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11 सामूहिक आत्महत्याओं से कुख्‍यात हुआ बुराड़ी का घर भरोसे से फिर आबाद

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 30 दिसम्बर, 2019 03:56 PM
  • 30 दिसम्बर, 2019 03:56 PM
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बुराड़ी के इस घर (Burari House of Horror) में डॉक्टर मोहन ने डायग्नोस्टिक सेंटर (Diagnostic Center) खोला है. इन्होंने ना सिर्फ इस घर को आबाद किया है, बल्कि लोगों को एक बड़ा संदेश भी किया है कि अंधविश्वास में यकीन नहीं करना चाहिए.

दिल्ली के बुराड़ी का वो घर (Burari House of Horror) तो आपको याद ही होगा, जिसमें एक ही परिवार के 11 लोगों ने सामूहिक आत्महत्या (Burari Suicide case) कर ली थी. इस घटना ने पूरे देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर को हिला कर रख दिया था. 1 जुलाई 2018 की इस घटना के बाद से उस घर के मालिक को कोई नया किराएदार (Burari house got new tenant) नहीं मिला. मिलता भी कैसे, लोग तमाम अंधविश्वासों के चलते उस घर में जाने के तैयार नहीं हो रहे थे. लेकिन अब करीब डेढ़ साल बाद उस घर को एक नया किराएदार मिल गया है. हालांकि, ये कोई परिवार नहीं है, बल्कि एक शख्स ने इस घर में जांच केंद्र यानी डायग्नोस्टिक सेंटर (Diagnostic Center) खोला है. देखा जाए तो इस शख्स ने ना सिर्फ इस घर को आबाद किया है, बल्कि लोगों को एक बड़ा संदेश भी किया है कि अंधविश्वास में यकीन नहीं करना चाहिए.

बुराड़ी के घर में डॉक्टर मोहन सिंह ने डायग्नोस्टिक सेंटर शुरू किया है, जिससे पहले पूजा-पाठ भी किया.

क्या कहना है घर के नए किराएदार का?

जिसने इस घर को किराए पर लिया है, उनका नाम डॉ. मोहन सिंह है. मोहन सिंह ने कहा है कि वह अंधविश्वास में भरोसा नहीं करते हैं वरना वह ऐसी जगह पर कभी नहीं आते. उन्होंने ये भी कहा कि उनके मरीजों को भी उस घर में आने में कोई दिक्कत नहीं है. साथ ही यह घर उनके लिए काफी सुविधाजनक भी है, क्योंकि सड़क से काफी नजदीक है. उन्होंने अपना जांच केंद्र शुरू करने से पहले घर में पूजा पाठ भी कराया है, जैसा कि हर नया काम शुरू करने से पहले भारत में लोग करते हैं.

दिल्ली के बुराड़ी का वो घर (Burari House of Horror) तो आपको याद ही होगा, जिसमें एक ही परिवार के 11 लोगों ने सामूहिक आत्महत्या (Burari Suicide case) कर ली थी. इस घटना ने पूरे देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर को हिला कर रख दिया था. 1 जुलाई 2018 की इस घटना के बाद से उस घर के मालिक को कोई नया किराएदार (Burari house got new tenant) नहीं मिला. मिलता भी कैसे, लोग तमाम अंधविश्वासों के चलते उस घर में जाने के तैयार नहीं हो रहे थे. लेकिन अब करीब डेढ़ साल बाद उस घर को एक नया किराएदार मिल गया है. हालांकि, ये कोई परिवार नहीं है, बल्कि एक शख्स ने इस घर में जांच केंद्र यानी डायग्नोस्टिक सेंटर (Diagnostic Center) खोला है. देखा जाए तो इस शख्स ने ना सिर्फ इस घर को आबाद किया है, बल्कि लोगों को एक बड़ा संदेश भी किया है कि अंधविश्वास में यकीन नहीं करना चाहिए.

बुराड़ी के घर में डॉक्टर मोहन सिंह ने डायग्नोस्टिक सेंटर शुरू किया है, जिससे पहले पूजा-पाठ भी किया.

क्या कहना है घर के नए किराएदार का?

जिसने इस घर को किराए पर लिया है, उनका नाम डॉ. मोहन सिंह है. मोहन सिंह ने कहा है कि वह अंधविश्वास में भरोसा नहीं करते हैं वरना वह ऐसी जगह पर कभी नहीं आते. उन्होंने ये भी कहा कि उनके मरीजों को भी उस घर में आने में कोई दिक्कत नहीं है. साथ ही यह घर उनके लिए काफी सुविधाजनक भी है, क्योंकि सड़क से काफी नजदीक है. उन्होंने अपना जांच केंद्र शुरू करने से पहले घर में पूजा पाठ भी कराया है, जैसा कि हर नया काम शुरू करने से पहले भारत में लोग करते हैं.

डॉक्टर मोहन का कहना है कि वह अंधविश्वास में भरोसा नहीं करते, वरना इस घर में नहीं आते.

एक बड़ा संदेश दिया है डॉक्टर मोहन ने

यूं तो अधिकतर मामलों में देखा गया है कि ऐसे घरों को लोग श्रापित कहने लगते हैं. मानने लगते हैं कि ऐसे घरों में मरने वालों की आत्माएं रहती हैं, जो लोगों को परेशान करती हैं. जबकि ये सारी बातें महज अंधविश्वास हैं और कुछ नहीं. न तो डॉक्टर मोहन इन बातों में भरोसा करते हैं ना ही वहां आस-पास रहने वाले लोग. लोगों का कहना है कि अब सब सामान्य है. एक शख्स ने तो ये भी कहा है कि मरने वाले बहुत ही अच्छे लोग थे, तो बुरी आत्मा जैसी कोई बात नहीं. इससे एक बात कह सकते हैं कि लोगों में मन में थोड़ा डर जरूरी है, लेकिन डॉक्टर मोहन की पहल से ये डर दूर होगा. धीरे-धीरे अधिक से अधिक लोग जांच केंद्र आएंगे, जिससे लोगों के बीच फिर से यही संदेश जाएगा कि अंधविश्वास में यकीन नहीं करना चाहिए.

1 जुलाई 2018 को भाटिया परिवार के 11 सदस्यों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली थी.

इस घर की कहानी भी लोगों को डराती है !

इस घर को लेकर अंधविश्वास फैलने की सबसे बड़ी वजह वह कहानी है, जो यहां रहने वाले परिवार की मौत से जुड़ी है. दिल्ली के बुराड़ी के संत नगर में मकान नंबर 137/5 में भाटिया परिवार रहता था. 1 जुलाई 2018 को 11 सदस्यों के पूरे परिवार ने सामूहिक आत्महत्या कर ली. इस कहानी की असली शुरुआत हुई 2007 से, जब भाटिया परिवार के बुजुर्ग भोपाल सिंह की मौत हुई. मौत के कुछ महीनों बाद उनके बेटे ललिल को उनके पिता सपने में दिखने लगे. वह जो भी करने को कहते, ललित वह किया करते थे. ये सारी बातें उन्होंने अपनी एक डायरी में भी लिखी थीं. डायरी में उन्होंने वध तपस्या का जिक्र किया था. पूरे परिवार ने 1 जुलाई को तड़के 1-3 बजे तक इस अनुष्ठान में भाग लिया और पूरे परिवार की मौत हो गई. 10 लोगों ने स्टूल और रस्सी के सहारे खुद को फांसी लगाई थी और पूरे चेहरे पर टेप लिपटी हुई थी, जबकि एक 77 साल की बुजुर्ग महिला का शव पास के दूसरे कमरे में मिला था.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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