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चावल के लुटेरे 'अरिकोम्बन' को अगर ठिकाने लगा पाई, तो ही अपनी साख बचा पाएगी केरल सरकार

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 28 अप्रिल, 2023 07:56 PM
  • 28 अप्रिल, 2023 07:56 PM
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2018 से एक जंगली हाथी केरल की सरकार की नाक में दम किये हुए है. कारण है हाथी का चावल का डकैत होना. तो आइये जानें क्या है अरिकोम्बन हाथी की कहानी और कैसे वो चावल चोर बना.

अपराधियों को सबक सिखाने के लिए पुलिस है. कानून है. बुलडोजर है. एनकाउंटर है. मगर तब क्या जब अपराधी कोई इंसान न होकर हैवान हो? स्थिति क्या होगी समझना हो तो केरल के इडुक्की चलिए जहां 2018 से एक लुटेरे का आतंक है. लुटेरा शब्द सुनकर कन्फ्यूज मत होइएगा लुटेरा कोई इंसान नहीं बल्कि एक हाथी अरीकोम्बन है. अरीकोम्बन इतना शातिर है कि 2018 से लेकर अब तक जब जब अधिकारियों ने इसे पकड़ने की रणनीति बनाई इसने अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकी और जंगल में फरार हो गया. अरीकोम्बन के बारे में दिलचस्प ये है कि इसे पकड़ने के लिए 4 कुमकी हाथियों (कुमकी हाथी बंदी-प्रशिक्षित होते हैं और जंगली हाथियों को पकड़ने के मिशन में उपयोग किए जाते हैं.) को लगाया गया और वो भी फरार हैं.

बताया जा रहा है कि अरीकोम्बन को पकड़ने और ट्रैंकुलाइज करने वाली टीम को लगातार तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करना पद रहा है. भले ही हाथी पकड़ने की कवायद के तहत वन विभाग इडुक्की जिला प्रशासन के साथ मिलकर लगातार मॉक ड्रिल का आयोजनकर रहा हो मगर एक्सपर्ट्स यही मानते हैं कि जैसा अरीकोम्बन का स्वाभाव है, उसको पकड़ना इतना भी आसान नहीं होने वाला है.

जैसे हाल हैं अरिकोम्बन केरल में सरकार के सिर का दर्द बनता नजर आ रहा है

इलाके में अरिकोम्बन का आतंक कैसा है? इसपर इडुक्की जिले के पहाड़ी इलाके चिन्नकनाल और शांतनपारा के लोगों की अपनी राय है. स्थानीय लोगों का मानना है कि जंगली हाथी अरिकोम्बन ने न केवल उनके खेतों और चाय बागानों को बर्बाद करने का काम किया है बल्कि आए रोज ही ये अपनी 'फेवरेट चीज' के लिए दुकानों और मकानों को तहस नहस करता है.

वन विभाग के बीच लुटेरे के रूप में मशहूर है अरीकोम्बन

इस जंगली हाथी का नाम ही अरीकोम्बन इसलिए पड़ा क्योंकि चावल की दुकानों को लूटना इसकी...

अपराधियों को सबक सिखाने के लिए पुलिस है. कानून है. बुलडोजर है. एनकाउंटर है. मगर तब क्या जब अपराधी कोई इंसान न होकर हैवान हो? स्थिति क्या होगी समझना हो तो केरल के इडुक्की चलिए जहां 2018 से एक लुटेरे का आतंक है. लुटेरा शब्द सुनकर कन्फ्यूज मत होइएगा लुटेरा कोई इंसान नहीं बल्कि एक हाथी अरीकोम्बन है. अरीकोम्बन इतना शातिर है कि 2018 से लेकर अब तक जब जब अधिकारियों ने इसे पकड़ने की रणनीति बनाई इसने अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकी और जंगल में फरार हो गया. अरीकोम्बन के बारे में दिलचस्प ये है कि इसे पकड़ने के लिए 4 कुमकी हाथियों (कुमकी हाथी बंदी-प्रशिक्षित होते हैं और जंगली हाथियों को पकड़ने के मिशन में उपयोग किए जाते हैं.) को लगाया गया और वो भी फरार हैं.

बताया जा रहा है कि अरीकोम्बन को पकड़ने और ट्रैंकुलाइज करने वाली टीम को लगातार तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करना पद रहा है. भले ही हाथी पकड़ने की कवायद के तहत वन विभाग इडुक्की जिला प्रशासन के साथ मिलकर लगातार मॉक ड्रिल का आयोजनकर रहा हो मगर एक्सपर्ट्स यही मानते हैं कि जैसा अरीकोम्बन का स्वाभाव है, उसको पकड़ना इतना भी आसान नहीं होने वाला है.

जैसे हाल हैं अरिकोम्बन केरल में सरकार के सिर का दर्द बनता नजर आ रहा है

इलाके में अरिकोम्बन का आतंक कैसा है? इसपर इडुक्की जिले के पहाड़ी इलाके चिन्नकनाल और शांतनपारा के लोगों की अपनी राय है. स्थानीय लोगों का मानना है कि जंगली हाथी अरिकोम्बन ने न केवल उनके खेतों और चाय बागानों को बर्बाद करने का काम किया है बल्कि आए रोज ही ये अपनी 'फेवरेट चीज' के लिए दुकानों और मकानों को तहस नहस करता है.

वन विभाग के बीच लुटेरे के रूप में मशहूर है अरीकोम्बन

इस जंगली हाथी का नाम ही अरीकोम्बन इसलिए पड़ा क्योंकि चावल की दुकानों को लूटना इसकी आदत में शुमार है. बताते चलें कि मलयालम भाषा में अरी का मतलब चावल होता है और कोम्बन का अर्थ है लुटेरा. चावल खाने का शौक़ीन ये हाथी पिछले पांच वर्षों से केरल के इडुक्की जिले में तमाम गांवों को परेशान कर रहा है. इसे इडुक्की के रिहायशी इलाकों में घूमते और चावल की तलाश में नियमित रूप से राशन की दुकानों और घरों पर हमला करते देखा गया है.

अरीकोम्बन को पकड़ने के लिए की गयी है भारी प्लानिंग

अरिकोम्बन को पकड़ने के लिए टास्क फोर्स का नेतृत्व ट्रैंक्विलाइज़ेशन के विशेषज्ञ डॉ अरुण ज़चैराह करेंगे. वहीं इस टास्क फाॅर्स में तमाम वन प्रहरी, अधिकारी, पुलिस, डॉक्टर, पशु चिकित्सक, अग्निशमन कर्मी और रैपिड रिस्पांस टीम के सदस्य भी शामिल होंगे. अरीकोम्बन को जल्द से जल्द पकड़ा जाए इसके लिए वन विभाग ने चार कुमकी हाथियों- कुंजू, कोन्नी सुरेंद्रन, सूर्यन और विक्रम की मदद लेने की भी योजना बनाई है. चार कुमकी हाथियों के साथ वन विभाग का यह पहला मिशन होगा.

अरीकोम्बन को ट्रैंकुलाइज करने के बाद वन विभाग अरिकोम्बन पर रेडियो कॉलर लगाकर उसे स्थानांतरित कर देगा. बताया जा रहा है कि केरल वन विभाग ने असम सरकार से 5 लाख रुपये में सैलाइट रेडियो कॉलर खरीदा है. कॉलर में लगी बैटरी 10 साल तक चलती है.

चूंकि अरीकोम्बन चावल देखकर उत्साहित हो जाता है इसलिए केरल सरकार ने एक विस्तृत योजना भी बनाई, जिसमें इसे आकर्षित करने के लिए किराने का सामान और चावल के साथ एक डमी राशन की दुकान स्थापित की जाएगी. अधिकारियों का मानना है कि राशन की इस दुकान को देखकर हाथी आकर्षित होगा और जैसे ही राशन लूटने के उद्देश्य से वो दुकान में आएगा उसे ट्रैंक्विलाइज़ कर दिया जाएगा.

अगर पकड़ा गया तो फिर क्या होगा अरिकोम्बन का?

बताया जा रहा है कि यदि अरीकोम्बन पकड़ा जाता है तो इसे परम्बिकुलम टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किया जाएगा. इसमें भी पेंच ये है कि भले ही ये आदेश अदालत से आया हो लेकिन परम्बिकुलम में रहने वाले ग्रामीण लगातार कोर्ट के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि परम्बिकुलम पहले से ही हाथियों के खतरे का सामना कर रहा है.

चूंकि हाथी को लेकर लोग लगातार विरोध दर्ज कर रहे हैं सरकार ने अब विभिन्न स्थानों को अरिकोम्बन के लिए सिलेक्ट किया है जिसमें इडुक्की या अगस्त्यारकुडम में पेरियार टाइगर रिजर्व भी शामिल है. वन विभाग ने घटना स्थल का खुलासा करने से इनकार कर दिया है क्योंकि अदालत ने मामले में गोपनीयता बनाए रखने का निर्देश दिया है.

बहरहाल चावल के लुटेरे अरीकोम्बन को पकड़ने में केरल सरकार के अधिकारी कामयाब होते हैं या नहीं?इसका फैसला तो वक़्त करेगा. लेकिन क्योंकि इस हाथी ने कोर्ट, पुलिस, जिला प्रशासन सभी को प्रभावित किया है. इसलिए इसे पकड़ना केरल की सरकार के लिए उसकी साख बचाने जैसा है.बाकी मामले में उम्मीद बस यही है कि हाथी अकुशल पकड़ा जाए. ऐसा न हो कि अपना दामन बचाने के लिए अधिकारी इस लुटेरे हाथी का किस्सा ही ख़त्म कर दें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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