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परीक्षा ज़िंदगी भर चलेगी, बस हारना नहीं है...

    • vinaya.singh.77
    • Updated: 15 मई, 2023 07:47 PM
  • 15 मई, 2023 07:47 PM
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सीबीएसई समेत तमाम बोर्ड परीक्षाओं के रिजल्ट आ रहे हैं. जिन्हें लेकर बच्चों के माता पिता खासे उत्साहित हैं. अब इसे उत्साह कहें या कुछ और वो सोशल मीडिया पर ऐसा बहुत कुछ कर दे रहे हैं जो खटकने वाला है.

बीते दिन बोर्ड परीक्षाफल आया और पूरा सोशल मीडिया बच्चों के परीक्षाफल से भर गया था जो कि स्वाभाविक भी था. तमाम अभिभावक अपने बच्चों का प्रतिशत और उसी के हिसाब से लंबी चौड़ी पोस्ट डाल रहे थे और लोगों ने खूब सारी बधाइयां दीं जो कि सकारात्मक चीज़ थी. लेकिन एक चीज़ खटकी जो हर बार खटकती है कि शायद ही किसी अभिभावक ने अस्सी प्रतिशत से कम अंक पाने वाले बच्चे के बारे में पोस्ट डाली जो कि ठीक नहीं है. हम अपने प्रतिशत की बात नहीं करें तो ही बेहतर है वरना जो थोड़ी बहुत इज़्ज़त है, वह भी जाएगी. अब कोई बच्चा फेल हो गया होगा तो ज़ाहिर है कि उसके अभिभावक शर्म के मारे पोस्ट करना तो दूर, दो तीन दिन सोशल मीडिया की तरफ़ देखे भी नहीं होंगे. बोर्ड परीक्षा में सफल होना एक अलग बात है और ज़िंदगी में सफल होना अलग बात.

बीते दिनों जैसे सीबीएसई बोर्ड्स के रिजल्ट्स आए हैं मां बाप अपनी ख़ुशी संभाल नहीं पा रहे हैं 

लगभग 16 साल पहले की बात है जब एक युवा मेरे पास विदेश में पढ़ाई के लिए शिक्षा ऋण के लिए आया था. उसने लगभग सभी परीक्षाओं को किसी तरह पास किया था और यक़ीन करना लगभग नामुमकिन था कि वह आगे पढ़ लेगा लेकिन वह विदेश में दाख़िला ले चुका था. उसके आत्मविश्वास और बैंक को मिल रहे सिक्योरिटी को देखते हुए हम लोगों ने उसे विदेश पढ़ने भेज दिया और यक़ीन मानिए न सिर्फ़ उसने बढ़िया से पढ़ाई की बल्कि बैंक का पैसा भी समय से भर दिया.

यह भी सच है कि हम लोगों के साथ के कमजोर बच्चे आज हमसे बहुत बेहतर ज़िंदगी जी रहे हैं. ख़ैर आजकल तो कम्प्यूटर के एक क्लिक से परीक्षा का परिणाम देखने को मिल जाता है लेकिन हम लोगों के समय यह एक दुरूह कार्य था. तब परीक्षाफल सिर्फ़ समाचारपत्र में शाम के समय निकलता था और वह भी चुनिंदा समाचार पत्रों में.

अख़बार जाहिरी तौर पर शहर...

बीते दिन बोर्ड परीक्षाफल आया और पूरा सोशल मीडिया बच्चों के परीक्षाफल से भर गया था जो कि स्वाभाविक भी था. तमाम अभिभावक अपने बच्चों का प्रतिशत और उसी के हिसाब से लंबी चौड़ी पोस्ट डाल रहे थे और लोगों ने खूब सारी बधाइयां दीं जो कि सकारात्मक चीज़ थी. लेकिन एक चीज़ खटकी जो हर बार खटकती है कि शायद ही किसी अभिभावक ने अस्सी प्रतिशत से कम अंक पाने वाले बच्चे के बारे में पोस्ट डाली जो कि ठीक नहीं है. हम अपने प्रतिशत की बात नहीं करें तो ही बेहतर है वरना जो थोड़ी बहुत इज़्ज़त है, वह भी जाएगी. अब कोई बच्चा फेल हो गया होगा तो ज़ाहिर है कि उसके अभिभावक शर्म के मारे पोस्ट करना तो दूर, दो तीन दिन सोशल मीडिया की तरफ़ देखे भी नहीं होंगे. बोर्ड परीक्षा में सफल होना एक अलग बात है और ज़िंदगी में सफल होना अलग बात.

बीते दिनों जैसे सीबीएसई बोर्ड्स के रिजल्ट्स आए हैं मां बाप अपनी ख़ुशी संभाल नहीं पा रहे हैं 

लगभग 16 साल पहले की बात है जब एक युवा मेरे पास विदेश में पढ़ाई के लिए शिक्षा ऋण के लिए आया था. उसने लगभग सभी परीक्षाओं को किसी तरह पास किया था और यक़ीन करना लगभग नामुमकिन था कि वह आगे पढ़ लेगा लेकिन वह विदेश में दाख़िला ले चुका था. उसके आत्मविश्वास और बैंक को मिल रहे सिक्योरिटी को देखते हुए हम लोगों ने उसे विदेश पढ़ने भेज दिया और यक़ीन मानिए न सिर्फ़ उसने बढ़िया से पढ़ाई की बल्कि बैंक का पैसा भी समय से भर दिया.

यह भी सच है कि हम लोगों के साथ के कमजोर बच्चे आज हमसे बहुत बेहतर ज़िंदगी जी रहे हैं. ख़ैर आजकल तो कम्प्यूटर के एक क्लिक से परीक्षा का परिणाम देखने को मिल जाता है लेकिन हम लोगों के समय यह एक दुरूह कार्य था. तब परीक्षाफल सिर्फ़ समाचारपत्र में शाम के समय निकलता था और वह भी चुनिंदा समाचार पत्रों में.

अख़बार जाहिरी तौर पर शहर में ही निकलता था और गाँव तो कभी-कभी अगले दिन ही आता था. अब हमारे जैसे गांव के बच्चे के पास उस दिन शहर जाकर एक रुपया खर्च करके परीक्षाफल देखने के अलावा कोई चारा नहीं था. पूरा दिन इसी भागदौड़ में निकल जाता था और आख़िरकार जब रोल नंबर के सामने F,S या T दिखाई दे जाता था तो मतलब पास हो गए.

और जिसका रोल नंबर ग़ायब होता था उसकी मां उसके लिए हल्दी का उबटन बना देती थी ताकि कुटम्मस के बाद शरीर का दर्द कम हो सके. एक बार तो ऐसा भी हुआ था कि पूरे कालेज का रोल नंबर ही ग़ायब था, कालेज के बाबू ने सबको ग़लत रोल नंबर दे दिया था. इसलिए नंबर कम आए हैं या ज़्यादा, परेशान होने की ज़रूरत नहीं है, बस आगे की तैयारी कीजिए और तनाव मत पालिए

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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