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Coronavirus की रफ्तार भारत में सुस्त क्यों है, जानिए...

    • मशाहिद अब्बास
    • Updated: 01 अप्रिल, 2020 03:51 PM
  • 01 अप्रिल, 2020 03:51 PM
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कोरोना वायरस (Coronavirus) अब हर दिन लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है लेकिन भारत (India) में इसकी रफ्तार अन्य देशों के मुकाबिल थोड़ी सुस्त है इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है यहां का स्वास्थ्य विभाग. लॅाकडाउन के बीच सबसे ज़्यादा कार्य अगर करना है तो वह स्वास्थ्य विभाग को ही करना है.

कोरोनावायरस (Coronavirus) का आतंक कहर बरपा रहा है. बड़े-बड़े विकसित देशों में हालात काबू में नही हैं. लाख कोशिशों के बावजूद कोरोना पर कंट्रोल मिलता नहीं दिखाई दे रहा है. अमेरिका (America) और इटली (Italy) जैसे देश हाशिए पर चले गए हैं. कोरोना वायरस कितना कहर बरपा रहा है इसका अंदाजा आप यूं लगाइये कि पूरी दुनिया में अबतक तकरीबन 8 लाख लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं और इन्हीं में से लगभग 38 हज़ार लोग अपनी जान भी गंवा (Coronavirus Global Death) बैठे हैं. कोरोना वायरस का सबसे पहला मामला दिसंबर 2019 में सामने आया था. यह पहला मामला चीन के वुहान शहर से सामने आया था. दिसंबर महीने से मार्च तक आते-आते यह चीन से निकलकर दुनिया के लगभग 170 देशों तक पहुंच गया और 4 महीनों में दुनियाभर के तकरीबन 8 लाख लोगों तक पहुंच गया.

पूरे विश्व को आतंकित करने के बाद भारत पहुंचे कोरोना वायरस ने भारत को भी संकट में डाल दिया है

हैरान कर देने वाली बात यह है कि 19 जनवरी 2020 तक दुनियाभर में सिर्फ 100 लोग इसकी चपेट में थे और 24 जनवरी आते-आते यह आंकड़ा 100 से 1000 तक पहुंच गया. इतनी तेज़ी के साथ फैला यह वायरस दुनियाभर को अपनी ओर आकर्षित कर चुका था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 11 मार्च 2020 को इस बीमारी को महामारी घोषित कर दिया. इससे पहले 30 जनवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को ग्लोबल हेल्थ इमेरजेंसी घोषित किया था. 11 फरवरी 2020 को इस कोरोना वायरस को कोविड-19 का नाम दिया गया. COVID-19 यानी 'कोरोना वायरस डिसीज 2019' चूंकि 2019 में कोरोना वायरस का मामला सामने आया था इसलिए इसे कोविड-19 का नाम दिया गया.

भारत में कोरोना वायरस ने जनवरी 2020 में दस्तक दी. भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला केरल में सामने आया,...

कोरोनावायरस (Coronavirus) का आतंक कहर बरपा रहा है. बड़े-बड़े विकसित देशों में हालात काबू में नही हैं. लाख कोशिशों के बावजूद कोरोना पर कंट्रोल मिलता नहीं दिखाई दे रहा है. अमेरिका (America) और इटली (Italy) जैसे देश हाशिए पर चले गए हैं. कोरोना वायरस कितना कहर बरपा रहा है इसका अंदाजा आप यूं लगाइये कि पूरी दुनिया में अबतक तकरीबन 8 लाख लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं और इन्हीं में से लगभग 38 हज़ार लोग अपनी जान भी गंवा (Coronavirus Global Death) बैठे हैं. कोरोना वायरस का सबसे पहला मामला दिसंबर 2019 में सामने आया था. यह पहला मामला चीन के वुहान शहर से सामने आया था. दिसंबर महीने से मार्च तक आते-आते यह चीन से निकलकर दुनिया के लगभग 170 देशों तक पहुंच गया और 4 महीनों में दुनियाभर के तकरीबन 8 लाख लोगों तक पहुंच गया.

पूरे विश्व को आतंकित करने के बाद भारत पहुंचे कोरोना वायरस ने भारत को भी संकट में डाल दिया है

हैरान कर देने वाली बात यह है कि 19 जनवरी 2020 तक दुनियाभर में सिर्फ 100 लोग इसकी चपेट में थे और 24 जनवरी आते-आते यह आंकड़ा 100 से 1000 तक पहुंच गया. इतनी तेज़ी के साथ फैला यह वायरस दुनियाभर को अपनी ओर आकर्षित कर चुका था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 11 मार्च 2020 को इस बीमारी को महामारी घोषित कर दिया. इससे पहले 30 जनवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को ग्लोबल हेल्थ इमेरजेंसी घोषित किया था. 11 फरवरी 2020 को इस कोरोना वायरस को कोविड-19 का नाम दिया गया. COVID-19 यानी 'कोरोना वायरस डिसीज 2019' चूंकि 2019 में कोरोना वायरस का मामला सामने आया था इसलिए इसे कोविड-19 का नाम दिया गया.

भारत में कोरोना वायरस ने जनवरी 2020 में दस्तक दी. भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला केरल में सामने आया, बताया जाता है कि मरीज चीन के वुहान युनिवर्सिटी का छात्र था. केरल में इस व्यक्ति का इलाज हुआ और इलाज सफल रहा, उसे कुछ दिनों के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. इसके बाद 1 महीने तक भारत में कोई भी कोरोना वायरस का मरीज़ नहीं मिला.

मार्च महीने की दूसरी तारीख को ही 3 नए कोरोना वायरस के केस सामने आए, इसके अगले दिन यानी 3 मार्च 2020 को ईटली के एक पर्यटक का कोरोना टेस्ट पाज़िटिव पाया गया. उस पर्यटक दल में शामिल अन्य लोगों की भी जांच की गई. जांच में उसी दल के 15 अन्य लोगों की भी कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव पाई गई. इसके बाद देश में कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की मानो बाढ़ सी आ गई हो. देश के अलग-अलग राज्यों से कोरोना के मामले सामने आने लगे.

13 मार्च 2020 को भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस की वजह से हुयी पहली मौत की पुष्टि की. यह मौत कर्नाटक में हुई जहां 76 वर्ष का व्यक्ति इस वायरस का शिकार हुआ. जिस तरह से इस कोरोना वायरस ने विश्व भर में कोहराम मचा रखा है वह हैरान कर देने वाला है, मामला इस कदर गंभीर हो चला है कि अब हर दिन लाखों लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं. जिस रफ्तार से विश्व भर में लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं उसको देख कर इतना तो कहा जा सकता है कि भारत में स्थिति फिलहाल इतनी बुरी नहीं है.

अगर आप भी ऐसा ही सोच रहे हैं तो शायद आप गलत भी हो सकते हैं. क्योंकि भारत में अबतक कुल 1400 लोग कोरोना की चपेट में आए हैं, ऐसे में आप भी यह सोचते होंगे कि 130 करोड़ की आबादी वाले भारत में 1400 लोग इस वायरस की चपेट में हैं यानी हालात बहुत हद तक संतोषजनक हैं, लेकिन ऐसा नहीं है.

अब भारत के स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों पर ही निर्भर करता है कि यहां से कोरोना वायरस भागता है या नहीं

यह भारत की कुल आबादी का आंकड़ा नहीं है. इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार देश भर में अबतक 38,442 परीक्षण ही किए गए हैं जिनमें कुल 1071 मामलों की पुष्टि की गई है और इसमें 29 लोगों की मौत भी हो गई है. यानी 38 हजार लोगों में से 1 हजार लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई है. भारत में पहला मामला जनवरी में सामने आया था जिसके 45 दिन के बाद यह आंकड़ा 100 तक पहुंच गया.

यह आंकड़ा 100 से 500 तक बदलने में मात्र 9 दिन का ही समय लगा और इस आंकड़ें को 500 से 1000 तक पहुंचने में सिर्फ 5 दिन ही लगे, यानी रफ्तार थमने के बजाए बढ़ रही है और रफ्तार में सुस्ती की वजह यह भी हो सकती है कि उतनी रफ्तार से टेस्ट नहीं किया जा रहा है.

पूरे देश को लॅाकडाउन कर दिया गया है और अब इसे सख्ती के साथ सफल भी बनाया जा रहा है बेशक इसका फायदा मिलेगा. कोरोना वायरस को फैलने से रोकने का यह एक कारगर तरीका है लेकिन इस 21 दिनों के लॅाकडाउन के पूरा होने से पहले हमें जांच करने की रफ्तार बढ़ानी होगी, वरना भारत में हालात संभालना बहुत मुश्किल हो जाएगा.

कोरोना वायरस का लक्षण और आम बीमारियों का लक्षण लगभग एक जैसा ही है और कोरोना वायरस के लक्षण कई दिनों के बाद ही सामने आते हैं. ऐसे में आम इंसान दुविधा में है वह समझ ही नहीं पाता की उसे कोरोना हुआ है या फिर मौसम के बदलने से वायरल बुखार या फ्लू जैसी बीमारी है. यही वजह है कि कोरोना वायरस के बनाए गए कंट्रोल रूम में रात-दिन जो फोन आ रहे हैं उनमें से ज़्यादातर वह लोग हैं जिन्हें कोई एक लक्षण दिख रहे हैं.

लोग भी परेशान हैं वह हर एक लक्षण को कोरोना से जोड़कर देख रहे हैं. यह सतर्कता ज़रूरी है लेकिन हमारे देश में स्वास्थ्य महकमा अभी जागा है, टेस्ट लैबों की कमी है हर दिन हज़ार से दो हज़ार ही नमूने जांचे जा सकते हैं इसलिए उन्हीं लोगों के परीक्षण को वरीयता दी जा रही है जो लोग कोरोना वायरस पीड़ित से संपर्क में आए हैं या फिर वह विदेश से हाल ही में भारत लौटे हैं. इसके अलावा कुछ ऐसे संदिग्धों का भी नमूना जांचा जा रहा है जिनकी हालत अस्थिर है.

भारत सरकार को कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अभी बहुत कार्य करने हैं और तेज़ी के साथ उन लोगों की जाँच करनी होगी जिनमें हाल-फिलहाल में कोरोना से जुड़ा कोई भी लक्षण दिखा हो, और यह कार्य लॅाकडाउन खत्म होने से पहले करना होगा, सरकार की लॅाकडाउन के ज़रिए पहली कोशिश भी यही थी कि इसे फैलने से रोका जाए.

लॅाकडाउन जब ही सफल साबित होगा जब सरकार इस कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में पूरी तरह से कामयाब हो जाए. अगर हम कोरोना वायरस को रोकने में सफल हो गए तो वाकई यह विश्व में भारत का नया मुकाम गढ़ेगा. हम सभी भारतवासियों की अभी यही चाह है कि भारत कोरोना को मात दे सकता है और इसमें हमें सरकार के दिए गए हर निर्देष का पालन करना है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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