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उस सरकारी टीचर की कहानी जिसके पढ़ाने के तरीके ने बच्चों को स्कूल आने पर मजबूर कर दिया

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 09 अप्रिल, 2023 03:13 PM
  • 09 अप्रिल, 2023 03:13 PM
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सरकारी टीचर खुशबू की कोशिश से इतने बच्चे स्कूल आने लगे हैं कि क्लास में बैठने की जगह तक नहीं बची है. वे हर छात्र में अपने बच्चे की छवि देखती हैं. वे बच्चों को पढ़ाने के लिए नए-नए रोचक तरीके अपनाती हैं. वे ध्यान रखती हैं कि बच्चे स्कूल में बोर ना हो और उनका मन लगा रहे. इसलिए वे खेलते-कूदते, नाचते-गाते, म्यूजिक के साथ बच्चों को पढ़ाती हैं.

पिछले साल डांस और मस्ती के साथ बच्चों के पढ़ाई करने का वीडियो बड़ी तेजी के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. बच्चों को अनोखे ढंग से पढ़ाने वाली टीचर का नाम खुशबू कुमारी (Khushbu Kumari) है जो बिहार के बांका जिले के कटोरिया स्थित मध्य विद्यालय में पोस्टेड हैं. खुशबू खेल-खेल में बच्चों को आसानी से पढ़ाती हैं जिससे बच्चे सीख जल्दी ही सीख लेते हैं. तस्वीरों में बच्चों को देखा जा सकता है कि वे कितना खुशी-खुशी पढ़ाई कर रहे हैं. ये लग ही नहीं रहा है कि ये किसी सरकारी स्कूल का नजारा है. खुशबू करीब 10-11 सालों से स्कूल में पढ़ा रही हैं और उनके पढ़ाने का यह तरीका बच्चों को खूब भाता है. वे स्कूल की बच्चियों के साथ कबड्डी भी खेलते हुए दिख रही हैं. खुशबू का ये वीडियो काफी तेजी से वायरल हुआ और इसके बाद से ही स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ रही है.

खुशबू की माने तो उनके सिखाने के तरीके ने लोगों की सोच बदली

आलम यह है कि उनकी इस कोशिश से इतने बच्चे स्कूल आने लगे हैं कि क्लास में बैठने की जगह तक नहीं बची है. वे हर छात्र में अपने बच्चे की छवि देखती हैं. खुश रहना और लोगों का खुश रखना उनका स्वभाव है. वे बच्चों को पढ़ाने के लिए नए-नए रोचक तरीके अपनाती हैं, वे ध्यान रखती हैं कि बच्चे स्कूल में बोर ना हो और उनका मन लगा रहे. इसलिए वे खेलते-कूदते, नाचते-गाते, म्यूजिक के साथ बच्चों को पढ़ाती हैं. वे बच्चों से नए-नए क्रिएटिव करवाती रहती हैं. बच्चों को भी अपनी टीचर से इतना लगाव हो गया है कि उनके स्कूल आते ही वे उन्हें छोड़ते नहीं है. अब उन्होंने Brut Hindi से बातचीत में अपनी इस जर्नी के बारे में बात की है.

खुशबू का कहना है कि जब बच्चों को सिखाते हुए मेरा वीडियो वायरल हुआ तो अचानक से स्कूल में बच्चों का भूचाल आ गया. बच्चों के मेले लगने लगे हैं....

पिछले साल डांस और मस्ती के साथ बच्चों के पढ़ाई करने का वीडियो बड़ी तेजी के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. बच्चों को अनोखे ढंग से पढ़ाने वाली टीचर का नाम खुशबू कुमारी (Khushbu Kumari) है जो बिहार के बांका जिले के कटोरिया स्थित मध्य विद्यालय में पोस्टेड हैं. खुशबू खेल-खेल में बच्चों को आसानी से पढ़ाती हैं जिससे बच्चे सीख जल्दी ही सीख लेते हैं. तस्वीरों में बच्चों को देखा जा सकता है कि वे कितना खुशी-खुशी पढ़ाई कर रहे हैं. ये लग ही नहीं रहा है कि ये किसी सरकारी स्कूल का नजारा है. खुशबू करीब 10-11 सालों से स्कूल में पढ़ा रही हैं और उनके पढ़ाने का यह तरीका बच्चों को खूब भाता है. वे स्कूल की बच्चियों के साथ कबड्डी भी खेलते हुए दिख रही हैं. खुशबू का ये वीडियो काफी तेजी से वायरल हुआ और इसके बाद से ही स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ रही है.

खुशबू की माने तो उनके सिखाने के तरीके ने लोगों की सोच बदली

आलम यह है कि उनकी इस कोशिश से इतने बच्चे स्कूल आने लगे हैं कि क्लास में बैठने की जगह तक नहीं बची है. वे हर छात्र में अपने बच्चे की छवि देखती हैं. खुश रहना और लोगों का खुश रखना उनका स्वभाव है. वे बच्चों को पढ़ाने के लिए नए-नए रोचक तरीके अपनाती हैं, वे ध्यान रखती हैं कि बच्चे स्कूल में बोर ना हो और उनका मन लगा रहे. इसलिए वे खेलते-कूदते, नाचते-गाते, म्यूजिक के साथ बच्चों को पढ़ाती हैं. वे बच्चों से नए-नए क्रिएटिव करवाती रहती हैं. बच्चों को भी अपनी टीचर से इतना लगाव हो गया है कि उनके स्कूल आते ही वे उन्हें छोड़ते नहीं है. अब उन्होंने Brut Hindi से बातचीत में अपनी इस जर्नी के बारे में बात की है.

खुशबू का कहना है कि जब बच्चों को सिखाते हुए मेरा वीडियो वायरल हुआ तो अचानक से स्कूल में बच्चों का भूचाल आ गया. बच्चों के मेले लगने लगे हैं. बच्चे इतने ज्यादा हो गए हैं कि क्लास में इनका समाना मुश्किल हो गया है और दिन प्रतिदिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है. बच्चे मुझे दोस्त के रूप में देखते हैं. उनके अंदर से स्कूल का डर निकल गया है. मेरे पापा ने मेरे अंदर के गुणों को इतना सजो के रखा, वो मुझे गिफ्ट के तौर पर दे कर गए तो आज आपके बच्चों के काम आ गया. मुझे लगता था कि अगर मैं लड़कियों के साथ खेलू कूदूं तो इनकी सहेली बन जाऊं तो इनके अंदर डर ना रहे. इस वजह से जो नेचुरल होता है वह मैं करती गई. मेरा ऐसा कोई मोटो नहीं था कि मैं वायरल हो जाऊं.

आपने मेरे वीडियो को सराहा. बहुत सारे वीडियो आते हैं, मगर लोगों ने जो दिखा वह रियल बच्चों की खुशी औऱ उनसे साथ मेरा चेहरा था. मेरा क्या है कि मैं बच्चों के साथ खेलती हूं तो उनके साथ रहती हूं. ये नहीं था कि मुझे वायरल होना है. मैंने इसलिए वह वीडियो बनाया था कि मुझे उसे अपनी यादों में समेटना था. मेरे अंदर ऐसा नहीं था कि कहीं गड़बड़ हो रहा है, या वीडियो अच्छी नहीं बन रही है. मैंने एक बच्चे को दे दिया कि बाबू ये लो और आप इसको शूट करना. तुम चिंता बिल्कुल नहीं करना कि कैसा शूट हो रहा है? वह बेहतरीन था. फिर मुझे लगा कि मेरे बच्चे इतने खुश हैं तो क्या ना इस खुशी को लोगों से शेयर किया जाए और इसलिए मैंने उसे सोशल मीडिया पर डाला था.

खुशबू की माने तो उनके सिखाने के तरीके ने लोगों की सोच बदली. इसके पहले यह माहौल बना हुआ था कि सरकारी स्कूल में पढ़ाई नहीं होती. ऐसे ही बस टाइम पास होता है. ये सारी बातें गलत साबित हो गई हैं. जब लोगों ने वीडियो देखा तो पाया कि मेरे बच्चों को इनता प्यार मिलता है. इसके बाद पैरैंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए मजबूर हो गए.

गांवों, कस्बों में लोगों को समझाया जाता है कि लड़कियों को ज्यादा बोलना नहीं चाहिए, लड़कियों को ज्यादा उछलना, कूदना नहीं चाहिए, क्योंकि वे इक दिन ससुराल जाएंगी फिर वहां पर उनको ताने सुनने मिलेंगे. जो ये सुनकर बड़े होते हैं वे सेम चीज अपने बच्चों के साथ करते हैं. जो थोड़ी-बहुत शिक्षा से जुड़ जाते हैं. वे सोशल मीडिया पर, जहां बच्चों के वीडियो वायरल होते रहते हैं. वहां पॉजिटिव रिएक्शन देते हैं. प्लीज अपने बच्चों के जो भी पॉजिटिव गुण हैं, उनको सपोर्ट कीजिए. उनकी प्रशंसा कीजिए. उनका साथ दीजिए क्योंकि क्या पता कब उनका गुण काम आ जाए. प्लीज आपसे ये रिक्वेस्ट है कि अपने बच्चों के साथ खेलिए, कूदिए उन्हें अपना पूरा टाइम दीजिए. वे जो करना चाहते हैं उन्हें रोकिए नहीं.

वैसे आपको खुशबू कुमारी के पढ़ाने का तरीका कैसा लगा? इस बारे में आपकी क्या राय है?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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