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निज़ामुद्दीन की तब्लीगी जमात मजहब फैला रही थी या कोरोना वायरस?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 31 मार्च, 2020 04:45 PM
  • 31 मार्च, 2020 04:45 PM
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कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉक डाउन (Coronavirus lockdown) है ऐसे में जो मूर्खता दिल्ली के निज़ामुद्दीन (Nizamuddin) में एक धर्म के लोगों ने की है उसने न सिर्फ पूरे देश को खतरे में डाल दिया है बल्कि सुरक्षा के तमाम प्रयासों को ठेंगा दिखाया है.

कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते पूरा विश्व तबाही की कगार पर पहुंच गया है. बीमारी की अहम वजह संक्रमण है, इसलिए दुनिया भर में लोगों को घरों पर रहने की सलाह दी जा रही है. बीमारी की चपेट में अन्य लोग न आएं, इसलिए पहले ही विश्व के तमाम मुल्कों ने धार्मिक अनुष्ठानों और आयोजनों पर पाबंदी लगा दी गई थी. वहीं दुनिया भर से ऐसे भी मामले देखने को मिले हैं जिनमें सुरक्षा कारणों के चलते किये गए लॉक डाउन (Lockdown) के दौरान यदि कहीं पर धार्मिक गतिविधि होते दिख रही है तो इसके लिए लोगों को सख्त से सख्त सजा दी जा रही है. ये सब क्यों हो रहा है? कारण स्पष्ट है. तेजी से फैलते कोरोना वायरस पर लगाम कसना. सारी दुनिया और कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए उसके द्वारा किये जा रहे प्रबंध एक तरफ है. निजामुददीन (Nizamuddin) स्थित तबलीगी जमात (Tablighi Jamat) एक तरफ है. जिसने जाने अनजाने में न सिर्फ राजधानी दिल्ली (Delhi) बल्कि पूरे भारत के लोगों के प्राणों को संकट में डाल दिया है.

निज़ामुद्दीन में एक धर्म के लोगों ने जो किया उसने पूरे देश के सामने एक नयी मुसीबत खड़ी कर दी है

दिल्ली के निजामुददीन इलाके में तबलीगी जमात के मरकज से कोरोना के 24 मरीज मिलने के बाद स्थिति चिंताजनक हो गयी है. 350 लोगों को राजधानी के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. साथ ही इलाके को सील कर दिया गया है और ड्रोन से इलाके की निगरानी की जा रही है. बताया जा रहा है कि पुलिस उन 1600 लोगों की तलाश में जुट गई है जो इन 350 लोगों के संपर्क में आए थे.

बता दें कि निजामुददीन मरकज में न सिर्फ देश के बल्कि विदेशों से भी लोग 1 से 15 मार्क तक आयोजित तब्लीग-ए-जमात में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे. बताया जा रहा है कि प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए देश दुनिया के कुल1830 लोग...

कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते पूरा विश्व तबाही की कगार पर पहुंच गया है. बीमारी की अहम वजह संक्रमण है, इसलिए दुनिया भर में लोगों को घरों पर रहने की सलाह दी जा रही है. बीमारी की चपेट में अन्य लोग न आएं, इसलिए पहले ही विश्व के तमाम मुल्कों ने धार्मिक अनुष्ठानों और आयोजनों पर पाबंदी लगा दी गई थी. वहीं दुनिया भर से ऐसे भी मामले देखने को मिले हैं जिनमें सुरक्षा कारणों के चलते किये गए लॉक डाउन (Lockdown) के दौरान यदि कहीं पर धार्मिक गतिविधि होते दिख रही है तो इसके लिए लोगों को सख्त से सख्त सजा दी जा रही है. ये सब क्यों हो रहा है? कारण स्पष्ट है. तेजी से फैलते कोरोना वायरस पर लगाम कसना. सारी दुनिया और कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए उसके द्वारा किये जा रहे प्रबंध एक तरफ है. निजामुददीन (Nizamuddin) स्थित तबलीगी जमात (Tablighi Jamat) एक तरफ है. जिसने जाने अनजाने में न सिर्फ राजधानी दिल्ली (Delhi) बल्कि पूरे भारत के लोगों के प्राणों को संकट में डाल दिया है.

निज़ामुद्दीन में एक धर्म के लोगों ने जो किया उसने पूरे देश के सामने एक नयी मुसीबत खड़ी कर दी है

दिल्ली के निजामुददीन इलाके में तबलीगी जमात के मरकज से कोरोना के 24 मरीज मिलने के बाद स्थिति चिंताजनक हो गयी है. 350 लोगों को राजधानी के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. साथ ही इलाके को सील कर दिया गया है और ड्रोन से इलाके की निगरानी की जा रही है. बताया जा रहा है कि पुलिस उन 1600 लोगों की तलाश में जुट गई है जो इन 350 लोगों के संपर्क में आए थे.

बता दें कि निजामुददीन मरकज में न सिर्फ देश के बल्कि विदेशों से भी लोग 1 से 15 मार्क तक आयोजित तब्लीग-ए-जमात में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे. बताया जा रहा है कि प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए देश दुनिया के कुल1830 लोग यहां उपस्थित हुए थे और अब भी यहां 1400 लोगों के आस पास लोग मौजूद हैं.

एक ऐसे समय में जब कोरोना वायरस का पहला मामला जनवरी में भारत में देखने को मिला हो ये तब ही साबित हो गया था कि भारत में स्थिति चिंताजनक रहेगी. उनके बाद मार्च के पहले हफ्ते में जब भारत में मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ देश में हड़कंप मच गया.

ऐसे में निजामुददीन स्थित तब्लीग -ए-जमात का इस तरह एक बड़ी गैदरिंग का आयोजन करना इस बात के साफ संकेत दे देता है कि संगठन ने अपनी रूढ़िवादिता के चलते सारे देश को खतरे में डाल दिया है.

मामला प्रकाश में आने के बाद ये कहना हमारे लिए बिल्कुल भी गलत नहीं है कि इनके धार्मिक कठमुल्लेपन के कारण कोरोना का महासंकट और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है. अब दिल्ली का निजामुददीन देश के लिए कोरोना के लिहाज से नया हॉट स्पॉट है.

कार्यक्रम में न सिर्फ सैकड़ों लोग शामिल हुए बल्कि इनकी एक मूर्खता के चलते इलाके के हज़ारों लोगों की जान पर भी संकट बन आया है. इन्होंने जिस तरह सोशल डिस्टेंसिंग को ठेंगा दिखाया है उसने इस बात को भी सिद्ध किया है कि जब बात धर्म की आती है तो व्यक्ति सारी समझदारी सारी होशियारी को ताख पर रख देता है.

मामला एक गंभीर बीमारी के तहत देश और देश की सुरक्षा से जुड़ा है इसलिए सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाओं का आना स्वाभाविक था. घटना की आलोचना खुद देश का मुसलमान कर रहा है. तर्क दिए जा रहे हैं कि जब इस मुश्किल घड़ी में पूरा देश अपने अपने घरों में रहने को बाध्य है तो आखिर जमात के लोगों को ये प्रोग्राम आयोजित कर मूर्खता करने की क्या ज़रूरत थी.

कुछ और बात करने से पहले आइये नजर डाल लें कि इस मामले के अंतर्गत क्या कह रही है सम्पूर्ण देश की जनता.

पत्रकार सबा नक़वी ने मामले को ट्विटर पर उठाते और उसकी आलोचना करते हुए लिखा है एक ऐसे वक़्त में जब काबा बंद है. सामूहिक नमाज बंद है तो आखिर तब्लीग के लोगों को ये मूर्खता करतबे की क्या ज़रुरत थी.

शिवम पांडे नाम के यूजर ने भी इसे एक गंभीर समस्या माना है और कहा है कि एक ऐसे समय में जब लॉक डाउन चल रहा हो आखिर ये गैदरिंग हुई कैसे?

जैसा कि स्वाभाविक था इस मामले की तुलना होगी। इस मामले में भी यही देखने को मिल रहा है. लोगों ने निज़ामुद्दीन की तुलना हरिमंदिर साहिब से करनी शुरू कर दी है.

सोशल मीडिया पर ऐसे लोगों की भी एक बड़ी संख्या है जिन्होंने मामले को अलगाववाद से जोड़कर देखना शुरू कर दिया है.

चूंकि मामला धर्म से जुड़ा था इसलिए इसपर राजनीति होनी भी स्वाभाविक थी लोग सोशल मीडिया पर ये भी कह रहे हैं कि जो बातें आज हो रही हैं ये तब क्यों नहीं हुईं जब लाखों मजदूर दिल्ली से उत्तर प्रदेश और बिहार की तरफ पलायन करने वाले थे.

साफ़ है कि जैसी व्यक्ति की राजनीतिक विचारधारा है वो इस मामले को ठीक वैसे ही देख रहा है.

बहरहाल जिस तरह से निज़ामुद्दीन मरकज़ की तरफ से चूक हुई है एक अनचाही मुसीबत देश के सामने आ गयी है. जिस हिसाब से यहां से निकल कर लोग दूसरी जगहों पर गए हैं. साफ़ हो गया है कि सुरक्षा के लिहाज से एक धर्म विशेष के कारण बहुत बड़ी चूक हो गई है.

खतरा पूरे देश पर है और जब स्थिति इतनी विकट हो तो ईश्वर से प्रार्थना ही एकमात्र विकल्प है. बाकी शासन और प्रशासन को इस घटना का संज्ञान सख्ती से लेना चाहिए और दोषियों को सख्त से सख्त सजा देनी चाहिए.  

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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