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Covid-19 Survey: बच्चों ने कोरोना का सामना करके अपनी ताकत दिखा दी है

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 21 जुलाई, 2021 07:02 PM
  • 21 जुलाई, 2021 07:00 PM
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6-9 साल के बच्चों में 57.2 फीसदी और 10-17 साल के बच्चों में 61.6 फीसदी एंटीबॉडी पाई गई. जिसका सीधा सा मतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर में बच्चों पर भी कोरोना वायरस ने हमला बोला था. वहीं, ICMR के डीजी डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि छोटे बच्चे वायरल इंफेक्शन को आसानी से हैंडल कर लेते हैं.

भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर धीमी पड़ती नजर आ रही है. लेकिन, महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले अभी भी काफी ज्यादा हैं. कोरोना संक्रमण के करीब 50 फीसदी तक मामले इन दोनों राज्यों से ही सामने आ रहे हैं. इन राज्यों में पॉजिटिविटी रेट भी काफी ज्यादा है. वहीं, भारत में कोरोना की दूसरी लहर के पीछे जिम्मेदार माने जा रहे डेल्टा वेरिएंट को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी जारी कर दी है कि ये वेरिएंट पूरे विश्व में फैल सकता है और अब तक 111 देशों से ज्यादा में डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित मरीज पाए जा रहे हैं. तमाम एक्सपर्ट्स आशंका जता चुके हैं कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर भी जल्द ही दस्तक दे सकती है. तमाम आशंकाओं और चेतावनियों के बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने चौथे सीरो सर्वे (Sero Survey) के आंकड़े जारी किए हैं. आइए जानते हैं इस सीरो सर्वे से जुड़ी 5 बड़ी बातें.

बच्चों पर कोरोना संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा नही है.

बच्चों में संक्रमण का खतरा ज्यादा नहीं

जून-जुलाई के बीच किए गए इस सीरो सर्व में आईसीएमआर (ICMR) ने 28,975 लोगों के सैंपल लिए थे. इसमें 6 से 9 साल के 2,892, 10 से 17 साल के 5,799 बच्चों के सैंपल लिए गए थे. सर्वे के नतीजों के अनुसार, 6 से 17 वर्ष के आधे से ज्यादा बच्चे सीरो पॉजिटिव पाए गए. 6-9 साल के बच्चों में 57.2 फीसदी और 10-17 साल के बच्चों में 61.6 फीसदी एंटीबॉडी पाई गई. जिसका सीधा सा मतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर में बच्चों पर भी कोरोना वायरस ने हमला बोला था. वहीं, ICMR के डीजी डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि छोटे बच्चे वायरल इंफेक्शन को आसानी से हैंडल कर लेते हैं. यह बात स्थापित हो चुकी है कि वायरस रिसेप्टर्स के जरिये ही फेफड़ों को संक्रमित करता है. वयस्कों की तुलना में बच्चों में रिसेप्टर्स की संख्या कम होती है. इस स्थिति में कहा जा सकता है कि बच्चों पर कोरोना संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा नही है. डॉ. बलराम भार्गव ने ये भी कहा कि देश में स्कूल खोलने की बात लगातार हो रही है. यूरोप के कई...

भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर धीमी पड़ती नजर आ रही है. लेकिन, महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले अभी भी काफी ज्यादा हैं. कोरोना संक्रमण के करीब 50 फीसदी तक मामले इन दोनों राज्यों से ही सामने आ रहे हैं. इन राज्यों में पॉजिटिविटी रेट भी काफी ज्यादा है. वहीं, भारत में कोरोना की दूसरी लहर के पीछे जिम्मेदार माने जा रहे डेल्टा वेरिएंट को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी जारी कर दी है कि ये वेरिएंट पूरे विश्व में फैल सकता है और अब तक 111 देशों से ज्यादा में डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित मरीज पाए जा रहे हैं. तमाम एक्सपर्ट्स आशंका जता चुके हैं कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर भी जल्द ही दस्तक दे सकती है. तमाम आशंकाओं और चेतावनियों के बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने चौथे सीरो सर्वे (Sero Survey) के आंकड़े जारी किए हैं. आइए जानते हैं इस सीरो सर्वे से जुड़ी 5 बड़ी बातें.

बच्चों पर कोरोना संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा नही है.

बच्चों में संक्रमण का खतरा ज्यादा नहीं

जून-जुलाई के बीच किए गए इस सीरो सर्व में आईसीएमआर (ICMR) ने 28,975 लोगों के सैंपल लिए थे. इसमें 6 से 9 साल के 2,892, 10 से 17 साल के 5,799 बच्चों के सैंपल लिए गए थे. सर्वे के नतीजों के अनुसार, 6 से 17 वर्ष के आधे से ज्यादा बच्चे सीरो पॉजिटिव पाए गए. 6-9 साल के बच्चों में 57.2 फीसदी और 10-17 साल के बच्चों में 61.6 फीसदी एंटीबॉडी पाई गई. जिसका सीधा सा मतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर में बच्चों पर भी कोरोना वायरस ने हमला बोला था. वहीं, ICMR के डीजी डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि छोटे बच्चे वायरल इंफेक्शन को आसानी से हैंडल कर लेते हैं. यह बात स्थापित हो चुकी है कि वायरस रिसेप्टर्स के जरिये ही फेफड़ों को संक्रमित करता है. वयस्कों की तुलना में बच्चों में रिसेप्टर्स की संख्या कम होती है. इस स्थिति में कहा जा सकता है कि बच्चों पर कोरोना संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा नही है. डॉ. बलराम भार्गव ने ये भी कहा कि देश में स्कूल खोलने की बात लगातार हो रही है. यूरोप के कई देशों में कोरोना की किसी भी लहर के दौरान प्राइमरी स्कूल बंद नहीं किए गए थे. इस स्थिति में सावधानी के साथ प्राइमरी स्कूलों को भारत में भी खोला जा सकता है.

वैक्सीन ने दिखाया अपना असर

चौथे सीरो सर्वे में 18+ उम्र के 20 हजार 984 लोग शामिल किए गए थे. इसके साथ ही 7,252 हेल्थ केयर वर्कर्स के सैंपल भी लिए गए थे. सर्वे के अनुसार, 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों में 66.7 फीसदी और 45 से 60 साल के लोगों में 77.6 फीसदी एंटीबॉडी पाई गई हैं. वहीं, 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में 76.7 फीसदी एंटीबॉडी पाई गई हैं. केंद्र सरकार ने डॉक्टरों, मेडिकल स्टाफ और आवश्यक सेवाओं के लोगों के बाद सबसे पहले 60+ लोगों के टीकाकरण को ही शुरू किया था. चरणबद्ध तरीके इसमें गंभीर बीमारियों से ग्रस्त 45+ लोगों को टीकाकरण के लिए जोड़ा गया. कुछ ही समय बाद 45+ उम्र के सभी लोगों के लिए टीकाकरण का विकल्प खोल दिया गया. जिसका असर लोगों में व्यापक तौर पर दिखा है. वैक्सीनेशन के आधार पर जो लोग वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके थे, उनमें सीरो प्रिविलेंस 89.8 फीसदी थी. सिंगल डोज लेने वालों में सीरो प्रिवलेंस 81 फीसदी रही. वहीं, सर्वे में शामिल वैक्सीन नहीं लेने वालों में सीरो प्रिवलेंस 62.3 फीसदी ही पाई गई. सीरो सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज्यादा एंटीबॉडी 45 से 60 साल के आयु वर्ग के लोगों में पाई गई है. हेल्य़ केयर वर्कर्स में से 10.5 फीसदी ने वैक्सीन नहीं ली थी और बाकी के लोग वैक्सीन का एक या दोनों डोज ले चुके थे. हेल्थ केयर वर्कर्स में सीरो प्रिवलेंस 85.2 फीसदी पाई गई हैं.

एक तिहाई आबादी पर कोरोना वायरस का खतरा बरकरार

देश के 21 राज्यों के 70 जिलों में किए गए सीरो सर्वे के आंकड़ो को देखकर पता चलता है कि भारत की तकरीबन एक तिहाई आबादी पर अभी भी कोरोना का खतरा मंडरा रहा है. 6 साल से ज्यादा उम्र के हर तीन में से एक शख्स को कोरोना संक्रमण होने का खतरा बना हुआ है. देश के करीब 40 करोड़ लोगों की आबादी कोरोना वायरस के मामले में संवेदनशील श्रेणी में है. डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि देश में फिलहाल सीरो प्रिविलेंस 67.6 फीसदी है. सीरो सर्वे के अनुसार, जिन जगहों पर सीरो प्रिविलेंस कम है यानी जहां लोगों में एंटीबॉडी की संख्या कम है, वहां कोरोना वायरस की तीसरी लहर का खतरा सबसे ज्यादा है. जडॉ. भार्गव ने ये भी साफ किया कि देश में किए गए सीरो सर्वे को राज्य और स्थानीय जगहों के विकल्प के तौर पर नहीं लिया जा सकता है. सीरो सर्वे में अलग-अलग राज्यों को शामिल करने से अगली लहर का अंदाजा लगाया जाता है.

सामाजिक, सार्वजनिक, धार्मिक और राजनीतिक आयोजनों से बचें

डॉ. बलराम भार्गव ने सीरो सर्वे के आधार पर कहा कि लोगों को सामाजिक, सार्वजनिक, धार्मिक औक राजनीतिक आयोजनों में जहां भीड़ इकट्ठा होने की आशंका हो, वहां जाने से बचना चाहिए. जब तक जरूरी न हो, लोगों को यात्रा करने से बचना चाहिए. टीकाकरण पूरा होने के बाद ही लोगों को यात्रा करनी चाहिए. गौरतलब है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर कमजोर पड़ने के साथ ही लोगों की भारी भीड़ पहाड़ों और पर्यटन स्थलों पर जुटने लगी है. केंद्र सरकार से लेकर हेल्थ एक्सपर्ट तक लोगों को इस तरह घूमने से बचने की चेतावनी दे रहे हैं. लोगों से लगातार अपील की जा रही है कि कोरोना गाइडलाइंस का पालन किया जाए. लेकिन, सार्वजनिक स्थानों और पर्यटन स्थलों पर आई भीड़ मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ा रही हैं.

टीकाकरण के साथ ही कोरोना वायरस की ट्रैकिंग भी जरूरी

डॉ. भार्गव ने सीरो सर्वे के आंकड़ों को मद्देनजर रखते हुए कहा कि देश में सभी हेल्थ केयर वर्कर्स के टीकाकरण को बढ़ाना होगा. साथ ही कोरोना संक्रमण के लिए संवेदनशील आयु वर्ग के लोगों में वैक्सीनेशन की गति को तेज करना होगा. इसके साथ ही वेरिएंट ऑफ कंसर्न यानी डेल्टा वेरिएंट की ट्रैकिंग को लगातार करते रहना होगा. डॉ बलराम भार्गव ने सर्वे के आंकड़ों को उम्मीद की किरण माना है. लेकिन, ये भी कहा कि फिलहाल कोरोना वायरस को लेकर लापरवाही की कहीं कोई गुंजाइश नही है. सीरो सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि देश की दो तिहाई आबादी में एंटीबॉडी बन चुकी हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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