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अमेरिका में गाय को गले लगाने के लिए 200 डॉलर क्यों दे रहे लोग, भारत में ऐसा हो तो?

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 25 मई, 2021 08:54 PM
  • 25 मई, 2021 08:54 PM
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भारतीय समाज में गाय को माता (cow love in india) कहा जाता है. गौप्रेम की परंपरा हमारे देश में काफी पुरानी है. लोग प्रेम भाव से गाय को सहलाते हैं और गले लगाते हैं.

भारतीय समाज में गाय को माता (cow love) कहा जाता है. गौप्रेम की परंपरा हमारे देश में काफी पुरानी है. लोग प्रेम भाव से गाय को सहलाते हैं और गले लगाते हैं. इस बीच खबर आई है कि कोरोना काल (corona time) के इस तनाव (stress) भरे माहौल के समय अमेरिका में लोग गाय को गले (cow hug) लगा रहे हैं.

कोरोना काल में गाय को गले लगाने का कारण क्या है

अब सोचिए अगर ऐसा कुछ हमारे देश में होता तो...अब तक ट्रोलर्स हावी हो चुके होते. ना जाने गाय पर क्या-क्या कहा जाता. कोई हैशटैग ट्रेंड कर रहा होता. आपको सीएम योगी आदित्यनाथ (Cm Yogi Adityanath) का वह आदेश तो याद ही होगा जब हंगामा मच गया था.

दरअसल, 2017 में जब मुख्यमंत्री के पद पर योगी आदित्यनाथ की ताजपोशी के अगले दिन से ही यूपी में योगी सरकार ने राज्य भर में चल रहे अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई शुरू कर दी थी. आखिर लोगों को गाय प्रेम से दिक्कत क्या है. हमारे यहां तो गाय को मां मानकर पूजा की जाती है. मां से प्रेम करने पर लोगों को क्या समस्या हो सकती है भला. गांवों में तो आज भी लोग दिन की शुरुआत गाय को चारा खिलाने से करते हैं.

असल में कोरोना वायरस की वजह से देश-विदेश में हर रोज लोग अपनों को खो रहे हैं. वहीं वायरस से बचने के लिए लोग अपने घरों में कैद होने को मजबूर हैं. इसका साइड इफेक्ट लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है.

लोग डिप्रेशन और एंग्जायटी की चपेट में आ रहे हैं. लोग तरह-तरह के उपाय अपना रहे हैं ताकि वे तनाव से उबर पाएं. वहीं अमेरिका और यूरोप के लोगों ने डिप्रेशन से बचने के लिए एक अनोखा तरीका निकाला है. यहां के लोग, गाय को गले लगाकर अपना मेंटल हेल्थ ठीक कर रहे हैं. जिसके लिए उन्हें 200 डॉलर तक कीमत चुकानी पड़ रही है. मानसिक शांति के लिए यहां कॉउ हगिंग यानी गाय को गले लगाने का...

भारतीय समाज में गाय को माता (cow love) कहा जाता है. गौप्रेम की परंपरा हमारे देश में काफी पुरानी है. लोग प्रेम भाव से गाय को सहलाते हैं और गले लगाते हैं. इस बीच खबर आई है कि कोरोना काल (corona time) के इस तनाव (stress) भरे माहौल के समय अमेरिका में लोग गाय को गले (cow hug) लगा रहे हैं.

कोरोना काल में गाय को गले लगाने का कारण क्या है

अब सोचिए अगर ऐसा कुछ हमारे देश में होता तो...अब तक ट्रोलर्स हावी हो चुके होते. ना जाने गाय पर क्या-क्या कहा जाता. कोई हैशटैग ट्रेंड कर रहा होता. आपको सीएम योगी आदित्यनाथ (Cm Yogi Adityanath) का वह आदेश तो याद ही होगा जब हंगामा मच गया था.

दरअसल, 2017 में जब मुख्यमंत्री के पद पर योगी आदित्यनाथ की ताजपोशी के अगले दिन से ही यूपी में योगी सरकार ने राज्य भर में चल रहे अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई शुरू कर दी थी. आखिर लोगों को गाय प्रेम से दिक्कत क्या है. हमारे यहां तो गाय को मां मानकर पूजा की जाती है. मां से प्रेम करने पर लोगों को क्या समस्या हो सकती है भला. गांवों में तो आज भी लोग दिन की शुरुआत गाय को चारा खिलाने से करते हैं.

असल में कोरोना वायरस की वजह से देश-विदेश में हर रोज लोग अपनों को खो रहे हैं. वहीं वायरस से बचने के लिए लोग अपने घरों में कैद होने को मजबूर हैं. इसका साइड इफेक्ट लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है.

लोग डिप्रेशन और एंग्जायटी की चपेट में आ रहे हैं. लोग तरह-तरह के उपाय अपना रहे हैं ताकि वे तनाव से उबर पाएं. वहीं अमेरिका और यूरोप के लोगों ने डिप्रेशन से बचने के लिए एक अनोखा तरीका निकाला है. यहां के लोग, गाय को गले लगाकर अपना मेंटल हेल्थ ठीक कर रहे हैं. जिसके लिए उन्हें 200 डॉलर तक कीमत चुकानी पड़ रही है. मानसिक शांति के लिए यहां कॉउ हगिंग यानी गाय को गले लगाने का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है.

सीएम योगी का गौ प्रेम है जगजाहिर

यूपी सीएम योगी का गौ प्रेम किसी से छिपा नहीं है. मंदिर की गौशाला में गायों को हरा चारा या गुड़ खिलाते हुए अक्सर उनकी तस्वीरें वायरल होती रहती हैं. मौसम कोई भी हो, वे रोज ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाते हैं. वह चाहे राजधानी लखनऊ में हों या गोरखपुर स्थित मठ में, वे कभी गो सेवा करना नहीं भूले. इसके लिए उन्होंने सीएम बनने के कुछ दिनों बाद ही जिलों में कान्हा गौशाला खोलने के आदेश दिये थे. एक इंटरव्यू के जवाब में योगी ने कहा था कि गौशाला की 350 गायें और उनके बछड़े मुझे जानते थे. पुरानी गायें तो मुझे पहचानती हैं.

कोरोना काल में गाय को गले लगाने का कारण

लोगों का मानना है कि गाय को गले लगाने से स्ट्रेस कम होता है. वैसे भी पालतू जानवरों को साथ मेंटल हेल्थ के लिए अच्छा माना जाता है. वहीं डॉक्टर्स के अनुसार, गाय को गले लगाने का जो एहसास वो एकदम घर पर एक बच्चे या पालतू जानवर को पालने जैसा है. गाय को एक बार हग करना हैप्पी हार्मोन ऑक्सीटोसिन, सेरोटोनिन और डोपामाइन को ट्रिगर करता है. जो कोर्टिसोल यानी तनाव हार्मोन को कम करता है. इस वजह से तनाव, चिंता और अवसाद कम होता है.

हमारे देश में शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की थी तो सबसे पहले गाय को ही पृथ्वी पर भेजा था. मात्र गाय ही ऐसा जानवर है जो मां शब्द का उच्चारण करता है, इसलिए मान्यता है कि मां शब्द की उत्पत्ति भी गोवंश से हुई है. गाय एक मां की तरह अपने दूध से हम-सभी को पालन-पोषण करती है. आयुर्वेद का मानना है कि मां के दूध के बाद बच्चे के लिए सबसे फायदेमंद दूध गाय का ही होता है.

कांग्रेसी तब क्या कहते जब मामला अपने देश का होता

इस बारे में कांग्रेस नेता मिलिंद देवरा ने भी एक वीडियो शेयर की है. उनका कहना है कि अमेरिका में लोग गाय को गले लगाने के लिए एक घंटे का 200 डॉलर तक का भुगतान कर रहे हैं. उन्होंने लिखा कि साफ है कि भारत इसमें आगे है. यहां गायों को 3000 सालों से पूजा जा रहा है. हमारे देश में गौ प्रेम का जो ट्रेंड है अब दुनिया में बढ़ रहा है. अब सवाल यह है कि अगर ऐसा अपने देश में होता तब भी कांग्रेस या विपक्ष के नेता यही कहते. या वैसा रूख होता जैसा बूचड़खाने संबिधित नियम लागू करने के वक्त हुआ था. ये सही है दूसरे देश में पैसा देकर गौ प्रेम देखकर तारीफ और अपने देश में निस्वार्थ भाव से की जाने वाली गौ सेवा पर हंगामा. ये कहां का इंसाफ है भाई...

गाय को लगे लगाना इम्यूनिटी के लिए कैसे काम करता है

गाय शांत स्वभाव का होती है. वह कोमल और धैर्यवान होती हैं. जब हम उसे गले लगाते हैं तो उसके गर्म शरीर का तापमान, धीमी गति से दिल की धड़कन और बड़े आकार से हमें फायदा होता है. जो हमारे बॉडी के मेटाबोलिज्म, इम्यूनिटी और तनाव प्रतिक्रिया को रेगुलेट करने में मदद करता है.आप भले ही धार्मिक आस्था को मत मानें कि गौ पूजन से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. मत मानिए कि गाय अपनी सेवा करने वाले व्यक्ति के सारे पाप अपनी सांस के जरिए खींच लेती है. भले यह भी मत मानिए कि गाय जहां पर बैठती है वहां के वातावरण को शुद्ध करके सकारात्मकता से भर देती है, लेकिन अब साइंस को किस तरह झूठा साबित करेंगे. वो भी अमेरिका जैसे देश की, जहां की हर चीज लगभग पूरी दुनिया के लोग कॉपी करते हैं.

 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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