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Lockdown के लिए सीरियस 300 गांव वालों ने ख़ुद ही एक दूसरे को किया गंजा...

    • आईचौक
    • Updated: 16 अप्रिल, 2020 10:39 PM
  • 16 अप्रिल, 2020 10:38 PM
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लॉकडाउन (Lockdown ) के मद्देनजर अजमेर के मायापुर गांव (Mayapur Village ) के लोग कितने गंभीर हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वहां 300 लोगों ने सामूहिक मुंडन कराया है. लोग नहीं चाहते कि संक्रमण फैले और लोग कोरोना वायरस (Coronavirus ) की चपेट में आएं.

पहले 14 अप्रैल तक लॉकडाउन (Lockdown) 1 अब 3 मई तक लॉक डाउन 2 ये सब कोरोना वायरस जैसी खौफनाक बीमारी (Coronavirus disease) से बचने के लिए किया गया है. सरकार और खुद पीएम मोदी (PM Modi) बार बार इस बात को दोहरा रहे हैं कि यदि हमने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया और जरूरी सावधानियां बरतीं तो इस बीमारी को बड़ी ही आसानी के साथ करारी शिकस्त दी जा सकती है. ध्यान रहे कि देश में एक के बाद एक कोरोना वायरस के मामले सामने आ रहे हैं और तेजी के साथ लोगों की मौत भी हो रही है. ऐसे में सावधानी ही वो माध्यम है जिसका पालन यदि किया गया तो शायद हालात कुछ राहत देने वाले बनें. बात सावधानी की चल रही है तो हमें अजमेर के मायापुर गांव के लोगों से कुछ प्रेरणा लेनी चाहिए. जिन्होंने जो कर दिया है वो हैरत में डालने वाला तो है ही साथ ही ये भी बता रहा है कि अगर जब साथ हों तो नामुमिकन कुछ नहीं है. यहां के 300 लोग ख़ुद गंजे हुए हैं.

जी हां बिलकुल सही सुना आपने. कोरोना वायरस से निपटने के लिए मायापुर के लोग पिछले दस दिन से खुद ही मोर्चा संभाले हुए हैं. लोग बीमारी के प्रति इतने गंभीर हैं कि न किसी को गांव से बाहर जाने दे रहे ना ही कोई इनके गांव में आ पा रहा है. गांव की तीन तरफ की सीमाओं को युवाओं ने पूरी तरह से सील कर रखा है. लॉक डाउन है तो जाहिर है सभी दुकाने भी बंद हैं ऐसे में सबसे ज्यादा परेशान युवा हैं जिनके बाल और दाढ़ी उनके लिए चुनौती बने हैं.

मायापुर के लोगों ने इसका भी समाधान निकाल लिया है. लॉकडाउन में सैलून बंद होने के कारण गांव के सैकड़ों बच्चे व युवाओं ने खुद ही एक-दूसरे के सिर मूंड दिए हैं. बात सुनने में तोड़ी अटपटी जरूर है मगर सच यही है. नाई से बाल कटवाने पर संक्रमण हो सकता है इसलिए मायापुर के युवाओं और बच्चों ने खुद ही एक दूसरे के बाल मूड़ने का काम शुरू कर दिया है. बताते चलें कि फ़िलहाल 300 लोग मायापुर गांव में गंजे हो गए हैं.

पहले 14 अप्रैल तक लॉकडाउन (Lockdown) 1 अब 3 मई तक लॉक डाउन 2 ये सब कोरोना वायरस जैसी खौफनाक बीमारी (Coronavirus disease) से बचने के लिए किया गया है. सरकार और खुद पीएम मोदी (PM Modi) बार बार इस बात को दोहरा रहे हैं कि यदि हमने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया और जरूरी सावधानियां बरतीं तो इस बीमारी को बड़ी ही आसानी के साथ करारी शिकस्त दी जा सकती है. ध्यान रहे कि देश में एक के बाद एक कोरोना वायरस के मामले सामने आ रहे हैं और तेजी के साथ लोगों की मौत भी हो रही है. ऐसे में सावधानी ही वो माध्यम है जिसका पालन यदि किया गया तो शायद हालात कुछ राहत देने वाले बनें. बात सावधानी की चल रही है तो हमें अजमेर के मायापुर गांव के लोगों से कुछ प्रेरणा लेनी चाहिए. जिन्होंने जो कर दिया है वो हैरत में डालने वाला तो है ही साथ ही ये भी बता रहा है कि अगर जब साथ हों तो नामुमिकन कुछ नहीं है. यहां के 300 लोग ख़ुद गंजे हुए हैं.

जी हां बिलकुल सही सुना आपने. कोरोना वायरस से निपटने के लिए मायापुर के लोग पिछले दस दिन से खुद ही मोर्चा संभाले हुए हैं. लोग बीमारी के प्रति इतने गंभीर हैं कि न किसी को गांव से बाहर जाने दे रहे ना ही कोई इनके गांव में आ पा रहा है. गांव की तीन तरफ की सीमाओं को युवाओं ने पूरी तरह से सील कर रखा है. लॉक डाउन है तो जाहिर है सभी दुकाने भी बंद हैं ऐसे में सबसे ज्यादा परेशान युवा हैं जिनके बाल और दाढ़ी उनके लिए चुनौती बने हैं.

मायापुर के लोगों ने इसका भी समाधान निकाल लिया है. लॉकडाउन में सैलून बंद होने के कारण गांव के सैकड़ों बच्चे व युवाओं ने खुद ही एक-दूसरे के सिर मूंड दिए हैं. बात सुनने में तोड़ी अटपटी जरूर है मगर सच यही है. नाई से बाल कटवाने पर संक्रमण हो सकता है इसलिए मायापुर के युवाओं और बच्चों ने खुद ही एक दूसरे के बाल मूड़ने का काम शुरू कर दिया है. बताते चलें कि फ़िलहाल 300 लोग मायापुर गांव में गंजे हो गए हैं.

कोरोना वायरस से बचने के लिए राजस्थान के लोगों ने जो किया है वो अपने आप में अनूठा है

इस खौफनाक बीमारी को ठिकाने लगाने के लिए एकजुट हुए लोग कितने और किस हद तक सावधान हैं इसका अंदाजा गांव के लोगों की बातें सुन कर लगाया जा सकता है. गांव के नवयुवक मंडल के सदस्य हरदीप रावत के अनुसार हर आने जाने वाले पर पैनी निगाह रखी जा रही है. ऐसा इसलिए हो रहा है ताकि कोरोना को फैलने से रोका जा सके. गांव न इ अपने स्तर पर सारी व्यवस्था की है. गांव के लोग बीमारी के प्रति कितने जागरूक है इसे यूं भी समझ सकते हैं कि साथ आए लोगों की ये बैरिकेडिंग उस घोषणा के एक हफ्ते बाद हटाई जाएगी जब सरकार लॉक डाउन ख़त्म करेगी.

बताते चलें कि मायापुर गांव के तीन रास्तों पर स्थापित की गई चौकियों में गांव के लड़के 24 घंटे ड्यूटी दे रहे हैं और यहां ये काम 4-4 घंटे की शिफ्ट में किया जा रहा है. गांव वालों ने ये भी बताया है कि यदि उन्हें कोई इलाके में संदिग्ध दिख रहा है तो वो उसकी जानकारी तुरंत पुलिस को दे रहे हैं.

हो सकता है पहली नजर में गांव के लोगों द्वारा की गयी ये हरकत किसी को भी हंसने पर मजबूर कर दे. मगर हमें इसका सकारात्मक पक्ष देखना होगा और इस बात की तारीफ करनी होगी कि ये गांव के लोग उन शहरियों से तो कहीं अच्छे हैं. जिनके जीवन का फ़िलहाल एक ही मकसद है कि कैसे वो नियमों को तोड़ें और अपनी मनमानी करें.

अंत में बस इतना ही कि सामूहिक मुंडन के जरिये इन गांव वालों ने एक बड़ा सन्देश दिया है अब बस देखना ये है कि देश और देश की जनता इसे कितनी प्रेरणा लेते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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