीं आमंत्रित किया प्रधानमंत्री ने एक मुख्यमंत्री को? शायद इसका सबसे बड़ा कारण है दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के शब्द. जब सीबीआई दिल्ली सचिवालय पहुँची थी तब केजरीवाल ने होश और जोश दोनों में ही कहा था की "प्रधानमंत्री कायर और सायकोपैथ हैं. उनके कर्म ही ख़राब हैं."

ये पहली बार है जब दिल्ली के किसी उद्घाटन में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री साथ नहीं है. मगर ये भी पहली बार था जब प्रधानमंत्री मोदी को किसी मुख्यमंत्री ने कायर और पागल कहा हो. अब जब केजरीवाल की नज़रों में प्रधानमंत्री मोदी कायर ही हैं, सायकोपेथ ही हैं तो फिर आपके हिसाब से तो उन्होंने सही ही किया.

आप ख़ुद सोचिए कोई शख़्स आपको खुलेआम कायर और पागल कहे तो वो आपको कहीं बुलाएगा? बिल्कुल नहीं बुलाएगा. और आप ने जब किसी को पागल और कायर मान ही लिया है तो आप भी क्यों उम्मीद कर रहें हैं कि उनके साथ उठना बैठना करें. शब्द एक ऐसी चीज़ है जो एक बार ज़ुबान से निकल गए तो ज़िंदगी भर चुभते हैं. कुछ ऐसा ही शायद प्रधानमंत्री मोदी के साथ हुआ है. शायद वो उम्मीद कर रहें हों कि केजरीवाल पहले इस बयान पर माफ़ी माँगें उसके बाद ही शायद कुछ बात बन सके. वहीं दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच मेट्रो किराए को लेकर भी काफ़ी विवाद चल रहा है. शायद ये भी वो वजह हो सकती है जिस कारण केंद्र ने दिल्ली सरकार को इस उद्घाटन से दूर रखा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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