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Good Luck Girls: कैडबरी विज्ञापन का रिमेक लैंगिक समानता दर्शाने वाली सबसे समझदार नकल है!

    • प्रीति अज्ञात
    • Updated: 22 सितम्बर, 2021 04:24 PM
  • 22 सितम्बर, 2021 04:20 PM
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कैडबरी का 1990 में आया विज्ञापन इन दिनों हूबहू उसी तर्ज पर फिल्‍माए गए अपने नए विज्ञापन के कारण बार बार देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि नए विज्ञापन में बदले जमाने की झलक है. पुराने विज्ञापन में जहां एक लड़़की, अपने पुरुष साथी की कामयाबी का जश्‍न मना रही थी, वहीं नए विज्ञापन में रोल रिवर्स हो गया है.

अभी तक फ़िल्मों के रीमेक खूब देखे हैं हमने. लेकिन विज्ञापन का भी रीमेक बन सकता है और वो भी ऐसे विज्ञापन का, जो अपने समय का सबसे पसंदीदा विज्ञापन रहा हो! यह बात जरूर चौंकाती है. लेकिन कैडबरी ने ऐसा कर दिखाया और वो भी इतनी खूबसूरती से कि इस बार भी मुंह से वाह, वाह ही निकलती रही. इतनी नरमी और सहजता के साथ, लैंगिक समानता के संदेश को दिलों तक पहुंचा देने के लिए कैडबरी और विज्ञापन एजेंसी Ogilvy की पूरी क्रिएटिव टीम को सलाम बनता है. यह विज्ञापन लैंगिक रूढ़ियों और खेल से जुड़ी धारणाओं में परिवर्तन का जश्न है. इसने यह भी सिखाया कि नारी-सशक्तिकरण की बातें केवल चर्चाओं, रैलियों और आंदोलन के माध्यम से ही नहीं कही जातीं, उन्हें कलात्मक तरीके से सबकी भावनाओं को स्पर्श करते हुए भी बखूबी कहा जा सकता है. यह बदलते समय की न्यूनतम समय में की गई प्रभावी, उत्कृष्ट प्रस्तुति है.

हो सकता है, आपने मूल विज्ञापन के समय को जिया हो और थोड़े नॉस्टैल्जिक होकर 'ओल्ड इज़ गोल्ड' कहने लगें. लेकिन ये तो मानेंगे ही कि कैडबरी डेयरी मिल्क का ये नया विज्ञापन कहीं भी पुराने से उन्नीस नहीं ठहरता! संगीत और शब्द वही होने के बावजूद भी इसका असर रत्ती भर भी कम नहीं हुआ है. वही चिर-परिचित संगीत अब भी आपके मन के तारों को पहले सा छेड़, भावुक कर जाता है.

कैडबरी के विज्ञापन में ऐसी तमाम चीजें हैं जो एक समाज के रूप में हमें बड़ा संदेश देती हैं

आपको याद है न! लगभग 3 दशक पूर्व ऐसी ही मोहब्बत की खुशबू एक स्टेडियम में फैली थी. ऐसा ही अचरज हम सबकी आंखों में भरा था. विज्ञापनों की दुनिया में तहलका मचा था और बच्चा-बच्चा गुनगुनाने लगा था-

कुछ बात है हम सभी में

बात है, खास है, स्वाद है

क्या स्वाद है ज़िंदगी में

हूबहू यही दृश्य था. स्टेडियम में मैच चल रहा...

अभी तक फ़िल्मों के रीमेक खूब देखे हैं हमने. लेकिन विज्ञापन का भी रीमेक बन सकता है और वो भी ऐसे विज्ञापन का, जो अपने समय का सबसे पसंदीदा विज्ञापन रहा हो! यह बात जरूर चौंकाती है. लेकिन कैडबरी ने ऐसा कर दिखाया और वो भी इतनी खूबसूरती से कि इस बार भी मुंह से वाह, वाह ही निकलती रही. इतनी नरमी और सहजता के साथ, लैंगिक समानता के संदेश को दिलों तक पहुंचा देने के लिए कैडबरी और विज्ञापन एजेंसी Ogilvy की पूरी क्रिएटिव टीम को सलाम बनता है. यह विज्ञापन लैंगिक रूढ़ियों और खेल से जुड़ी धारणाओं में परिवर्तन का जश्न है. इसने यह भी सिखाया कि नारी-सशक्तिकरण की बातें केवल चर्चाओं, रैलियों और आंदोलन के माध्यम से ही नहीं कही जातीं, उन्हें कलात्मक तरीके से सबकी भावनाओं को स्पर्श करते हुए भी बखूबी कहा जा सकता है. यह बदलते समय की न्यूनतम समय में की गई प्रभावी, उत्कृष्ट प्रस्तुति है.

हो सकता है, आपने मूल विज्ञापन के समय को जिया हो और थोड़े नॉस्टैल्जिक होकर 'ओल्ड इज़ गोल्ड' कहने लगें. लेकिन ये तो मानेंगे ही कि कैडबरी डेयरी मिल्क का ये नया विज्ञापन कहीं भी पुराने से उन्नीस नहीं ठहरता! संगीत और शब्द वही होने के बावजूद भी इसका असर रत्ती भर भी कम नहीं हुआ है. वही चिर-परिचित संगीत अब भी आपके मन के तारों को पहले सा छेड़, भावुक कर जाता है.

कैडबरी के विज्ञापन में ऐसी तमाम चीजें हैं जो एक समाज के रूप में हमें बड़ा संदेश देती हैं

आपको याद है न! लगभग 3 दशक पूर्व ऐसी ही मोहब्बत की खुशबू एक स्टेडियम में फैली थी. ऐसा ही अचरज हम सबकी आंखों में भरा था. विज्ञापनों की दुनिया में तहलका मचा था और बच्चा-बच्चा गुनगुनाने लगा था-

कुछ बात है हम सभी में

बात है, खास है, स्वाद है

क्या स्वाद है ज़िंदगी में

हूबहू यही दृश्य था. स्टेडियम में मैच चल रहा है. 99 पर खेलते हुए खिलाड़ी लड़के ने बॉउन्ड्री के पार जाने को गेंद हवा में उछाल दी है. फील्डर, कैच पकड़ने को दौड़ रहा है. दर्शक दीर्घा में जोश है और उत्सुकता भी. इसी बीच दिल में धड़कती सांसों और हाथ में कैडबरी डेयरी मिल्क को थामे हुए एक चेहरा स्क्रीन पर उभरता है. इस चेहरे से जैसे सबकी सांसें जुड़ गई हैं.

छक्का लगता है. फ्लोरल टॉप पहने वो लड़की अब सुरक्षा घेरे को तोड़ मैदान में आ जाती है. वो खुशी से झूमकर नाचती है तो लगता है जैसे सारी दुनिया से बेपरवाह होकर वो तो बस अपने प्रेमी के शतक का उत्सव मना रही है. इधर प्रेमी के चेहरे की चमक, खिलती हंसी और उस पर लड़की के लिए उमड़ता प्यार अलग ही सबका दिल लूटे ले रहा था. तभी पार्श्व में धुन बज उठती है 'कुछ खास है ज़िंदगी में'.

उसके साथ ही जीत के जश्न में कैडबरी डेयरी मिल्क की मिठास घुल जाती है. 'असली स्वाद ज़िंदगी का' की टैगलाइन के साथ दोनों गले लग जाते हैं.

अहा! जो भी इस विज्ञापन को देखता, भीतर तक खिल उठता. उसका मन महकने लगता. यह था ही इतने क़माल का. सब कुछ बेहद स्वाभाविक था इसमें. और इसी स्वाभाविकता ने उसे सबसे खास बना दिया था. देखा जाए तो इस विज्ञापन ने ही यह धारणा ध्वस्त की, कि चॉकलेट केवल बच्चे खाते हैं. अब हर कोई उसे खाना चाहता था, हर लड़का-लड़की अपने जीवन में उल्लास की मधुरता को यूं ही जीना चाहते थे. हाथ में कैडबरी थामे लड़का-लड़की मोहब्बत की जीवंत तस्वीर बन गए थे.

अब कैडबरी के नये विज्ञापन ने वो पुरानी यादें तो ताजा की हीं. साथ ही एक संदेश देकर इसे नए आयाम भी प्रदान कर दिए हैं. इस नए विज्ञापन में भूमिकाएं बदल गई हैं. सब कुछ वही है. बस लड़के-लड़की के रोल उलट दिए गए हैं. इस बार पिच पर एक महिला क्रिकेटर है और दर्शक-दीर्घा में पुरुष उसके लिए प्रार्थना कर रहा है. कहने को ये जरा सी बात भी लग सकती है लेकिन इस एक परिवर्तन ने भावनाओं का जैसे ज्वार ही ला दिया है.

यह विज्ञापन अब केवल कैडबरी डेयरी मिल्क की ही बात नहीं कर रहा, बल्कि ये भी कह रहा है कि देखो! समय बदल गया है. देखो, हमारी लड़कियां भी अब खूब खेल रहीं हैं. प्रगति कर रही हैं. समाज में बदलाव आया है. अभी तक तो लड़कियां ही लड़कों का हौसला बढ़ाती रहीं, उनकी तारीफ़ में गदगद होती रहीं. लेकिन अब दर्शक दीर्घा में खुशी से कूदते इस लड़के से समझो कि लड़कियों को हौसला यूं दिया जाता है. साथी की जीत में यूं जश्न मनाया जाता है.

बेशक़ इस नए विज्ञापन में जीत की भावना वही है, सफ़लता को उसी जोशोखरोश के साथ मनाया गया है लेकिन इस बार जो भाव और जुड़ गया है वो है हमारे समाज में स्त्रियों की प्रगति का, उन्हें सम्मान देने का, उनकी उपलब्धियों की जय-जयकार करने का. यह नए भारत का विज्ञापन है, उम्मीद का विज्ञापन है, #GoodLuckGirls के साथ यह लैंगिक समानता के पक्षधर बनते समाज की सचित्र, संगीतमय व्याख्या है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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