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अश्लीलता कंडोम में नहीं, बल्कि विज्ञापन दिखाने के तरीके में है

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 13 दिसम्बर, 2017 12:16 PM
  • 13 दिसम्बर, 2017 12:16 PM
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अगर कंडोम के विज्ञापन इतने खराब हैं जिन्हें दिनभर और रात के प्राइमटाइम के 16 घंटे की अवधि में दिखाया ही नहीं जा सकता है, तो अभी तक सरकार ने इस पर रोक क्यों नहीं लगाई थी?

सोमवार को सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कंडोम के विज्ञापन दिखाने पर रोक लगा दी है. आदेश के अनुसार सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक कंडोम के विज्ञापन नहीं दिखाए जा सकते हैं. मंत्रालय ने यह फैसला बच्चों को ध्यान में रखते हुए लिया है. सरकार के अनुसार ऐसे किसी विज्ञापन को दिखाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जो बच्चों की सुरक्षा को खतरे में डालें या फिर उन्हें किसी अस्वास्थ्यकर प्रथा में दिलचस्पी के लिए प्रेरित करें. अगर कंडोम के विज्ञापन इतने खराब हैं जिन्हें इस 16 घंटे की अवधि में दिखाया ही नहीं जा सकता है, तो अभी तक सरकार ने इस पर रोक क्यों नहीं लगाई थी? इसका जवाब है कि टीवी पर दिखाए जाने वाले विज्ञापनों के लिए कोई सेंसरशिप है ही नहीं. बिना किसी सेंसरशिप के ही विज्ञापन टीवी पर दिखाए जाते हैं.

टीवी पर दिखाए जाने वाले विज्ञापनों के लिए कोई सेंसरशिप है ही नहीं. बिना किसी सेंसरशिप के ही विज्ञापन टीवी पर दिखाए जाते हैं.

ये संस्था रखती है नजर

ऐसा नहीं है कि कोई संस्था टीवी विज्ञापनों पर नजर रखती ही नहीं है. एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) यही काम करती है, जो एक गैर-सरकारी संस्था है. अगर किसी ग्राहक को किसी विज्ञापन से दिक्कत होती है तो वह ASCI से इसकी शिकायत करता है और फिर उस विज्ञापन देने वाली कंपनी से जवाब मांगा जाता है. अगर चर्चा के बाद यह साबित हो जाता है कि विज्ञापन में दिक्कत है जो या तो उसे बदलने के लिए कहा जाता है या फिर उसे हटाने का आदेश दिया जाता है. कुछ ऐसा ही हुआ है सन्नी लियोनी वाले कंडोम के विज्ञापन में. अश्लील विज्ञापन से परेशान होकर लगातार लोगों ने इसकी शिकायत की और आखिरकार अब सरकार ने एक इस दिशा में एक सख्त कदम उठाया है.

जागरुकता नहीं, कमाई का जरिया...

सोमवार को सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कंडोम के विज्ञापन दिखाने पर रोक लगा दी है. आदेश के अनुसार सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक कंडोम के विज्ञापन नहीं दिखाए जा सकते हैं. मंत्रालय ने यह फैसला बच्चों को ध्यान में रखते हुए लिया है. सरकार के अनुसार ऐसे किसी विज्ञापन को दिखाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जो बच्चों की सुरक्षा को खतरे में डालें या फिर उन्हें किसी अस्वास्थ्यकर प्रथा में दिलचस्पी के लिए प्रेरित करें. अगर कंडोम के विज्ञापन इतने खराब हैं जिन्हें इस 16 घंटे की अवधि में दिखाया ही नहीं जा सकता है, तो अभी तक सरकार ने इस पर रोक क्यों नहीं लगाई थी? इसका जवाब है कि टीवी पर दिखाए जाने वाले विज्ञापनों के लिए कोई सेंसरशिप है ही नहीं. बिना किसी सेंसरशिप के ही विज्ञापन टीवी पर दिखाए जाते हैं.

टीवी पर दिखाए जाने वाले विज्ञापनों के लिए कोई सेंसरशिप है ही नहीं. बिना किसी सेंसरशिप के ही विज्ञापन टीवी पर दिखाए जाते हैं.

ये संस्था रखती है नजर

ऐसा नहीं है कि कोई संस्था टीवी विज्ञापनों पर नजर रखती ही नहीं है. एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) यही काम करती है, जो एक गैर-सरकारी संस्था है. अगर किसी ग्राहक को किसी विज्ञापन से दिक्कत होती है तो वह ASCI से इसकी शिकायत करता है और फिर उस विज्ञापन देने वाली कंपनी से जवाब मांगा जाता है. अगर चर्चा के बाद यह साबित हो जाता है कि विज्ञापन में दिक्कत है जो या तो उसे बदलने के लिए कहा जाता है या फिर उसे हटाने का आदेश दिया जाता है. कुछ ऐसा ही हुआ है सन्नी लियोनी वाले कंडोम के विज्ञापन में. अश्लील विज्ञापन से परेशान होकर लगातार लोगों ने इसकी शिकायत की और आखिरकार अब सरकार ने एक इस दिशा में एक सख्त कदम उठाया है.

जागरुकता नहीं, कमाई का जरिया कंडोम

कंडोम का विज्ञापन टीवी पर दिखाने का उद्देश्य था कि लोग इसके प्रति जागरुक हों. इसके इस्तेमाल से एड्स जैसी बीमारियों और तेजी से बढ़ रही आबादी पर रोक लगाने की कोशिश की गई. जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, वैसे-वैसे कंडोम के विज्ञापन भी जागरुकता से हटकर उत्तेजित करने वाले हो गए. कंपनियों ने कंडोम के विज्ञापन को अपनी कमाई बढ़ाने का जरिया बना लिया और विज्ञापन में ऐसी चीजें दिखाई जाने लगीं, जो लोगों को अच्छी नहीं लगीं.

गरबा का विज्ञापन, आग में घी

एक तो पहले से ही लोग अश्लील तरीके से दिखाए जा रहे कंडोम के विज्ञापन से परेशान थे, ऊपर से नवरात्रि के मौके पर गुजरात में लगे विज्ञापन के होर्डिंग ने आग में घी का काम किया. नवरात्रि के मौके पर डांडिया दिखाते हुए इस विज्ञापन में गुजराती लिबास में सनी लियोन की तस्वीर लगी थी और गुजराती में लिखा था- 'खेलो मगर प्यार से'. बस फिर क्या था, हिंदू युवा वाहिनी के लोगों ने जमकर बवाल काटा और आखिरकार कंपनी को इन होर्डिंग को हटाना पड़ा. लोगों की तरफ से मिली शिकायतों के बाद ASCI ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा कि सुबह 5 बजे से रात 11 बजे तक कंडोम के विज्ञापन न दिखाए जाएं. इसके बाद मंत्रालय ने प्रस्ताव को संशोधित करते हुए सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक इन विज्ञापन को दिखाए जाने पर रोक लगा दी है.

नवरात्रि के मौके पर डांडिया दिखाते हुए इस विज्ञापन में गुजराती लिबास में सनी लियोन की तस्वीर लगी थी और गुजराती में लिखा था- 'खेलो मगर प्यार से'.

ये है कंडोम का इतिहास

1960 के दशक में पहली बार इस बारे में सोचा गया कि लोगों को कंडोम के प्रति जागरुक किया जाए. जिसके बाद 'निरोध' के नाम से एक विज्ञापन शुरू किया गया. शुरुआत में लोगों को यह मुफ्त में दिए गए, ताकि लोग इसका इस्तेमाल करके परिवार नियोजन कर सकें और एड्स जैसी खतरनाक बीमारियों पर रोक लगाई जा सके. 1960 के दशक में जो विज्ञापन 'जनहित में जारी' किया जाता था, वह 2017 आते-आते बेहद अश्लील हो गया और कंपनियों की कमाई का जरिया बनकर रह गया.

1960 के दशक में जो विज्ञापन 'जनहित में जारी' किया जाता था, वह 2017 आते-आते बेहद अश्लील हो गया.

तो फिर कैसे किया जाए जागरुक?

अगर कंडोम के बारे में बताया जाना ही छोड़ दिया जाएगा तो कंडोम का मुख्य उद्देश्य कभी पूरा नहीं हो सकेगा. कंडोम को उत्तेजना का विषय न बनाकर जागरुकता का विषय बनाना होगा. इसका विज्ञापन भी दिखाया जाना चाहिए, लेकिन विज्ञापन में किसी तरह की कोई अश्लीलता नहीं होनी चाहिए. सबसे जरूरी यह है कि सरकार को एक ऐसी संस्था या यूं कहें के सेंसर बोर्ड बनाना चाहिए, जिसकी अनुमति के बिना कोई भी विज्ञापन प्रसारित न किया जा सके. दरअसल, अश्लीलता कंडोम में नहीं, बल्कि विज्ञापन करने के तरीके में है. कंडोम के विज्ञापन दिखाने पर बैन लगाने को लेकर क्या है आपकी राय, कमेंट बॉक्स में जरूर बताइए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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