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ये 5 अनुभव हों तो महिलाओं के लिए तलाक ही अच्छा है!

    • आईचौक
    • Updated: 24 दिसम्बर, 2019 04:02 PM
  • 24 दिसम्बर, 2019 04:02 PM
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महिलाओं के लिए जरूरी है कि वो घुट-घुटकर जीने के बजाए, सबकुछ ठीक हो जाएगा के दिलासे सुनने के बजाए अपने जीवन के लिए कठोर फैसला लें. तलाक (divorce) का फैसला एक बहुत बड़ा फैसला होता है, लेकिन अगर महिलाओं की शादीशुदा जिंदगी में ये 5 चीजें हो रही हों तो उन्हें ये फैसला जल्दी लेने की जरूरत है.

हमारे देश में लड़की और शादी (marriage) को इस तरह से लिया जाता है जैसे लड़की का जन्म ही शादी करने के लिए हुआ हो. शादी के पवित्र बंधन में बंधकर ही उसका जीवन सार्थक होता है. और ऐसे में अगर वो तलाक (divorce) ले ले तो वो उसकी असफलता समझा जाता है. समाज तलाकशुदा होने के बाद महिला को शादीशुदा होने जितना सम्मान नहीं दे पाता. तलाक के बाद महिला माता-पिता पर बोझ समझी जाती है. डिवोर्सी का टैग उसके नाम से जुड़ जाता है. और तलाक के बाद दुख-परेशानियां खत्म हो जाएं ऐसा भी नहीं है. और इसीलिए महिलाएं अपनी शादी को हर तरह से निभाने की कोशिश करती हैं, वो शादी में खुश न हो तो भी. और यही वजह भी है कि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां तलाक दर सबसे कम है यानी भारत में 1000 शादियों में से केवल 13 मामलों में ही तलाक होता है.

रिश्तों में घुटन हो तो बेहतर ही है अलग हो जाना

लेकिन महिलाओं के लिए जरूरी है कि वो घुट-घुटकर जीने के बजाए, सबकुछ ठीक हो जाएगा के दिलासे सुनने के बजाए अपने जीवन के लिए कठोर फैसला लें. तलाक का फैसला एक बहुत बड़ा फैसला होता है, लेकिन अगर महिलाओं की शादीशुदा जिंदगी में ये 5 चीजें हो रही हों तो उन्हें ये फैसला जल्दी लेने की जरूरत है.

1. अगर दहेज की मांग की जा रही हो तो

दहेज लेना और देना दोनों ही कानूनन जुर्म है, फिरभी हमारा समाज में दहेज का लालच खत्म नहीं हुआ है. अब होता ये है कि दहेज के बिना शादी तो हो जाती है लेकिन पैसों की मांग शादी के बाद होती है. लड़की पर दबाव बनाया जाता है कि वो अपने घर से पैसे लाए. और जब ऐसा नहीं होता तो उसपर अत्याचार किए जाते हैं. लेकिन शादी बचाने और माता-पिता की इज्जत का ख्याल कर लडकियां सब सहती हैं और माता-पिता भी बेटी की खुशी के कारण पैसे देते भी हैं. लेकिन ये सब यहीं खत्म कहां...

हमारे देश में लड़की और शादी (marriage) को इस तरह से लिया जाता है जैसे लड़की का जन्म ही शादी करने के लिए हुआ हो. शादी के पवित्र बंधन में बंधकर ही उसका जीवन सार्थक होता है. और ऐसे में अगर वो तलाक (divorce) ले ले तो वो उसकी असफलता समझा जाता है. समाज तलाकशुदा होने के बाद महिला को शादीशुदा होने जितना सम्मान नहीं दे पाता. तलाक के बाद महिला माता-पिता पर बोझ समझी जाती है. डिवोर्सी का टैग उसके नाम से जुड़ जाता है. और तलाक के बाद दुख-परेशानियां खत्म हो जाएं ऐसा भी नहीं है. और इसीलिए महिलाएं अपनी शादी को हर तरह से निभाने की कोशिश करती हैं, वो शादी में खुश न हो तो भी. और यही वजह भी है कि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां तलाक दर सबसे कम है यानी भारत में 1000 शादियों में से केवल 13 मामलों में ही तलाक होता है.

रिश्तों में घुटन हो तो बेहतर ही है अलग हो जाना

लेकिन महिलाओं के लिए जरूरी है कि वो घुट-घुटकर जीने के बजाए, सबकुछ ठीक हो जाएगा के दिलासे सुनने के बजाए अपने जीवन के लिए कठोर फैसला लें. तलाक का फैसला एक बहुत बड़ा फैसला होता है, लेकिन अगर महिलाओं की शादीशुदा जिंदगी में ये 5 चीजें हो रही हों तो उन्हें ये फैसला जल्दी लेने की जरूरत है.

1. अगर दहेज की मांग की जा रही हो तो

दहेज लेना और देना दोनों ही कानूनन जुर्म है, फिरभी हमारा समाज में दहेज का लालच खत्म नहीं हुआ है. अब होता ये है कि दहेज के बिना शादी तो हो जाती है लेकिन पैसों की मांग शादी के बाद होती है. लड़की पर दबाव बनाया जाता है कि वो अपने घर से पैसे लाए. और जब ऐसा नहीं होता तो उसपर अत्याचार किए जाते हैं. लेकिन शादी बचाने और माता-पिता की इज्जत का ख्याल कर लडकियां सब सहती हैं और माता-पिता भी बेटी की खुशी के कारण पैसे देते भी हैं. लेकिन ये सब यहीं खत्म कहां होता है. जो इस तरह का दबाव एक बार डालता है वो कभी भी डालेगा. इसलिए जहां पैसे को इंसान से ज्यादा अहमियत दी जाए वहां कोई भी महिला खुश कैसे रह सकती है.

2. अगर शोषण/घरेलू हिंसा की जा रही हो तो

शादी के बाद अगर किसी भी महिला के साथ किसी भी प्रकार का शोषण- जैसे शारीरिक शोषण, मानसिक शोषण या फिर यौन शोषण किया जा रहा हो तो कोई रियायत नहीं. अगर गाली गलौच की जा रही है, मारा-पीटा जा रहा है या फिर यौन शोषण किया जा रहा है तो आपको तलाक के बारे में बुरा महसूस करने की जरूरत नहीं है. तलाक के लिए इस तरह का शोषण एक ठोस कारण है. शादी करके पति पत्नी का मालिक नहीं हो जाता. आप कभी नहीं चाहेंगी कि आगे चलकर आपके बच्चे भी इस तरह का व्यवहार देखें.

घरेलू हिंसा और दुर्व्यवहार के साथ रिश्ते सिर्फ खराब होते हैं

3. अगर बेइज्जत किया जा रहा हो तो

ऐसा नहीं कि सिर्फ शारीरिक रूप से ही किसी को चोट पहुंचाई जाती है. शब्दों के तीर भी बहुत गहरे जख्म देते हैं. घर में अगर महिला के साथ बार-बार बहस की जा रही हो, पति खुद आईना देखने के बजाए हर बात के लिए पत्नी को ही दोषी ठहराए, उसके साथ दुर्व्यवहार करे, उसकी कीमत न समझे, उसे हल्के में ले, उसके काम को अहमियत न दे, उसपर बार-बार चिल्लाए, गाली दे, नीचा दिखाए तो इस रिश्ते को संभालना भी चाहेंगे तो संभलेगा नहीं. रोज-रोज की मानसिक प्रताड़ना झेलकर कोई खुश नहीं रहता. बेहतर है कि अलग हो जाएं.

4. पति बेवफाई कर कर रहा हो तो

अगर किसी महिला को ये पता चलता है कि उसके पति किसी और के साथ अफेयर है तो ये दिल तोड़ने वाली बात होती है. अक्सर लड़के घरवालों के दबाव में आकर शादी तो कर लेते हैं लेकिन शादी के बाद भी वो अपने प्यार से अलग नहीं हो पाते. लेकिन इन सबके बीच पत्नी ही सबसे ज्यादा नुकसान में रहती है. पति पत्नी के साथ भी रहता है और प्रेमिका के साथ भी. लेकिन ऐसे रिश्तों में सिर्फ कोफ्त होती है. क्योंकि बेवफाई रिश्तों के भरोसे को खत्म कर देती है और कोई भी रिश्ता बिना भरोसे के चल नहीं सकता. इसलिए महिला के लिए बेहतर यही होता है कि वो इस रिश्ते से अलग हो जाए.

5. सकारात्मकता से ज्यादा नकारात्मकता हो तो

दो लोगों में स्वाभाविक तौर पर असहमति होती ही है. पति-पत्नी में भी होती है. सामाजिक मनोवैज्ञानिकों के अनुभव कहते हैं कि असहमति की गंभीरता नहीं बल्कि असहमति की मात्रा ही है जो तलाक की आवश्यकता को दर्शाती है. एक खुशहाल शादी का जादूई अनुपात होता है- हर 1 नकारात्मक बात पर 5 सकारात्मक बातें. आप जीवन के नकारात्मक और सकारात्मक बातों को खुद तौल सकते हैं कि आपको तलाक लेना चाहिए या नहीं. अगर आपको लगता है कि आपके पास अपने साथी से जुड़ी नकारात्मक बातें सकारात्मक बातों की तुलना में ज्यादा हैं तो आपको तलाक की जरूरत है.

रिश्तों में बंधने वाले लोग खुशी के साथ ही बंध सकते हैं. अगर किसी भी रिश्ते में प्यार, विश्वास, भरोसा, सम्मान और खुशी नहीं होगी तो न रिश्तों में गर्माहट होगी और न एक दूसरे को बांधकर रखने की जकड़. आत्म सम्मान के साथ समझौता करना किसी भी रिश्ते की नींव कमजोर करता है. इसलिए खुद को और अपने आत्म सम्मान को न भूलें, अगर अलग होकर आप ज्यादा खुश रहती हैं तो बेशक तलाक लीजिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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