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केरल में ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले ईसाई परिवारों को 'मदद' का मतलब क्या है?

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 29 जुलाई, 2021 02:02 PM
  • 29 जुलाई, 2021 12:19 PM
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केरल में कैथोलिक गिरजाघर ने पांच या अधिक बच्चों वाले ईसाई परिवार को आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है. जहां एक तरफ उत्तरप्रदेश में बढ़ती जनसंख्या रोकने के उपायों पर विवाद जारी है. वहीं केरल के कोट्टायम जिले के पाला में चर्च कहा है कि अधिक बच्चों वाले परिवारों की आर्थिक मदद की जाएगी.

उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए उठाए जा रहे कदमों के बीच केरल में कैथोलिक गिरजाघर ने पांच या अधिक बच्चों वाले ईसाई परिवार को आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है. जहां एक तरफ उत्तरप्रदेश में बढ़ती जनसंख्या रोकने के उपायों पर विवाद जारी है. वहीं केरल के कोट्टायम जिले के पाला में चर्च ने कहा है कि अधिक बच्चों वाले परिवारों की आर्थिक मदद की जाएगी.

इस खबर के सामने आने के बाद दूसरे वर्ग के लोगों में काफी नाराजगी है. लोगों का मानना है कि ऐसा जानबूझकर किया जा रहा है ताकि ये अपने समुदाय की संख्या को बढ़ा सकें. चलिए आपको बताते हैं कि ये पूरा मामला क्या है और ऐसा करने का मतलब क्या है.

दरअसल, इस कैथोलिक चर्च ने कहा है कि 'बच्चे भगवान की ओर से एक उपहार हैं', चर्च के पाला बिशप मार जोसेफ कल्लारंगट ने एक पत्र जारी किया है. जिसमें चार से अधिक बच्चों वाले परिवारों को वित्तीय और शैक्षिक सहायता के साथ ही कई अन्य कल्याणकारी योजनाओं की सूची बनाई गई है.

क्या इसाई समुदाय की ताकत बढ़ाने के लिए ऐसा किया जा रहा है

केरल में चर्च के इस कदम को ईसाई समुदाय की संख्या बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन के रूप में देखा जा रहा है. सिरो-मालाबार गिरजाघर के पाला डायोसिस के फैमिली अपोस्टोलेट ने यह फैसला लिया है कि साल 2000 के बाद जिनकी शादी हुई और जिनके पांच या उससे अधिक बच्चे हैं, उन्हें 1,500 रुपए की मासिक आर्थिक सहायता दी जाएगी.

इसके अलावा चौथे बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं को चर्च द्वारा चलाए जा रहे अस्पतालों में मुफ्त में प्रसव की व्यवस्था की जाएगी. प्रसव के दौरान मां और बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी अस्पताल की होगी. सिर्फ इतना ही नहीं परिवार के चौथे या इसके बाद के बच्चों को चर्च द्वारा संचालित इंजीनियरिंग कॉलेज में...

उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए उठाए जा रहे कदमों के बीच केरल में कैथोलिक गिरजाघर ने पांच या अधिक बच्चों वाले ईसाई परिवार को आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है. जहां एक तरफ उत्तरप्रदेश में बढ़ती जनसंख्या रोकने के उपायों पर विवाद जारी है. वहीं केरल के कोट्टायम जिले के पाला में चर्च ने कहा है कि अधिक बच्चों वाले परिवारों की आर्थिक मदद की जाएगी.

इस खबर के सामने आने के बाद दूसरे वर्ग के लोगों में काफी नाराजगी है. लोगों का मानना है कि ऐसा जानबूझकर किया जा रहा है ताकि ये अपने समुदाय की संख्या को बढ़ा सकें. चलिए आपको बताते हैं कि ये पूरा मामला क्या है और ऐसा करने का मतलब क्या है.

दरअसल, इस कैथोलिक चर्च ने कहा है कि 'बच्चे भगवान की ओर से एक उपहार हैं', चर्च के पाला बिशप मार जोसेफ कल्लारंगट ने एक पत्र जारी किया है. जिसमें चार से अधिक बच्चों वाले परिवारों को वित्तीय और शैक्षिक सहायता के साथ ही कई अन्य कल्याणकारी योजनाओं की सूची बनाई गई है.

क्या इसाई समुदाय की ताकत बढ़ाने के लिए ऐसा किया जा रहा है

केरल में चर्च के इस कदम को ईसाई समुदाय की संख्या बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन के रूप में देखा जा रहा है. सिरो-मालाबार गिरजाघर के पाला डायोसिस के फैमिली अपोस्टोलेट ने यह फैसला लिया है कि साल 2000 के बाद जिनकी शादी हुई और जिनके पांच या उससे अधिक बच्चे हैं, उन्हें 1,500 रुपए की मासिक आर्थिक सहायता दी जाएगी.

इसके अलावा चौथे बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं को चर्च द्वारा चलाए जा रहे अस्पतालों में मुफ्त में प्रसव की व्यवस्था की जाएगी. प्रसव के दौरान मां और बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी अस्पताल की होगी. सिर्फ इतना ही नहीं परिवार के चौथे या इसके बाद के बच्चों को चर्च द्वारा संचालित इंजीनियरिंग कॉलेज में छात्रवृत्ति भी दी जाएगी.

फिलहाल हमें परिवारों की संख्या की जानकारी नहीं है. यह योजना अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है और लोगों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिल रही है. कुछ लोग इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं. वहीं साल 2000 को निचली सीमा के रूप में तय करने पर Fr. कुट्टियांकल ने बताया कि “ऐसे युवा परिवार सबसे कमजोर होंगे इन परिवारों में कमाने वाला एक ही सदस्य होता है.

साल 2000 के पहले परिवार शुरू करने वाले जोड़ों के बच्चे अब अपनी शिक्षा पूरी कर कर चुके होंगे और अपने परिवार में योगदान देना शुरु कर दिया होगा”. इस योजना पर लोगों की तीखी प्रक्रिया आनी शुरु हो गई. एक वर्ग के लोगों का कहना है कि यह सब बेकार की बातें हैं. असल में इस योजना का मकसद समुदाय की ताकत बढ़ाना है. इसके पहले भी धर्म परिवर्तन के मामले सामने आते हैं रहे हैं.

ईसाई धर्म अपनाने वाले लोगों को पैसे दिए जाते हैं. वहीं चर्च के अधिकारियों ने इन आरोपों को खारिज करने की मांग की है और कहा है कि वे इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों का जवाब नहीं देना चाहते हैं.

दरअसल, इसके पहले जब केरल सरकार ने केरल महिला संहिता विधेयक 2011 को लाने का प्रयास किया था तब कैथोलिक चर्च सहित विभिन्न धार्मिक संगठनों के साथ विरोध प्रदर्शन किया था.

केरल महिला संहिता में दो बच्चों के मानदंड का उल्लंघन करने वाले परिवार को दंडित करने की मांग की गई थी. वहीं 2019 में, चंगनस्सेरी आर्चडीओसीज ने एक पत्र जारी कर सुझाव दिया गया था कि केरल में ईसाई आबादी का हिस्सा पिछले कुछ वर्षों में घट गया है, जिससे राज्य में समुदाय के लिए "खतरनाक स्थिति" पैदा हुई है.

“केरल के गठन के दौरान, ईसाई राज्य में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय था लेकिन अब यह समुदाय राज्य की कुल आबादी का केवल 18.38% है. कुल सालों में, ईसाई समुदाय में जन्म दर घटकर 14% हो गई है.” लोगों को समझ आ गया है कि यह राशि ईसाई समुदाय के लोगों को क्यों दी जा रही है.

इस योजना से लोग प्रोत्साहित होंगे और कम से कम 4 से 5 बच्चे तो पैदा कर सकते हैं. अब इतनी सुविधा मिलेगी तो उन्हें किस बात की परेशानी होगी. इसके उलट भारत की जनसंख्या दिन प्रतिदन बढ़ती जा रही है, जो सरकार के लिए चिंता का विषय है. लोगों का कहना है कि बच्चे भगवान का रूप हैं तो उन्हें जन्म देने के बाद माता-पिता का भी तो फर्ज बनता है कि वे अपने बच्चों को एक अच्छी जिंदगी दें.

इसके लिए उनकी परवरिश, उनकी शिक्षा में कोई कमी नहीं होनी चाहिए. उपर से दिन प्रतिदन मंहगाई बढ़ती जा रही है. माता-पिता के पास बच्चों के लिए ही समय नहीं हैं. करियर की चिंता और भागदौड़ में लोग परेशान हैं. खासकर अकेले रहने वाले लोग. ऐसे में 4 से 5 बच्चे पैदा करने का कौन सोचता है. महिलाएं खुद सुरक्षित गर्भनिरोधक का विकल्प तलाश रही हैं. सिर्फ बच्चा पैदा करना ही बड़ी बात नहीं है, उनकी जिम्मेदारी निभाना ही असली परीक्षा है...खैर, आपका क्या कहना है हमें जरूर बताएं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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